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शराब घोटाला : मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 12 मई तक बढ़ी;घोटाले के जरिये कमाना था रुपये, खुद को दिखाना चाहते थे ईमानदार

दिल्ली की एक अदालत ने शराब घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने यह कहते हुए सिसोदिया को राहत देने से इनकार कर दिया कि यह उन्हें जमानत देने के लिए उपयुक्त समय नहीं है। ईडी ने जमानत याचिका का विरोध किया था और कहा था कि जांच ‘महत्वपूर्ण’ चरण में है। कोर्ट ने सिसोदिया को मामले का ‘सूत्रधार’ भी बताया। इससे पहले सिसोदिया ने जमानत के लिए हाईकोर्ट का भी रुख किया था लेकिन वहां से भी कोई राहत नहीं मिली। 

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर एसवी राजू ने कहा कि सिसोदिया पैसा कमाना चाहते थे और वह दिखाना चाहते थे कि वे ईमानदार हैं और पारदर्शिता बरतते हैं, लेकिन उन्होंने पारदर्शिता नहीं बरती। शराब बनाने वाले, होलसेलर और रिटेलर सभी जुड़े हुए थे। इस तरह 100 करोड़ रुपये घूस लिए गए। मनीष सिसोदिया इन सभी चीजों में शामिल थे। चूंकि पुरानी शराब नीति में रिश्वत लेना संभव नहीं था इसीलिए नई नीति बनाई गई और इसके लिए उपराज्यपाल से मंजूरी भी नहीं ली गई। इससे साफ होता है कि निकट भविष्य में मनीष सिसोदिया को कोर्ट से राहत मिलने की संभावना कम ही है और उन्हें फिलहाल जेल में ही अपने दिन गुजारने होंगे।

सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 12 मई तक बढ़ी

राउज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई की ओर से जांच की जा रही आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 12 मई तक बढ़ा दी। सिसोदिया के वकील ने दावा किया कि जांच एजेंसी ने मामले में अधूरी जांच दायर की थी, अदालत से उनके मुवक्किल को डिफॉल्ट जमानत देने का आग्रह किया, लेकिन उन्हें जमानत नहीं मिली। सीबीआई जांच के मामले में जहां सिसोदिया को 12 मई तक जेल हुआ है वहीं ईडी की जांच मामले में भी वह 8 मई तक न्यायिक हिरासत में भेजे गए हैं।

सिसोदिया साजिश के सूत्रधार, इसीलिए जमानत अर्जी खारिज

कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि वह न केवल साजिश के सूत्रधार थे, बल्कि थोक विक्रेताओं के लिए 12 प्रतिशत लाभ मार्जिन के सेक्शन को शामिल करने और थोक विक्रेताओं के लिए पात्रता मानदंड को 100 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये करने के पीछे भी उनका ही दिमाग था। जज एमके नागपाल की अदालत ने 83 पन्नों के आदेश में कहा कि वह इस आर्थिक अपराध के मामले में आवेदक को जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं है क्योंकि ऐसे मामलों में “आम जनता और बड़े पैमाने पर समाज पर गंभीर प्रभाव पड़ता है”। उन्होंने देखा कि जांच के दौरान एकत्र किए गए सबूत अपराध के कमीशन में सिसोदिया की संलिप्तता की बात करते हैं। इससे पहले संघीय एजेंसी ने यह भी कहा था कि उसे कथित अपराध में उनकी मिलीभगत के नए सबूत मिले हैं।

सीबीआई की चार्जशीट में आया सिसोदिया का नाम

मनीष सिसोदिया की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। कथित शराब घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई ने कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में सिसोदिया का भी नाम लिया है। इससे उन्हें जमानत मिलने की संभावना भी कम हो गई है। दरअसल, भ्रष्टाचार के मामले में जांच एजेंसी को आरोपी की गिरफ्तारी के 60 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल करनी होती है वरना आरोपी स्वाभाविक जमानत का हकदार हो जाता है। सीबीआई ने सिसोदिया को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था और 58वें दिन चार्जशीट दाखिल कर दी। एजेंसी ने सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की कुछ धाराओं के अलावा सेक्शन 201 (सबूत नष्ट करने) और 420 (धोखाधड़ी) भी जोड़ा है।

सिसोदिया रिश्वत के रूप में लगभग 100 करोड़ रुपये लेने में लिप्त

जज ने कहा कि आम तौर पर अदालतों और जांच एजेंसियों को ऐसी नीतियों को बनाने के लिए विधायिका की शक्ति में हस्तक्षेप या अतिक्रमण नहीं करना चाहिए, लेकिन एक बार ऐसी नीति बनाने या उसके कार्यान्वयन में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग जाते हैं, तो यह निश्चित रूप से कानून के दायरे में है। अदालत ने कहा कि उसके सामने पेश किए गए सबूतों से यह स्पष्ट रूप से सामने आया है कि सिसोदिया एडवांस में रिश्वत के रूप में लगभग 100 करोड़ रुपये की अपराध की आय के सृजन से जुड़े थे। यह दक्षिण लॉबी की तरफ से सह-अभियुक्त विजय नायर को भुगतान किया गया था। सह-आरोपी अभिषेक बोइनपल्ली, जो शराब कारोबार में विभिन्न साजिशकर्ताओं और हितधारकों के साथ आयोजित बैठकों में भाग ले रहे थे।

सिसोदिया पर लगाए गए गंभीर आरोप

. चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि आबकारी नीति को लेकर एक्सपर्ट समिति की सिफारिशों को जीओएम (मंत्रियों के समूह) ने पलट दिया था। इस GoM के हेड सिसोदिया ही थे।

2. इसी जीओएम ने कमीशन 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने का फैसला लिया था।

3. गैरकानूनी तरीके से मिले पैसे के बदले ‘साउथ लॉबी’ के इशारे पर जीओएम ने 12 प्रतिशत कमीशन का प्रावधान जोड़ा। यह साउथ ग्रुप दिल्ली में ही डटा हुआ था, जब जीओएम रिपोर्ट फाइनल की गई। ऐसे में आखिरी मिनट में कई नियम जोड़े गए।

4. चार्जशीट में आईपीसी की धारा 420 (चीटिंग) और 201 (सबूत नष्ट करना) जोड़ी गई है।

5. आबकारी नीति से संबंधित कानूनी सलाह पर एक नोट गायब है। कानूनी सलाह दी गई थी कि पुरानी नीति ठीक है और इसमें कोई बदलाव की जरूरत नहीं है।

6. साउथ ग्रुप के लिए होलसेल डिस्ट्रिब्यूटर के लाइसेंस सिसोदिया के निर्देश पर दिए गए जबकि खिलाफ में कई शिकायतें मिली थीं।

7. मोबाइल फोन गायब होने के कारण सीबीआई का मानना है कि बड़े पैमाने पर सबूत नष्ट किए गए हैं।

8. सीबीआई ने कोर्ट को बताया है कि सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सक्षम अधिकारियों से मंजूरी ले ली गई है।

दिनेश अरोड़ा के बयान से फंसे संजय सिंह

शराब घोटाले में दिल्ली सरकार के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया इस समय जेल में हैं। अब आम आदमी पार्टी के एक और कद्दावर नेता संजय सिंह पर भी इसकी गाज गिर सकती है। ईडी ने इस मामले में अदालत में पेश अपनी चार्जशीट में संजय सिंह को भी आरोपी बना लिया है। संजय सिंह को आरोपी बनाने के लिए दिनेश अरोड़ा के बयान को आधार बनाया गया है।

CBI के पास केजरीवाल के खिलाफ सबूत

ईडी के अनुसार, समीर महेंद्रू विजय नायर के साथ मिलकर काम कर रहा था और राजनेताओं और शराब कारोबारियों के साथ कई बैठकों का हिस्सा रहा था। ईडी ने यह भी बताया था कि केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी में शराब के कारोबार के सिलसिले में आंध्र प्रदेश के एक सांसद मगुनता श्रीनिवासलु रेड्डी से मुलाकात की थी। वहीं, दो प्रमुख गवाहों ने सीबीआई को बताया कि अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में आबकारी नीति की ड्राफ्ट कॉपी आबकारी अधिकारी को दी गई और बाद में लागू की गई।

शराब घोटाले में Package कोड वर्ड का मतलब था 15 करोड़ कैश

शराब घोटाले में दिल्ली की जेल में बंद 200 करोड़ की ठगी के मास्टरमाइंड सुकेश चंद्रशेखर के ‘लेटर-बम’ से नए खुलासे हुए। इस खत में अब सुकेश चंद्रशेखर ने उन कूट शब्दों (कोड वर्ड्स) का भांडा फोड़ा है, जो उसकी दिल्ली सरकार के नेताओं-मंत्रियों से अवैध लेनदेन की कथित बातचीत के दौरान इस्तेमाल किए गए। इन तमाम नेताओं-मंत्रियों और अन्य संबंधित राजनीतिक लोगों के नाम के कोड वर्ड्स का भी खुलासा किया है। इन कोडवर्ड्स को सुकेश चंद्रशेखर के साथ बातचीत में इस्तेमाल किया जाता था। सुकेश चंद्रशेखर के ही इस लैटर बम के मुताबिक, AK मतलब अरविंद केजरीवाल, SJ BRO यानी सतेंद्र जैन, Manish यानी मनीष सिसौदिया, अरुण मतलब अरुण पिल्लई। JH मतलब के. कविता का वह Jublie Hills House गेस्ट हाउस जो कथित रूप से अवैध लेनदेन का अड्डा था। Office कोड वर्ड TRS पार्टी हेडक्वार्टर के लिए था। इसी तरह से Package कोड वर्ड का मतलब था 15 करोड़ कैश।

15 किलो घी मतलब 15 करोड़ रुपए

सुकेश चंद्रशेखर और दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री जो खुद भी महीनों से तिहाड़ जेल में बंद है, के बीच बातचीत में कोड वर्ड Bro SJ था। इसी तरह से 15 kg Ghee का मतलब 15 करोड़ और 25g Ghee मतलब 25 करोड़ रुपए। इसी तरह चैट में इस्तेमाल होने वाले कोडवर्ड Hyd का मतलब Hyderabad और Sister कोड वर्ड के. कविता (K Kavita) के लिए फिक्स था। चैट में कुछ स्थानों पर AK Bhai का भी इस्तेमाल देखने को मिलता है। जिसका मतलब अरविंद केजरीवाल था।

शराब घोटाले में चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार की जांच में मिलीं ये 7 ‘खामियां’

1. मनीष सिसोदिया के निर्देश पर एक्साइज विभाग ने एयरपोर्ट जोन के एल-1 बिडर को 30 करोड़ रुपये रिफंड करने का निर्णय लिया। बिडर एयरपोर्ट अथॉरिटीज से जरूरी एनओसी नहीं ले पाया था। ऐसे में उसके द्वारा जमा कराया गया सिक्योरिटी डिपॉजिट सरकारी खाते में जमा हो जाना चाहिए था, लेकिन बिडर को वह पैसा लौटा दिया गया।

2. सक्षम अथॉरिटीज से मंजूरी लिए बिना एक्साइज विभाग ने 8 नवंबर 2021 को एक आदेश जारी करके विदेशी शराब के रेट कैलकुलेशन का फॉर्मूला बदल दिया और बियर के प्रत्येक केस पर लगने वाली 50 रुपए की इंपोर्ट पास फीस को हटाकर लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया, जिससे सरकार को रेवेन्यू का भारी नुकसान हुआ।

3. टेंडर दस्‍तावेजों के प्रावधानों को हल्का करके L7Z (रिटेल) लाइसेंसियों को वित्‍तीय फायदा पहुंचाया गया, जबकि लाइसेंस फी, ब्‍याज और पेनाल्‍टी न चुकाने पर ऐक्‍शन होना चाहिए था।

4. सरकार ने दिल्ली के अन्य व्यवसायियों के हितों को दरकिनार करते हुए केवल शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए कोविड काल में हुए नुकसान की भरपाई के नाम पर उनकी 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी, जबकि टेंडर दस्तावेजों में ऐसे किसी आधार पर शराब विक्रेताओं को लाइसेंस फीस में इस तरह की छूट या मुआवजा देने का कहीं कोई प्रावधान नहीं था।

5. सरकार ने बिना किसी ठोस आधार के और किसी के साथ चर्चा किए बिना नई पॉलिसी के तहत हर वॉर्ड में शराब की कम से कम दो दुकानें खोलने की शर्त टेंडर में रख दी। बाद में एक्साइज विभाग ने सक्षम अथॉरिटीज से मंजूरी लिए बिना नॉन कन्फर्मिंग वॉर्डों के बजाय कन्फर्मिंग वॉर्डों में लाइसेंसधारकों को अतिरिक्त दुकानें खोलने की इजाजत दे दी।

6. सोशल मीडिया, बैनरों और होर्डिंग्‍स के जरिए शराब को बढ़ावा दे रहे लाइसेंसियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह दिल्‍ली एक्‍साइज नियमों, 2010 के नियम 26 और 27 का उल्‍लंघन है।

7. लाइसेंस फीस में बढ़ोतरी किए बिना लाइसेंसधारकों को लाभ पहुंचाने के लिए उनका ऑपरेशनल पीरियड पहले 1 अप्रैल 2022 से बढ़ाकर 31 मई 2022 तक किया गया और फिर इसे 1 जून 2022 से बढ़ाकर 31 जुलाई 2022 तक कर दिया गया। इसके लिए सक्षम अथॉरिटी यानी कैबिनेट और एलजी से भी कोई मंजूरी नहीं ली गई। बाद में आनन फानन में 14 जुलाई को कैबिनेट की बैठक बुलाकर ऐसे कई गैरकानूनी फैसलों को कानूनी जामा पहनाने का काम किया गया। शराब की बिक्री में बढ़ोतरी होने के बावजूद रेवेन्यू में बढ़ोतरी होने के बजाय 37.51 पर्सेंट कमी आई।

शराब घोटाले : पूरी दिल्ली सरकार घिरी, सिसोदिया के बाद संजय सिंह भी आरोपी,

साभार 
शराब घोटाले से लेकर तमाम तरह के भ्रष्टाचार में लिप्त दिल्ली सरकार के मंत्री एक-एक कर जेल जा रहे हैं। शराब घोटाले में शिक्षा मंत्री रहे मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी संजय सिंह का नाम भी शराब घोटाले की चार्जशीट में आ गया है। यानी वो भी जेल जा सकते हैं। इसके अलावा शराब घोटाले की आंच अब कट्टर ईमानदार मुख्यमंत्री केजरीवाल तक पहुंच गई है। केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने केजरीवाल को 16 अप्रैल को पूछताछ के लिए तलब किया है। सीबीआई का कहना है कि उसके पास सबूत है, यानी अब केजरीवाल की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। ऐसा लगता है कि अगले कुछ दिनों में पूरी केजरीवाल सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में होगी। एक दिलचस्प बात यह भी है कि केजरीवाल ने अपने साथियों और अपने बारे में जो भी भविष्यवाणी की थी वह एक-एक कर सच साबित हो रही है

। 

केजरीवाल ने कहा था- अगर मैं चोरी करूंगा तो मुझे भी जेल जाना पड़ेगा

अरविंद केजरीवाल ने एक समय कहा था- कल को अगर मनीष सिसोदिया चोरी करेंगे तो मनीष सिसोदिया केजरीवाल का कुछ नहीं लगता, उसको जेल जाना पड़ेगा। कल को अगर हमारा मंत्री चोरी करेगा, ये मेरे कोई सगे नहीं लगते इनको जेल जाना पड़ेगा। कल को कोई हमारा विधायक चोरी करेगा, कोई हमारा सगा नहीं लगता, उसको जेल जाना पड़ेगा। और मनीष, कल को अगर मैं चोरी करूंगा तो मैं भी तुम्हारा सगा नहीं लगता, मुझे भी जेल जाना पड़ेगा।

केजरीवाल की दोमुंही बातें

एक समय केजरीवाल कहते हैं- भ्रष्टाचार हुआ है, जांच कराओ, पकड़ो, जेल में डालो। जब मनीष सिसोदिया को भ्रष्टाचार के मामले में जेल भेजा गया तो तब उनके सुर बदल गए। उसके बाद केजरीवाल ने कहा- जिन लोगों ने मनीष सिसोदिया को पकड़ा है वे देश के दुश्मन हैं।

शराब घोटाले में आया संजय सिंह का नाम

शराब घोटाले में दिल्ली सरकार के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया इस समय ईडी की हिरासत में हैं। अब आम आदमी पार्टी के एक और कद्दावर नेता संजय सिंह पर भी इसकी गाज गिर सकती है। ईडी ने इस मामले में अदालत में पेश अपनी चार्जशीट में संजय सिंह को भी आरोपी बना लिया है। संजय सिंह को आरोपी बनाने के लिए दिनेश अरोड़ा के बयान को आधार बनाया गया है। हालांकि, सांसद संजय सिंह ने इन आरोपों को पूरी तरह फर्जी बताया है और कहा है कि अडानी विवाद को संसद में उठाने के कारण उन्हें फंसाया जा रहा है। उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों पर केस दर्ज करने की बात कही।

सीबीआई ने केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब नीति केस में सीबीआई ने पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया है। एजेंसी ने उन्हें 16 अप्रैल 2023 को CBI दफ्तर बुलाया है। इस पर आम आदमी पार्टी ने प्रतिशोध की राजनीति का आरोप लगाया है। वहीं, जांच एजेंसी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के खिलाफ सबूत होने का दावा किया है। सीबीआई का कहना है कि सबूत के आधार पर ही समन जारी किया गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की तरफ से हाल ही में दायर चार्जशीट के अनुसार, अरविंद केजरीवाल ने शराब कारोबारी और आबकारी नीति घोटाले के मुख्य आरोपी समीर महेंद्रू से फेसटाइम पर बात की थी। इस बातचीत में उन्होंने पार्टी के संचार प्रभारी विजय नायर पर भरोसा करने को कहा। ईडी का कहना है कि 12 नवंबर और 15 नवंबर 2022 को पूछताछ के दौरान समीर महेंद्रू ने अधिकारियों को बताया था कि विजय नायर ने अरविंद केजरीवाल के साथ उनकी मुलाकात तय की थी, लेकिन बात नहीं बनी।

डिप्टी सीएम के बाद दिल्ली के सीएम केजरीवाल की बारी

कानून के जानकारों के मुताबिक, दिल्ली आबकारी नीति और शराब घोटाला मामले में सीबीआई ने अभी सीधे तौर पर अरविंद केजरीवाल को अभियुक्त नहीं बनाया है, लेकिन सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल की मुसीबतें भी बढ़ सकती हैं। इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शराब घोटाले से जुड़े मामले में चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के साथ पहली बार अरविंद केजरीवाल का भी नाम शामिल किया था। 03 फरवरी, 2023 को पीएमएलए कोर्ट ने ईडी की चार्जशीट का संज्ञान लिया और सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने की अनुमति दी। चार्जशीट में सीएम केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के साथ-साथ उनके करीबी विजय नायर, इंडोस्पिरिट्स के प्रमुख समीर महेंद्रू समेत अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया। ईडी ने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के सचिव के रूप में तैनात रहे दानिक्स अधिकारी सी अरविंद के बयान के आधार पर केजरीवाल को इस घोटाले में आरोपी बनाया। ईडी के मुताबिक दानिक्स अधिकारी अरविंद ने कहा कि उन्हें उनके बॉस सिसोदिया द्वारा केजरीवाल के आवास पर बुलाया गया था, जहां एक बैठक में उन्हें आबकारी नीति पर मंत्रियों की रिपोर्ट का एक मसौदा सौंपा गया था।

समीर और विजय नायर ने रची थी साजिश

ईडी के मुताबिक, नायर ने महेंद्रू और केजरीवाल को फेसटाइम वीडियो कॉल पर जोड़ा था। अरविंद केजरीवाल ने समीर से कहा कि विजय नायर उनके आदमी हैं और वह उन पर भरोसा कर सकते हैं। नायर इस मामले के आरोपियों में से एक हैं। जांच एजेंसी का कहना है कि समीर महेंद्रू और विजय नायर ने कथित तौर पर दिल्ली शराब नीति घोटाले में दूसरों के साथ मिलकर साजिश रची थी।

CBI के पास केजरीवाल के खिलाफ सबूत

ईडी के अनुसार, समीर महेंद्रू विजय नायर के साथ मिलकर काम कर रहा था और राजनेताओं और शराब कारोबारियों के साथ कई बैठकों का हिस्सा रहा था। ईडी ने यह भी बताया था कि केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी में शराब के कारोबार के सिलसिले में आंध्र प्रदेश के एक सांसद मगुनता श्रीनिवासलु रेड्डी से मुलाकात की थी। वहीं, दो प्रमुख गवाहों ने सीबीआई को बताया कि अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में आबकारी नीति की ड्राफ्ट कॉपी आबकारी अधिकारी को दी गई और बाद में लागू की गई।

लाभ मार्जिन का 6 प्रतिशत हिस्सा अवैध रूप से AAP को दिया गया

दिल्ली में हुए शराब घोटाले में पॉलिसी मेकिंग में ऐसे लोगों को शामिल किया गया जो केजरीवाल और सिसोदिया के करीबी थे। इसमें प्रमुख नाम विजय नायर का है जो मनीष सिसोदिया के ज्यादा करीबी हैं। उसने शराब माफिया से करोड़ों रुपये वसूले और 12 प्रतिशत लाभ मार्जिन का 6 प्रतिशत हिस्सा अवैध रूप से AAP को वापस दिया। इसके लिए पालिसी में ढाई प्रतिशत मार्जिन को बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया। इस काम के लिए दिल्ली सरकार के मंत्री कैलाश गहलोत के सरकारी बंगले का दुरूपयोग से लेकर रेस्टोरेंट और बार मालिकों से इलेक्शन फण्ड के नाम पर वसूली करना भी शामिल है।

गोवा चुनाव में खर्च किया गया शराब घोटाले का पैसा

समीर महेंद्रू का दावा है कि इस मामले में करोड़ों रुपये केजरीवाल के आदेश पर दिए गए थे, जिसे गोवा चुनाव में खर्च किया गया था।

आबकारी विभाग के सचिव ने लिया केजरीवाल का नाम

आबकारी विभाग में सचिव सी. अरविंद का बयान पहले मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किया गया था। जिसमें उन्होंने खुलासा किया था कि मनीष सिसोदिया आबकारी पॉलिसी को लेकर सीधे निर्देश दे रहे थे। सी. अरविंद ने ED और CBI के सामने अपने बयानों में खुलासा किया कि मार्च 2021 में अरविंद केजरीवाल के आवास पर शराब कारोबारियों का लाभ मार्जिन 12 प्रतिशत तय करने का फरमान लिया गया था।

YSRCP सांसद ने की थी केजरीवाल से मुलाकात

जांच एजेंसी के मुताबिक, YSRCP सांसद मगुनता श्रीनिवासुलु रेड्डी दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से मिले थे। केजरीवाल ने उनका दिल्ली में शराब के कारोबार में शामिल होने के लिए स्वागत किया था। इसके अलावा कई नेता पर्दे के पीछे रहकर आबकारी घोटाले में शामिल थे। जिसमें साउथ की ‘लिकर लॉबी’ की अहम भूमिका है।

17 नवंबर 2022 को दी गई थी नई शराब नीति को मंजूरी

दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने पिछले साल 17 नवंबर को नई शराब नीति को मंजूरी दी थी। इसके तहत दिल्ली में शराब की सरकारी दुकानों को बंद कर दिया गया। नई नीति को लागू करने के लिए दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया था। हर जोन में 27 शराब की दुकानें थीं। इन दुकानों का मालिकाना हक जोन को जारी किए गए लाइसेंस के तहत दिया गया था। हर वार्ड में 2 से 3 वेंडर को शराब बेचने की अनुमति दी गई।

सुकेश चंद्रशेखर ने कहा था- केजरीवाल शराब घोटाले का वजीर

महाठग सुकेश चंद्रशेखर ने पटियाला हाउस कोर्ट में अपनी पेशी के दौरान मार्च 2023 में कहा था कि शराब नीति में अगली गिरफ्तारी अरविंद केजरीवाल की होगी। सुकेश ने कहा, “केजरीवाल वजीर है, एक-एक का पर्दाफाश करूंगा। शराब नीति मामले में अभी और गिरफ्तारियां होंगी। केजरीवाल अपनी टास्क को बखूबी निभा रहे हैं। शराब नीति से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। इससे पहले सुकेश चंद्रशेखर ने चिट्ठी लिखकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। सुकेश ने आम आदमी पार्टी को महाठग बताया था। इसके साथ ही लिखा था कि आपके सभी उल्टी सीधी कारगुजारियों और कारनामों का खुलासा करने के लिए मैं आ रहा हूं। सुकेश ने दावा किया था कि उसने सिसोदिया के साथ भी काफी नजदीकी से काम किया है और उसे पता है कि वो कैसे हर विभागीय काम में कमीशन खाते हैं।

दिल्ली में AAP के विधायकों और मंत्रियों की गिरफ्तारी

2015 में दिल्ली में आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद से अब तक केजरीवाल की पार्टी के कई नेताओं को गिरफ्तार किया जा चुका है। आम आदमी पार्टी के अब तक पांच मंत्रियों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से एक मंत्री को प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग के केस में गिरफ्तार किया और दो मंत्रियों को रिश्वत लेने के मामले में पकड़ा गया। जबकि एक मंत्री को फर्जी डिग्री के मामले में आरेस्ट किया गया था। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के विधायक भी कई मामले में जेले भेजे गए थे। डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया को शराब घटाले में आपराधिक साजिश रचने के आरोप में जेल भेजा गया है। दिल्‍ली कैबिनेट में कुल 6 मंत्री थे, उनमें से दो अब जेल में हैं।

दिल्ली में किन मंत्रियों और विधायकों को अबतक गिरफ्तार किया गया

मनीष सिसोदियाः शराब घोटाले में जेल में

शराब घोटाले में सीबीआई ने 26 फरवरी 2023 को दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। मनीष सिसोदिया को सबूतों के आधार पर गिरफ्तार किया। पूछताछ के दौरान सीबीआई ने उन्हें कई सबूत दिखाए, इसमें कुछ दस्तावेज और डिजिटल सबूत थे। सिसोदिया इन सबूतों के सामने कोई जवाब नहीं दे सके थे। सिसोदिया को पूछताछ के लिए पहले पांच दिन और बाद में दो दिन के लिये सीबीआई की हिरासत में सौंपा गया था। यह अवधि समाप्त होने के बाद सिसोदिया को अदालत में पेश किया गया जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।

सत्येंद्र जैन : मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल में

दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को 30 मई 2022 को प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया था। सत्येंद्र जैन के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में मुकदमा दर्ज है। आय से अधिक संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जैन, उनकी पत्नी पूनम और अन्य पर केस दर्ज किया गया है। सत्येंद्र जैन पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली ने कई शेल कंपनियां बनाई और खरीदी थी। कोलकाता के तीन हवाला ऑपरेटर्स से 54 शेल कंपनियों के जरिए 16.39 करोड़ रुपए का काला धन भी ट्रांसफर किया। ईडी जैन की 4.81 करोड़ की संपत्ति जब्त कर चुकी है। पिछले दिनों सत्येंद्र जैन के एक के बाद एक कई वीडियो जेल से सामने आए थे। इसमें सत्येंद्र जैन जेल की बैरक में मसाज लेते हुए दिख रहे थे।

अमानतुल्ला खानः अवैध भर्तियों और वित्तीय गबन में पहुंचे जेल

दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में अवैध भर्तियों और वित्तीय गबन से जुड़े एक मामले में सितंबर 2022 में गिरफ्तार हुए आप विधायक अमानतुल्ला खान फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। नवंबर 2022 में दिल्ली की एक अदालत ने कहा था कि ओखला विधायक के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग के सबडिविजनल मजिस्ट्रेट (SDM) ने नवंबर 2016 में दिल्ली वक्फ बोर्ड में विभिन्न मौजूद और गैर-मौजूद पदों पर खान की ओर से मनमानी और अवैध नियुक्तियों का आरोप लगाते हुए एक शिकायत दर्ज की थी। इसके बाद सीबीआई ने एक मामला दर्ज कर लिया था और जांच की थी, जिसमें पर्याप्त सबूत मिले थे, जिसके बाद जांच एजेंसी ने उपराज्यपाल से अभियोजन की मंजूरी मांगी थी। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक और दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान के विरुद्ध 2016 में दर्ज ‘अवैध’ नियुक्तियों के मामले में सीबीआई को उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी थी।

आसिम अहमद खान: बिल्डर से 6 लाख रुपए घूस लेने के मामले में फंसे

साल 2018 में दिल्ली सरकार में मंत्री आसिम अहमद खान का नाम भी भ्रष्टाचार के मामले में सामने आया था। तब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने कैबिनेट मंत्री आसिम अहमद खान को हटा दिया था। आसिम पर 6 लाख रुपए की रिश्वत लेने का आरोप लगा था। आसिम अहमद खान दिल्ली सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री थे, सीएम केजरीवाल ने आसिम के ख‍िलाफ भ्रष्टाचार के आरोप की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी। आसिम पर एक बिल्डर से 6 लाख रुपए घूस लेने का आरोप है। केजरीवाल ने कहा था- ‘शिकायत करने वाले ने आसिम से बातचीत की। ऑडियो रिकॉर्डिंग मेरे पास भेजी। इसके बाद मैंने मंत्री के ख‍िलाफ कार्रवाई की।’ जबकि आसिम खान ने कहा था- मेरे खिलाफ साजिश की गई है।

संदीप कुमारः बलात्कार के आरोप में भेजे गए थे जेल

2015 में दिल्ली की सुल्तानपुर माजरा सीट से विधायक बने संदीप कुमार को दिल्ली सरकार में महिला एवं बाल कल्याण विकास मंत्री और एससी-एसटी कल्याण मंत्री की जिम्मेदारी दी गई थी। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार में मंत्री रहे संदीप कुमार को बलात्कार और अन्य आरोपों के सिलसिले में सितंबर 2016 में गिरफ्तार किया गया था। एक महिला ने उनके खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत की थी और बाद में कुमार ने पुलिस के सामने समर्पण कर दिया था। यह महिला संदीप कुमार की गिरफ्तारी से कुछ दिन पहले सामने आई एक विवादास्पद सीडी में उनके साथ दिखाई दी थी। महिला ने आरोप लगाया था कि वह राशन कार्ड बनवाने के लिए गई थी लेकिन कोल्डड्रिंक में नशीला पदार्थ मिलाकर उनके साथ रेप किया गया। घटना के सामने आने के बाद कुमार को पार्टी से भी निलंबित कर दिया गया था।

सोमनाथ भारतीः बीवी की प्रताड़ना के आरोप में गए जेल

दिल्ली सरकार के मंत्री रहे सोमनाथ भारती मालवीय नगर सीट से विधायक रहे हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की पहली बार सरकार बनने के बाद सोमनाथ भारती को कानून, पर्यटन और प्रशासनिक सुधार जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी मिली थी। सोमनाथ भारती की मुश्किलें तब बढ़ गईं जब उनकी पत्नी लिपिका मित्रा ने 2013 में उनके खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया। लिपिका ने अपनी शिकायत में सोमनाथ भारती के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए थे। शिकायत में यह भी कहा गया कि सोमनाथ भारती ने उन्हें गर्भपात के लिए मजबूर किया। इसके बाद 2014 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया। यूपी दौरे पर एक विवादित बयान के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 2021 में उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई।

जितेंद्र तोमरः फर्जी डिग्री रखने के आरोप में हुए थे गिरफ्तार

2015 में दिल्ली की त्रिनगर सीट के विधायक बने जितेन्द्र तोमर को केजरीवाल सरकार में कानून मंत्री बनाया गया था। उन्हें दिल्ली के पर्यटन, कला और संस्कृति की भी जिम्मेदारी दी गई थी। उनके ऊपर वकालत की फर्जी डिग्री रखने का आरोप लगा था। इसका खुलासा आरटीआई के जरिए हुआ था। मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा। जहां भागलपुर यूनिवर्सिटी ने उनकी डिग्री को फर्जी बताया। 2016 में जितेन्द्र तोमर को गिरफ्तार कर लिया गया। जनवरी 2020 में दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी विधायकी रद्द कर दी।

गुलाब सिंहः जबरन वसूली के आरोप में हुए थे गिरफ्तार

दिल्ली के मटियाला से विधायक गुलाब सिंह को अक्टूबर 2016 में गुजरात के सूरत से जबरन वसूली के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। तब वह आम आदमी पार्टी के गुजरात के प्रभारी थे। दिल्ली में दर्ज हुए मामले में गुलाब सिंह यादव को गुजरात से गिरफ्तार कर यहां लाया गया था। गुलाब सिंह और उनके सहयोगियों के खिलाफ धमकी और वसूली मामले में गैर-जमानती वॉरंट जारी किया गया था। AAP के विधायक गुलाब सिंह यादव नवंबर 2022 में दिल्ली के श्याम विहार में अपने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रहे थे। इस दौरान कार्यकर्ता टिकट बेचने को लेकर अचानक आक्रोशित हो गए और हंगामा शुरू कर दिया। कार्यकर्ता विधायक पर टूट पड़े और उनका कॉलर पकड़कर धक्का-मुक्की करने लगे। कार्यकर्ताओं से बचने के लिए विधायक बाहर निकलकर भागने की कोशिश करने लगे तो कार्यकर्ता उनका पीछा करते हुए उन्हें मुक्के मारते रहे। कार्यालय में मारा इसके बाद पीटते हुए कार्यालय से बाहर लेकर आए। आखिरकार विधायक को अपनी जान बचाकर वहां से भागना पड़ा।

CBI-ED पर 14 विपक्षी दलों ने मुँह की खाई, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नेताओं के लिए अलग नियम नहीं बना सकते

                      सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज की, कॉन्ग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी थे वकील
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (5 अप्रैल, 2023) को 14 राजनीतिक पार्टियों द्वारा दर्ज की गई याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ED और CBI जैसी जाँच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि मोदी सरकार विरोध के स्वर को दबाने के लिए ED-CBI का इस्तेमाल हथियार की तरह कर रही है, विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया जा रहा है।

मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पार्डीवाला की बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि वो तथ्यात्मक परिप्रेक्ष्य के बिना कोई सामान्य निर्देश जारी नहीं कर सकते। पीठ ने कहा कि अगर किसी का कोई व्यक्तिगत मामला हो, तभी वो याचिका को सुन सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी सलाह दी कि राजनेता खुद को आम जनता से ऊपर नहीं रख सकते, इसीलिए उनके मामलों में कोई विशेष दिशानिर्देश जारी नहीं किया जा सकता।

याचिकाकर्ताओं ने कॉन्ग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी को अपना काउंसल वकील बना रखा था। जब उन्होंने देखा कि सुप्रीम कोर्ट याचिका पर सुनवाई को तैयार नहीं है, इसीलिए उन्होंने याचिका वापस ले ली। उन्होंने कुछ आँकड़े दिखा कर दावा किया कि जाँच एजेंसियों का इस्तेमाल सिलेक्टेड और टार्गेटेड मामलों में किया जा रहा है। उन्होंने गिरफ़्तारी, रिमांड और जमानत के लिए ऐसे मामलों में अलग से दिशानिर्देश जारी किए जाने की माँग की थी।

इन पार्टियों की माँग की कि गिरफ्तारी से पहले ये देखा जाए कि आरोपित के फ्लाइट से भागने की आशंका है या नहीं, सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका है या नहीं और ऐसे मामलों में अदालतों ने पहले गिरफ़्तारी को सही ठहराया है या नहीं। जाँच के लिए हाउस अरेस्ट की सलाह भी दी गई थी। दावा किया गया कि लोकतंत्र में ये विषम है, केवल विपक्ष पीड़ित है। हालाँकि, CJI ने कहा कि राजनेताओं को आम आदमी से ऊपर नहीं रखा जा सकता।

दिल्ली : पूर्व आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया को कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा

यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है जब के शिक्षा मंत्री को आबकारी मंत्री भी रहते न्यायिक हिरासत में जेल जाना पड़ा। न्यायिक हिरासत में जाने का मतलब है कि मुद्दा जरुरत से कहीं अधिक गंभीर है। कुछ समाचार सूत्रों के अनुसार माननीय जज साहब ने बिना समय गंवाए जेल के आदेश दे दिए।  
दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की होली तिहाड़ जेल में मनेगी। कोर्ट ने 7 दिन की सीबीआई हिरासत के बाद सिसोदिया को 20 मार्च 2023 तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा है। सीबीआई के वकील ने सिसोदिया की रिमांड की माँग नहीं की थी। हालाँकि यह कहा था कि जरूरत पड़ने पर 15 दिनों में फिर से रिमांड की माँग कर सकते है।

दिल्ली के शराब घोटाला मामले में CBI द्वारा गिरफ्तार किए गए मनीष सिसोदिया 4 मार्च 2023 को 2 दिनों की रिमांड पर भेजे गए थे। उनकी यह रिमांड सोमवार (6 मार्च 2023) को खत्म हो रही थी। ऐसे में सीबीआई ने उन्हें दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया। इस दौरान सीबीआई के वकील ने कोर्ट में कहा कि वह मनीष सिसोदिया की रिमांड की माँग नहीं कर रहे हैं। लेकिन जरूरत पड़ने पर अगले 15 दिनों में फिर से रिमांड की माँग कर सकते हैं।

सीबीआई के वकील की इस बात को सुनने के बाद कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अब उन्हें आगामी 20 मार्च तक जेल में रहना होगा। इसके अलावा मनीष सिसोदिया के आवेदन पर कोर्ट ने उन्हें जेल के अंदर चश्मा, भगवद गीता, डायरी, पेन तथा एमएलसी द्वारा निर्धारित दवाएँ रखने की अनुमति दी है। साथ ही, जेल अधीक्षक को मनीष सिसोदिया की मेडिटेशन सेल में रखने की अपील पर विचार करने का निर्देश दिया है। उनकी जमानत याचिका पर 10 मार्च को सुनवाई की जाएगी

मनीष सिसोदिया गिरफ्तारी

सीबीआई ने 26 फरवरी 2023 को मनीष सिसोदिया से करीब 8 घण्टे पूछताछ की थी। पूछताछ में सहयोग न करने के कारण सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद 27 फरवरी 2023 को उन्हें कोर्ट में पेश किया था। जहाँ से कोर्ट ने सिसोदिया को 5 दिनों की रिमांड में भेजा था। इसके बाद 28 फरवरी को कॉन्ग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने फौरन सुनवाई की माँग करते हुए सिसोदिया की गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
कोर्ट ने सिंघवी की याचिका को स्वीकार कर लिया था। 28 फरवरी को सुनवाई के दौरान CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने सिसोदिया को फटकार लगाते हुए पहले हाईकोर्ट जाने की सलाह दी थी।
फिर शुक्रवार (03 मार्च 2023) को पूर्व डिप्टी सीएम सिसोदिया ने निचली अदालत में जमानत याचिका दायर की थी। याचिका में सिसोदिया ने CBI की पूछताछ में सहयोग का हवाला देकर जमानत माँगी। सिसोदिया की तरफ से कहा गया कि पूछताछ के लिए जब भी उन्हें बुलाया जाएगा वे हाजिर हो जाएँगे। उन्होंने कहा कि उन्हें कस्टडी में रखने की कोई वजह नहीं है। इस जमानत याचिका पर कोर्ट 10 मार्च 2023 को फैसला सुनाएगा।

क्या है शराब घोटाला? सिसोदिया ने 14 फोन क्यों बदले, कहाँ है सब फोन?

ईमानदारी का चोला ओढ़े घूम रहे अरविन्द केजरीवाल काफी समय से उतारा जा रहा है, लेकिन मंदबुद्धि फ्री के लालच में उसी भांति फंस रहे हैं, जैसे चूहेदान में रोटी देख चूहा फंस जाता है। दिल्लीवालों भगवान का अहसान मानो कि पूरी दिल्ली इन घोटालेबाज़ों के हाथ नहीं, वरना पंजाब से बुरा हाल होता।   
दिल्ली के शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार आरोपित मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया। जहाँ सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उन्हें 5 दिन की रिमांड में भेज दिया है। इसका मतलब साफ है कि अब सीबीआई सिसोदिया से और कड़ी पूछताछ करेगी।

दिल्ली के शराब नीति को लेकर केजरीवाल सरकार ने दावा किया था कि इससे राजस्व में 3500 करोड़ रुपए का फायदा होगा। हालाँकि इस पूरे मामले की जाँच करते हुए ईडी ने पाया है कि इस शराब घोटाले से राजस्व में 2873 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

15 पॉइंट्स में समझिए क्या है शराब घोटाला

1.) नवंबर 2021 में लागू की गई दिल्ली सरकार की नई शराब नीति के तहत राज्य में कुल 849 दुकानें खोली गईं। इस शराब नीति से पहले 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40% प्राइवेट होती थीं। वहीं, घोटाले के लिए तैयार की गई शराब नीति में सभी दुकानें प्राइवेट कर दी गईं। इससे सरकार को सीधी तरह नुकसान हुआ।
2.) दिल्ली सरकार ने शराब बेचने के लिए मिलने वाले लाइसेंस की फीस कई गुना बढ़ा दी। L-1 लाइसेंस पहले ठेकेदारों को 25 लाख रुपए में मिल जाता था। हालाँकि नई शराब नीति लागू होने के बाद इसके लिए ठेकेदारों को 5 करोड़ रुपए देने पड़े। इसी तरह अन्य लाइसेंस के लिए भी फीस कई गुना तक बढ़ा दी गई। इससे छोटे ठेकेदार लाइसेंस नहीं ले सके। इसका सीधा फायदा बड़े व्यपारियों को मिला।
3.) उप मुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया के कहने पर आबकारी विभाग द्वारा L-1 बिडर को 30 करोड़ रुपए वापस कर दिए। दिल्ली एक्साइज पॉलिसी में किसी भी बिडर का पैसा वापस करने का नियम नहीं है। लेकिन सिसोदिया के कहने पर भी यह भी हुआ।
4.) कोरोना काल में शराब कंपनियों को हुए नुकसान की भरपाई करने के नाम पर केजरीवाल सरकार ने लाइसेंस फीस में बड़ी छूट दी। वास्तव में सरकार ने कंपनियों की 144.36 करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस माफ कर दी थी।
5.) विदेशी शराब और बियर के पर मनमाने ढंग से 50 रुपए प्रति केस की छूट दी गई। यह छूट कंपनियों को फायदा देने के लिए दी गई थी।
6.) दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति के तहत राज्य को 32 जोन में बाँटा था। इसमें से 2 जोन के ठेके एक ऐसी कंपनी को दिए गए जो ब्लैक लिस्टेड थी।
7.) शराब बेचने वाली कंपनियों के बीच कार्टेल पर प्रतिबंध होने के बाद भी केजरीवाल सरकार ने शराब विक्रेता कंपनियों के कार्टेल को लाइसेंस दिए थे। इसके तहत शराब कंपनियों को शराब पर डिस्काउंट देने और एमआरपी पर बेचने के बजाय खुद कीमत तय करने की छूट मिल गई। इसका फायदा भी शराब बेचने वालों को हुआ।
8.) नई शराब नीति को लेकर कैबिनेट की बैठकों में मनमाने ढंग से फैसले लिए गए। यही नहीं, नियमों को ताक पर रखते हुए कैबिनेट नोट सर्कुलेशन के बिना ही प्रस्ताव पास करा दिए गए।
9.) शराब विक्रेताओं को फायदा पहुँचाने के उद्देश्य से ड्राई डे की संख्या घटा दी गई। यह संख्या पहले 21 थी, वहीं नई शराब नीति के तहत दिल्ली में ड्राई डे महज 3 दिन ही था।
10.) शराब ठेकेदारों को पहले 2.5 प्रतिशत कमीशन मिलता था। वहीं नई शराब नीति के तहत इसे बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया। इससे शराब ठेकेदारों को फायदा हुआ। वहीं सरकारी खजाने को नुकसान झेलना पड़ा।
11.) केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के 2 जोन में शराब निर्माता कंपनी को रिटेल में शराब बेचने की अनुमति दी। वहीं, नियम यह है कि शराब निर्माता और रिटेल विक्रेता अलग-अलग होगा।
12.) उपराज्यपाल से अनुमति लिए बिना ही दो बार आबकारी नीति को आगे बढ़ाया गया। साथ ही मनमाने ढंग से छूट दी गई। इसका शराब कंपनियों ने फायदा उठाया। कैबिनेट की बैठक बुलाकर ही सारे फैसले ले लिए गए।
13.) दिल्ली सरकार ने बिना किसी ठोस आधार के टेंडर में नई शर्त जोड़ते हुए कहा था कि हर वार्ड में कम से कम दो दुकानें खोलनी पड़ेंगीं। इसके लिए दिल्ली के आबकारी विभाग ने भी केंद्र सरकार से अनुमति लिए बिना ही अतिरिक्त दुकानें खोलने की अनुमति दे दी। इसका शराब निर्माता कंपनियों ने फायदा उठाया।
14.) सोशल मीडिया, बैनर्स और होर्डिंग्स के जरिए शराब को बढ़ावा देने वालों पर दिल्ली सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। यह दिल्ली एक्साइज नियम 2010 के 26 और 27 नियम का उल्लंघन है।
15.) नई आबकारी नीति लागू करने के लिए केजरीवाल सरकार ने जीएनसीटी एक्ट-1991, ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का सीधे तौर पर उल्लंघन किया।
दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और शराब नीति बनाने वाले आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर आम आदमी पार्टी हँगामा कर रही है। कहा जा रहा है कि चार्जशीट में नाम न होने के बाद भी उन्हें गिरफ्तार क्यों किया गया। दरअसल, सिसोदिया की गिरफ्तारी में दिनेश अरोड़ा का नाम सबसे अहम माना जा रहा है। अरोड़ा सिसोदिया का करीबी था। अब वह सरकारी गवाह बन गया है। अरोड़ा ने ही सिसोदिया समेत कई अन्य आरोपितों के नाम लिए हैं।
कहा जा रहा है कि सीबीआई मनीष सिसोदिया से अन्य आरोपितों व डिजिटल सबूतों को लेकर भी पूछताछ कर रही है। दरअसल, शराब घोटाले के आरोपितों ने 170 फोन बदले थे। इसमें से सिसोदिया ने 14 फोन बदले थे। जाँच एजेंसियों का मानना है कि इन फोन में ही अहम सबूत थे। इसलिए सिसोदिया समेत अन्य आरोपितों ने या इन्हें तो बदल दिया या तोड़ दिया। अब सीबीआई तमाम सबूतों को इकट्ठा करने के बाद सिसोदिया से पूछताछ कर रही है।

क्या डिप्टी सीएम के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की बारी?

सीबीआई द्वारा आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया पर कार्यवाही करने जो आम आदमी पार्टी द्वारा हंगामा क्यों किया जा रहा है, जबकि कुछ दिन पूर्व तक दिल्ली मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल स्वयं कहते फिर रहे थे कि अगर मनीष सिसोदिया कसूरवार है तो केंद्र सीबीआई से जाँच करवाकर क्यों नहीं जेल भेजती? ऐसे में चर्चा यह भी है कि क्या केजरीवाल को इस शराब घोटाले की नहीं थी? 

डिप्टी सीएम के बाद दिल्ली के सीएम केजरीवाल की बारी

कानून के जानकारों के मुताबिक, दिल्ली आबकारी नीति और शराब घोटाला मामले में सीबीआई ने अभी सीधे तौर पर अरविंद केजरीवाल को अभियुक्त नहीं बनाया गया है, लेकिन सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल की मुसीबतें भी बढ़ सकती हैं। इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शराब घोटाले से जुड़े मामले में चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के साथ पहली बार अरविंद केजरीवाल का भी नाम शामिल किया था। 03 फरवरी, 2023 को पीएमएलए कोर्ट ने ईडी की चार्जशीट का संज्ञान लिया और सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने की अनुमति दी। चार्जशीट में सीएम केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के साथ-साथ उनके करीबी विजय नायर, इंडोस्पिरिट्स के प्रमुख समीर महेंद्रू समेत अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया। ईडी ने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के सचिव के रूप में तैनात रहे दानिक्स अधिकारी सी अरविंद के बयान के आधार पर केजरीवाल को इस घोटाले में आरोपी बनाया। ईडी के मुताबिक दानिक्स अधिकारी अरविंद ने कहा कि उन्हें उनके बॉस सिसोदिया द्वारा केजरीवाल के आवास पर बुलाया गया था, जहां एक बैठक में उन्हें आबकारी नीति पर मंत्रियों की रिपोर्ट का एक मसौदा सौंपा गया था।

5 दिनों की CBI कस्टडी में भेजे गए मनीष सिसोदिया: अदालत में LG पर फोड़ा ठीकरा, 3 फोन कर चुके हैं नष्ट
शराब घोटाले मामले में गिरफ्तार दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को सीबीआई (CBI) ने 27 फरवरी 2023 दोपहर को राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया। इस दौरान जाँच एजेंसी ने CBI के स्पेशल जज एमके नागपाल से सिसोदिया की 5 दिन की कस्टडी माँगी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने सिसोदिया को 4 मार्च तक रिमांड में भेजा।

जानकारी के मुताबिक सीबीआई के वकील ने कोर्ट में कहा कि यह पूरा मामला प्रॉफिट से जुड़ा है। इस पर हमारी आगे की जाँच होना बाकी है। आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया मंत्रियों के एक समूह को लीड कर रहे थे। शराब नीति के मॉडल को लेकर कोई चर्चा नहीं की गई।

इसके जवाब में सिसोदिया के वकील दयान कृष्णन ने कहा कि एलजी वीके सक्सेना ने मई 2021 में आबकारी नीति को मंजूरी दी थी। प्रॉफिट मार्जिन के बारे में सारी बहस हो रही है। उन्होंने (LG) बदलावों को लेकर अपनी रजामंदी दी थी। पहले दिन CBI ने फोन के बारे में बात की थी। कहा था कि सिसोदिया ने 4 फोन इस्तेमाल किए, 3 को नष्ट कर दिया। क्या सिसोदिया अपना फोन सेकेंड हैंड शॉप पर नहीं दे सकते हैं। वो क्या अपना फोन रखे रहते, क्या उन्हें पता था कि CBI आएगी और उन्हें गिरफ्तार करेगी।

कृष्णन ने आगे कहा कि CBI कह रही है कि जिस तरह वो चाहती है, सिसोदिया उस तरह जवाब नहीं दे रहे हैं। जहाँ तक जाँच में सहयोग की बात है तो सिसोदिया ने सहयोग किया है। उनके घर पर छापा मारा गया। उनके फोन एजेंसी के पास हैं। अब एजेंसी कह रही है कि सिसोदिया गोलमोल जवाब दे रहे हैं। उनके पास यह अधिकार है। एक व्यक्ति के संवैधानिक अधिकार होते हैं।

 जाँच में सहयोग करने के लिए सिसोदिया को 19 फरवरी को नोटिस जारी किया गया था। लेकिन उन्होंने व्यस्तता का हवाला देते हुए एक सप्ताह का समय माँगा। उनके अनुरोध पर फिर नोटिस जारी किया गया। लेकिन बाद में भी वह जवाब देने में टालमटोल करते रहे। इसलिए उनकी गिरफ्तारी हुई। मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के खिलाफ AAP के कार्यकर्ताओं ने मुंबई और दिल्ली में प्रदर्शन किया।

मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार करने के बाद से सोशल मीडिया पर आम आदमी पार्टी के अन्य नेता भी निशाने पर आ गए हैं। ज्ञान गंगा नाम के ए​क ट्विटर यूजर ने ‘आप’ के नेताओं पर निशाना साधते हुए लिखा, “आप के ज्यादातर नेता भ्रष्ट हैं। चुनाव से पहले उनके पास कुछ नहीं था। चुनाव के बाद उनके पास कार, बंगले और सभी विलासिता की चीजें हैं। मनीष सिसोदिया जेल गए। लेकिन ‘आप’ के अन्य भ्रष्ट नेता अभी भी खुले घूम रहे हैं।”

सोशल मीडिया पर मनीष सिसोदिया को यूजर्स लुटेरा कह रहे हैं।

वहीं, दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि सिसोदिया के खिलाफ CBI के पास सबूत नहीं थे। कई अफसर उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ थे। सिसोदिया को राजनीतिक दबाव में गिरफ्तार किया गया है।

गिरफ्तार हुए दिल्ली के डिप्टी CM मनीष सिसोदिया: शराब घोटाले में CBI की कार्रवाई

CBI ने दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार कर लिया है। लंबी पूछताछ के बाद जाँच एजेंसी द्वारा ये कार्रवाई की गई। उनकी गिरफ़्तारी को ‘आम आदमी पार्टी (AAP)’ ने ‘लोकतंत्र के इतिहास का काला दिन’ करार दिया है। बता दें कि सीएम अरविंद केजरीवाल ने पहले ही घोषित कर दिया था कि सिसोदिया गिरफ्तार होने वाले हैं। सिसोदिया ने भी पूछताछ के लिए जाने से पहले ये दावा किया था।

दक्षिणी दिल्ली में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए धारा-144 लागू कर दी गई है। CBI के मुख्यालय के बाहर सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी कर दी गई है। विरोध प्रदर्शन के दौरान उग्र हुए कई AAP कार्यकर्ताओं को हिरासत में भी लिया गया है। कम से कम 50 लोगों को हिरासत में लिया गया है। इनमें से 8 महिला कार्यकर्ता हैं, जिन्हें रिहा कर दिया जाएगा। AAP सांसद सांसद संजय सिंह को भी हिरासत में लिया गया है, जिन्हें राज्यसभा में हंगामा करने के लिए जाना जाता है।

भाजपा नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा और कपिल मिश्रा ने मनीष सिसोदिया को ‘चोर’ करार दिया। बता दें कि CBI की पूछताछ से पहले समर्थकों के साथ मनीष सिसोदिया ने रोडशो किया था और फिर महात्मा गाँधी के समाधि स्थल राजघाट जाकर प्रार्थना की थी। गिरफ़्तारी से पहले लगभग 8 घंटों तक मनीष सिसोदिया से पूछताछ चली। 19 फरवरी को ही उन्हें पेश होने के लिए कहा गया था, लेकिन तब उन्होंने बजट में व्यस्त होने की बात कही थी।

अक्टूबर 2022 में जब मनीष सिसोदिया को पूछताछ के लिए बुलाया गया था, तब भी उन्होंने अपनी गिरफ़्तारी का दावा किया था। हालाँकि, ऐसा कुछ हुआ नहीं। इस दौरान लोगों ने ये भी कहा कि अरविंद केजरीवाल ने अपने पास कोई मंत्रालय नहीं रखा हुआ है और अधिकतर काम मनीष सिसोदिया ही करते रहे थे। ऐसे में उन्हें नई परेशानी झेलनी पड़ी है। पूर्व क्रिकेटर एवं सांसद गौतम गंभीर ने भी पूछा कि आखिर गुनाह कर के जाओगे कहाँ?

दिल्ली : मूँगफली बेचने वाले सनाउल्लाह के जरिए AAP पार्षद गीता रावत तक पहुँचती थी घूस की रकम

                                                                                                   साभार: Twitter- @LiveAdalat
केन्द्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने शुक्रवार (18 फरवरी 2022) को आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता पार्षद गीता रावत को रंगे हाथ घूस लेते गिरफ्तार कर लिया। गीता रावत पूर्वी दिल्ली नगर निगम के क्षेत्र वेस्ट विनोद नगर से आम आदमी पार्टी की पार्षद हैं। वह दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की खास मानी जाती हैं। दिलचस्प बात यह है कि गीता रावत के पास रिश्वत की कमाई मूँगफली का रेहड़ी लगाने वाले सनाउल्लाह नाम के शख्स के जरिए जाती थी।

गीता रावत पर 20 हजार की रिश्वतखोरी का आरोप है। सीबीआई के पास इस रिश्वतखोरी की शिकायत पहुँची। शिकायत में कहा गया कि पीड़ित से छत बनवाने के बदले में 20 हजार रुपए की माँग की थी। उसने वह पैसे बिचौलिए सनाउल्लाह को दिए। इसके बाद सीबीआई ने गीता को रंगे हाथों पकड़ने की योजना बनाई।

सीबीआई के अधिकारियों ने नोटों पर रंग लगाकर मूँगफली बेचने वाले सनाउल्लाह को दिया और उन पर नजर रखने लगे। जब सनाउल्लाह यह पैसे गीता रावत को देने गया तो सीबीआई ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया। फिर गीता रावत की तलाशी ली गई। तलाशी के दौरान उनके पास से वही रंग लगे नोट बरामद किए गए। इसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। इधर जब सनाउल्लाह के पिता को पता चला तो वह भी वहाँ पहुँचे। वहाँ जाकर उन्हें अपने बेटे के इस करतूत के बारे में पता चला। फिलहाल सीबीआई पूछताछ करने के लिए दोनों को अपने ऑफिस लेकर गई है।

इस बीच दिल्ली बीजेपी के वरिष्ठ प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने पूरे मामले पर अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और दुर्गेश पाठक से ट्वीट कर जवाब भी माँगा है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “पूर्वी दिल्ली नगर निगम की आम आदमी पार्टी पार्षद गीता रावत (विनोद नगर वार्ड) रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार। आम आदमी पार्टी रोज दिल्ली बीजेपी पार्षदों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाती थी, पर आज खुद बेनकाब है। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, दुर्गेश पाठक जवाब दें।”

इशरत जहाँ आतंकवादी ही थी… : कोर्ट ने ‘फेक’ एनकाउंटर में पुलिसकर्मियों को बरी किया

                              इशरत जहाँ केस में सीबीआई कोर्ट ने सभी को किया बरी (साभार: Patrika)

सीबीआई की विशेष अदालत में इशरत जहाँ एनकाउंटर मामले में क्राइम ब्रांच के तीन अधिकारियों की ओर से की गई कार्यवाही को जायज ठहराया है। सीबीआई की विशेष अदालत ने आखिरी तीन आरोपित आईपीएस अधिकारी तरुण बारोट, जीएल सिंघल और सहायक उप निरीक्षक अनाजू चौधरी को भी आरोप से बरी कर दिया है। सभी पर इशरत जहाँ, जावेद शेख उर्फ ​​प्राणेश पिल्लई और दो अन्य लोगों का जून 2004 में ‘फर्जी’ एनकाउंटर करने का आरोप था।

पिछले दिनों तीनों ही अधिकारियों ने आरोपों से मुक्त करने की अर्जी लगाई थी। इससे पहले तत्कालीन महानिदेशक पीपी पांडे, तत्कालीन डीआईजी डी जी वंजारा व तत्कालीन पुलिस उपायुक्त एन के अमीन को भी आरोपों से मुक्त कर दिया गया था। अदालत ने कहा कि क्राइम ब्रांच के अधिकारी जी एल सिंघल, तरुण बारोट व अनाजू चौधरी ने आईबी से मिले इनपुट के आधार पर कार्यवाही की जैसा उन्हें करना चाहिए था।

अदालत ने यह भी कहा कि इशरत को आतंकवादी नहीं मानने का कोई कारण नजर नहीं आता है। कोर्ट ने कहा कि इशरत जहाँ, लश्कर ए तैयबा की आंतकी थी, इस खुफिया रिपोर्ट को नकारा नहीं जा सकता, इसलिए तीनों अधिकारियों को निर्दोष बताते हुए बरी किया जाता है।

पुलिस अधिकारियों ने जिस घटना को अंजाम दिया वह परिस्थिति के हिसाब से सही थी तथा उनके द्वारा यह जानबूझकर किया गया हो, ऐसा नहीं लगता है। इशरत जहाँ व उसके तीन साथियों जावेद शेख, अमजद अली व जीशान जौहर को क्राइम ब्रांच ने जून 2004 में एक एनकाउंटर में मार गिराया था। इस एनकाउंटर मामले में गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक पी पी पांडे पूर्व आईपीएस एवं क्राइम ब्रांच के मुखिया डी जी बंजारा तथा पुलिस उपाध्यक्ष एनके अमीन को भी आरोपित बनाया गया था।