पूर्व रॉ अधिकारी यादव ने हामिद अंसारी को किया बेनकाब

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आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी पर रॉ के एक पूर्व अधिकारी आर.के. यादव ने कुछ ऐसे हैरान करने वाले खुलासे किए हैं, जिनसे पता चलता है कि भारत में उच्च पदों पर बैठ चुका यह व्यक्ति केवल एक कट्टरपंथी ही नहीं, बल्कि एक देशद्रोह भी है। यादव ने अपनी पुस्तक "मिशन आर एन्ड डब्लू(Mission R&AW) " में कुछ ऐसी घटनाओं का उल्लेख किया है, जो हामिद की निष्ठां पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं।
हैरानी की बात यह है कि इस सबके बावजूद 2007 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी की पसंद पर उन्हें भारत का उपराष्ट्रपति बना दिया गया। इस पद पर वह 10 वर्ष तक आसीन रहे। हाल ही में, हामिद अन्सारी ने मुसलमानों के लिए अलग शरिया अदालतों का समर्थन कर सबको चौंका दिया था। तब यह सवाल उठा कि देश की एक संवैधानिक पद पर रहा आदमी कैसे इस्लामिक कोर्ट की वकालत कर सकता है? हामिद अन्सारी पहले भी अपनी कट्टरपंथी सोंच के कई संकेत दे चुके हैं। कुछ समय पूर्व वह केरल के कट्टरपंथी संगठन पीएफआई की बैठक में गए थे।
रॉ के लिए काम कर चुके आर के यादव ने Mission R&AW के नाम से एक किताब भी लिखी हैयादव का बड़ा खुलासा
आर के यादव ने अपनी पुस्तक में उस घटना का उल्लेख किया है, जब 1990 में ईरान में भारत के राजदूत थे। उन्होंने लिखा है कि कैसे ईरान में हामिद के राजदूत रहते वहां पर काम कर रहे रॉ जासूसों और खबरियों की शामत आ गयी थी। यादव ने अपनी पुस्तक में एक "कपूर" नाम के एक जासूस का जिक्र किया है, जिसको   ईरान की ख़ुफ़िया एजेंसी ने अगवा कर लिया था। उसको कहाँ ले जाया गया, इस बारे में भारतीय दूतावास को कोई जानकारी नहीं दी गयी। तीन दिनों तक ईरान ख़ुफ़िया एजेंसी ने कपूर को अमानवीय यातनाएं दीं और फिर मरने के लिए एक खाली जगह पर फेंक दिया था। एक राजदूत के तौर पर हामिद की जिम्मेदारी थी कि वो ईरान सरकार से इस घटना की औपचारिक शिकायत दर्ज करवाते। जो उन्होंने नहीं किया, जिस कारण राजदूत अधिकारियों में हामिद के प्रति काफी रोष था। इसी दौरान एक और जासूस "माथुर" को अगवा कर लिया गया। वह भी दो दिन तक गायब रहा, लेकिन अन्सारी ने तब भी चुप्पी साधे रखी।
दूतावास कर्मचारियों की बगावत
हामिद अन्सारी के रहस्यमय रवैये से दूतावास कर्मचारियों का सब्र टूट गया। माथुर की पत्नी और दूतावास कर्मचारियों की पत्नियों ने राजदूत हामिद अंसारी से मिलने का समय माँगा। लेकिन हामिद अंसारी ने मिलने से मना कर दिया। हामिद के मना करने के बाद लगभग 30 महिलाओं ने हमीद अंसारी के कक्ष में हमला बोल, उन्हें घेराव किया। उनका केवल इतना ही कहना था कि आखिर किस कारण भारतीयों को अगवा किए जाने पर क्यों चुप्पी साधे हो? क्यों नहीं ईरानी अधिकारियों से विरोध दर्ज करवाया जा रहा? मामले की गम्भीरता को देखते हुए और राजदूत हामिद अंसारी के रवैये को देखते हुए, ईरान में सक्रीय अन्य रॉ अधिकारीयों ने तुरन्त नई दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय को अतिशीघ्र संज्ञान लेने को कहा। उस समय विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी से भी हस्ताक्षेप करने का अनुरोध किया। इसके बाद विदेश मंत्रालय के तुरंत हरकत में आने पर माथुर को रिहा कर दिया। पता चला कि माथुर को दो दिन हिरासत में थर्ड डिग्री की यातनाएँ दी थीं। राजदूत हामिद के इस रवैये ने ईरान में भारतीय खुफ़ियों को बुरी तरह से हिला कर रख दिया था। कपूर और माथुर दोनों ही भारतीय दूतावास में बतौर कर्मचारी सक्रीय थे।
हमीद अंसारी की नियत
हामिद अंसारी भारतीय विदेश सेवा(आई एफ एस ) के अधिकारी थे और इस हैसियत से वह ईरान के अलावा सऊदी अरब और कई दूसरे खाड़ी देशों में भारतीय राजदूत रहे। ईरान में घटित इन घटनाओं ने हामिद अंसारी की निष्ठां पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया था। कहते हैं, रॉ एवं अन्य सूचना एजेन्सियां हामिद पर संदेह करने लगी थीं। ईरान में रॉ के जासूस इसलिए भेजे जाते थे, ताकि वहां रहकर पाकिस्तान पर निगाह रखी जा सके, क्योकि पाकिस्तान और ईरान की सीमाएँ आपस में लगी हुई हैं। जिस माथुर को पकड़ा गया था, वह तेहरान में कश्मीरी आतंकवादियों के नेटवर्क का भांडा भोड़ने को ही था कि उसे अगवा कर लिया गया। वह अपने ख़ुफ़िया इनपुट नियमित समय पर भारत भेजता था और इसकी जानकारी राजदूत अंसारी को भी रहती थी। आर के यादव की पुस्तक के अनुसार राजदूत हामिद अंसारी को माथुर की इन इनपुट्स पर ऐतराज था। जिस दिन माथुर को अगवा किया गया था, उस दिन राजदूत हामिद अंसारी ने अपनी रोटिन रपट भेजी कि वह गायब है, लेकिन इस मुद्दे पर कोई कार्यवाही नहीं की।
हामिद अंसारी के विरुद्ध रिपोर्ट
आर के यादव ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि तेहरान से रॉ अधिकारी एन के सूद ने दिल्ली में उनके पास फोन किया और पुरे घटनाक्रम की जानकारी दी। अगले ही दिन यादव ने विपक्षी नेता अटल बिहारी वाजपेयी से मुलाकात की। वाजपेयी ने प्रधानमन्त्री नरसिम्हा राव से मिलकर घटनाक्रम पर गम्भीरता से चर्चा की। इस पर प्रधानमंत्री राव ने, विषय की गम्भीरता को देखते हुए, तुरन्त कार्यवाही की। परिमाणस्वरुप, ईरानी अफसरों ने माथुर को छोड़ दिया। जिसके बाद माथुर को दिल्ली बुला लिया गया। दोनों जासूसों के इनपुट्स के आधार पर रॉ के वरिष्ठ अधिकारी को जाँच के लिए तेहरान भेजा गया। जिसने रॉ के सचिव को दी रिपोर्ट में हामिद अंसारी के रवैये को संदेहस्पद बताया।
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बायीं तस्वीर कांग्रेस सांसद अहमद पटेल की और दायीं तस्वीर रॉ के पूर्व अधिकारी आरके यादव की है। आर.बी.एल.निगम कांग्र.....

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बात 1990 के दशक के आखिरी वर्षों का है जब, H. Ansari ईरान मे भारत के Ambassador हुआ करते थे । उस समय तेहरान मे पोस्टेड RAW के जासूस Mr. Kapo...
एक और अफसर हुआ अगवा
मामला शांत होने के कुछ ही दिन बाद तेहरान में भारतीय दूतावास के सिक्योरिटी अफसर मोहम्मद उमर से ईरान की खुफ़िआ एजेंसी ने सम्पर्क किया। और अपने(ईरान) के लिए काम करने का ऑफर दिया। उमर ने ऐसा करने से मना कर दिया, और इसके बारे में राजदूत हामिद अंसारी को औपचारिक रूप से जानकारी दी गयी।लेकिन कुछ ही दिनों के अंदर उसे भी अगवा कर लिया गया। उसे बुरी तरह से मारा-पीटा गया। और बाद में तेहरान के बाहरी इलाके में फेंक दिया गया। इस बार भी राजदूत हामिद ने ईरान सरकार से विरोध दर्ज नहीं करवाया। इतना ही नहीं, कर्मचारियों को हिदायत दी कि इस मसले पर अपना मुँह बन्द रखें। जब बुरी तरह घायल मोहम्मद उमर को दूतावास लाया गया, तो हामिद अंसारी ने उसे दिल्ली भेजने की कवायत शुरू कर दी। इस पर रॉ के बाकि ऑपरेटिव्स ने विरोध दर्ज कराया। जिस पर वहां के रॉ के स्टेशन चीफ वेणुगोपाल ने राजदूत हामिद का आदेश मानने से साफ मना कर दिया।
क्या अंसारी गद्दारी कर रहे थे?
इस बारे में पुस्तक में बताया गया है कि ईरान के साथ हामिद अंसारी के साथ बहुत अच्छे सम्बन्ध थे। हैरानी है कि इसके बावजूद उन्होंने कभी अपने कर्मचारियों के अगवा और टार्चर किये जाने का विरोध तक नहीं किया। रॉ अधिकारी यादव ने अपनी पुस्तक में इन घटनाओं का केवल उल्लेख किया है, लेकिन इन घटनाक्रमों पर किसी राजदूत द्वारा चुप्पी साधना बहुत कुछ व्यक्त कर रही हैं। हामिद राजदूत के तौर पर ईरान में क्या कर रहे थे? यह भी सम्भावनाएं व्यक्त की जा रहीं है कि रॉ जासूसों को पकड़वाने में हामिद अंसारी की ही गुप्त भूमिका रही हो? क्योकि राजदूत को सब जानकारी होती है कि कौन क्या है और क्या कर रहा है? ईरान में सक्रिय जासूसों की ईरान में कोई दिलचस्पी नहीं, बल्कि पाकिस्तान पर निगाह रखना है। अगर उन्हें रोकना चाहते थे तो यह भी समझना मुश्किल नहीं कि वो भारत के राजदूत होते हुए पाकिस्तान की सहायता कर रहे हो? इससे पूर्व आर के यादव कांग्रेस के दिग्गज नेता अहमद पटेल की सच्चाई भी उजागर कर चुके हैं।        
हामिद अंसारी की सोंच शुरू से ही राष्ट्र विरोधी 
10 अगस्त 2017 को उपराष्ट्रपति का पद छोड़ने के बाद से हामिद अंसारी लगातार अपने बयानों के कारण विवादों में बने हुए हैं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जिन्ना की तस्वीर का मामला हो, तीन तलाक के कानून का विरोध हो या देश के हर जिले में शरिया अदालतें स्थापित करने का ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड का प्रस्ताव हो, सभी का हामिद अंसारी ने समर्थन किया है। हामिद अंसारी लगातार कह रहे हैं कि देश के मुसलमानों के मन में भय पैदा हो रहा है। हामिद अंसारी की इस देश विरोधी सोच की कुछ और परतों को रॉ के पूर्व अधिकारी आर के यादव ने Mission R&AW में  उजागर किया है।
हामिद अंसारी के चरित्र के बारे में रॉ के अधिकारी आर के यादव ने यह बात लंबी जांच पड़ताल और अनुभव के आधार पर कही है। अपने अनुभवों के आधार पर लिखी गई किताब Mission R&AW में हामिद अंसारी के दोहरे चरित्र पर एक पूरा अध्याय- Bizarre R&AW Incidents- ही लिखा है।
हामिद अंसारी ने ईरान में कश्मीर आंदोलनकारियों  का साथ दिया
आर के यादव –Bizarre R&AW Incidents में लिखते हैं कि रॉ के अधिकारी डी बी माथुर, तेहरान के करीब कौम में कश्मीर के युवकों के लिए चल रहे ट्रेनिंग कैंप पर नियमित रुप से दिल्ली को रिपोर्ट भेजते रहते थे। ये सभी रिपोर्ट्स राजदूत हामिद अंसारी के पास से होकर गुजरती थीं, इनमें से कई रिपोर्ट्स को लेकर हामिद अंसारी काफी विरोध में रहते थे। इसी दौरान, एक सुबह डी बी माथुर को ईरान की गुप्तचर संस्था ने अगवा कर लिया, लेकिन हामिद अंसारी ने ईरान की सरकार से इस बारे में कोई बात नहीं की और बहुत ही साधारण रिपोर्ट दिल्ली भेज कर शांत हो गए। दो दिनों तक डी बी माथुर के बारे में कोई जानकारी न मिलने पर भारतीय दूतावास के करीब 30 अधिकारियों की पत्नियों ने हामिद अंसारी के चैम्बर में जबरदस्ती घुसकर विरोध भी दर्ज कराया था।
कांग्रेस ने ऐसे व्यक्ति को उपराष्ट्रपति बनाया
विभिन्न देशों में भारत के राजदूत रह चुके हामिद अंसारी ने ऐसे काम किए हैं, जिससे भारत की सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों की पहचान दूसरे देशों के सामने आ गई। हामिद अंसारी ने ऐसा एक बार नहीं कई बार किया, जिससे स्पष्ट होता है कि हामिद अंसारी की सोच ही भारत विरोधी है। ऐसे भारत विरोधी चेहरे को कांग्रेस ने देश का उपराष्ट्रपति बनाया। आजकल हामिद अंसारी कांग्रेस की तरफ से मुसलमानों के पैरोकार बन कर सामने आ रहे हैं।     

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