कांग्रेसियों का जिंदा जलाने का पुराना अनुभव… मैं आ रही हूॅं: साध्वी की चुनौती

साध्वी प्रज्ञा की चुनौती बनाम दांगी की धमकी
साध्वी प्रज्ञा की चुनौती बनाम दांगी की धमकी
कश्मीर से अनुच्छेद 370, राम मन्दिर विवाद पर विराम, पाकिस्तान को घर में घुसकर मारने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संसद का विशेष सत्र बुलाकर गाँधी बनाम गोडसे पर बहस करवाकर नाथूराम गोडसे को अपमानित होने से बचाएं। हालाँकि इस बहस में गाज तो गाँधी पर भी आएगी, लेकिन सबसे ज्यादा गाज कांग्रेस पर गिरेगी। जैसाकि वीर सावरकर के पौत्र रणजीत सावरकर ने कहा है। 
ठीक है गुजराती होने के नाते गाँधी की बुराई नहीं सकते, लेकिन इस विवाद पर सबसे ज्यादा गाँधी को ही कोसा जाता है, जिसे कोई नकार नहीं सकता। जबकि चितपावन ब्राह्मणों के हुए भयानक नरसंहार कांग्रेस चुप्पी साध लेती है। यह भी विवादित है कि गाँधी के चौथी गोली किसने मारी थी? 
गाँधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे को लोकसभा में कथित तौर पर ‘देशभक्त’ कहने वाली साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की चुनौती के बाद कांग्रेस विधायक गोवर्धन दांगी के स्वर बदल गए हैं। भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा को राजगढ़ आने पर ज़िंदा जला देने की धमकी देने वाले कांग्रेस विधायक अब कह रहे हैं कि अगर साध्वी राजगढ़ आतीं हैं तो वे स्वागत करेंगे। साथ ही सफाई देते हुए कहा है कि गाँधी जी को कोई अपशब्द कहता है तो कांग्रेसियों के दिल पर चोट लगती है
पूरा मामला यह है कि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी की सुरक्षा से एसपीजी कवर हटाने को लेकर लोकसभा में हो रही बहस में कम्युनिस्ट नेता डी राजा ने नाथूराम गोडसे और (साध्वी के दावे के अनुसार) उधम सिंह का ज़िक्र किया यह दावा करने के लिए कि हत्या करने का इरादा रखने वाले कई बार दशकों तक इंतज़ार करते हैं। गौरतलब है कि 1919 में हुए जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड को सही ठहराने और इसके हत्यारे जनरल डायर को बचाने के लिए उधम सिंह ने पंजाब के तत्कालीन गवर्नर माइकल ओ’ड्वायर की हत्या 1940 में की थी। अदालत में दिए इकबालिया बयान में नाथूराम गोडसे ने भी ज़िक्र किया था कि गाँधी की हत्या के पीछे उसका भी गाँधी की हिन्दू-विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ 32 साल का क्षोभ था।
डी राजा को टोकते हुए साध्वी ने कहा था कि वे एक देशभक्त का ऐसे मामले में उदाहरण नहीं दे सकते। इसके आगे साध्वी और मीडिया के अलग-अलग दावे हैं। एक तरफ़ साध्वी ने दावा किया है कि उन्होंने देशभक्त का इस्तेमाल उधम सिंह के संदर्भ में किया है, वहीं मीडिया के लोग इसे नाथूराम गोडसे के संदर्भ की बात कह रहे हैं। बाद में साध्वी ने अपने बयान के लिए माफ़ी माँग ली थी।
उन्होंने माफ़ी माँगते हुए कहा, “सदन में मेरे द्वारा की गई किसी भी टिप्पणी से यदि किसी भी प्रकार से किसी को कोई ठेस पहुँची हो तो उसके लिए मैं ख़ेद प्रकट कर क्षमा चाहती हूँ। परंतु मैं यह भी कहना चाहती हूँ कि संसद में मेरे बयानों को तोड़मरोड़ कर ग़लत ढंग से पेश किया गया है, मेरे बयान का सन्दर्भ कुछ और था, जिसे ग़लत ढंग से इस रूप में प्रस्तुत कर दिया गया। जिस प्रकार से मेरे बयानों को तोड़ा-मरोड़ा गया है वो निंदनीय है।” लेकिन उनके बयान से नाराज़ दांगी ने कहा था कि यदि वह मध्य प्रदेश में कदम रखेंगी तो वे उन्हें जिन्दा जला देंगे। उन्होंने कहा था, “प्रज्ञा ठाकुर कभी आई तो उसका पुतला नहीं बल्कि उसे पूरा का पूरा जिंदा जला देंगे।”


इस पर प्रतिक्रिया देते हुए साध्वी ने उन्हें चुनौती देते हुए कहा है कि वे 8 दिसंबर को केवल मध्य प्रदेश में ही नहीं, दांगी के आवास पर भी पहुँच रही हैं। साथ ही 1984 के सिख दंगे और तंदूर कांड का हवाला देते हुए कहा है कि कांग्रेसियों को जिंदा जलाने का पुराना अनुभव है।
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अपना बयान वायरल हो जाने पर माफ़ी माँगते हुए दांगी ने कांग्रेस को ‘शांतिप्रिय’ लोगों की पार्टी बताया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेसी साध्वी के बयान की ‘शांतिपूर्ण’ निंदा करते हैं।

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