
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
मुंबई हमले में शहीद पूर्व ATS चीफ हेमंत करकरे पर बयान देने के बाद सियासी उठा-पटक अभी थमी भी नहीं थी कि साध्वी प्रज्ञा ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भोपाल लोकसभा सीट पर अपने प्रतिद्वंद्वी दिग्विजय सिंह पर भी बयान दे डाला है।
अभी तो भोपाल चुनाव की बिसात बिछनी शुरू हुई है। कहते हैं अगर दिल से कोई सोंची जाये, जरूर पूरी होती है। सोंचता रहता था, कांग्रेस और यूपीए में सम्मिलित समस्त दलों को बेनकाब करने के लिए झूठे आरोप में प्रताड़ित साध्वी प्रज्ञा, स्वामी असीमानंद और कर्नल पुरोहित को चुनाव प्रचार में भाजपा क्यों नहीं लेकर आती। चलिए देर आए, दुरुस्त आए। हिन्दू धर्म को "हिन्दू आतंकवाद" और "भगवा आतंकवाद" कहकर कलंकित करने वालों की केवल एक ही पीड़ित के मैदान में आने पर नींद हराम हुई, अभी तो औरों ने भी आने दो, पता नहीं तब क्या होगा इन छद्दमों का?
जहाँ तक हेमंत करकरे को श्राप की बात पर समस्त छद्दम धर्म-निरपेक्षों द्वारा क्यों विधवा-विलाप किया जा रहा है? उन्होंने श्राप करकरे को उनके जीवनकाल में उन्ही के समक्ष दिया था।
गौ-हत्या का विरोध कर रहे साधु समाज के खून से पार्लियामेंट स्ट्रीट लाल हो गयी थी। |
मुलायम सिंह ने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में निहत्ते रामभक्तों पर गोलियाँ चलवा कर उनके खून की होली खेली थी, आज पार्टी धरातल में पहुँच रही है। जो मायावती कहती थी "तिलक, तराजू और तलवार, इनके मारो जूते चार" आज वह पार्टी भी अपना अस्तित्व बनाए रखने के गेस्ट हाउस काण्ड करने वालों की शरण में जा बैठी। वामपंथी जिन्होंने भारत के वास्तविक इतिहास को धूमिल कर आतताइयों यानि मुग़ल शासन को बढ़ाचढ़ा कर रचने वालों की स्थिति भी लगभग शून्य ही है। अन्तर केवल आँख, नाक, कान और मष्तिक को खोलकर देखने की है।
अप्रैल 19 को रिपब्लिक भारत पर परिचर्चा में रॉ के पूर्व अधिकारी आर.पी.एन.सिंह ने हेमंत करकरे की मृत्यु पर उन्होंने प्रश्न किया "करकरे को किसने मारा? गोली गर्दन से नीचे बॉडी में गयी थी, क्यों नहीं जाँच करवायी गयी?" वैसे सिंह की बात में बहुत दम है, क्योकि तब भी यही बात चर्चा में थी, परन्तु इस गम्भीर मुद्दे को ठंठे बस्ते में डाल दिया गया, क्यों?
अपने हालिया बयान में साध्वी प्रज्ञा ने दिग्विजय सिंह को महिषासुर और खुद को महिषासुर मर्दिनी बताया है। जिसके बाद फिर बयानों का दौर शुरू हो गया है। वहीं दिग्विजय सिंह को महिषासुर बताने पर साध्वी प्रज्ञा का कहना है कि 'जब-जब धरती पर अत्याचार बढ़े हैं, तब-तब देवियों ने रूप लिए हैं। ये शास्त्र में लिखा है। ना हम किसी का नाम लेकर बोल रहे हैं और ना ही खुद को देवी बता रहे हैं। निश्चित रूप से ऐसे लोग कालनेमि है जो समय-समय पर अपना रूप बदलते रहते हैं।'
भोपाल के बैरसिया में बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए साध्वी प्रज्ञा ने दिग्विजय सिंह पर निशाना साधते हुए कहा था कि 'भारतीय राजनीति में कोई भी इतना बड़ा त्याग नहीं कर सकता (आलोक संजर को संबोधित करते हुए) कि अपनी सीट किसी और को दे दे। भोपाल लोकसभा सीट से हमारे जीते हुए सांसद ने कहा कि दीदी आप की आवश्यकता है। आपकी जय हो। आप आइये इस महिषासुर का मर्दन करिए। जब देश में कोई भ्रमित और अनाचारी हो जाता है, तब उसका विनाश करने स्वयं महिषासुर मर्दिनी को आना ही पड़ता है। भोपाल में महिषासुर मर्दनी आई है, भगवा वेश धारण कर। इनको इनके ही शब्दों में जबाव देने।'
अवलोकन करें:-
वहीं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने मुख्यमंत्री कमलनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि ''1984 दंगों के आरोपी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनकर बैठे हैं। जो सत्य होता है वही उजागर होता है। 1984 का हत्याकांड था और उस हत्याकांड के दोषी यहां मुख्यमंत्री बने हैं। वह किस नैतिकता के आधार पर साध्वी के बारे में कह रहे हैं। साध्वी के अंत की बात ना करें।'' वहीं अंदेशा जताते हुए साध्वी ने कहा कि 'हो सकता है कि मुझे जेल भेज दिया जाए। जिस तरह से एनआईए कोर्ट में याचिका लगाई जा रही हैं, ये षड्यंत्र किया जा रहा है।'
No comments:
Post a Comment