जब तक देश में यूपीए सरकार थी, लालू यादव, मुलायम सिंह यादव और मायावती कांग्रेस के साथ खड़े थे। और जब मोदी के विरुद्ध महागठबन्धन बना, तब भी मायावती कांग्रेस के साथ खड़ी थीं, परन्तु महागठबंधन बिखरा, मायावती कांग्रेस के दूरी बनाए रखने का कोई मौका नहीं छोड़ रही।
प्रियंका गांधी के मेरठ पहुंचकर भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद से मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ गई हैं। इधर प्रियंका गांधी, चंद्रशेखर से मुलाकात कर रहीं थीं वहीं, प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सियासी सरगर्मी तेज हुई और सपा अध्यक्ष अखिलेश, मायावती से मिलने पहुंचे।सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस के रवैये से नाराज बसपा सुप्रीमो मायावती के प्रस्ताव से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव सहमत नहीं हैं। इसके लिए उन्होंने अखिलेश को खरी-खरी सुना दी। बताया जा रहा है कि घोषणा पत्र को लेकर दोनों नेताओं के बीच में मुलाकात हुई।
सूत्रों की माने तो चंद्रशेखर रावण और प्रियंका गांधी की मुलाकात से मायावती बेहद नाराज थीं। मेरठ में इस मुलाकात के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने अखिलेश को अपने निवास माल एवेन्यू में बुलाया और कांग्रेस के तेवरों को देख रायबरेली और अमेठी में भी गठबंधन के उम्मीदवार को उतारने की बात कही।मायावती ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से दो दिन के अंदर उम्मीदवारों के नामों को लेकर फैसला लेने को कहा है। सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश यादव ने कहा है कि अमेठी और रायबरेली से भी गठबंधन चुनाव लड़ेगा।
इस बैठक में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ सपा के राज्यसभा सांसद संजय सेठ भी मौजूद थे।करीब डेढ़ घंटे की मुलाकात में होली के बाद संयुक्त चुनावी रैलियां करने पर भी विचार किया गया. इसके साथ ही घोषणा पत्र को लेकर बी चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक, सपा के मेनिफेस्टो में बसपा का एजेंडा दिखाई देगा, क्योंकि बसपा ने अब तक किसी भी चुनाव में पार्टी का घोषण पत्र जारी नहीं किया है।
बैठक में कांग्रेस के तथाकथित वादों के बाद बदलती परिस्थितियों को देखते अमेठी और रायबरेली के अलावा कुछ अन्य सीटों पर भी सपा-बसपा प्रत्याशियों में बदलाव करने पर भी गंभीरता से विचार-विमर्श किया। मुलाकात में कांग्रेस के प्रत्याशियों के उतारने से गठबंधन को होने वाले नुकसान पर भी चर्चा की गई।
अवलोकन करें:-
No comments:
Post a Comment