
आतंकवाद और कश्मीर को लेकर आज पाकिस्तान प्रधानमंत्री की विश्व में किरकिरी जो हो रही है, उसके ज़िम्मेदार कोई और नहीं 1947 में पाकिस्तान बनने से लेकर इमरान खान से पूर्व समस्त शासक हैं, वह चाहे जनता के चुने हुए नेता ही क्यों न हों, उनके काँटों भरी बोयी फसल पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री को काटनी पड़ रही, इस सच्चाई को पाकिस्तान के हुक्ममरानो को स्वीकार करनी होगी।
पूर्व शासकों की काली करतूतों को उजागर करते इमरान खान
यदि भारत और बांग्लादेश की भांति इमरान से पूर्व हुक्मरानों ने केवल कश्मीर का आलाप रोने की बजाए विकास की ओर ध्यान दिया होता और फौज को सरकार पर हावी नहीं देने दिया होता, पाकिस्तान की इतनी दुर्गति नहीं हो रही होती।
दूसरे, आज जो कुछ भी इमरान खान बोल रहे हैं, वह वास्तव में बहुत ही साहस का काम है। पाकिस्तान में आतंकवाद और आईएसआई की गैर-मुस्लिम हरकतें इमरान खान के कार्यकाल से पूर्व से चलती आ रही हैं। परन्तु इमरान से पूर्व जितने भी शासक रहे हैं, किसी ने देश में चल रहे आतंकवादी गतिविधियों को नहीं कबूला, जो विश्व स्तर पर इमरान कबूल रहे हैं।
अगर इमरान से पूर्व रहे शासकों ने फौज के विरुद्ध जाकर इन हरकतों पर लगाम लगाई होती, पाकिस्तान की विश्व में इतनी किरकिरी नहीं होती। देखा जाए तो आज पाकिस्तान को अपना वजूद बचाना मुश्किल हो रहा है। इसके लिए पाकिस्तान के राजनीतिक दल ही नहीं, जनता भी बराबर की दोषी है। क्यों नहीं चुनावों में नेताओं से वायदा लिया, कि फौज के इशारे पर राज नहीं करेंगे। उस समय वहां की जनता को भी भारत विरोधी गतिविधियों में आनंद आ रहा था।
तीसरे, सोवियत संघ (Soviet Union) को तोड़ने में अमेरिका ने किस तरह पाकिस्तान को पाला-पोसा, आज तक पाकिस्तान के किसी नेता ने सच्चाई बोलने का साहस नहीं किया, जो इमरान खान ने अमेरिका की ही धरती पर अमेरिका की कलाई खोल दी। इमरान की बातों को नकारात्मक लेने के साथ-साथ सकारात्मक रुख को भी पहचानना होगा।
पाकिस्तानी जनता को भारत नहीं, बल्कि आतंकवाद के विरुद्ध सडकों पर आना होगा
पाकिस्तान की धरती पर 40,000 आतंकवादियों और लगभग 40 आतंकवादी सरगनाओं का होना, कोई अचानक नहीं हुआ है। इमरान से पूर्व जितने भी प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और तानाशाहों ने पाकिस्तान पर राज किया, सभी भारत विरोधी गतिविधियों को भुनाकर विदेशों के चन्दे पर राज करते रहे।
भारत में पल रहे पाकिस्तान समर्थकों को भी शर्म आनी चाहिए कि 1947 में भारत से गए मुसलमानों को मुहाजिर यानि शरणार्थी क्यों कहा जाता है? उल्टी सीधी बातों पर फतवे देकर भारत में अशान्ति फ़ैलाने का साहस कर सकते हैं, लेकिन चीन में रह रहे मुसलमानों पर लग रहीं पाबंदियों के विरुद्ध बोलने की हिम्मत नहीं। क्या कश्मीर का मुसलमान ही मुसलमान है, चीन का नहीं? फिर पाकिस्तान में मुहाजिरों और अल्पसंख्यकों पर होते अत्याचारों के विरुद्ध क्यों नहीं बोलते? इन अत्याचारों के लिए जितना पाकिस्तान और वहां की फौज ज़िम्मेदार है, उतने भी भारत में पल रहे पाकिस्तान समर्थक, चाहे वो हिन्दू है या मुसलमान? ये लोग भाजपा, संघ, विश्व हिन्दू परिषद्, बजरंग दल, हिन्दू महासभा आदि का हौवा बना कर भारतीय मुसलमानों को डराकर अपनी तिजोरियां भरते रहे।
मुहाजिरों और अल्पसंख्यकों पर होते अत्याचार
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति कितनी बदहाल है? ये किसी से छिपा नहीं हैं। विश्व के कोने-कोने से पाकिस्तान को अपनी कट्टरपंथी गतिविधियों के लिए थू-थू मिल रही है। अब ऐसे में कराची के पूर्व मेयर वासे जलील ने भी न्यूयॉर्क में पाकिस्तानी अल्पसंख्यकों और मुहाजिरों पर होते अत्याचारों की पोल-पट्टी खोलकर पाक की हकीकत को और पारदर्शी कर दिया है। उन्होंने सितंबर 26, 2019 को पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों और मुहाजिरों पर हो रहे अत्याचार पर चिंता जताई है।
न्यूयॉर्क में उन्होंने पाकिस्तान में दशकों से मुहाजिरों पर होते जुल्म पर अपना बयान दिया। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान में 25 हजार से ज्यादा अल्पसंख्यक लोग मारे जा चुके हैं। हजारों लोग लापता हो गए। हम पाकिस्तान में अपनी स्थिति से दुनिया को अवगत कराना चाहते हैं।”
उन्होंने बताया, “पाकिस्तान मुहाजिरों को अन्याय के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध करने की अनुमति नहीं देता है। हमारे पास अपनी माँगों के लिए संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों से संपर्क करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। यह हमारा नैतिक, मानवीय और लोकतांत्रिक अधिकार है।”
पाकिस्तान नेशनल असेंबली के एक सदस्य की हत्या का जिक्र करते हुए पूर्व मेयर ने कहा, “पाक के पंजाबी मुस्लिम बहुसंख्यकों के अल्पसंख्यकों के साथ किए अत्याचार की सैकड़ों कहानियाँ हैं। 2018 में पाकिस्तान नेशनल असेंबली के एक सदस्य सैयद अली रज़ा आब्दी को पाकिस्तान की सेना के इशारे पर मार दिया गया था।”
इस समय पाकिस्तान द्वारा अल्पसंख्यकों पर किए जा रहे अत्याचारों के ख़िलाफ़ न्यूयॉर्क की सड़कों पर बड़ी तादाद में प्रदर्शन चल रहा है। ये सब उस समय हो रहा है जब पाक पीएम इमरान UNGA में भाषण देने वाले हैं।
Greater Karachi banners in #NewYork After #Balochistan Genocide Banners in #US— IFENewsDesk🌏 Free Press (@IFENewsDesk) September 27, 2019
We need Justice for #Karachi
Plight of Mohajirs and Atrocities being committed on us for the last many many years #UNGA2019 #UNGA pic.twitter.com/wxFKnG8IMD
कई सौ की तादाद में डिस्प्ले स्क्रीन के साथ टैक्सी और ट्रक न्यूयॉर्क की सड़कों पर देखने को मिल रहे हैं, जहाँ पाकिस्तान के अत्याचारों के ख़िलाफ़ तस्वीरों और स्लोगन्स के जरिए प्रदर्शन हो रहा है। इसे अमेरिका के मुहाजिर एडवोकेसी ग्रुप वॉयस ऑफ कराची ने लॉन्च किया है।
संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के आसपास खड़ी गाड़ियों पर दिखे कुछ विज्ञापनों में लिखा है, “पाकिस्तान: मानव अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के चार्टर को न मानने वाला देश” और “मुहाजिर पाकिस्तान में यूएन हस्तक्षेप की माँग करते हैं।” (“Pakistan: A country in denial of UN charter on Human rights” and “Mohajirs demand the UN intervention in Pakistan.”)
वॉयस ऑफ कराची के अध्यक्ष नदीम नुसरत की मानें तो पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को इसलिए उठा रहा है, ताकि लोगों का ध्यान पाक सेना के अत्याचारों पर न जाए। उनका कहना है कि पाकिस्तानी अल्पसंख्यक अमेरिकी कॉन्ग्रेसियों और सीनेटरों के पास पहुँच रहे हैं और वे उनसे पाक पर दबाव बनाने के लिए भी मदद माँग रहे हैं।
वहीं, एक मुहाजिर कार्यकर्ता कहकशां हैदर का कहना है, ‘‘पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट कर देना चाहिए। उसे दी जा रही सभी वित्तीय सहायता रोक देना चाहिए। यह आतंक का देश है। पाक पूरी दुनिया में आतंकवाद फैला रहा है। मोदी और ट्रम्प से गुजारिश है कि हमारे समुदाय को बचाने में मदद करें।’’
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