शपथ समारोह में पाकिस्तान से बनाई दूरी

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
नरेन्द्र मोदी दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री के पद की शपथ 30 मई को लेने जा रहे हैं। देश में ऐसा पहली बार होगा जब कोई  गैरकांग्रेसी सत्ता में रहते हुए दोबारा प्रधानमंत्री पद की शपथ लेगा। भारतीय लोकतंत्र में यह एक मील का पत्थर बनेगा।
भारत के 130 करोड़ जनता के रसायन बल ने भाजपा को 303 सीटें और एनडीए गठबंधन को 353 सीटों पर लाकर खड़ा कर दिया। यह न्यू इंडिया की उस सोच को दर्शाता है जिसमें कुछ कर गुजरने का जज्बा, विश्वास और इंडिया फर्स्ट के विचार छाए रहते हैं। 
भाजपा ने अकेले 303 सीटों पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। इससे पहले किसी भी गैरकांग्रेसी राजनीतिक दल इतनी सीटें नहीं मिली हैं। इस तरह से भाजपा ने 37.4 प्रतिशत मतों पर भी कब्जा कर लिया। 2014 की तुलना में 6.4 प्रतिशत मतों और 21 सीटों का इजाफा हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का शपथ ग्रहण समारोह इस बार भी काफी भव्य होगा। 30 मई को जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम मोदी को शपथ दिलाएंगे तो बिम्सटेक समेत आठ देशों के राष्ट्राध्यक्ष इसके गवाह बनेंगे। पिछली बार प्रधानमंत्री मोदी ने शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया था, वहीं इस बार बिम्सटेक देशों के राष्ट्राध्यक्षों को बुलाया है।
बिम्सटेक के अलावा किरगिस्तान और मॉरीशस को भी आमंत्रण
BIMSTEC यानि ‘बे ऑफ़ बंगाल इनिशिएटिव फ़ॉर मल्टी-सेक्टरल टेक्निकल एंड इकनॉमिक कोऑपरेशन’ में भारत के अलावा भूटान, श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, नेपाल और बांग्लादेश हैं।

बताया गया है कि मोदी सरकार की ‘पड़ोसी पहले’ की नीति के तहत बिम्सटेक को आमंत्रण भेजा गया है। इसके अलावा किरगिस्तान के राष्ट्रपति सोरोनबाय जेनेबकोव और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्राविन्द जगन्नाथ को भी आमंत्रित किया गया है।’
प्राविन्द जगन्नाथ इस वर्ष के प्रवासी भारतीय दिवस में मुख्य अतिथि थे। किरगिस्तान के राष्ट्रपति को आमंत्रण इसलिए दिया गया है क्योंकि वह अभी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के अध्यक्ष हैं। एससीओ के शीर्ष नेताओं की बैठक 14-15 जून, 2019 को होनी है और उसमें प्रधानमंत्री मोदी भाग लेने जाने वाले हैं।
दूसरे कार्यकाल में पाकिस्तान से बनाई दूरी
2014 में प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के सभी सदस्य देशों को बुलाया गया था। पाकिस्तान भी सार्क का सदस्य है। तब पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इसमें हिस्सा लिया था।

लेकिन इस बार सार्क के बजाय बिम्सटेक को तरजीह दी गई है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए ही सार्क देशों को नहीं बुलाया गया है।
इस बार आमंत्रण से स्पष्ट संकेत दिया गया है कि सरकार दूसरे कार्यकाल में पाकिस्तान से दूरी बनाए रखेगी। लेकिन, बाकी पड़ोसी देशों के साथ संबंध बढ़ाए जाएंगे।
पाकिस्तान से दूरी बनाए रखने का मुख्य कारण है, आतंकवाद पर नकेल डालने में असमर्थ रहे पाकिस्तान के कारण भारत माता कई बार लहूलुहान हुई, और मोदी सरकार से पूर्व रही यूपीए सरकार भी इन लहूलुहान के खेल में बराबर की हिस्सेदार रही। यूपीए सरकार ने इस्लामिक आतंकवादियों और पाकिस्तान को संरक्षण देने की खातिर बेकसूर हिन्दू साधु, संत और साध्वियों को जेलों में डाल "हिन्दू आतंकवाद" और "भगवा आतंकवाद" के नाम पर विश्व में हिन्दू समाज को कलंकित किया। लेकिन प्रधानमन्त्री मोदी ने हिन्दुओं पर लगे इस कलंक को पाकिस्तान और आतंकवादियों पर प्रहार कर उनके खून से धोकर विश्व में हिन्दू समाज को खोई प्रतिष्ठा प्राप्त करवाने का जनता ने प्रचंड बहुमत से पुनः भारत का प्रधानमन्त्री बना, तुष्टिकरण करने वालों को मुँह तोड़ जवाब दिया है। 
पिछली मोदी सरकार ने देश को क्या दिया या क्या नहीं दिया, लेकिन हिन्दुओं को आत्मसम्मान से फलीफुत किया। जबकि समस्त छद्दम धर्म-निरपेक्ष कभी जनेऊधारी हिन्दू, कभी दत्तात्रेय गोत्र बताकर, मन्दिर-मन्दिर माथा टेकते नज़र आये। अपने आपको हिन्दू सिद्ध करने का पाखंड करने वाले कभी अपने दादा फिरोज जहांगीर गाँधी की कब्र पर नहीं गए।   
भाजपा का रिकार्ड तोड़ प्रदर्शन
इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को 224 सीटों पर कुल डाले गये मतों का 50 प्रतिशत से भी अधिक मत मिले जबकि 2014 में ऐसी सीटों की संख्या 136 थी।
15 राज्य व केन्द्र शासित राज्यों में भाजपा को गठबंधन के साथी दलों के साथ 50 प्रतिशत से अधिक मत मिले।
इस बार भाजपा को 15 सीटों पर 5 लाख से अधिक मतों से जीत मिली है जबकि 2014 में ऐसी सीटों की कुल संख्या 6 थी।
10 राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों में भाजपा ने पूरी की पूरी सीटें जीतकर Clean Sweep किया, लेकिन बिहार और मध्यप्रदेश ऐसे दो राज्य रहे जहां एक दो सीटों से भाजपा का Clean Sweep रुक गया।
Hindi Heartland में भाजपा को 141 सीटों पर जीत मिली। इस तरह से भाजपा का इस क्षेत्र में Strike Rate 71% रहा। यहां की सभी सीटों पर भाजपा को कुल डाले गये मतों का 50 प्रतिशत से भी अधिक मत मिला।
सात चरणों के चुनाव में भाजपा के लिए Undercurrent था, इसका पता हर चरण में भाजपा के लिए बढ़ते मत प्रतिशत से लगता है। पहले चरण में भाजपा का मत प्रतिशत जहां 1.9 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई, वहीं  छठवें चरण तक यह बढ़ते हुए 12.8 प्रतिशत तक पहुंच गया। सातवें चरण के मतों में बढ़ोत्तरी 7.6 प्रतिशत 7.6 रही।
20 राज्यों में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली है, उसका खाता ही नहीं खुल सका।
यूपी में लोकसभा की 80 सीटों में से 73 पर कांग्रेस ने चुनाव लड़ा लेकिन सिर्फ 2 सीटों पर ही इसके नेता ही अपनी जमानत बचा पाए हैं। बाकी के सभी दिग्गज जो पहले केंद्र में भी मंत्री रहे, अपनी जमानत नहीं बचा पाए।
भाजपा को शहरों और गांवों में भी जमकर समर्थन मिला
ग्रामीण भारत में भाजपा को उज्‍ज्‍वला और हाउसिंग फॉर ऑल योजना का जबरदस्त फायदा मिला। भाजपा ने ग्रामीण भारत की कुल 342 सीटों में से 197 सीटों पर विजय हासिल की हैं। यहां कि सिर्फ 30 सीटें ही कांग्रेस के खाते में आ सकीं।
गांवों में भाजपा को शहरों से अधिक मत प्रतिशत मिले। गांवों  में भाजपा को 39.5% मत मिले तो शहरों में 33.9 % मत मिले।
भाजपा को शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में जबरदस्त लाभ मिला, भाजपा को शहरी क्षेत्रों(Urban) की 90 सीटों में 39 सीटों पर जीत मिली, जहां कुल 33.9 प्रतिशत मत मिले।  2014 में  ऐसी 40 सीटें थीं जिन पर 28.8 प्रतिशत मत मिले थे।
इसी तरह अर्द्धशहरी क्षेत्रों (Rurban) की 251 सीटों पर भाजपा ने 141 सीटों पर जीत हासिल करते हुए 37.1 प्रतिशत मत प्राप्त किए। 2014 में इन सीटों में से 127 सीटों पर 30.6 प्रतिशत मत के साथ जीत मिली थी।
ग्रामीण क्षेत्रों (Rural) की 202 सीटों में से भाजपा ने 123 सीटों पर जीत के साथ 39.5 प्रतिशत मत हासिल किए जबकि 2014 में  इन्हीं सीटों में से 115 सीटों पर 32.5 प्रतिशत मत मिले थे।
गांधी परिवार का गढ़ माने जाने वाले अमेठी में भाजपा की स्मृति इरानी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को 55,120 मतों से हरा दिया। 39 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब गांधी परिवार को अपने ही गढ़ में हार का मुंंह देखना पड़ा है।
भाजपा दक्षिण भारत की सबसे बड़ी पार्टी
भाजपा ने दक्षिण के पांच राज्यों -कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और केरल की 130 सीटों में से 30 सीटों पर कब्जा किया है जबकि कांग्रेस को 26 सीटों पर जीत मिली है। इस तरह से भाजपा दक्षिण भारत में भी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।
भाजपा ने बंगाल में भी परचम लहराया
भाजपा को बंगाल में भी भारी सफलता मिली है। 42 सीटों में से 18 सीटों पर भाजपा को जीत मिली और इसका कुल 40.2 प्रतिशत मत मिले। 2014 में भाजपा को राज्य में 2 सींटे मिली थी। राज्य में वामपंथी दल को मिलने वाला मत 7.5 प्रतिशत पर ही सिमट कर रह गया, इस दल को कोई भी सीट नहीं मिल सकी।
इस बार की सतरहवीं लोक सभा में वामपंथी दलों के सदस्यों की सबसे कम संख्या होगी। कभी वामपंथ का गढ़ रहे बंगाल में इन दलों को कोई सीट नहीं मिली, केरल में भी मात्र एक सीट ही मिली है। यह हाल उस विचारधारा के दलों का है जिसका देश के पहले लोकसभा में , अविभाजित कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के रुप में सबसे बड़ा विपक्षी दल हुआ करता था।
भाजपा का उत्तर भारत के राज्यों में कमाल का प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश में सपा, बसपा और आरएलडी की जातिवादी महागठबंधन को भाजपा ने फेल कर दिया। भाजपा ने राज्य में 49.5 प्रतिशत मतों पर कब्जा करते हुए 62 सीटों पर जीत हासिल कर ली, जबकि सपा को 18.3 प्रतिशत मत के साथ 5 सीटें और 19.3 प्रतिशत के साथ बसपा को 10 सीटें मिली। कांग्रेस को मात्र 6.8 प्रतिशत मत के साथ रायबरेली की सीट ही मिल सकी। इस तरह बसपा और सपा के गठबंधन को मात्र 37.6 प्रतिशत मत मिले जो भाजपा से 12 प्रतिशत कम रहे।
अवलोकन करें:-
साध्वी को जबरदस्ती आतंकवाद का आरोप स्वीकार करवाने के लिए जिस तरह उन्हें और अन्य बेकसूरों को प्रताड़ित किया गया था, काश ऐसी प्रताड़ना किसी मुस्लिम के साथ हुई होती, #metoo#intolerance#not in my name, #mob lynching, #award vapsi आदि आदि जितने भी गैंग हैं, सबके सब सडकों पर आकर हेमंत करकरे के विरुद्ध प्रदर्शन कर उनको ऐसा निर्दयी निर्देश करने वालो को फांसी की माँग कर रहे होते। आधी रात को अदालतें खुलवा दी जाती। परन्तु, अफ़सोस, यह प्रताड़ना किसी मुस्लिम के साथ नहीं बल्कि एक हिन्दू के साथ हुई। आतंकवादियों को खूब बिरयानी खिलाई जाती थी, और बेकसूरों को बेल्टों से पिटाई और भूखा रखा जाता था?
काश! आज हेमंत जीवित होते, बताते प्रताड़ित करवाने वालों के नाम 

हिन्दू धर्म तो मृतात्माओं का सम्मान करने को कहता है। रावण की मृत्यु के बाद भगवान श्री राम ने उन्हें बाकायदा प्रणाम किया था और लक्ष्मण समेत दूसरों को भी उन्हें प्रणाम करने को कहा था, क्योंकि हिन्दू धर्म मृतकों का इसी तरह सम्मान करना सिखाता है। उसके बावजूद एक साध्वी एक मृतक को कलंकित कर रही है, क्यों? बल्कि चुनाव उपरान्त साध्वी प्रज्ञा को हेमंत करकरे की फाइल खुलवाने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों को मजबूर करना चाहिए। करकरे एक अफसर थे और उन्हें आदेशों को पालन करना था, जिस कारण वह बलि का बकरा बन गए और उनको आदेश देने वाले मालपुए खा रहे हैं। काश! आज हेमंत करकरे जीवित होते। राजनीति में भूचाल नहीं बवंडर आ गया होता, जब "हिन्दू आतंकवाद" और "भगवा आतंकवाद" के नाम पर बेकसूरों को प्रताड़ित करवाने वालों के नाम बोलते। वोट बैंक की राजनीति में देश की संस्कृति से खिलवाड़ किया गया और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी छूट गए।



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लोकसभा चुनाव 2019 में सबसे ज्यादा चर्चा जिस सीट की रही, वह थी यूपी की अमेठी। यहां से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उम्मीदवार थे, उनके खिलाफ थीं केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति इरानी।  राहुल अपना चुनाव यहां से हार गए । इस तरह से संजय गांधी के बाद राहुल दूसरे ऐसे ‘गांधी’ बने हैं, जिनको अमेठी की जनता ने 39 साल बाद नकार दिया।
भाजपा ने हिमाचल प्रदेश में इतिहास बना दिया। हिमाचल प्रदेश के चुनावी इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी पार्टी ने लगातार दो लोकसभा चुनाव में Clean Sweep किया है। 2014 में भाजपा ने 53.3 प्रतिशत मतों से चारों सीटों पर कब्जा किया था तो इस बार के चुनाव में भी 69 प्रतिशत मतों से चारों सीटों पर कब्जा किया।

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