
तीन पार्टियों से छिन सकता है राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा
निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के मुताबिक किसी राजनीतिक पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा तभी मिलता है जब उसके उम्मीदवार लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार या उससे अधिक राज्यों में कम से कम छह प्रतिशत वोट हासिल करें। ऐसी पार्टी के लोकसभा में भी कम से कम चार सांसद होने चाहिए। इसके अलावा कुल लोकसभा सीटों की कम से कम दो प्रतिशत सीट होनी चाहिए और इसके उम्मीदवार कम से कम तीन राज्यों से आने चाहिए।
किन पार्टियों को मिला है राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा
मौजूदा समय में बीजेपी, टीएमसी, बीएसपी, सीपीआई, माकपा, कांग्रेस, एनसीपी और नेशनल पीपल्स पार्टी ऑफ मेघायल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है। हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में एनसीपी, तृणमूल कांग्रेस, भाकपा का प्रदर्शन खराब रहा था। इसलिए इन पर राष्ट्रीय दर्जा खत्म होने का खतरा मंडरा रहा है।
टीएमसी, सीपीआई और एनसीपी का पक्ष!
टीएमसी ने चुनाव आयोग के नोटिस के जवाब में कहा कि पार्टी को 2014 में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला था इसलिए 2024 तक पार्टी का राष्ट्रीय दर्जा खत्म न हो और अगले लोकसभा चुनाव के बाद ही चुनाव आयोग आकलन करे. सीपीआई ने चुनाव आयोग से कहा है कि क्योंकि वो देश की सबसे पुरानी पार्टी है और पार्टी का विस्तार देशभर में है इसलिए सिर्फ चुनाव नतीजों के आधार पर मान्यता खत्म न हो, जबकि एनसीपी ने आयोग से मांग की है कि राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता पर फैसला महाराष्ट्र और बाकी राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद आयोग करे. महाराष्ट्र में इसी साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होना है और एनसीपी राज्य में एक प्रमुख पार्टी है।
चुनाव आयोग देगा एक और मौका
चुनाव आयोग टीएमसी, एनसीपी और सीपीआई को राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता के मसले पर पक्ष रखने का एक अंतिम मौका देगा। चुनाव आयोग जल्द ही तीनों पार्टियों को अलग-अलग अपना पक्ष रखने का अलग से मौका देगा। जिसकी तारीख आयोग आने वाले दिनों में तय करेगा। सुनवाई के दौरान किसी पार्टी की दलील से आयोग को ऐसा लगता है कि कुछ महीनों की या फिर किसी तरह की राहत दी जा सकती है तो फिर आयोग विचार करेगा।
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