अनुच्‍छेद 370 हटने पर भारत का कश्‍मीर से रिश्‍ता टूट जाएगा: कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज

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आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
आज कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी अनुच्‍छेद 370 और 35A के कश्मीर से समाप्त करने का क्यों विरोध कर रहे हैं? क्या यह अनुच्छेद देश के हित में हैं? जब एक कश्मीरी कश्मीर से बाहर भारत के किसी भी भाग में रह सकता है, स्वतन्त्र व्यापार कर सकता है, फिर क्यों कोई गैर-कश्मीरी कश्मीर में स्वतन्त्र रूप से व्यापार कर सकता? क्या यह अनुच्‍छेद देश को विघटन करने को प्रेरित नहीं करती ? हकीकत यह है कि इन धाराओं के समाप्त होने पर इन सबकी कश्मीर में चल रही दुकानें यानि पार्टियों का अस्तित्व ही पतन की ओर चला जाएगा। 
भारतीय जनसंघ वर्तमान भाजपा के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुख़र्जी ने इन अनुच्छेदों को समाप्त करने और जम्मू-कश्मीर जाने से पहले परमिट लेने की प्रथा को समाप्त करने के लिए ही अपना बलिदान दिया था। नेहरू मंत्रिमंडल से उद्योग मंत्री पद को त्याग जनसंघ की स्थापना की थी। उनके बलिदान ने शेख अब्दुल्ला का प्रधानमंत्री पद और परमिट प्रथा को समाप्त कर दिया था, क्या इन धाराओं को समाप्त करवाने के लिए एक और डॉ श्यामा प्रसाद मुख़र्जी को पैदा होना पड़ेगा? भारत के स्वतन्त्र होने से आज तक जब कहते हैं "कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है" फिर किस आधार पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल ने शेख अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर का अलग से प्रधानमंत्री बनाया था? जो इस बात को प्रमाणित करता है कि प्रारम्भ से ही कांग्रेस विघटनकारी शक्तियों को बढ़ावा देती रही। वास्तव में कश्मीर समस्या कांग्रेस द्वारा बोया गया विघटन-रूपी वृक्ष है, जिसके काटे जाने पर सबको परेशानी हो रही है। किस आधार पर शेख अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर का प्रधानमंत्री बनाया गया था, जबकि जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री थे? कहाँ थे कांग्रेस के निडर और निर्भीक नेता, क्यों नहीं किया नेहरू का विरोध? क्यों केवल केंद्रीय उद्योग मंत्री डॉ श्यामा प्रसाद मुख़र्जी को ही जम्मू-कश्मीर से इन कूप्रधाओं को समाप्त करने के बलिदान देना पड़ा था?
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आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार जम्मू कश्मीर कभी भी पूरी तरह इस देश का हिस्सा न बन पाए इसके लिए इतिहास में तरह-तरह के षड... 
कांग्रेस के कश्‍मीरी नेता सैफुद्दीन सोज ने विवादित बयान देते हुए कहा है कि अगर कश्‍मीर से संविधान का अनुच्‍छेद 370 हटेगा तो कश्मीर का रिश्ता भारत के साथ ख़त्म हो जायेगा. उन्‍होंने ये भी कहा कि ये समझ में नहीं आ रहा की कश्मीर में इतनी फौज तैनात क्‍यों की जा रही है? इतनी जरूरत नहीं है. इससे कश्मीर के लोग चौंक जाते हैं. उन्‍होंने कहा कि 35 A खत्‍म होने के साथ अनुच्‍छेद 370 अपने आप खत्‍म हो जाएगा.
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उन्‍होंने आरएसएस पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट में जाकर 35A, 370 ख़त्म करवाना चाहता है. ये टेढ़ी सोच के लोग हैं. आरएसएस ने पहले ही देश को नुकसान पहुंचाया है. सुप्रीम कोर्ट में 370 के संबंध में याचिका किसने दी है. इसके साथ ही जोड़ा कि 2019 में इससे कोई फायदा नहीं होने वाला है. 2019 में शासन बदलेगा.
सोज ने कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर के साथ रिश्ता खत्म होगा तो लोग विरोध करेंगे. अगर इसके साथ छेड़खानी हुई तो हम, फारूक अब्‍दुल्‍ला, उमर अब्‍दुल्‍ला, महबूबा मुफ्ती लाल चौक से विरोध करेंगे. हमारा रिश्ता सेक्‍युलर भारत से है. नफरत के सौदागरों के साथ रिश्ता नहीं रहा है.
संवैधानिक प्रावधानों के साथ छेड़छाड़ खतरनाक चलन : लोन
इस बीच पीपुल्स कान्फ्रेंस अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन ने कहा है कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक को जम्मू-कश्मीर में लागू संवैधानिक प्रावधानों के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए. लोन ने इसके साथ ही मलिक से ऐसा कोई भी निर्णय लेने से परहेज करने को कहा जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं. लोन जम्मू कश्मीर की पूर्ववर्ती पीडीपी नीत राज्य सरकार में भाजपा के कोटे से एक मंत्री थे. उन्होंने कहा कि राज्यपाल या राष्ट्रपति शासन सरकार के दिन प्रतिदिन के कार्यों के लिए एक अस्थायी उपाय है.

लोन ने कहा, ‘‘राज्यपाल से ऐसा कोई प्रमुख नीतिगत निर्णय लेने की अपेक्षा नहीं की जाती जो कि केवल एक निर्वाचित सरकार का विशेषाधिकार है. किसी भी तरह से राज्यपाल या राष्ट्रपति उन संवैधानिक प्रावधानों के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकते या नहीं करनी चाहिए जिससे जम्मू कश्मीर राज्य के केंद्र के साथ संवैधानिक संबंध स्थायी रूप से प्रभावित हों.’’
उन्होंने कहा कि राज्य के लिए लागू संवैधानिक प्रावधानों से राज्यपाल प्रशासन द्वारा छेड़छाड़ एक खतरनाक चलन है, जिसके केंद्र के साथ राज्य के संवैधानिक रिश्तों के संबंध में गंभीर प्रभाव होंगे. उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने हाल में न केवल संविधान के 103वां संशोधन कानून, 2019 को बल्कि संविधान के 77वें संशोधन कानून, 1995 को भी जम्मू-कश्मीर में लागू करने की सिफारिश की. उन्होंने कहा कि राज्यपाल की सिफारिशों पर राष्ट्रपति ने कुछ दिन पहले इस संबंध में आदेश जारी किये.
आग से मत खेलिए, 35ए के साथ छेड़छाड़ मत कीजिए : पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार को खुले तौर पर चेतावनी दी है. दरअसल, देशभर में चर्चाएं हैं कि केंद्र सरकार आर्टिकल 35ए को खत्म करने पर विचार कर रही है. इसी को लेकर महबूबा मुफ्ती ने केंद्र को कहा कि आग से मत खेलिए, 35ए के साथ छेड़छाड़ मत कीजिए. अगर ऐसा हुआ तो आप वो देखेंगे जो 1947 के बाद से आज कर नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि अगर 35ए को खत्म किया गया तो, मैं नहीं जानती कि जम्मू कश्मीर के लोग मजबूर होकर तिरंगे की जगह कौन सा झंडा उठा लेंगे. 
इससे पहले जम्मू कश्मीर प्रशासन ने रविवार को सभी अटकलों को विराम देते हुए कहा था कि अनुच्छेद 35ए के मुद्दे पर उसके रुख में कोई बदलाव नहीं आया है और निर्वाचित सरकार ही इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट में रुख रख पाएगी. सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 35ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. जम्मू कश्मीर में राज्यपाल के प्रशासन के मुख्य प्रवक्ता नियुक्त किये गये वरिष्ठ नौकरशाह रोहित कंसल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘सुप्रम कोर्ट में अनुच्छेद 35ए पर सुनवाई को टालने के अनुरोध पर राज्य सरकार का रुख वैसा ही है जैसा 11 फरवरी को अनुरोध किया गया था.’’ 
वह इस प्रश्न का उत्तर दे रहे थे कि क्या इस विवादास्पद मुद्दे पर राज्यपाल के प्रशासन के रुख में कोई बदलाव आया है. कंसल ने राज्य की जनता से भी अफवाहों पर ध्यान नहीं देने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि आधी अधूरी और अपुष्ट सूचनाओं के आधार पर लोग घबराहट पैदा नहीं करें. जम्मू कश्मीर सरकार के वकील ने उच्चतम न्यायालय से अनुच्छेद 35ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आगामी सुनवाई को स्थगित करने के लिए सभी पक्षों के बीच एक पत्र वितरित करने के लिए अनुमति मांगी थी. उन्होंने कहा कि राज्य में कोई ‘निर्वाचित सरकार’ नहीं है.
अनुच्छेद 35 ए राज्य के नागरिकों को विशेषाधिकार प्रदान करता है. सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 35ए को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जल्द सुनवाई कर सकता है. बता दें कि आर्टिकल 35ए पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस तक सभी केंद्र को नसीहत देते हुए नजर आ रहे हैं.

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