आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
प्रेम की मशाल को लैला-मजनूं, हीर-रांझा से लेकर शीरी-फरहाद ने जलाए रखा। आज भी उस मशाल की रोशनी गवाही दे रही है कि, प्रेम अभी जवान है। ऐसे में स्मरण होता है, फिल्म 'कटी पतंग' का चर्चित गीत "प्यार दीवाना होता है, मस्ताना होता है..." प्यार हर किसी को कभी न कभी अपने आगोश में ले ही लेता है। प्रेम एक जज्बा होता है, कई परिस्थितियों में प्यार त्याग भी मांग बैठता है। शादी का स्वाद सभी चख लेते हैं, लेकिन प्यार का स्वाद शायद के नसीब में नहीं होता। सच्चा प्यार सामने वाले/वाली की भावनाओं से खिलवाड़ नहीं करता। और जो ऐसा करते/करती हैं, उसे प्यार नहीं हवस का नाम दिया जाता है। खैर, प्रेम से राजनेता भी इससे अछूते नहीं हैं।
राजनेताओं के प्रेम-संबंध कई बार उनकी राजनीति को भी प्रभावित करते हैं और कई बार प्रेम भी राजनीति बन जाता है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ नेताओं की महशूर प्रेम कहनियां बताने जा रहे है जो काफी चर्चा का विषय रही।
नेहरु-एडविना के रोमांस
कहते हैं इश्क की कोई उम्र नहीं होती और इस प्रेम कहानी में भी कुछ ऐसा ही रहा। जब ये प्रेम कहानी शुरू हुयी उस समय जवाहरलाल नेहरू की उम्र 58 और एडविना की उम्र 47 साल थी। नेहरू की पत्नी कमला कौल का पहले ही निधन हो चुका था। जबकि जानकारों का कहना है कि एडविना नेहरू और जिन्ना एक ही कॉलेज में पढ़ते थे, तब एडविना नेहरू और जिन्ना के प्रेमजाल में बंधी थी। मॉउन्टबेटन से एडविना का विवाह अब इतिहास है।नेहरू ने खुद भी स्वीकार किया है कि वो अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं थे जिसका एक कारण ये भी हो सकता है कि जहाँ कमला एक सीधी-सादी कश्मीरी लडक़ी थीं तो नेहरू की जिन्दगी शान-ओ-शौकत में बीती थी। ऐसे में मानसिक मतभेद होना लाजमी था। कमला की मौत के बात जहाँ नेहरू अकेले थे वहीं एडविना और डिकी यानी लार्ड माउंटबेटन के बीच सिर्फ दोस्ताना सम्बन्ध ही रह गए थे। माउंटबेटन जब भारत आए तो नेहरू का इस परिवार में अच्छा खासा आना-जाना हो गया।
एडविना पंडित नेहरू की शख्सियत से अत्याधिक प्रभावित थीं। दोनों का अकसर मिलना जुलना होता था। कई बार वे बाहर साथ घूमने भी गए। माउंटबेटन जब हिंदुस्तान छोडक़र जा रहे थे तो उससे एक दिन पहले भारत सरकार ने उनके सम्मान में डिनर का आयोजन किया था। खाने के बाद जवाहर लाल नेहरू ने एडविना के सम्मान में एक भाषण दिया जो उनकी मोहब्बत की गहराई को साफ तौर पर दर्शाता है, भाषण पूरा करते वक्त नेहरू फूट फूटकर रोने लगे तो दूसरी तरफ एडविना भी रोने लगी थी। जवाहरलाल नेहरू के एडविना माउंटबेटन से संबंधों पर भारत से ज्यादा चर्चा विदेश में हुई है। इस विषय पर इंग्लैंड में एक किताब लिखी गयी तो माउंटबेटन ट्रस्ट ने उसे छापने की बाकायदा इजाजत दी। नेहरू ने जितने भी पत्र एडविना को लिखे, उन्हें उस किताब में शामिल किया गया।
एक किस्सा है कि एक बार एडविना नेहरू के साथ नैनीताल गयीं थीं। एक शाम दोनों आलिंगन में बंधे हुए थे कि तभी वहां उत्तरप्रदेश के गवर्नर होमी मोदी का बेटा रूसी मोदी पहुँच गया, उसने ये नजारा देखा। उसके बाद तो राजनीतिक गलियारों में यह आम चर्चा का विषय हो गया। वैसे, नेहरू और पद्मजा नायडू के बीच भी इश्क रहा। कहा जाता है कि पद्मजा को लेकर नेहरू और इंदिरा में टकराव भी होता था।
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के कोट में गुलाब का फूल और दिल में प्रेम सदा रहता था. यह प्रेम नेहरु-एडविना के इश्क के नाम से भी जाना जाता गया.
जवाहरलाल नेहरु और लार्ड माउंटबेटन की पत्नी एडविना माउंटबेटन के संबंधों पर स्वदेश में तो दबी-ढकी पर विदेश में काफी चर्चा हुई.
इंग्लैंड में माउंटबेटन ट्रस्ट द्वारा माउंटबेटन के जीवन पर छपी किताब में भी नेहरु-एडविना के रोमांस का जिक्र है. उसमे नेहरु के वो सरे पत्र शामिल किए गए, जो उन्होंने एडविना को लिखे थे.
रंगीले राम मनोहर लोहिया
समाजवाद के पुरोधा राम मनोहर लोहिया जीवनभर कुंआरे रहें. मगर महिलाओं के मामले में कोरे कतई नहीं रहे. एक पुरुष और औरत के बीच तब तक सब कुछ स्वीकार योग्य है, जब तक कि उनके संबंधों के बीच कोई जबरदस्ती या कोई वादाखिलाफी न हो.
लिव इन रिलेशनशिप की कल्पना उस समय कोई कर भी नहीं सकता था. लोहिया ने अविवाहित रहकर भी अपना काफी समय दिल्ली विश्वविद्यालय की एक लेक्चरर रमा के साथ रहकर गुजारा. आश्चर्य की बात यह की उस दौर में भी किसी ने इस बात पर कोई ऐतराज नहीं जताया.
कई साहित्य में कुछ जगहों पर तो इस बात का भी जिक्र है कि, भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जब लोहिया गिरफ्तार किए गए. तो उस समय वे कोई आंदोलनकारी गतिविधि नहीं कर रहे थे बल्कि वे एक कम्युनिस्ट नेता की बहन के साथ एकांतवास में थे.
कांग्रेस के दिवगंत वरिष्ठ नेता वसंत साठे ने एक जगह कहा है कि, उन्होंने लोहिया को कई अन्य महिला मित्रों के साथ भी देखा था. साठे के अनुसार लोहिया स्पष्टवादी थे. उन्होंने कभी झूठ नहीं बोला. इसलिए उनके इन निजी संबंधों का उनके सार्वजनिक जीवन पर कोई असर नहीं पड़ा.
वाजपेयी का अटल प्रेम
कवि मन वाजपेयी का प्यार कई मायने में अनोखा है. वह जीवन भर कुंवारे ही रहे. लेकिन दिल तो उनके पास भी था तो किसी न किसी के लिए धड़कना लाजमी था.
पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेई के ‘परिवार’ पर दबेज़ुबान कुछ चर्चा भले ही होती रही हो लेकिन इससे उनकी लोकप्रियता पर बिल्कुल फर्क नहीं पड़ा। वाजपेई ने कॉलेज के दिनों की अपनी दोस्त राजकुमारी कौल के साथ विवाह नहीं किया लेकिन उनकी शादी के बाद उनके पति के घर रहने लगे। राजकुमारी कौल ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बीएन कौल से शादी की। प्रो. कौल भी अटल के अच्छे दोस्त थे। जब प्रो. कौल अमेरिका चले गए तो श्रीमती कौल अटल के निवास स्थान पर उनके साथ रहने आ गईं। वाजपेयी जब प्रधानमंत्री बने तो श्रीमती कौल का परिवार 7 रेस कोर्स में स्थित प्रधानमंत्री आवास में ही रहता था। उनकी दो बेटियां थीं। जिनमें से छोटी बेटी नमिता को अटल ने गोद ले लिया था। नमिता की शादी रंजन भट्टïाचार्य से हुयी। रंजन भट्टाचार्य वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में ओएसडी (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) थे।
एक पत्रिका को दिए गए साक्षात्कार में राजकुमारी कौल ने कहा, ‘मैंने और अटल बिहारी वाजपेई ने कभी इस बात की जरूरत नहीं महसूस की कि इस रिश्ते के बारे में कोई सफाई दी जाए।’ राजकुमारी कौल का कुछ दिनों पहले निधन हो गया लेकिन राष्ट्रीय मीडिया में उनकी शख्सियत के बारे में इसलिए चर्चा नहीं हुई क्योंकि उनके बारे में लोगों को कुछ पता ही नहीं था। राजकुमारी कौल की दोस्त तलत जमीर कहती हैं, ‘वो बहुत ही खूबसूरत कश्मीरी महिला थीं, बहुत ही मीठा बोलती थीं। प्रधानमंत्री निवास में सब लोग उन्हें माता जी कहा करते थे। अटलजी के खाने की सारी जिम्मेदारी उनकी थी। उनको टीवी देखने का बहुत शौक था और सभी सीरियल्स डिस्कस किया करती थीं।
उनके रिश्तों की भी चर्चा हुई पर दबी जुबान से. वाजपेयी की सबसे अच्छी दोस्त थी उनके कॉलेज के दिनों की सखी और कश्मीरी महिला राज कुमारी कौल.
गहरी मित्रता के बावजूद वाजपेयी और कौल की कहानी अधूरी रह गयी और दोनों की शादी नहीं हुई, मगर कौल की शादी के बाद वाजपेयी कौल के पति के घर जरुर रहे.
बाद में जब अटल बिहारी प्रधानमंत्री बन गए थे तो लोगों ने राजकुमारी कौल को भी प्रधानमंत्री निवास में मौजूद पाया. दोस्ती की नैतिकता को निभाते हुए उन्होंने अटलजी की बहुत सेवा की. अटल जी के खाने की पसंद उन्हें मालूम थी इसलिए रसोइया उनसे ही पूछ कर खाना बनाता था.
सोनिया और फ्रैंको की प्रेम कहानी
जब सोनिया महज 14 साल की उम्र में फ्रैंको लुइसोन से जेसोलो के समुद्र किनारे मिली थी.
कुछ साल पहले एक इटली के मैगज़ीन ‘जेंटे’, को दिए गए अपने साक्षात्कार में फ्रैंको ने अतीत का जिक्र करते हुए बताया कि, ”साठ के दशक में अंतोनिआ माइनो (सोनिया गांधी का इटालियन नाम) के साथ मेरा प्रेम प्रसंग एक आशीर्वाद था. हम हर जगह प्रेम और खुशी में थे.”
सोनिया के साथ उनका प्रेम प्रसंग चार साल तक चला. फ्रैंको ने आगे खुलासा किया कि, उनके परिवारों ने उनके रिश्ते को सहमति दी थी. सोनिया गांधी के माता-पिता खुशी से हर बार फ्रैंको का स्वागत करते थे
उमा भारती की प्रेम कहानी
हर लड़की का सपनों का एक राजकुमार होता है. अपने प्रियतम में वो उस राजकुमार की छवि ढूंढने लगती हैं.
फायर ब्रांड छवि और बेबाक बयानबाज़ी से राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने वाली साध्वी उमा भारती और संघ परिवार, भाजपा की रीति-नीति व राजनीति के लंबे समय तक शिल्पकार रहे केएन गोविंदाचार्य के दिल में भी किसी वक़्त प्रेम की लहर कुछ वैसी ही उठी थी जैसी सामान्य मनुष्य के अंदर उठती है.
फायर ब्रांड छवि और बेबाक बयानबाज़ी से राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने वाली साध्वी उमा भारती और संघ परिवार, भाजपा की रीति-नीति व राजनीति के लंबे समय तक शिल्पकार रहे केएन गोविंदाचार्य के दिल में भी किसी वक़्त प्रेम की लहर कुछ वैसी ही उठी थी जैसी सामान्य मनुष्य के अंदर उठती है.
ईमानदारी और सच्चे भाव से स्वीकार करते हुए गोविंदाचार्य ने कहा भी था कि उमा भारती के लिये मेरे दिल में एक समय प्रेम भाव था और उन्होंने उमा भारती की तस्वीर अपने दिल में बिठा रखी थी.
दूसरी तरफ अंग्रेजी पत्रिका द वीक को दिए एक इंटरव्यू में उमा भारती ने भी कहा था कि, वह पूर्व विचारक गोविंदाचार्य से प्यार करती थीं.
इस इंटरव्यू में उमा भारती ने स्वीकार किया था, ”हां, मैं उन (गोविंदाचार्य) से प्यार करती थी और उनसे शादी भी करना चाहती थी. मगर संघ के उसूल और नियम कानूनों ने उनके प्यार को सफल नहीं होने दिया और दोनों ने अपने ही हाथों अपने प्यार के एहसास को सूली पर टांग दिया.”
इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व जॉइंट डायरेक्टर एमके धर ने अपनी किताब ओपन सीक्रेट्स में लिखा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा विवाह की इजाजत न मिलने के कारण गोविंदाचार्य और उमा भारती विवाह नहीं कर पाये.
संजय गांधी और सुल्ताना की प्रेम कहानी
राजीव के छोटे भाई संजय गांधी का भी नाम कई महिलाओं से जोड़ा गया। उनमें से एक रुखसाना सुल्ताना भी थीं। रुखसाना सुल्ताना कोई बहुत बड़ी हस्ती नहीं थीं लेकिन उनको संजय गाँधी ने आगे बढ़ाया। उनकी लाइफस्टाइल था, उस जमाने में मेक अप करके, हाई हील्स पहन कर निकला करती थीं। उनका एक डॉमिनेटिंग कैरेक्टर था। कांग्रेस के लोग कहते थे कि वो संजय पर अपना हक जताती थीं और वो एक ऐसा हक था जिसे किसी रिश्ते का नाम नहीं दिया गया था। संजय का कई लड़कियों के साथ उठना बैठना था। बल्कि जब संजय की मेनका से शादी का पता चला तो कई लोगों को हैरत हुई कि ऐसा कैसे हो गया और कई लड़कियों के दिल टूट गए।
फिल्म अभिनेत्री अमृता सिंह की मां रुखसाना सुल्ताना के साथ संजय गांधी का काफी उठना-बैठना था. इमरजेंसी के आसपास के उस समय में रुखसाना सुल्ताना ‘सोशल बटरफ्लाई’ कही जाती थीं.
उनकी स्टाइल और आधुनिकता के काफी चर्चे थे. कांग्रेस के अनेक लोगों ने रुखसाना सुल्तान को संजय गांधी पर हक जताते देखा था. हालांकि यह हक किसी रिश्ते में तब्दील नहीं हो पाया.
सिर्फ रुखसाना ही नहीं बल्की कई और लड़कियों से भी संजय गांधी का मेल था. ऐसे में जब संजय और मेनका गांधी की शादी हुई तो एकाएक लोगों को इस पर सहज विश्वास ही नहीं हुआ था.
मुलायम सिंह की प्रेम कहानी से सभी थे अनजान
मुलायम सिंह यादव राजनीति के ही नहीं प्रेम के भी बड़े खिलाड़ी हैं. मुलायम सिंह ने अपने प्रेम को अपने प्रशंसकों से सालों तक छुपाये रखा.
लेकिन आय से अधिक संपत्ति मामले में जब सिंह ने कोर्ट में दिए एक हलफनामे में कहा की, उनकी दूसरी पत्नी और एक लड़का भी है तो लोग चौंक उठे.
अवलोकन करें:-
वास्तव में पहली पत्नी मालती देवी के जीवित रहते हुए ही मुलायम दूसरी स्त्री साधना गुप्ता से एक पुत्र के पिता बन गए थे. मगर दुनिया को इसका पता फरवरी 2007 में लगा.
दिग्विजय सिंह और अमृता की प्रेम कहानी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह हमेशा अपने बयानों और विरोधियों पर तीखे हमले करने की वजह से सुर्ख़ियों में रहते हैं. लेकिन सोशल मीडिया पर टीवी पत्रकार अमृता संग उनकी प्यार भरी तस्वीर ने उन्हें रोमांस की दुनिया का भी वरिष्ठ खिलाड़ी बना दिया.
दिग्विजय सिंह की पत्नी आशा सिंह की मृत्यु 2013 में कैंसर से हो गयी थी .
कहा गया है कि, भूख न जाने बासी भात, नींद न जाने टूटी खाट और प्यार न जाने ओछी जात. प्यार में न उम्र की सीमा होती है न जन्म का कोई बंधन. जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन. प्यार सिर्फ दिल को पहचानता है और जिसमें उसे सादगी, सच्चाई और वफाई नज़र आ जाए उसे अपनी आगोश में ले लेता है.
प्रेम की मशाल को लैला-मजनूं, हीर-रांझा से लेकर शीरी-फरहाद ने जलाए रखा। आज भी उस मशाल की रोशनी गवाही दे रही है कि, प्रेम अभी जवान है। ऐसे में स्मरण होता है, फिल्म 'कटी पतंग' का चर्चित गीत "प्यार दीवाना होता है, मस्ताना होता है..." प्यार हर किसी को कभी न कभी अपने आगोश में ले ही लेता है। प्रेम एक जज्बा होता है, कई परिस्थितियों में प्यार त्याग भी मांग बैठता है। शादी का स्वाद सभी चख लेते हैं, लेकिन प्यार का स्वाद शायद के नसीब में नहीं होता। सच्चा प्यार सामने वाले/वाली की भावनाओं से खिलवाड़ नहीं करता। और जो ऐसा करते/करती हैं, उसे प्यार नहीं हवस का नाम दिया जाता है। खैर, प्रेम से राजनेता भी इससे अछूते नहीं हैं।
राजनेताओं के प्रेम-संबंध कई बार उनकी राजनीति को भी प्रभावित करते हैं और कई बार प्रेम भी राजनीति बन जाता है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ नेताओं की महशूर प्रेम कहनियां बताने जा रहे है जो काफी चर्चा का विषय रही।
नेहरु-एडविना के रोमांस
कहते हैं इश्क की कोई उम्र नहीं होती और इस प्रेम कहानी में भी कुछ ऐसा ही रहा। जब ये प्रेम कहानी शुरू हुयी उस समय जवाहरलाल नेहरू की उम्र 58 और एडविना की उम्र 47 साल थी। नेहरू की पत्नी कमला कौल का पहले ही निधन हो चुका था। जबकि जानकारों का कहना है कि एडविना नेहरू और जिन्ना एक ही कॉलेज में पढ़ते थे, तब एडविना नेहरू और जिन्ना के प्रेमजाल में बंधी थी। मॉउन्टबेटन से एडविना का विवाह अब इतिहास है।नेहरू ने खुद भी स्वीकार किया है कि वो अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं थे जिसका एक कारण ये भी हो सकता है कि जहाँ कमला एक सीधी-सादी कश्मीरी लडक़ी थीं तो नेहरू की जिन्दगी शान-ओ-शौकत में बीती थी। ऐसे में मानसिक मतभेद होना लाजमी था। कमला की मौत के बात जहाँ नेहरू अकेले थे वहीं एडविना और डिकी यानी लार्ड माउंटबेटन के बीच सिर्फ दोस्ताना सम्बन्ध ही रह गए थे। माउंटबेटन जब भारत आए तो नेहरू का इस परिवार में अच्छा खासा आना-जाना हो गया।
एडविना पंडित नेहरू की शख्सियत से अत्याधिक प्रभावित थीं। दोनों का अकसर मिलना जुलना होता था। कई बार वे बाहर साथ घूमने भी गए। माउंटबेटन जब हिंदुस्तान छोडक़र जा रहे थे तो उससे एक दिन पहले भारत सरकार ने उनके सम्मान में डिनर का आयोजन किया था। खाने के बाद जवाहर लाल नेहरू ने एडविना के सम्मान में एक भाषण दिया जो उनकी मोहब्बत की गहराई को साफ तौर पर दर्शाता है, भाषण पूरा करते वक्त नेहरू फूट फूटकर रोने लगे तो दूसरी तरफ एडविना भी रोने लगी थी। जवाहरलाल नेहरू के एडविना माउंटबेटन से संबंधों पर भारत से ज्यादा चर्चा विदेश में हुई है। इस विषय पर इंग्लैंड में एक किताब लिखी गयी तो माउंटबेटन ट्रस्ट ने उसे छापने की बाकायदा इजाजत दी। नेहरू ने जितने भी पत्र एडविना को लिखे, उन्हें उस किताब में शामिल किया गया।
एक किस्सा है कि एक बार एडविना नेहरू के साथ नैनीताल गयीं थीं। एक शाम दोनों आलिंगन में बंधे हुए थे कि तभी वहां उत्तरप्रदेश के गवर्नर होमी मोदी का बेटा रूसी मोदी पहुँच गया, उसने ये नजारा देखा। उसके बाद तो राजनीतिक गलियारों में यह आम चर्चा का विषय हो गया। वैसे, नेहरू और पद्मजा नायडू के बीच भी इश्क रहा। कहा जाता है कि पद्मजा को लेकर नेहरू और इंदिरा में टकराव भी होता था।
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के कोट में गुलाब का फूल और दिल में प्रेम सदा रहता था. यह प्रेम नेहरु-एडविना के इश्क के नाम से भी जाना जाता गया.
जवाहरलाल नेहरु और लार्ड माउंटबेटन की पत्नी एडविना माउंटबेटन के संबंधों पर स्वदेश में तो दबी-ढकी पर विदेश में काफी चर्चा हुई.
इंग्लैंड में माउंटबेटन ट्रस्ट द्वारा माउंटबेटन के जीवन पर छपी किताब में भी नेहरु-एडविना के रोमांस का जिक्र है. उसमे नेहरु के वो सरे पत्र शामिल किए गए, जो उन्होंने एडविना को लिखे थे.
रंगीले राम मनोहर लोहिया
समाजवाद के पुरोधा राम मनोहर लोहिया जीवनभर कुंआरे रहें. मगर महिलाओं के मामले में कोरे कतई नहीं रहे. एक पुरुष और औरत के बीच तब तक सब कुछ स्वीकार योग्य है, जब तक कि उनके संबंधों के बीच कोई जबरदस्ती या कोई वादाखिलाफी न हो.
लिव इन रिलेशनशिप की कल्पना उस समय कोई कर भी नहीं सकता था. लोहिया ने अविवाहित रहकर भी अपना काफी समय दिल्ली विश्वविद्यालय की एक लेक्चरर रमा के साथ रहकर गुजारा. आश्चर्य की बात यह की उस दौर में भी किसी ने इस बात पर कोई ऐतराज नहीं जताया.
कई साहित्य में कुछ जगहों पर तो इस बात का भी जिक्र है कि, भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जब लोहिया गिरफ्तार किए गए. तो उस समय वे कोई आंदोलनकारी गतिविधि नहीं कर रहे थे बल्कि वे एक कम्युनिस्ट नेता की बहन के साथ एकांतवास में थे.
कांग्रेस के दिवगंत वरिष्ठ नेता वसंत साठे ने एक जगह कहा है कि, उन्होंने लोहिया को कई अन्य महिला मित्रों के साथ भी देखा था. साठे के अनुसार लोहिया स्पष्टवादी थे. उन्होंने कभी झूठ नहीं बोला. इसलिए उनके इन निजी संबंधों का उनके सार्वजनिक जीवन पर कोई असर नहीं पड़ा.
वाजपेयी का अटल प्रेम
कवि मन वाजपेयी का प्यार कई मायने में अनोखा है. वह जीवन भर कुंवारे ही रहे. लेकिन दिल तो उनके पास भी था तो किसी न किसी के लिए धड़कना लाजमी था.
पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेई के ‘परिवार’ पर दबेज़ुबान कुछ चर्चा भले ही होती रही हो लेकिन इससे उनकी लोकप्रियता पर बिल्कुल फर्क नहीं पड़ा। वाजपेई ने कॉलेज के दिनों की अपनी दोस्त राजकुमारी कौल के साथ विवाह नहीं किया लेकिन उनकी शादी के बाद उनके पति के घर रहने लगे। राजकुमारी कौल ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बीएन कौल से शादी की। प्रो. कौल भी अटल के अच्छे दोस्त थे। जब प्रो. कौल अमेरिका चले गए तो श्रीमती कौल अटल के निवास स्थान पर उनके साथ रहने आ गईं। वाजपेयी जब प्रधानमंत्री बने तो श्रीमती कौल का परिवार 7 रेस कोर्स में स्थित प्रधानमंत्री आवास में ही रहता था। उनकी दो बेटियां थीं। जिनमें से छोटी बेटी नमिता को अटल ने गोद ले लिया था। नमिता की शादी रंजन भट्टïाचार्य से हुयी। रंजन भट्टाचार्य वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में ओएसडी (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) थे।
एक पत्रिका को दिए गए साक्षात्कार में राजकुमारी कौल ने कहा, ‘मैंने और अटल बिहारी वाजपेई ने कभी इस बात की जरूरत नहीं महसूस की कि इस रिश्ते के बारे में कोई सफाई दी जाए।’ राजकुमारी कौल का कुछ दिनों पहले निधन हो गया लेकिन राष्ट्रीय मीडिया में उनकी शख्सियत के बारे में इसलिए चर्चा नहीं हुई क्योंकि उनके बारे में लोगों को कुछ पता ही नहीं था। राजकुमारी कौल की दोस्त तलत जमीर कहती हैं, ‘वो बहुत ही खूबसूरत कश्मीरी महिला थीं, बहुत ही मीठा बोलती थीं। प्रधानमंत्री निवास में सब लोग उन्हें माता जी कहा करते थे। अटलजी के खाने की सारी जिम्मेदारी उनकी थी। उनको टीवी देखने का बहुत शौक था और सभी सीरियल्स डिस्कस किया करती थीं।
उनके रिश्तों की भी चर्चा हुई पर दबी जुबान से. वाजपेयी की सबसे अच्छी दोस्त थी उनके कॉलेज के दिनों की सखी और कश्मीरी महिला राज कुमारी कौल.
गहरी मित्रता के बावजूद वाजपेयी और कौल की कहानी अधूरी रह गयी और दोनों की शादी नहीं हुई, मगर कौल की शादी के बाद वाजपेयी कौल के पति के घर जरुर रहे.
बाद में जब अटल बिहारी प्रधानमंत्री बन गए थे तो लोगों ने राजकुमारी कौल को भी प्रधानमंत्री निवास में मौजूद पाया. दोस्ती की नैतिकता को निभाते हुए उन्होंने अटलजी की बहुत सेवा की. अटल जी के खाने की पसंद उन्हें मालूम थी इसलिए रसोइया उनसे ही पूछ कर खाना बनाता था.
सोनिया और फ्रैंको की प्रेम कहानी
जब सोनिया महज 14 साल की उम्र में फ्रैंको लुइसोन से जेसोलो के समुद्र किनारे मिली थी.
कुछ साल पहले एक इटली के मैगज़ीन ‘जेंटे’, को दिए गए अपने साक्षात्कार में फ्रैंको ने अतीत का जिक्र करते हुए बताया कि, ”साठ के दशक में अंतोनिआ माइनो (सोनिया गांधी का इटालियन नाम) के साथ मेरा प्रेम प्रसंग एक आशीर्वाद था. हम हर जगह प्रेम और खुशी में थे.”
सोनिया के साथ उनका प्रेम प्रसंग चार साल तक चला. फ्रैंको ने आगे खुलासा किया कि, उनके परिवारों ने उनके रिश्ते को सहमति दी थी. सोनिया गांधी के माता-पिता खुशी से हर बार फ्रैंको का स्वागत करते थे
उमा भारती की प्रेम कहानी
हर लड़की का सपनों का एक राजकुमार होता है. अपने प्रियतम में वो उस राजकुमार की छवि ढूंढने लगती हैं.
फायर ब्रांड छवि और बेबाक बयानबाज़ी से राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने वाली साध्वी उमा भारती और संघ परिवार, भाजपा की रीति-नीति व राजनीति के लंबे समय तक शिल्पकार रहे केएन गोविंदाचार्य के दिल में भी किसी वक़्त प्रेम की लहर कुछ वैसी ही उठी थी जैसी सामान्य मनुष्य के अंदर उठती है.
फायर ब्रांड छवि और बेबाक बयानबाज़ी से राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने वाली साध्वी उमा भारती और संघ परिवार, भाजपा की रीति-नीति व राजनीति के लंबे समय तक शिल्पकार रहे केएन गोविंदाचार्य के दिल में भी किसी वक़्त प्रेम की लहर कुछ वैसी ही उठी थी जैसी सामान्य मनुष्य के अंदर उठती है.
ईमानदारी और सच्चे भाव से स्वीकार करते हुए गोविंदाचार्य ने कहा भी था कि उमा भारती के लिये मेरे दिल में एक समय प्रेम भाव था और उन्होंने उमा भारती की तस्वीर अपने दिल में बिठा रखी थी.
दूसरी तरफ अंग्रेजी पत्रिका द वीक को दिए एक इंटरव्यू में उमा भारती ने भी कहा था कि, वह पूर्व विचारक गोविंदाचार्य से प्यार करती थीं.
इस इंटरव्यू में उमा भारती ने स्वीकार किया था, ”हां, मैं उन (गोविंदाचार्य) से प्यार करती थी और उनसे शादी भी करना चाहती थी. मगर संघ के उसूल और नियम कानूनों ने उनके प्यार को सफल नहीं होने दिया और दोनों ने अपने ही हाथों अपने प्यार के एहसास को सूली पर टांग दिया.”
इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व जॉइंट डायरेक्टर एमके धर ने अपनी किताब ओपन सीक्रेट्स में लिखा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा विवाह की इजाजत न मिलने के कारण गोविंदाचार्य और उमा भारती विवाह नहीं कर पाये.
राजीव के छोटे भाई संजय गांधी का भी नाम कई महिलाओं से जोड़ा गया। उनमें से एक रुखसाना सुल्ताना भी थीं। रुखसाना सुल्ताना कोई बहुत बड़ी हस्ती नहीं थीं लेकिन उनको संजय गाँधी ने आगे बढ़ाया। उनकी लाइफस्टाइल था, उस जमाने में मेक अप करके, हाई हील्स पहन कर निकला करती थीं। उनका एक डॉमिनेटिंग कैरेक्टर था। कांग्रेस के लोग कहते थे कि वो संजय पर अपना हक जताती थीं और वो एक ऐसा हक था जिसे किसी रिश्ते का नाम नहीं दिया गया था। संजय का कई लड़कियों के साथ उठना बैठना था। बल्कि जब संजय की मेनका से शादी का पता चला तो कई लोगों को हैरत हुई कि ऐसा कैसे हो गया और कई लड़कियों के दिल टूट गए।
फिल्म अभिनेत्री अमृता सिंह की मां रुखसाना सुल्ताना के साथ संजय गांधी का काफी उठना-बैठना था. इमरजेंसी के आसपास के उस समय में रुखसाना सुल्ताना ‘सोशल बटरफ्लाई’ कही जाती थीं.
उनकी स्टाइल और आधुनिकता के काफी चर्चे थे. कांग्रेस के अनेक लोगों ने रुखसाना सुल्तान को संजय गांधी पर हक जताते देखा था. हालांकि यह हक किसी रिश्ते में तब्दील नहीं हो पाया.
सिर्फ रुखसाना ही नहीं बल्की कई और लड़कियों से भी संजय गांधी का मेल था. ऐसे में जब संजय और मेनका गांधी की शादी हुई तो एकाएक लोगों को इस पर सहज विश्वास ही नहीं हुआ था.
मुलायम सिंह की प्रेम कहानी से सभी थे अनजान
मुलायम सिंह यादव राजनीति के ही नहीं प्रेम के भी बड़े खिलाड़ी हैं. मुलायम सिंह ने अपने प्रेम को अपने प्रशंसकों से सालों तक छुपाये रखा.
लेकिन आय से अधिक संपत्ति मामले में जब सिंह ने कोर्ट में दिए एक हलफनामे में कहा की, उनकी दूसरी पत्नी और एक लड़का भी है तो लोग चौंक उठे.
अवलोकन करें:-
दिग्विजय सिंह और अमृता की प्रेम कहानी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह हमेशा अपने बयानों और विरोधियों पर तीखे हमले करने की वजह से सुर्ख़ियों में रहते हैं. लेकिन सोशल मीडिया पर टीवी पत्रकार अमृता संग उनकी प्यार भरी तस्वीर ने उन्हें रोमांस की दुनिया का भी वरिष्ठ खिलाड़ी बना दिया.
दिग्विजय सिंह की पत्नी आशा सिंह की मृत्यु 2013 में कैंसर से हो गयी थी .
कहा गया है कि, भूख न जाने बासी भात, नींद न जाने टूटी खाट और प्यार न जाने ओछी जात. प्यार में न उम्र की सीमा होती है न जन्म का कोई बंधन. जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन. प्यार सिर्फ दिल को पहचानता है और जिसमें उसे सादगी, सच्चाई और वफाई नज़र आ जाए उसे अपनी आगोश में ले लेता है.
मौलाना आजाद
नेहरू के सचिव रहे एमओ मथाई अपनी किताब ‘रेमिनिसेंसेज ऑफ नेहरू एज’ में लिखते हैं कि मौलाना आजाद को जीवन की बेहतरीन चीजों का शौक था। एक बार जब वो ब्रिटेन की यात्रा पर गए थे तो वहाँ भारत की उच्चायुक्त विजयलक्ष्मी पंडित ने उनके सम्मान में एक भोज दिया था जिसमें एंथनी ईडन और लॉर्ड माउंटबेटन जैसे लोगों को बुलाया गया था। जैसे ही खाना खत्म हुआ मौलाना कमरे से बाहर निकल आए। ईडन ने पूछा भी कि मौलाना गए कहां? विजयलक्ष्मी पंडित को कूटनीतिक झूठ बोल कर बहाना बनाना पड़ा जबकि सच ये था कि मौलाना अपने कमरे में बैठ कर शैंपेन का अंनंद ले रहे थे। बताया जाता है कि वो शाम के सात बजे के बाद पीना शुरू करते थे और इसको छिपाते भी नहीं थे। अपनी किताब ‘गुबारे ख़ातिर’ में जब भी वो जिक्र करते थे कि वो चाय पी रहे हैं, वो वास्तव में विहस्की पी रहे होते थे।ये चर्चे भी खूब रहे
- विद्याचरण शुक्ला, चंद्रशेखर के इश्क के बारे में बात होती थी।
- नारायणदत्त तिवारी के काफी अफेयर्स बताए जाते हैं। सबसे चर्चित मामला उज्जवला तिवारी का रहा जिनके पुत्र रोहित शेखर ने दावा किया कि एनडी उसके पिता हैं। मामला कोर्ट में गया और अंतत: एनडी ने ये सच्चाई स्वीकार की। एनडी तिवारी जब आंध्र प्रदेश के राज्यपाल थे तब एक बार वो कुछ लड़कियों के साथ अंतरंग स्थिति में पकड़े गए। मामला इतना उछला कि तिवारी को इस्तीफा देना पड़ा था।
- पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पाकिस्तानी पत्रकार अरूसा आलम के बीच अफेयर २००७ में सुर्खियों में रहा। दोनों की मुलाकात २००४ में हुई थी जब अमरिंदर सिंह पाकिस्तान के दौरे पर गए थे।
- आंध्र के तीन बार मुख्यमंत्री रहे एनटी रामाराव ने ७० वर्ष की उम्र में लक्ष्मी पार्वती से विवाह किया था। दोनों में नजदीकियां उस वक्त आयीं जब लक्ष्मी एनटीआर के जीवन पर किताब लिख रही थीं।
- कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और टीवी एंकर अमृता राय के बीच अफेयर और शादी भी खूब चर्चित रही है। पत्नी की मौत के 6 महीने बाद ही दिग्विजय सिंह का अमृता राय से अफेयर शुरू हो गया था। पत्नी की मौत के बाद से दिग्विजय और अमृता लिव इन रिलेशन में रहने लगे थे।
- समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया के दिल्ली के मिरांडा हाउस कालेज की टीचर रमा मित्रा से प्रेम संबंधों की एक दौर में खूब चर्चा होती थी।
- मायावती और कांशीराम के बीच संबंध भी चर्चा में रहे हैं। मायावती कांशीराम का बहुत ख्याल रखती थीं और इसे भाई-बहन का रिश्ता बताती रही हैं। मायावती का इतना प्रभाव था कि वो किसी को कांशीराम के पास फटकने नहीं देती थीं।
- इंदरजीत गुप्त का एक अलग किस्म का सूफियाना किस्म का इश्क था। 62 साल की उम्र में उन्होंने शादी की।
- आरके धवन ने भी 74 साल की उम्र में अपनी शादी को सार्वजनिक रूप से स्वीकारा।
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