
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
मुंगेरी लाल के हसीन सपने देखना कोई बुरी आदत नहीं, कम से कम उमंगें तो जवां रहती है, और होनी भी चाहिए। शायद इसी मुगालते में मायावती और इन जैसे दूसरे नेता भी जी रहे हैं।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने मई 5 को इशारों इशारों में कहा कि अगर उन्हें प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिलेगा तो वह अंबेडकर नगर से चुनाव लड़ सकती है। मायावती ने एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव बाद यदि जरूरत पड़ी तो वह अंबेडकर नगर सीट से चुनाव लड़ेंगी। हालांकि, उन्होंने प्रधानमंत्री बनने का खुलकर जिक्र नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा, 'अगर सब ठीक रहा तो मुझे यहां से चुनाव लड़ना पड़ेगा। क्योंकि दिल्ली की राजनीति का रास्ता अंबेडकर नगर से होकर जाता है।'
'इस चुनाव में जय भीम वाले आने वाले हैं'
मायावती सभास्थल पर लगाए गए अपने उस कटआउट को देखकर बहुत खुश थीं, जिसमें वह संसद भवन के बाहर खड़ी हैं और उस पर प्रधानमंत्री लिखा हुआ था। बसपा प्रत्याशी रितेश पांडेय के समर्थन में वोट मांगने पहुंचीं मायावती ने आगे कहा, "इस चुनाव में नमो-नमो वालों की छुट्टी होने वाली है और जय भीम वाले आने वाले हैं।"
चुनाव से पहले मायावती ने ऐलान किया था कि वह इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगी। उन्होंने हालांकि यह भी कहा था कि चुनाव बाद नतीजों व परिस्थितियों को देखते हुए यदि जरूरत पड़ी तो उत्तर प्रदेश में अपने किसी भी उम्मीदवार की सीट से वह चुनाव लड़ेंगी।
मायावती ने की अमेठी, रायबरेली में कांग्रेस को वोट देने की अपील
एक तरफ बीएसपी प्रमुख मायावती चुनावी रैलियों में लगातार कांग्रेस पर आक्रामक हमले कर रही हैं, लेकिन उन्होंने अमेठी और रायरबरेली सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी राहुल गांधी और सोनिया गांधी को वोट देने की अपील की है। मायावती ने 6 मई को रायबरेली और अमेठी में होने वाले मतदान में गठबंधन के कार्यकतार्ओं से कांग्रेस को समर्थन देने की अपील की है। सपा-बसपा गठबन्धन ने रायबरेली और अमेठी से अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं। यहां से संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी चुनाव मैदान में हैं।
मायावती ने बयान में कहा, "बीजेपी व कांग्रेस दोनों ही पार्टियां एक जैसी हैं। हमने कांग्रेस के साथ कोई समझौता नहीं किया है, लेकिन बीजेपी को हराने के लिए रायबरेली और अमेठी सीट पर हमारी पार्टी का वोट कांग्रेस को मिलेगा।"
आखिर मायावती और अखिलेश क्या मतदाता को मूर्ख समझते हैं? जब सपा-बसपा गठबंधन का कांग्रेस से कोई समझौता नहीं हुआ, फिर किस आधार पर अमेठी और राय बरेली से अपना उम्मीदवार क्यों नहीं उतारा? इन सीटों से कोई उम्मीदवार न उतारे जाने का अर्थ किसी गुप्त समझौते को नहीं दर्शा रहा? इसका जवाब माया और अखिलेश को देना पड़ेगा।
मायावती ने कहा, "चार चरणों के चुनाव में जनता ने गठबंधन का समर्थन किया है जिससे बीजेपी परेशान है। यह गठबंधन सिर्फ केंद्र में नया प्रधानमंत्री व नई सरकार बनाने के लिए नहीं है, बल्कि यूपी में भी बीजेपी की सरकार को हटाएगा।" उन्होंने कहा कि 23 मई को देश को निरंकुश व अहंकारी शासन से मुक्ति मिल जाएगी।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने चुनाव बाद बीजेपी के साथ जाने के कयासों को निराधार बताते हुए कहा, "सपा-बसपा गठबंधन सिर्फ वर्तमान के लिए नहीं, बल्कि भविष्य के लिए भी है। बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व इसके सामने लाचार नजर आ रहा है इसलिए वह दोनों पार्टियों को लेकर भ्रम फैला रहा है। बसपा प्रमुख ने कहा कि चार चरणों के चुनाव में जनता ने गठबंधन का समर्थन किया है जिससे कि बीजेपी परेशान है।"
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