ममता बनर्जी और CBI के बीच टकराव के बाद आखिर कब तक?

पश्चिम बंगाल में पुलिस कमिश्‍नर राजीव कुमार से पूछताछ करने रविवार को पहुंची केंद्रीय अन्‍वेषण ब्‍यूरो (सीबीआई) की टीम को पुलिस के हिरासत में लेने के बाद सियासी घटनाक्रम तेजी से बदला है. मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी इस मामले में रविवार रात को ही धरने पर बैठ गईं. उन्‍होंने ऐलान किया कि उनका 'संविधान बचाओ' धरना सोमवार को भी जारी रहेगा. इस पूरे घटनाक्रम पर एक नजर :
1. शारदा चिट फंड घोटाले से जुड़े मामले में सीबीआई की 40 अधिकारियों की टीम रविवार (फरवरी 3) को कोलकाता पुलिस कमिश्‍नर राजीव कुमार से पूछताछ करने लाउडन स्ट्रीट स्थित उनके आवास पर पहुंची. सीबीआई अधिकारियों की टीम को वहां तैनात संतरियों-कर्मियों ने अंदर जाने से रोक दिया. इसके बाद कोलकाता पुलिस ने सीबीआई के अधिकारियों को हिरासत में भी ले लिया. साथ ही उन्‍हें शेक्सपियर सरनी पुलिस थाने ले जाया गया.
2. संभवत: इति‍हास में ये पहली बार हुआ, जब पुलिस ने ऑन ड्यूटी सीबीआई अधि‍कारि‍यों को हिरासत में लिया. सूत्रों के अनुसार मौके पर पुलिस और अधिकारियों के बीच हाथापाई भी हुई. हालांकि बाद में उन्‍हें छोड़ भी दि‍या गया.
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3. ममता बनर्जी अपने आला अफसर के साथ पुलिस कमिश्‍नर राजीव कुमार के घर पहुंच गईं. आगामी लोकसभा चुनावों से पहले बीजेपी विरोधी गठबंधन बनाने के प्रयासों में अग्रणी भूमिका निभा रहीं ममता ने दावा किया कि सीबीआई ने बगैर तलाशी वॉरंट के ही कोलकाता के पुलिस आयुक्त कुमार के दरवाजे पर दस्तक दी.
4. ममता ने आरोप लगाया कि केंद्र की बीजेपी सरकार हर उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना चाहती है, जहां विपक्षी पार्टियां सत्ता में हैं. उन्‍होंने कहा, ‘‘मैं यकीन दिला सकती हूं...मैं मरने के लिए तैयार हूं, लेकिन मैं मोदी सरकार के आगे झुकने के लिए तैयार नहीं हूं. हम आपातकाल लागू नहीं करने देंगे. कृपया भारत को बचाएं, लोकतंत्र बचाएं, संविधान बचाएं.’’
5. ममता बनर्जी चिटफंड घोटाला मामले में कोलकाता पुलिस प्रमुख से सीबीआई की पूछताछ के प्रयास के खिलाफ रात करीब 9 बजे कोलकाता के मेट्रो चैनल पर धरने पर बैठ गईं. इसके अलावा सीबीआई के दो दफ्तरों पर भी पुलिस ने कब्‍जा कर लिया. जब ममता बनर्जी का धरना शुरू हुआ तब पुलिस ने दफ्तरों को खाली किया. इसके बाद इनकी सुरक्षा सीआरपीएफ के जवानों ने अपने हाथ में ले ली.
6. गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने सबसे पहले ये रोक लगाई थी कि उसके राज्‍य में सीबीआई बि‍ना उसकी अनुमति के कोई एक्‍शन नहीं लेगी. अब बीजेपी सवाल उठा रही है कि ममता बनर्जी आखिरकार सीबीआई से इतना क्‍यों डर रही हैं.
7. ममता बनर्जी के इस धरने को विपक्षी नेताओं ने पूरे समर्थन की घोषणा की है. ममता बनर्जी का कहना है, ‘‘अखिलेश यादव (सपा), तेजस्वी यादव (राजद), चंद्रबाबू नायडू (तेदेपा), उमर अब्दुल्ला (नेकां), अहमद पटेल (कांग्रेस) और एम के स्टालिन (द्रमुक) ने मुझे फोन करके अपनी एकजुटता एवं अपना समर्थन व्यक्त किया.’’
8. सीबीआई सूत्रों ने रविवार को कहा कि जांच एजेंसी सोमवार को इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का रूख करेगी. सीबीआई ने दावा किया कि पोंजी घोटालों में उसकी जांच में पश्चिम बंगाल सरकार और राज्य की पुलिस रोड़े अटका रही है.
9. ममता ने सभी विपक्षी पार्टियों से अपील की कि वे मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए एकजुट हों. उन्होंने थलसेना के अलावा केंद्र एवं राज्यों के सुरक्षा बलों का भी आह्वान किया कि वे मोदी सरकार के रवैये की ‘‘निंदा'' करें.
10. सीबीआई के संयुक्त निदेशक पंकज श्रीवास्तव ने कहा कि एजेंसी के अधिकारी कोलकाता पुलिस प्रमुख राजीव कुमार के आवास पर उनसे चिटफंड मामले में पूछताछ करने गए थे और ‘अगर वह हमारा सहयोग नहीं करते तो हम उन्हें हिरासत में लेते’.
जानिए कौन हैं कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार, जिनको बचाने के लिए धरने पर बैठीं ममताकौन है पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार, जिन्हे बचाने ममता सरकार धरने पर बैठ गयी?
राजीव कुमार पश्चिम बंगाल के 1989 बैच के आईपीएस अधिकार हैं और वह इस समय कोलकाता पुलिस आयुक्त हैं. राजीव कुमार को पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का करीबी माना जाता है. राजीव कुमार 2013 में शारदा चिटफंड घोटाला मामले की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम के अध्यक्ष चुना गया था. राजीव कुमार पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए घोटाले की दिशा और दशा बदली है. बताया जाता है कि एसआईटी के अध्यक्ष के तौर पर राजीव कुमार ने जम्मू-कश्मीर में शारदा प्रमुख सुदीप्त सेन और उनके सहयोगी देवयानी को गिरफ्तार किया था और उनके पास से मिली एक डायरी को गायब कर दिया था.
इस डायरी में उन सभी नेताओं के नाम थे जिन्होंने चिटफंड कंपनी से रुपए लिए थे. इस मामले में कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने राजीव कुमार को आरोपित किया था. घोटाले की जांच के लिए सीबाआई राजीव कुमार से बात करने के लिए लंदन स्ट्रीट स्थित आधिकारिक आवास पर गई थी. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का दल जैसे ही राजीव कुमार के घर में जाने लगी तभी राज्य के पुलिसकर्मियों ने सीबाआई को अंदर जाने से रोक दिया.
इसके बाद पुलिस अधिकारियों और सीबीआई अधिकारियों के बीच बातचीत के बाद हाथापाई होने लगी, जिसके बाद संघीय जांच एजेंसी के अधिकारियों को जबरदस्ती पुलिस थाने भी ले गई. इसके बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को पुलिस द्वारा सीबीआई के अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद बीजेपी पर निशाना साधा.
उन्होंने कहा कि बीजेपी का अच्छा वक्त अब खत्म हो चुका है. देश पीएम नरेंद्र मोदी से परेशान है. इसके बाद बनर्जी धरने पर बैठ गई. वे पूरी रात कोलकाता के मेट्रो चैनल पर धरना दे रही हैं. आपको बता दें कि सीबीआई ने शनिवार को दावा किया था कि राजीव कुमार ‘‘फरार’’ चल रहे हैं और शारदा एवं रोज वैली चिटफंड घोटालों के सिलसिले में उनकी ‘‘तलाश’’ की जा रही है.
इस दावे के एक दिन बाद सीबीआई के करीब 40 अधिकारियों-कर्मियों की एक टीम आज शाम कुमार के आवास पर पहुंची थी, लेकिन उन्हें संतरियों एवं कर्मियों ने बाहर ही रोक दिया था. सीबीआई के अधिकारियों ने बताया था कि सीबीआई रोज वैली और सारदा चिटफंड घोटाले के मामलों के सिलसिले में कुमार से पूछताछ के मकसद से उन्हें तलाश रही है और अंतिम उपाय के तौर पर पुलिस आयुक्त को गिरफ्तार भी किया जा सकता है.
इसके बाद राजीव कुमार ने चुनावी तैयारियों की समीक्षा के लिए पिछले दिनों कोलकाता आए चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया था.
क्या है चिटफंड घोटाला
पश्चिम बंगाल का चर्चित चिटफंड घोटाला 2013 में सामने आया था. कथित तौर पर तीन हजार करोड के इस घोटाले का खुलासा अप्रैल 2013 में हुआ था. आरोप है कि शारदा ग्रुप की कंपनियों ने गलत तरीके से निवेशकों के पैसे जुटाए और उन्हें वापस नहीं किया. इसके बाद इस घोटाले को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार पर सवाल उठे थे. 

चिट फंड एक्ट-1982 के मुताबिक चिट फंड स्कीम का मतलब होता है कि कोई शख्स या लोगों का समूह एक साथ समझौता करे. इस समझौते में एक निश्चित रकम या कोई चीज एक तय वक्त पर किश्तों में जमा की जाए और तय वक्त पर उसकी नीलामी की जाए.जो फायदा हो बाकी लोगों में बांट दिया जाए. इसमें बोली लगाने वाले शख्स को पैसे लौटाने भी होते हैं.
नियम के मुताबिक ये स्कीम किसी संस्था या फिर व्यक्ति के जरिए आपसी संबंधियों या फिर दोस्तों के बीच चलाया जा सकता है लेकिन अब चिट फंड के स्थान पर सामूहिक सार्वजनिक जमा या सामूहिक निवेश योजनाएं चलाई जा रही हैं .  इनका ढांचा इस तरह का होता है कि चिट फंड को सार्वजनिक जमा योजनाओं की तरह चलाया जाता है और कानून का इस्तेमाल घोटाला करने के लिए किया जाता है.(एजेंसीज इनपुट) 

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