आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
पश्चिम बंगाल में जारी सियासी हिंसा को लेकर अब बीजेपी की सहयोगी जेडीयू भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ दंगल में कूद पड़ी है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि बंगाल से बिहारियों को भगाया जा रहा है। पार्टी ने एक विवादित टिप्पणी ये भी कर दी है कि बंगाल को मिनी-पाकिस्तान बनाया जा रहा है। क्योकि जिस तरह बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कार्यकाल में दमन किया जा रहा है, देश के लिए चिन्ता की बता है। जिसे देख सन्देह होता है कि क्या पश्चिम बंगाल दूसरा पाकिस्तान बनने की राह पर है? ये सवाल इसलिए मौजू है, क्योंकि बीते कई सालों से बंगाल की राजनीति यही संकेत दे रही है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार इस तरीके के काम कर रही है, जो उनकी हिन्दू विरोधी मानसिकता को ही उजागर कर रही है। आखिर कब तक हिन्दुओं का दमन होता रहेगा और समस्त छद्दम समाजवादी और धर्म-निरपेक्ष मुँह में दही जमाये बैठे रहेंगे। क्या हिन्दू इनको वोट नहीं देता? क्या हिन्दू का खून खून नहीं? क्या हिन्दू प्रताड़ित होकर भी इनको वोट देता रहेगा?
नेता कब छद्दमवाद का नकाब उतारेंगे?
आखिर कब हमारे नेता अपने चेहरे से छद्दमवाद का नकाब उतार वास्तविकता को स्वीकारेंगे? नेताओं को तुष्टिकरण त्याग वास्तविक समाजवाद और धर्म-निरपेक्षता को धरती पर लाना होगा। बहुत हो गयी हिन्दू-मुस्लिम, जात-पात की राजनीती। ये छद्दमवाद और तुष्टिकरण इनको कुछ समय के लिए कुर्सी तो दिला सकती है, लेकिन स्थायी रूप से नहीं। जहाँ तक हिन्दुओं के साम्प्रदायिक होने की बात है, साम्प्रदायिक तो हमारे कानून और नीतियाँ है।
आरक्षण के नाम पर भेदभाव
एक तरफ नेता समाजवाद और एकजुटता की बात करते हैं, तो दूसरी तरफ आरक्षण के नाम पर भेदभाव। जब संविधान सबको बराबरी का अधिकार दे रहा है, फिर यह निर्वाचन क्षेत्र मुस्लिम के लिए और ये क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए, क्या है ये तमाशा? क्या इस तरह देश की जनता भ्रमित नहीं किया जा रहा? फिर जब ये कानून बनाया फिर मुस्लिम एवं अनुसूचित जाति को असुरक्षित क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए क्यों टिकट दिए जाते हैं, यह बात केवल चुनावों तक ही सीमित नहीं है, नौकरियों में भी यही हाल है। क्या यह दोगली नीति नहीं? जब डॉ भीम राव आंबेडकर ने आरक्षण के लिए केवल 10 वर्ष माँगे थे, परन्तु इसका दुरूपयोग होता देख, इसे समाप्त करने के लिए भी कहा था, जो नहीं मानी क्योकि आरक्षण समाप्त होने पर नेता अपनी राजनितिक न रोटियाँ सेक पातीं और और न ही किसी को मालपुए खाने को मिलते। देश में साम्प्रदायिक की असली जड़ तुष्टिकरण और आरक्षण है।इस मुद्दे पर समस्त पार्टियों को एक साथ बैठ कर गम्भीरता से मन्थन करना होगा। ताकि हमारा संविधान उस सम्मान को प्राप्त करे, जिसका वह अधिकारी है।
जेडीयू ने बहुत देर से अपनी आंखें खोली
जेडीयू ने बहुत देर से अपनी आंखें खोली हैं। इस काम का श्रीगणेश तो पहली बार मुख्यमंत्री बनते ही हो गया था, लेकिन उस समय सभी तुष्टिकरण के पुजारी बने रहे। कितनी बार 24-परगना में हिन्दुओं पर हमले और देवी-देवताओं की मूर्तियाँ खंडित की जा चुकी हैं। लेकिन कोई नहीं बोला। उस समय मीडिया भी हिन्दुओं पर हो हमलों के विरुद्ध बोलने का साहस नहीं कर रही थी।
जिस प्रकार से ममता बनर्जी अपनी राजनीति कर रही हैं, उससे एक बात तो स्पष्ट दिखाई देती है कि वह केवल मुस्लिमों को ही लुभाने में लगी हैं और वो हिंदुओं के धार्मिक कार्यक्रमों और परंपराओं को भी निशाना बना रही हैं।
जिस प्रकार से ममता बनर्जी अपनी राजनीति कर रही हैं, उससे एक बात तो स्पष्ट दिखाई देती है कि वह केवल मुस्लिमों को ही लुभाने में लगी हैं और वो हिंदुओं के धार्मिक कार्यक्रमों और परंपराओं को भी निशाना बना रही हैं।
बंगाल को मिनी-पाकिस्तान बना रही हैं ममता- जेडीयू
खबरों के मुताबिक जेडीयू की ओर से पश्चिम बंगाल की सियासी हालात को लेकर एक बेहद विवादित टिप्पणी की गई है। पार्टी के प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा है कि 'ममता बनर्जी बंगाल को मिनी-पाकिस्तान बना रही हैं।' उन्होंने दावा किया है कि राज्य से बिहार के लोगों को भगाया जा रहा है और वहां लगातार हत्याएं हो रही हैं। जेडीयू ने तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और ममता बनर्जी से गुजारिश की है कि वो पश्चिम बंगाल को मिनी-पाकिस्तान बनने से रोकें।
प. बंगाल में कुछ दिन पहले दंगे हुए जिनमे हिन्दुओं के घरों एवं मंदिरों पर देसी बमों से हमला किया गया | सेक्युलर जमात के नेताओं और मीडिया एजेंसियों ने तो हमेशा की तरह इस मामले पर अपने आँख, कान और मुँह बंद कर लिए क्योंकि हिंदुओं पर होने वाले अत्याचार का विरोध करना इस जमात के उसूलों के खिलाफ है | जी न्यूज़ ने इस मुद्दे पर रिपोर्ट बनायी तथा देश की जनता को प. बंगाल में हो रही हिंदुओं की दुर्दशा के बारे में बताया | भाजपा ने भी इस मुद्दे पर प. बंगाल सरकार को घेरने की कोशिश की तथा दोषियों को सजा देने के लिए दवाब बनाने की कोशिश की | हालाँकि ममता बेनर्जी अपनी वोट बैंक की राजनीति के कारण कभी भी इन दंगाइयों पर कोई कार्यवाही नहीं करने वाली | लेकिन इस बार ममता बेनर्जी ने लोकतंत्र की हत्या करते हुए जी न्यूज़ के पत्रकारों पर ही गैर-जमानती धाराओं के तहत केस कर दिया | इस काम से एक तरफ तो ममता बेनर्जी ने दंगाइयों को संरक्षण दिया वहीँ दूसरी ओर सच को सामने लाने वाली रिपोर्ट को दबाने के लिए जी न्यूज के पत्रकारों पर दवाब डालने की कोशिश की |
यह एक बड़ा सत्य है कि प. बंगाल की वर्तमान सरकार स्पष्ट बहुमत होने की वजह से आराम के साथ अपना कार्यकाल पूरा करेगी | लोकल पुलिस यदि चाहे तो भी राज्य सरकार के मर्जी के बिना ऐसे मामलों में दोषियों पर कोई कार्रवाही नहीं कर सकती | फिर ऐसे में क्या कदम उठाये जा सकते हैं जिस से कि हिंदुओं पर होने वाले इस अत्याचार को रोक जा सके ? क्या अब प. बंगाल के ऐसे कुछ क्षेत्रों में शांति एवं कानून बनाये रखने के लिए सेना की सहायता लेना ही एक मात्र विकल्प बचा है ? क्या अब जम्मू कश्मीर एवं उत्तर-पूर्व के कुछ राज्यों की तरह प. बंगाल में भी ऐसे सभी संवेदनशील क्षेत्रों में AFSPA लगाना ही एक तरीका रह गया है?
बंगाल में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों की न किसी अरविन्द केजरीवाल, न राहुल, न अखिलेश और न ही किसी तेजस्वी को चिन्ता नहीं, वोट हिन्दू का भी चाहिए। इतना ही इन अत्याचारों पर कोई #metoo, #not in my name, #awardvapsi, #moblynching, #intolerance आदि किसी गैंग को होश नहीं और न ही जरुरत, क्योकि अत्याचार हो रहे थे/हैं हिन्दुओं पर।
ममता 'बाहरी' लोगों पर लगाती हैं हिंसा का इल्जाम
ममता बनर्जी सार्वजनिक तौर पर कह चुकी हैं कि बीजेपी बिहार जैसे राज्यों से लोगों को बुलाकर वहां अशांति फैलाने की कोशिश कर रही है। उनका दावा है कि राज्य में जो लोग 'जय श्रीराम' की नारेबाजी करते हैं, वो बाहर से आकर राज्य में तनाव पैदा करना चाहते हैं। उन्होंने ऐसे लोगों को सार्वजनिक तौर पर देख लेने तक की धमकी दी हुई है। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के बाद राजनीतिक हिंसा में भारी बढ़ोतरी हो गई है। हालात ऐसे बने हैं कि केंद्र ने राज्य को कानून-व्यवस्था को लेकर एडवाइजरी भी दी है और वहां के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को अपनी रिपोर्ट भी सौंपी है।
जेडीयू का ये बयान ऐसे समय मे आया है, जब ममता बनर्जी, नीतीश कुमार को बिहार के बाहर जेडीयू के अकेले चुनाव लड़ने को लेकर बधाई दे चुकी हैं। जून 10 को उन्होंने ट्वीट करके नीतीश से कहा था, "मैंने नीतीश जी का बिहार के बाहर एनडीए के साथ गठबंधन नहीं करने का बयान देखा है। मैं उन्हें बधाई देना चाहती हूं। उन्हें धन्यवाद देती हूं।"
टि्वटर और फेसबुक पर अपनी डिस्पले पिक्चर भी बदले
भारतीय जनता पार्टी (BJP) कार्यकर्ताओं के ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने पर भड़कीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके तृणमूल कांग्रेस के प्रमुख नेताओं ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे टि्वटर और फेसबुक पर अपनी डिस्पले पिक्चर (डीपी) रविवार रात को बदल दी. ममता समेत तृणमूल के अन्य नेताओं की डीपी में अब ‘जय हिंद, जंय बांग्ला’ नजर आ रहा है. इससे पहले दिन में, एक विस्तृत फेसबुक पोस्ट में बनर्जी ने भाजपा पर धर्म को राजनीति के साथ मिलाने का आरोप लगाया और लोगों से किसी भी तरह की अराजकता और अशांति को रोकने का आग्रह किया. इस बीच तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा पीएम नरेंद्र मोदी को ‘जय हिंद जय बांग्ला’ लिखा पोस्टकार्ड भेजने की भी खबरें आई हैं. भाजपा समर्थकों द्वारा ममता बनर्जी को ‘जयश्री राम’ लिखा पोस्टकार्ड भेजे जाने के जवाब में तृणमूल कार्यकर्ता पीएम मोदी को पोस्टकार्ड भेज रहे हैं.
महात्मा गांधी, क्रांतिकारी नेता नेताजी सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, मातंगिनी हाजरा, नोबेल पुरस्कार विजेता कवि रवींद्रनाथ टैगोर, और कवि काजी नजरूल इस्लाम की तस्वीरों के साथ तृणमूल के आधिकारिक टि्वटर और फेसबुक अकाउंट की डीपी भी बदलकर ‘जय हिंद, जय बांग्ला’ कर दी गई. 19वीं सदी के बंगाल के पुनर्जागरण के अगुआ जैसे कि ईश्वर चंद्र विद्यासागर, राजा राम मोहन राय, धार्मिक और सामाजिक विचारक स्वामी विवेकानंद और भारतीय संविधान के जनक बी. आर. अम्बेडकर भी डीपी का हिस्सा हैं.
हिन्दुओं की परंपरा ममता को क्यों लगती है गुंडागर्दी!
रामनवमी में हिंदुओं द्वारा शस्त्र जुलूस निकालने की परंपरा सदियों से चली आ रही है, लेकिन ममता बनर्जी ने सवाल खड़ा करते हुए कहा, “क्या भगवान राम ने किसी से हथियारों और तलवार के साथ रैली करने को कहा था? ममता बनर्जी से क्या ये नहीं पूछा जाना चाहिए कि मोहर्रम के दौरान जब मुस्लिम समुदाय खुलेआम हथियारों का प्रदर्शन करते हैं तो क्या उन्हें मोहम्मद साहब ने कहा था कि हथियारों का प्रदर्शन करे?
ममता राज में समरसता का पर्व रामनवमी भी टीएमसी की सांप्रदायिक राजनीति का शिकार हो गई। गाड़ियों में भरकर आए मुस्लिमों ने तांडव किया और रानीगंज में हिंदुओं की कई दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया। आसनसोल में तो मस्जिद से राम नवमी यात्रा पर हमला कर दिया गया, जैसे ही मस्जिद के पास से राम नवमी की यात्रा निकली, नारे बाजी करते हुए मस्जिद से यात्रा पर हमला कर दिया गया, देसी बम भी फेंके गए, मस्जिद से हमले के लिए पहले से ही तैयारी की गयी थी, इस हमले में बंगाल पुलिस के एक पुलिस अफसर का हाथ भी उड़ गया, उनके हाथ पास मस्जिद से फेंका गया बम गिरा।
रामनवमी में ममता राज में हिंदुओं पर जुल्म
बीते कई सालों से पश्चिम बंगाल में हिंदुओं को दोयम दर्जा का मान लिया गया है। दरअसल ऐसा पहली बार नहीं है जब ममता बनर्जी ने रामनवमी को लेकर जहर उगला है। पिछले साल भी कोर्ट के आदेश से रामनवमी की पूजा हो सकी थी, वरना ममता बनर्जी ने तो इस पर बैन ही लगा दिय़ा था।
इस्लामिक स्टडीज से एमए हैं ममता बनर्जी
ममता बैनर्जी के पास कई अकेडमिक डिग्री हैं। वे हिस्ट्री से ग्रेजएुट हैं। उन्होंने एलएलबी के साथ इस्लामिक स्टडीज में एमए किया हुआ है। अब सवाल यह उठता है कि ममता बनर्जी जो कि मूल रूप से खुद को बंगाली ब्राह्मण परिवार की बताती हैं, उन्होंने इस्लामिक स्टडीज से एम ए क्यों किया है? हालांकि ये उनका विशेषाधिकार है कि वह क्या पहने, क्या पढ़ें या क्या खाएं, लेकिन ममता बनर्जी की हरकतें हिंदुओं के मन में कुछ संशय जरूर पैदा कर रहा है।
ममता के धर्म परिवर्तन की खबरों का खंडन नहीं
व्हाट्सएप और सोशल साइट पर आजकल एक मैसेज वायरल हो रहा है। लिखा है- ‘क्या ममता बनर्जी का असली नाम मुमताज मासामा खातून है। क्या वो मुस्लिम हैं और क्या वे जानबूझकर हिंदुओं के विरूद्ध काम कर रही हैं? दरअसल उनका हिंदी से बेहतर उर्दू बोलना, हिंदुओं के विरूद्ध किए गए कई कार्य, माथे पर कभी बिंदी नहीं लगाने… जैसी कई बातें हैं जो ये बताती हैं कि वह इस्लाम के अधिक करीब हैं। खबरें तो ये हैं कि उन्होंने 1976 में ही अपना धर्म परिवर्तन कर लिया है और उन्होंने कभी इस बात का जोरदार तरीके से खंडन भी नहीं किया है।
मुस्लिम मौलानाओं को दिया सरकारी अनुदान
ममता सरकार 2013 से पहले 30 हजार मुस्लिम इमामों और 15 हजार मुअज्जिनों को क्रमश: 2500 और 1500 रुपये का स्टाइपेंड यानी जीविका भत्ता देती थी। वहीं हिंदू पुरोहितों ने जब ये स्टाइपेंड मांगा तो उन्होंने साफ मना कर दिया। हालांकि हाईकोर्ट ने इसे फिजूलखर्जी करार देते हुए इस फैसले पर रोक लगा दी है।
पश्चिम बंगाल के 8000 गांवों में एक भी हिन्दू नहीं
पश्चिम बंगाल के 38,000 गांवों में 8000 गांव ऐसे हैं जहां एक भी हिन्दू नहीं रहता। या तो उन्हें वहां से भगा दिया गया है या फिर उनका धर्म परिवर्तन करवा दिया गया है। बंगाल के तीन जिले जहां पर मुस्लिमों की जनसंख्या बहुमत में हैं, वे जिले हैं मुर्शिदाबाद जहां 47 लाख मुस्लिम और 23 लाख हिन्दू, मालदा 20 लाख मुस्लिम और 19 लाख हिन्दू, और उत्तरी दिनाजपुर 15 लाख मुस्लिम और 14 लाख हिन्दू। दरअसल बंगलादेश से आए घुसपैठिए प्रदेश के सीमावर्ती जिलों के मुसलमानों से हाथ मिलाकर गांवों से हिन्दुओं को भगा रहे हैं और हिन्दू डर के मारे अपना घर-बार छोड़कर शहरों में आकर बस रहे हैं।
अवलोकन करें:-
बंगाल में लगातार बढ़ती जा रही मुस्लिम आबादी
पश्चिम बंगाल में 1951 की जनसंख्या के हिसाब से 2011 में हिंदुओं की जनसंख्या में भारी कमी आई है। 2011 की जनगणना ने खतरनाक जनसंख्यिकीय तथ्यों को उजागर किया है। जब अखिल स्तर पर भारत की हिन्दू आबादी 0.7 प्रतिशत कम हुई है तो वहीं सिर्फ बंगाल में ही हिन्दुओं की आबादी में 1.94 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जो कि बहुत ज्यादा है। राष्ट्रीय स्तर पर मुसलमानों की आबादी में 0.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि सिर्फ बंगाल में मुसलमानों की आबादी 1.77 प्रतिशत की दर से बढ़ी है, जो राष्ट्रीय स्तर से भी कहीं दुगनी दर से बढ़ी है।
पश्चिम बंगाल में जारी सियासी हिंसा को लेकर अब बीजेपी की सहयोगी जेडीयू भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ दंगल में कूद पड़ी है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि बंगाल से बिहारियों को भगाया जा रहा है। पार्टी ने एक विवादित टिप्पणी ये भी कर दी है कि बंगाल को मिनी-पाकिस्तान बनाया जा रहा है। क्योकि जिस तरह बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कार्यकाल में दमन किया जा रहा है, देश के लिए चिन्ता की बता है। जिसे देख सन्देह होता है कि क्या पश्चिम बंगाल दूसरा पाकिस्तान बनने की राह पर है? ये सवाल इसलिए मौजू है, क्योंकि बीते कई सालों से बंगाल की राजनीति यही संकेत दे रही है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार इस तरीके के काम कर रही है, जो उनकी हिन्दू विरोधी मानसिकता को ही उजागर कर रही है। आखिर कब तक हिन्दुओं का दमन होता रहेगा और समस्त छद्दम समाजवादी और धर्म-निरपेक्ष मुँह में दही जमाये बैठे रहेंगे। क्या हिन्दू इनको वोट नहीं देता? क्या हिन्दू का खून खून नहीं? क्या हिन्दू प्रताड़ित होकर भी इनको वोट देता रहेगा?
नेता कब छद्दमवाद का नकाब उतारेंगे?
आखिर कब हमारे नेता अपने चेहरे से छद्दमवाद का नकाब उतार वास्तविकता को स्वीकारेंगे? नेताओं को तुष्टिकरण त्याग वास्तविक समाजवाद और धर्म-निरपेक्षता को धरती पर लाना होगा। बहुत हो गयी हिन्दू-मुस्लिम, जात-पात की राजनीती। ये छद्दमवाद और तुष्टिकरण इनको कुछ समय के लिए कुर्सी तो दिला सकती है, लेकिन स्थायी रूप से नहीं। जहाँ तक हिन्दुओं के साम्प्रदायिक होने की बात है, साम्प्रदायिक तो हमारे कानून और नीतियाँ है।
आरक्षण के नाम पर भेदभाव
एक तरफ नेता समाजवाद और एकजुटता की बात करते हैं, तो दूसरी तरफ आरक्षण के नाम पर भेदभाव। जब संविधान सबको बराबरी का अधिकार दे रहा है, फिर यह निर्वाचन क्षेत्र मुस्लिम के लिए और ये क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए, क्या है ये तमाशा? क्या इस तरह देश की जनता भ्रमित नहीं किया जा रहा? फिर जब ये कानून बनाया फिर मुस्लिम एवं अनुसूचित जाति को असुरक्षित क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए क्यों टिकट दिए जाते हैं, यह बात केवल चुनावों तक ही सीमित नहीं है, नौकरियों में भी यही हाल है। क्या यह दोगली नीति नहीं? जब डॉ भीम राव आंबेडकर ने आरक्षण के लिए केवल 10 वर्ष माँगे थे, परन्तु इसका दुरूपयोग होता देख, इसे समाप्त करने के लिए भी कहा था, जो नहीं मानी क्योकि आरक्षण समाप्त होने पर नेता अपनी राजनितिक न रोटियाँ सेक पातीं और और न ही किसी को मालपुए खाने को मिलते। देश में साम्प्रदायिक की असली जड़ तुष्टिकरण और आरक्षण है।इस मुद्दे पर समस्त पार्टियों को एक साथ बैठ कर गम्भीरता से मन्थन करना होगा। ताकि हमारा संविधान उस सम्मान को प्राप्त करे, जिसका वह अधिकारी है।
जेडीयू ने बहुत देर से अपनी आंखें खोली
जेडीयू ने बहुत देर से अपनी आंखें खोली हैं। इस काम का श्रीगणेश तो पहली बार मुख्यमंत्री बनते ही हो गया था, लेकिन उस समय सभी तुष्टिकरण के पुजारी बने रहे। कितनी बार 24-परगना में हिन्दुओं पर हमले और देवी-देवताओं की मूर्तियाँ खंडित की जा चुकी हैं। लेकिन कोई नहीं बोला। उस समय मीडिया भी हिन्दुओं पर हो हमलों के विरुद्ध बोलने का साहस नहीं कर रही थी।
जिस प्रकार से ममता बनर्जी अपनी राजनीति कर रही हैं, उससे एक बात तो स्पष्ट दिखाई देती है कि वह केवल मुस्लिमों को ही लुभाने में लगी हैं और वो हिंदुओं के धार्मिक कार्यक्रमों और परंपराओं को भी निशाना बना रही हैं।
जिस प्रकार से ममता बनर्जी अपनी राजनीति कर रही हैं, उससे एक बात तो स्पष्ट दिखाई देती है कि वह केवल मुस्लिमों को ही लुभाने में लगी हैं और वो हिंदुओं के धार्मिक कार्यक्रमों और परंपराओं को भी निशाना बना रही हैं।
बंगाल को मिनी-पाकिस्तान बना रही हैं ममता- जेडीयू
खबरों के मुताबिक जेडीयू की ओर से पश्चिम बंगाल की सियासी हालात को लेकर एक बेहद विवादित टिप्पणी की गई है। पार्टी के प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा है कि 'ममता बनर्जी बंगाल को मिनी-पाकिस्तान बना रही हैं।' उन्होंने दावा किया है कि राज्य से बिहार के लोगों को भगाया जा रहा है और वहां लगातार हत्याएं हो रही हैं। जेडीयू ने तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और ममता बनर्जी से गुजारिश की है कि वो पश्चिम बंगाल को मिनी-पाकिस्तान बनने से रोकें।
प. बंगाल में कुछ दिन पहले दंगे हुए जिनमे हिन्दुओं के घरों एवं मंदिरों पर देसी बमों से हमला किया गया | सेक्युलर जमात के नेताओं और मीडिया एजेंसियों ने तो हमेशा की तरह इस मामले पर अपने आँख, कान और मुँह बंद कर लिए क्योंकि हिंदुओं पर होने वाले अत्याचार का विरोध करना इस जमात के उसूलों के खिलाफ है | जी न्यूज़ ने इस मुद्दे पर रिपोर्ट बनायी तथा देश की जनता को प. बंगाल में हो रही हिंदुओं की दुर्दशा के बारे में बताया | भाजपा ने भी इस मुद्दे पर प. बंगाल सरकार को घेरने की कोशिश की तथा दोषियों को सजा देने के लिए दवाब बनाने की कोशिश की | हालाँकि ममता बेनर्जी अपनी वोट बैंक की राजनीति के कारण कभी भी इन दंगाइयों पर कोई कार्यवाही नहीं करने वाली | लेकिन इस बार ममता बेनर्जी ने लोकतंत्र की हत्या करते हुए जी न्यूज़ के पत्रकारों पर ही गैर-जमानती धाराओं के तहत केस कर दिया | इस काम से एक तरफ तो ममता बेनर्जी ने दंगाइयों को संरक्षण दिया वहीँ दूसरी ओर सच को सामने लाने वाली रिपोर्ट को दबाने के लिए जी न्यूज के पत्रकारों पर दवाब डालने की कोशिश की |

बंगाल में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों की न किसी अरविन्द केजरीवाल, न राहुल, न अखिलेश और न ही किसी तेजस्वी को चिन्ता नहीं, वोट हिन्दू का भी चाहिए। इतना ही इन अत्याचारों पर कोई #metoo, #not in my name, #awardvapsi, #moblynching, #intolerance आदि किसी गैंग को होश नहीं और न ही जरुरत, क्योकि अत्याचार हो रहे थे/हैं हिन्दुओं पर।
ममता 'बाहरी' लोगों पर लगाती हैं हिंसा का इल्जाम
ममता बनर्जी सार्वजनिक तौर पर कह चुकी हैं कि बीजेपी बिहार जैसे राज्यों से लोगों को बुलाकर वहां अशांति फैलाने की कोशिश कर रही है। उनका दावा है कि राज्य में जो लोग 'जय श्रीराम' की नारेबाजी करते हैं, वो बाहर से आकर राज्य में तनाव पैदा करना चाहते हैं। उन्होंने ऐसे लोगों को सार्वजनिक तौर पर देख लेने तक की धमकी दी हुई है। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के बाद राजनीतिक हिंसा में भारी बढ़ोतरी हो गई है। हालात ऐसे बने हैं कि केंद्र ने राज्य को कानून-व्यवस्था को लेकर एडवाइजरी भी दी है और वहां के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को अपनी रिपोर्ट भी सौंपी है।
जेडीयू का ये बयान ऐसे समय मे आया है, जब ममता बनर्जी, नीतीश कुमार को बिहार के बाहर जेडीयू के अकेले चुनाव लड़ने को लेकर बधाई दे चुकी हैं। जून 10 को उन्होंने ट्वीट करके नीतीश से कहा था, "मैंने नीतीश जी का बिहार के बाहर एनडीए के साथ गठबंधन नहीं करने का बयान देखा है। मैं उन्हें बधाई देना चाहती हूं। उन्हें धन्यवाद देती हूं।"
The Goons from Minority community came, slaughtered and was given a safe haven to escape.. The entire nation needs to know how dirty a politics of Appeasement Mamta Govt is playing in Bengal. @BJP4India @narendramodi @AmitShah @BJP4Bengal @KailashOnline @DilipGhoshBJP pic.twitter.com/feUTwQg4rG

भारतीय जनता पार्टी (BJP) कार्यकर्ताओं के ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने पर भड़कीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके तृणमूल कांग्रेस के प्रमुख नेताओं ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे टि्वटर और फेसबुक पर अपनी डिस्पले पिक्चर (डीपी) रविवार रात को बदल दी. ममता समेत तृणमूल के अन्य नेताओं की डीपी में अब ‘जय हिंद, जंय बांग्ला’ नजर आ रहा है. इससे पहले दिन में, एक विस्तृत फेसबुक पोस्ट में बनर्जी ने भाजपा पर धर्म को राजनीति के साथ मिलाने का आरोप लगाया और लोगों से किसी भी तरह की अराजकता और अशांति को रोकने का आग्रह किया. इस बीच तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा पीएम नरेंद्र मोदी को ‘जय हिंद जय बांग्ला’ लिखा पोस्टकार्ड भेजने की भी खबरें आई हैं. भाजपा समर्थकों द्वारा ममता बनर्जी को ‘जयश्री राम’ लिखा पोस्टकार्ड भेजे जाने के जवाब में तृणमूल कार्यकर्ता पीएम मोदी को पोस्टकार्ड भेज रहे हैं.
महात्मा गांधी, क्रांतिकारी नेता नेताजी सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, मातंगिनी हाजरा, नोबेल पुरस्कार विजेता कवि रवींद्रनाथ टैगोर, और कवि काजी नजरूल इस्लाम की तस्वीरों के साथ तृणमूल के आधिकारिक टि्वटर और फेसबुक अकाउंट की डीपी भी बदलकर ‘जय हिंद, जय बांग्ला’ कर दी गई. 19वीं सदी के बंगाल के पुनर्जागरण के अगुआ जैसे कि ईश्वर चंद्र विद्यासागर, राजा राम मोहन राय, धार्मिक और सामाजिक विचारक स्वामी विवेकानंद और भारतीय संविधान के जनक बी. आर. अम्बेडकर भी डीपी का हिस्सा हैं.

रामनवमी में हिंदुओं द्वारा शस्त्र जुलूस निकालने की परंपरा सदियों से चली आ रही है, लेकिन ममता बनर्जी ने सवाल खड़ा करते हुए कहा, “क्या भगवान राम ने किसी से हथियारों और तलवार के साथ रैली करने को कहा था? ममता बनर्जी से क्या ये नहीं पूछा जाना चाहिए कि मोहर्रम के दौरान जब मुस्लिम समुदाय खुलेआम हथियारों का प्रदर्शन करते हैं तो क्या उन्हें मोहम्मद साहब ने कहा था कि हथियारों का प्रदर्शन करे?
ममता राज में समरसता का पर्व रामनवमी भी टीएमसी की सांप्रदायिक राजनीति का शिकार हो गई। गाड़ियों में भरकर आए मुस्लिमों ने तांडव किया और रानीगंज में हिंदुओं की कई दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया। आसनसोल में तो मस्जिद से राम नवमी यात्रा पर हमला कर दिया गया, जैसे ही मस्जिद के पास से राम नवमी की यात्रा निकली, नारे बाजी करते हुए मस्जिद से यात्रा पर हमला कर दिया गया, देसी बम भी फेंके गए, मस्जिद से हमले के लिए पहले से ही तैयारी की गयी थी, इस हमले में बंगाल पुलिस के एक पुलिस अफसर का हाथ भी उड़ गया, उनके हाथ पास मस्जिद से फेंका गया बम गिरा।
रामनवमी में ममता राज में हिंदुओं पर जुल्म
बीते कई सालों से पश्चिम बंगाल में हिंदुओं को दोयम दर्जा का मान लिया गया है। दरअसल ऐसा पहली बार नहीं है जब ममता बनर्जी ने रामनवमी को लेकर जहर उगला है। पिछले साल भी कोर्ट के आदेश से रामनवमी की पूजा हो सकी थी, वरना ममता बनर्जी ने तो इस पर बैन ही लगा दिय़ा था।

ममता बैनर्जी के पास कई अकेडमिक डिग्री हैं। वे हिस्ट्री से ग्रेजएुट हैं। उन्होंने एलएलबी के साथ इस्लामिक स्टडीज में एमए किया हुआ है। अब सवाल यह उठता है कि ममता बनर्जी जो कि मूल रूप से खुद को बंगाली ब्राह्मण परिवार की बताती हैं, उन्होंने इस्लामिक स्टडीज से एम ए क्यों किया है? हालांकि ये उनका विशेषाधिकार है कि वह क्या पहने, क्या पढ़ें या क्या खाएं, लेकिन ममता बनर्जी की हरकतें हिंदुओं के मन में कुछ संशय जरूर पैदा कर रहा है।
ममता के धर्म परिवर्तन की खबरों का खंडन नहीं
व्हाट्सएप और सोशल साइट पर आजकल एक मैसेज वायरल हो रहा है। लिखा है- ‘क्या ममता बनर्जी का असली नाम मुमताज मासामा खातून है। क्या वो मुस्लिम हैं और क्या वे जानबूझकर हिंदुओं के विरूद्ध काम कर रही हैं? दरअसल उनका हिंदी से बेहतर उर्दू बोलना, हिंदुओं के विरूद्ध किए गए कई कार्य, माथे पर कभी बिंदी नहीं लगाने… जैसी कई बातें हैं जो ये बताती हैं कि वह इस्लाम के अधिक करीब हैं। खबरें तो ये हैं कि उन्होंने 1976 में ही अपना धर्म परिवर्तन कर लिया है और उन्होंने कभी इस बात का जोरदार तरीके से खंडन भी नहीं किया है।
मुस्लिम मौलानाओं को दिया सरकारी अनुदान
ममता सरकार 2013 से पहले 30 हजार मुस्लिम इमामों और 15 हजार मुअज्जिनों को क्रमश: 2500 और 1500 रुपये का स्टाइपेंड यानी जीविका भत्ता देती थी। वहीं हिंदू पुरोहितों ने जब ये स्टाइपेंड मांगा तो उन्होंने साफ मना कर दिया। हालांकि हाईकोर्ट ने इसे फिजूलखर्जी करार देते हुए इस फैसले पर रोक लगा दी है।
पश्चिम बंगाल के 8000 गांवों में एक भी हिन्दू नहीं
पश्चिम बंगाल के 38,000 गांवों में 8000 गांव ऐसे हैं जहां एक भी हिन्दू नहीं रहता। या तो उन्हें वहां से भगा दिया गया है या फिर उनका धर्म परिवर्तन करवा दिया गया है। बंगाल के तीन जिले जहां पर मुस्लिमों की जनसंख्या बहुमत में हैं, वे जिले हैं मुर्शिदाबाद जहां 47 लाख मुस्लिम और 23 लाख हिन्दू, मालदा 20 लाख मुस्लिम और 19 लाख हिन्दू, और उत्तरी दिनाजपुर 15 लाख मुस्लिम और 14 लाख हिन्दू। दरअसल बंगलादेश से आए घुसपैठिए प्रदेश के सीमावर्ती जिलों के मुसलमानों से हाथ मिलाकर गांवों से हिन्दुओं को भगा रहे हैं और हिन्दू डर के मारे अपना घर-बार छोड़कर शहरों में आकर बस रहे हैं।
अवलोकन करें:-
बंगाल में लगातार बढ़ती जा रही मुस्लिम आबादी
पश्चिम बंगाल में 1951 की जनसंख्या के हिसाब से 2011 में हिंदुओं की जनसंख्या में भारी कमी आई है। 2011 की जनगणना ने खतरनाक जनसंख्यिकीय तथ्यों को उजागर किया है। जब अखिल स्तर पर भारत की हिन्दू आबादी 0.7 प्रतिशत कम हुई है तो वहीं सिर्फ बंगाल में ही हिन्दुओं की आबादी में 1.94 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जो कि बहुत ज्यादा है। राष्ट्रीय स्तर पर मुसलमानों की आबादी में 0.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि सिर्फ बंगाल में मुसलमानों की आबादी 1.77 प्रतिशत की दर से बढ़ी है, जो राष्ट्रीय स्तर से भी कहीं दुगनी दर से बढ़ी है।
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