
सीजेआई एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार (दिसंबर 17, 2019) को जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रदर्शनकारी छात्रों के ख़िलाफ़ हुई कथित हिंसा को लेकर सुनवाई की। अधिवक्ता महमूद पाशा ने जामिया के छात्रों की तरफ़ से पैरवी की। सीजेआई बोबडे ने उनसे पूछा कि वो सुप्रीम कोर्ट से क्या चाहते हैं? इस पर जामिया के वकील ने कहा कि सशस्त्र पुलिस ने निहत्थे और निर्दोष छात्रों पर हमला किया। उन्होंने दावा किया कि पूरा देश में घेराबंदी जैसा माहौल है और हर जगह विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। उन्होंने छात्रों को ‘गाइडिंग लाइट’ बताया।
जामिया के वकील ने माँग करते हुए कहा कि शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन के अधिकार की रक्षा होनी चाहिए। इस पर सीजेआई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट क्या कर सकता है? उन्होंने कहा कि ऐसी हिंसा विभिन्न हिस्सों में हो रही हैं, जहाँ अलग-अलग सरकारें हैं और अलग-अलग प्रशासन है। उन्होंने पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट उन सभी के लिए अलग-अलग क़दम उठाए? सीजेआई बोबडे ने कहा कि ये कोई ट्रायल कोर्ट नहीं है, सुप्रीम कोर्ट है। उन्होंने वकील से पूछा कि कितनी बसें जलाई गईं, जिसका जवाब देने में वे असफल रहे। महमूद ने बताया कि इसके लिए जाँच हो रही है।
MP: Right to peaceful protest should be protected— Live Law (@LiveLawIndia) December 17, 2019
CJI - What can we do. All these are happening in different places. There are different authorities involved and there are different grievances. You want us to take different steps.
#JamiaProtests #CitizenshipAmendmentAct
Students can’t be thrown into jail like this: @IJaising #JamiaProtests #CitizenshipAmendmentAct #Jamia— Live Law (@LiveLawIndia) December 17, 2019
इसके बाद सीजेआई बोबडे ने जामिया के छात्रों के वकील को फटकार लगाते हुए कहा कि आपको फैक्ट्स पता होने चाहिए, क्योंकि यहाँ सुप्रीम कोर्ट में बैठ कर वो फैक्ट्स का पता नहीं लगा सकते। उन्होंने पूछा कि वो लोग सुप्रीम कोर्ट के पास क्यों आए हैं? सीजेआई ने कहा- “आप ऐसी अदालत में जाइए जहाँ फैक्ट्स का पता लगाया जा सके और फिर सुनवाई हो। आप हमारे पास क्यों आए हैं?” वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने आरोप लगाया कि छात्रों के ख़िलाफ़ सैंकड़ों एफआईआर दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि छात्रों को इस तरह से जेल में नहीं ठूँसा जा सकता है।
सीजेआई ने इंदिरा जयसिंह से पूछा कि अगर छात्र पत्थरबाजी करते हैं तो क्या उनके ख़िलाफ़ एफआईआर नहीं होगी? इसके जवाब में इंदिरा जयसिंह ने कहा कि वो शांति स्थापित करने के उपायों को लागू करने की माँग करती हैं। सीजेआई बोबडे ने पूछा कि छात्र अगर इस तरह की हरकत करेंगे तो फिर पुलिस क्या करेगी? इसके बाद जयसिंह ने यूनिवर्सिटी और वीसी की अनुमति की बातें कहनी शुरू कर दी। उन्होंने छात्रों के घायल होने का रोना रोया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उनकी बात को काटा और कहा कि एक भी छात्र को गिरफ़्तार नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हाई कोर्ट के निर्णय का इंतजार करना चाहिए, यही अच्छा रहेगा।
दरअसल, इंदिरा जयसिंह चाहती थीं कि जैसे हैदराबाद एनकाउंटर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक आयोग का गठन कर जाँच सौंपी थी, वैसा ही इस मामले में भी किया जाए। लेकिन, सीजेआई बोबडे न बताया कि तेलंगाना एक राज्य का मामला था, जबकि छात्रों का विरोध-प्रदर्शन कई राज्यों का मामला है। ऐसे में एक आयोग से कुछ नहीं होगा। साथ ही सीजेआई बोबडे ने मीडिया रिपोर्ट्स को देखने से भी इनकार कर दिया और कहा कि वो उस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान किसने क्या कहा
- प्रधान न्यायाधीश : हम अपना वक्त तथ्यों की तलाश में नहीं लगाना चाहते. आप पहले हमसे निचली अदालत में जाएं
- प्रधान न्यायाधीश : तेलंगाना एनकाउंटर मामले में, एक आयोग मामले को देख सकता है. इस मामले में विभिन्न हिस्सों में विभिन्न घटनाएं हुई हैं और एक आयोग के पास उस प्रकार का अधिकार क्षेत्र नहीं हो सकता है
- कॉलिन (छात्रों की ओर से वकील) : कल शाम को जामिया की वाइस चांसलर ने एक बयान जारी किया है. कल ऐसा लगा जैसा आपने छात्रों को जिम्मेदार ठहराया है.
- प्रधान न्यायाधीश : हमने ऐसा कुछ नहीं कहा. हम अखबारों पर भरोसा नहीं कर सकते. हमने कभी छात्रों को जिम्म्दार नहीं ठहराया
- कॉलिन : अलीगढ़ में 50-60 छात्रों के साथ पुलिस ने टार्चर किया है. उनके सिर फोड़े हैं.
- कॉलिन : अलीगढ़ में अगर किसी रिटायर्ड जज को भेजा जाता है तो शांति होगी. सभी को लगेगा कि जांच हो रही है.
- केंद्र सरकार के वकील : आप टीवी डिबेट में नहीं हैं
- केंद्र सरकार के वकील : बसें, 20 निजी कारें व अन्य वाहन जलाए गए. 67 जख्मी लोगों को पुलिस ने अस्पताल पहुंचाया.
- प्रधान न्यायाधीश : बिना पहचान किए गिरफ्तारी क्यों?
- केंद्र सरकार के वकील : किसी भी छात्र को गिरफ्तार नहीं किया गया. कोई जेल में नहीं है. यहां वरिष्ठ अफसर मौजूद हैं. जख्मी लोगों में कुछ छात्र थे
- केंद्र सरकार के वकील : प्रॉक्टर को बुलाया गया उन्होंने छात्रों को पहचाना और ले गए.
- प्रधान न्यायाधीश : अगर किसी ने अपराध किया है तो पुलिस गिरफ्तारी करने को आजाद है.
- केंद्र सरकार के वकील : यह मामला अफवाह से शुरू हुआ. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में प्रॉक्टर ने लिखित रूप से सूचना देकर पुलिस को बुलाया था
- प्रधान न्यायाधीश : अस्पताल में छात्रों की क्या हालत है ?* -
- केंद्र सरकार के वकील : सभी का मुफ्त इलाज चल रहा है एक शख्स मे टीयर गैस का गोला हाथ में ले लिया और वो जख्मी हो गया.
- कॉलिन : किसी रिटायर्ड जज को अलीगढ मुस्लिम विवि तुरंत भेजा जाए.
- इंदिरा : छात्रों को अतंरिम सरंक्षण दिया जाए
- प्रधान न्यायाधीश : उम्मीद है कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस उचित आदेश पारित करेंगे
- इंदिरा जय सिंह : उस एजेंसी को छात्र समुदाय के आत्मविश्वास को प्रेरित करना चाहिए
- प्रधान न्यायाधीश : सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश आत्मविश्वास को प्रेरित कर सकते हैं.
- प्रधान न्यायाधीश : पहले हाईकोर्ट के आदेशों का फायदा उठाएं. हमारे प्रत्येक मुख्य न्यायाधीश इन सभी मुद्दों को संबोधित करने में सक्षम हैं.
- प्रधान न्यायाधीश : हमने अपने विवेक का खुलासा कर दिया है
- प्रधान न्यायाधीश : ये तेलंगाना के समानांतर मामला नहीं है
- इंदिरा : सभी जख्मी छात्रों तो मुफ्त मेडिकल सहायता मिले. हाथ-पैर भी खोए हैं छात्रों ने
- इंदिरा : राज्य को मानवीय मुफ्त चिकित्सा उपलब्ध कराना जिम्मेदारी. छात्रों के पास पैसे नहीं हैं. यूनिवर्सिटी को पहले ही बंद कर दिया गया है. ऐसे में छात्र कहां जाएं.
- केंद्र सरकार : पुलिस के अफसर मौजूद हैं वो सहायता कर सकते हें
- इंदिरा: छात्रों की गिरफ्तारी ना हो.
- प्रधान न्यायाधीश : अगर कोई कानून तोड़कर सार्वजनिक संपत्ति में तोड़फोड़ कर रहा हो तो.
- प्रधान न्यायाधीश : हम पक्षपात नहीं कर रहे हैं लेकिन जब कोई कानून तोड़ता है तो पुलिस क्या कर सकती है. पत्थर फेंकना, बसों को जलाना. हम उन्हें एफआईआर दर्ज करने से कैसे रोक सकते हैं?
- प्रधान न्यायाधीश : कोर्ट इस मामले में क्या कर सकता है ?
- याचिकाकर्ता के वकील महमूद प्राचा : CAA को लेकर विरोध हो रहा है.
- प्राचा : कोर्ट ये सुनिश्चित करे कि शांति पूर्वक विरोध को रोका ना जा सके. ये मौलिक अधिकार है
- प्रधान न्यायाधीश : हाईकोर्ट भी जा सकते हैं.
- प्रधान न्यायाधीश : हमें पहले तो सन्तुष्ट करें कि हम ही इसे क्यों सुनें पहले हाईकोर्ट क्यों नहीं?
- प्रधान न्यायाधीश : हम ये जानना चाहते हैं कि इस मामले के तथ्य क्या हैं. अलग- अलग घटनाएं हुई हैं. इसके अलग-अलग नतीजे हैं.
- प्राचा : सभी घटनाओं में समानता है. सरकार ये करा रही है. विरोध में हिंसा नहीं है. हमारे पास वीडियो हैं
- प्राचा : हमारे पास वीडियो है कि वर्दी में पुलिस तोड़फोड़ कर रही है. लेकिन हम इसमें नहीं जाना चाहते.
- प्रधान न्यायाधीश : सब शांतिपूर्वक था तो वहां बसें कैसे जलीं.
- इंदिरा : छात्रों के खिलाफ FIR दर्ज हुई हैं. अगर शांति चाहते हैं तो छात्रों के खिलाफ FIR दर्ज करना बंद हों और गिरफ्तारी बंद हो.
अभी तक दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार लोगों का जामिया यूनिवर्सिटी से कोई नाता नहीं, बल्कि आपराधिक रिकॉर्ड है। छात्रों की आड़ में इन्हीं लोगों द्वारा जामिया को हिंसा की आग में झोंक दिया।
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