शराब घोटाला : मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 12 मई तक बढ़ी;घोटाले के जरिये कमाना था रुपये, खुद को दिखाना चाहते थे ईमानदार

दिल्ली की एक अदालत ने शराब घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने यह कहते हुए सिसोदिया को राहत देने से इनकार कर दिया कि यह उन्हें जमानत देने के लिए उपयुक्त समय नहीं है। ईडी ने जमानत याचिका का विरोध किया था और कहा था कि जांच ‘महत्वपूर्ण’ चरण में है। कोर्ट ने सिसोदिया को मामले का ‘सूत्रधार’ भी बताया। इससे पहले सिसोदिया ने जमानत के लिए हाईकोर्ट का भी रुख किया था लेकिन वहां से भी कोई राहत नहीं मिली। 

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर एसवी राजू ने कहा कि सिसोदिया पैसा कमाना चाहते थे और वह दिखाना चाहते थे कि वे ईमानदार हैं और पारदर्शिता बरतते हैं, लेकिन उन्होंने पारदर्शिता नहीं बरती। शराब बनाने वाले, होलसेलर और रिटेलर सभी जुड़े हुए थे। इस तरह 100 करोड़ रुपये घूस लिए गए। मनीष सिसोदिया इन सभी चीजों में शामिल थे। चूंकि पुरानी शराब नीति में रिश्वत लेना संभव नहीं था इसीलिए नई नीति बनाई गई और इसके लिए उपराज्यपाल से मंजूरी भी नहीं ली गई। इससे साफ होता है कि निकट भविष्य में मनीष सिसोदिया को कोर्ट से राहत मिलने की संभावना कम ही है और उन्हें फिलहाल जेल में ही अपने दिन गुजारने होंगे।

सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 12 मई तक बढ़ी

राउज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई की ओर से जांच की जा रही आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 12 मई तक बढ़ा दी। सिसोदिया के वकील ने दावा किया कि जांच एजेंसी ने मामले में अधूरी जांच दायर की थी, अदालत से उनके मुवक्किल को डिफॉल्ट जमानत देने का आग्रह किया, लेकिन उन्हें जमानत नहीं मिली। सीबीआई जांच के मामले में जहां सिसोदिया को 12 मई तक जेल हुआ है वहीं ईडी की जांच मामले में भी वह 8 मई तक न्यायिक हिरासत में भेजे गए हैं।

सिसोदिया साजिश के सूत्रधार, इसीलिए जमानत अर्जी खारिज

कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि वह न केवल साजिश के सूत्रधार थे, बल्कि थोक विक्रेताओं के लिए 12 प्रतिशत लाभ मार्जिन के सेक्शन को शामिल करने और थोक विक्रेताओं के लिए पात्रता मानदंड को 100 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये करने के पीछे भी उनका ही दिमाग था। जज एमके नागपाल की अदालत ने 83 पन्नों के आदेश में कहा कि वह इस आर्थिक अपराध के मामले में आवेदक को जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं है क्योंकि ऐसे मामलों में “आम जनता और बड़े पैमाने पर समाज पर गंभीर प्रभाव पड़ता है”। उन्होंने देखा कि जांच के दौरान एकत्र किए गए सबूत अपराध के कमीशन में सिसोदिया की संलिप्तता की बात करते हैं। इससे पहले संघीय एजेंसी ने यह भी कहा था कि उसे कथित अपराध में उनकी मिलीभगत के नए सबूत मिले हैं।

सीबीआई की चार्जशीट में आया सिसोदिया का नाम

मनीष सिसोदिया की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। कथित शराब घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई ने कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में सिसोदिया का भी नाम लिया है। इससे उन्हें जमानत मिलने की संभावना भी कम हो गई है। दरअसल, भ्रष्टाचार के मामले में जांच एजेंसी को आरोपी की गिरफ्तारी के 60 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल करनी होती है वरना आरोपी स्वाभाविक जमानत का हकदार हो जाता है। सीबीआई ने सिसोदिया को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था और 58वें दिन चार्जशीट दाखिल कर दी। एजेंसी ने सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की कुछ धाराओं के अलावा सेक्शन 201 (सबूत नष्ट करने) और 420 (धोखाधड़ी) भी जोड़ा है।

सिसोदिया रिश्वत के रूप में लगभग 100 करोड़ रुपये लेने में लिप्त

जज ने कहा कि आम तौर पर अदालतों और जांच एजेंसियों को ऐसी नीतियों को बनाने के लिए विधायिका की शक्ति में हस्तक्षेप या अतिक्रमण नहीं करना चाहिए, लेकिन एक बार ऐसी नीति बनाने या उसके कार्यान्वयन में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग जाते हैं, तो यह निश्चित रूप से कानून के दायरे में है। अदालत ने कहा कि उसके सामने पेश किए गए सबूतों से यह स्पष्ट रूप से सामने आया है कि सिसोदिया एडवांस में रिश्वत के रूप में लगभग 100 करोड़ रुपये की अपराध की आय के सृजन से जुड़े थे। यह दक्षिण लॉबी की तरफ से सह-अभियुक्त विजय नायर को भुगतान किया गया था। सह-आरोपी अभिषेक बोइनपल्ली, जो शराब कारोबार में विभिन्न साजिशकर्ताओं और हितधारकों के साथ आयोजित बैठकों में भाग ले रहे थे।

सिसोदिया पर लगाए गए गंभीर आरोप

. चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि आबकारी नीति को लेकर एक्सपर्ट समिति की सिफारिशों को जीओएम (मंत्रियों के समूह) ने पलट दिया था। इस GoM के हेड सिसोदिया ही थे।

2. इसी जीओएम ने कमीशन 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने का फैसला लिया था।

3. गैरकानूनी तरीके से मिले पैसे के बदले ‘साउथ लॉबी’ के इशारे पर जीओएम ने 12 प्रतिशत कमीशन का प्रावधान जोड़ा। यह साउथ ग्रुप दिल्ली में ही डटा हुआ था, जब जीओएम रिपोर्ट फाइनल की गई। ऐसे में आखिरी मिनट में कई नियम जोड़े गए।

4. चार्जशीट में आईपीसी की धारा 420 (चीटिंग) और 201 (सबूत नष्ट करना) जोड़ी गई है।

5. आबकारी नीति से संबंधित कानूनी सलाह पर एक नोट गायब है। कानूनी सलाह दी गई थी कि पुरानी नीति ठीक है और इसमें कोई बदलाव की जरूरत नहीं है।

6. साउथ ग्रुप के लिए होलसेल डिस्ट्रिब्यूटर के लाइसेंस सिसोदिया के निर्देश पर दिए गए जबकि खिलाफ में कई शिकायतें मिली थीं।

7. मोबाइल फोन गायब होने के कारण सीबीआई का मानना है कि बड़े पैमाने पर सबूत नष्ट किए गए हैं।

8. सीबीआई ने कोर्ट को बताया है कि सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सक्षम अधिकारियों से मंजूरी ले ली गई है।

दिनेश अरोड़ा के बयान से फंसे संजय सिंह

शराब घोटाले में दिल्ली सरकार के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया इस समय जेल में हैं। अब आम आदमी पार्टी के एक और कद्दावर नेता संजय सिंह पर भी इसकी गाज गिर सकती है। ईडी ने इस मामले में अदालत में पेश अपनी चार्जशीट में संजय सिंह को भी आरोपी बना लिया है। संजय सिंह को आरोपी बनाने के लिए दिनेश अरोड़ा के बयान को आधार बनाया गया है।

CBI के पास केजरीवाल के खिलाफ सबूत

ईडी के अनुसार, समीर महेंद्रू विजय नायर के साथ मिलकर काम कर रहा था और राजनेताओं और शराब कारोबारियों के साथ कई बैठकों का हिस्सा रहा था। ईडी ने यह भी बताया था कि केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी में शराब के कारोबार के सिलसिले में आंध्र प्रदेश के एक सांसद मगुनता श्रीनिवासलु रेड्डी से मुलाकात की थी। वहीं, दो प्रमुख गवाहों ने सीबीआई को बताया कि अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में आबकारी नीति की ड्राफ्ट कॉपी आबकारी अधिकारी को दी गई और बाद में लागू की गई।

शराब घोटाले में Package कोड वर्ड का मतलब था 15 करोड़ कैश

शराब घोटाले में दिल्ली की जेल में बंद 200 करोड़ की ठगी के मास्टरमाइंड सुकेश चंद्रशेखर के ‘लेटर-बम’ से नए खुलासे हुए। इस खत में अब सुकेश चंद्रशेखर ने उन कूट शब्दों (कोड वर्ड्स) का भांडा फोड़ा है, जो उसकी दिल्ली सरकार के नेताओं-मंत्रियों से अवैध लेनदेन की कथित बातचीत के दौरान इस्तेमाल किए गए। इन तमाम नेताओं-मंत्रियों और अन्य संबंधित राजनीतिक लोगों के नाम के कोड वर्ड्स का भी खुलासा किया है। इन कोडवर्ड्स को सुकेश चंद्रशेखर के साथ बातचीत में इस्तेमाल किया जाता था। सुकेश चंद्रशेखर के ही इस लैटर बम के मुताबिक, AK मतलब अरविंद केजरीवाल, SJ BRO यानी सतेंद्र जैन, Manish यानी मनीष सिसौदिया, अरुण मतलब अरुण पिल्लई। JH मतलब के. कविता का वह Jublie Hills House गेस्ट हाउस जो कथित रूप से अवैध लेनदेन का अड्डा था। Office कोड वर्ड TRS पार्टी हेडक्वार्टर के लिए था। इसी तरह से Package कोड वर्ड का मतलब था 15 करोड़ कैश।

15 किलो घी मतलब 15 करोड़ रुपए

सुकेश चंद्रशेखर और दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री जो खुद भी महीनों से तिहाड़ जेल में बंद है, के बीच बातचीत में कोड वर्ड Bro SJ था। इसी तरह से 15 kg Ghee का मतलब 15 करोड़ और 25g Ghee मतलब 25 करोड़ रुपए। इसी तरह चैट में इस्तेमाल होने वाले कोडवर्ड Hyd का मतलब Hyderabad और Sister कोड वर्ड के. कविता (K Kavita) के लिए फिक्स था। चैट में कुछ स्थानों पर AK Bhai का भी इस्तेमाल देखने को मिलता है। जिसका मतलब अरविंद केजरीवाल था।

शराब घोटाले में चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार की जांच में मिलीं ये 7 ‘खामियां’

1. मनीष सिसोदिया के निर्देश पर एक्साइज विभाग ने एयरपोर्ट जोन के एल-1 बिडर को 30 करोड़ रुपये रिफंड करने का निर्णय लिया। बिडर एयरपोर्ट अथॉरिटीज से जरूरी एनओसी नहीं ले पाया था। ऐसे में उसके द्वारा जमा कराया गया सिक्योरिटी डिपॉजिट सरकारी खाते में जमा हो जाना चाहिए था, लेकिन बिडर को वह पैसा लौटा दिया गया।

2. सक्षम अथॉरिटीज से मंजूरी लिए बिना एक्साइज विभाग ने 8 नवंबर 2021 को एक आदेश जारी करके विदेशी शराब के रेट कैलकुलेशन का फॉर्मूला बदल दिया और बियर के प्रत्येक केस पर लगने वाली 50 रुपए की इंपोर्ट पास फीस को हटाकर लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया, जिससे सरकार को रेवेन्यू का भारी नुकसान हुआ।

3. टेंडर दस्‍तावेजों के प्रावधानों को हल्का करके L7Z (रिटेल) लाइसेंसियों को वित्‍तीय फायदा पहुंचाया गया, जबकि लाइसेंस फी, ब्‍याज और पेनाल्‍टी न चुकाने पर ऐक्‍शन होना चाहिए था।

4. सरकार ने दिल्ली के अन्य व्यवसायियों के हितों को दरकिनार करते हुए केवल शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए कोविड काल में हुए नुकसान की भरपाई के नाम पर उनकी 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी, जबकि टेंडर दस्तावेजों में ऐसे किसी आधार पर शराब विक्रेताओं को लाइसेंस फीस में इस तरह की छूट या मुआवजा देने का कहीं कोई प्रावधान नहीं था।

5. सरकार ने बिना किसी ठोस आधार के और किसी के साथ चर्चा किए बिना नई पॉलिसी के तहत हर वॉर्ड में शराब की कम से कम दो दुकानें खोलने की शर्त टेंडर में रख दी। बाद में एक्साइज विभाग ने सक्षम अथॉरिटीज से मंजूरी लिए बिना नॉन कन्फर्मिंग वॉर्डों के बजाय कन्फर्मिंग वॉर्डों में लाइसेंसधारकों को अतिरिक्त दुकानें खोलने की इजाजत दे दी।

6. सोशल मीडिया, बैनरों और होर्डिंग्‍स के जरिए शराब को बढ़ावा दे रहे लाइसेंसियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह दिल्‍ली एक्‍साइज नियमों, 2010 के नियम 26 और 27 का उल्‍लंघन है।

7. लाइसेंस फीस में बढ़ोतरी किए बिना लाइसेंसधारकों को लाभ पहुंचाने के लिए उनका ऑपरेशनल पीरियड पहले 1 अप्रैल 2022 से बढ़ाकर 31 मई 2022 तक किया गया और फिर इसे 1 जून 2022 से बढ़ाकर 31 जुलाई 2022 तक कर दिया गया। इसके लिए सक्षम अथॉरिटी यानी कैबिनेट और एलजी से भी कोई मंजूरी नहीं ली गई। बाद में आनन फानन में 14 जुलाई को कैबिनेट की बैठक बुलाकर ऐसे कई गैरकानूनी फैसलों को कानूनी जामा पहनाने का काम किया गया। शराब की बिक्री में बढ़ोतरी होने के बावजूद रेवेन्यू में बढ़ोतरी होने के बजाय 37.51 पर्सेंट कमी आई।

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