
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में भी नागरिकता संशोधन बिल पास हो गया है। इस बिल के पास होने की खबर मिलने के बाद महाराष्ट्र कैडर के एक आईपीएस अधिकारी ने दिसम्बर 11 को कहा कि उन्होंने "सांप्रदायिक और असंवैधानिक" नागरिकता (संशोधन) विधेयक" के खिलाफ विरोध दर्ज कराते हुए सेवा से इस्तीफा देने का फैसला किया है। मुंबई में विशेष पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) के रूप में तैनात अब्दुर रहमान ने बयान जारी कर कहा कि वह दिसम्बर 12 से कार्यालय नहीं जाएंगे। राज्यसभा ने दिसम्बर 11 को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी। इससे पहले विधेयक को दिसम्बर 9 को लोकसभा की मंजूरी मिल चुकी थी।अब्दुर रहमान ने कहा, "यह विधेयक भारत के धार्मिक बहुलवाद के खिलाफ है। मैं सभी न्यायप्रिय लोगों से अनुरोध करता हूं कि वे लोकतांत्रिक तरीके से विधेयक का विरोध करें। यह संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है।
लेकिन इसी बीच सोशल मीडिया पर यूजर्स ने उन्हें घेर लिया और उनके इस्तीफे के पीछे असली वजह का पर्दाफाश किया। साथ ही मौक़े का फायदा उठाने वाले अधिकारी को और उनका समर्थन करने वाले तबके को यूजर्स ने रहमान की हकीकत भी सबूतों के साथ दिखाई।
The #CitizenshipAmendmentBill2019 is against the basic feature of the Constitution. I condemn this Bill. In civil disobedience I have decided not attend office from tomorrow. I am finally quitting the service.@ndtvindia@IndianExpress #CitizenshipAmendmentBill2019 pic.twitter.com/Z2EtRAcJp4— Abdur Rahman (@AbdurRahman_IPS) December 11, 2019
This Bill is against the religious pluralism of India. I request all justice loving people to oppose the bill in a democratic manner. It runs against the very basic feature of the Constitution. @ndtvindia@IndianExpress #CitizenshipAmendmentBill2019 pic.twitter.com/1ljyxp585B— Abdur Rahman (@AbdurRahman_IPS) December 11, 2019
Reality of Abdur rehmaan who resigned today.— आलू बोंडा (@ek_aalu_bonda) December 11, 2019
In april'19, MH govt gave order of enquiry of 2007 yavatmal sp rehmaan abt fraud in police recruitment.
it was compulsory to write in marathi bt he allowed M ppl to write in urdu & did nt recruit female from their reserved quota. pic.twitter.com/TOFcfsqWqE
The #CitizenshipAmendmentBill2019 is against the basic feature of the Constitution. I condemn this Bill. In civil disobedience I have decided not attend office from tomorrow. I am finally quitting the service.@ndtvindia@IndianExpress #CitizenshipAmendmentBill2019 pic.twitter.com/Z2EtRAcJp4— Abdur Rahman (@AbdurRahman_IPS) December 11, 2019
नाख़ून काटकर सुर्खियां बटोरते अब्दुर रहमान
रहमान ने कहा कि बिल के पारित होने के दौरान, गृहमंत्री अमित शाह ने गलत तथ्य, भ्रामक जानकारी और गलत तर्क पेश किए। उनके मुताबिक बिल के पीछे का विचार मुसलमानों में भय पैदा करने और राष्ट्र को विभाजित करने के लिए है और ये विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है। साथ ही धर्म के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव करता है। यह भारत में 200 मिलियन मुसलमानों को नीचा दिखाने का काम है।
एक ओर जहाँ नागरिकता संशोधन विधेयक के राज्यसभा से पास होने के तुरंत बाद अब्दुर रहमान ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए अपनी नौकरी से इस्तीफा देने की बात की। वहीं, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि रहमान ने अगस्त में ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के लिए आवेदन किया था और वह केवल अपने आवेदन पर निर्णय का इंतजार कर रहे थे। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी रहमान के ट्वीट के तुरंत बाद कुछ यूजर्स अगस्त का वो लेटर पोस्ट करने लगे, जिससे साफ हो गया कि रहमान ने अपना फैसला विरोध में नहीं लिया। बल्कि ये उनकी व्यक्तिगत इच्छा थी। और उनकी यह व्यक्तिगत इच्छा नागरिकता संशोधन विधेयक पास होने के 5 महीने पहले ही जाग गई थी।
रहमान द्वारा किए गए ट्वीट को मीडिया गिरोह के लोगों द्वारा तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB, कैब) के विरोध में मीडिया गिरोह के लोग भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं। तभी तो अब्दुर रहमान के इस्तीफे को ऐसे दिखाया जा रहा है मानो उन्होंने इसी के विरोध में यह फैसला लिया है। जबकि वास्तविकता यह है कि इस समय में इनके द्वारा किया गया ऐलान मौक़ापरस्ती और प्रोपेगेंडा फैलाने की कोशिश है, जिसमें बरखा दत्त जैसै नामी चेहरे उनका समर्थन कर रहे हैं। वरना क्या वजह थी कि बरखा जैसी सीनियर जर्नलिस्ट इस्तीफे के दूसरे पेज को अपने ट्वीट में दिखाती है लेकिन पहले पन्ने को गायब कर देती हैं, जिसमें स्पष्ट लिखा है कि रहमान ने खुद ही व्यक्तिगत कारणों से अगस्त में ही VRS के लिए आवेदन किया था।
मुसलमानों के नाम पर नागरिकता विधेयक के विरुद्ध सवाल उठाने वाले और मानवाधिकारों की दुहाई देकर चर्चा बटोरने वाले अब्दुर रहमान इस तरह पहली बार सुर्खियों में नहीं आए हैं। इससे पहले भी पुलिस भर्ती के दौरान उन पर फर्जीवाड़े के आरोप लग चुके हैं। जिसके संबंध में इसी वर्ष अप्रैल में पूर्व महाराष्ट्र सरकार ने उनके ख़िलाफ़ जाँच के आदेश दिए थे। दरअसल पूरा मामला साल 2007 में हुई पुलिस भर्ती से जुड़ा है। साल 2007 में हुई पुलिस भर्ती की परीक्षा में मराठी में लिखना अनिवार्य था, लेकिन अब्दुर रहमान ने ‘विशेष समुदाय’ के लोगों को उर्दू में लिखने की अनुमति दी थी। साथ ही महिला अभ्यार्थियों का कोटा होने के बावजूद भी उनकी भर्ती नहीं की थी।
अब्दुर रहमान के अपने पद से त्यागपत्र देने से यह बात उजागर हो रही है कि स्वतन्त्र भारत में अभी भी ब्रिटिश और मुग़ल वंशस जीवित है। प्रतिष्ठित पद पर आसीन अब्दुर को इतना ज्ञान होना चाहिए कि विश्व में कोई ऐसा देश नहीं है जो अवैध रूप से लोगों को अपना नागरिक स्वीकार करती हो।
इतना ही नहीं, अब्दुर को यह भी समझ जाना चाहिए कि राज्यसभा में बीजेपी का बहुमत न होने के बावजूद नागरिक संशोधक बिल 2019 का पारित होना सिद्ध करता है कि लगभग हर पार्टी इस बिल के समर्थन में थी, लेकिन मुश्किल यह थी कि बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन? जिसे मोदी सरकार ने सार्थक कर दिखाया। देश में चल रही तुष्टिकरण नीति देश के वास्तविक विकास में सबसे बड़ी बाधक थी।
दिसम्बर 11 को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल के पास होना का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वागत किया और इसे भारत के इतिहास में मील का पत्थर बताया। पीएम मोदी ने ट्वीट किया, 'भारत के लिए और हमारे देश की करुणा और भाईचारे की भावना के लिए ये एक ऐतिहासिक दिन है। ख़ुश हूं कि सीएबी 2019 राज्यसभा में पास हो गया है। बिल के पक्ष में वोट देने वाले सभी सांसदों का आभार। ये बिल बहुत सारे लोगों को वर्षों से चली आ रही उनकी यातना से निजात दिलाएगा।'
बीजेपी सरकार दिसम्बर 11 को विवादास्पद नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद से मंजूरी दिलाने में कामयाब रही जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है।
इससे पहले संसद ने नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी। राज्यसभा ने विस्तृत चर्चा के बाद इस विधेयक को पारित कर दिया। सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने के विपक्ष के प्रस्ताव और संशोधनों को खारिज कर दिया। विधेयक के पक्ष में 125 मत पड़े जबकि 105 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया. लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है।
बीजेपी ने संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने पर खुशी जताई है और पार्टी के शीर्ष नेताओं ने इस प्रस्तावित कानून को 'ऐतिहासिक' बताया है और कहा है कि इससे करोड़ों वंचित और पीड़ित लोगों के सपने साकार हुए हैं। पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने राज्यसभा में विधेयक के पारित होने के बाद ट्वीट किया, “इन प्रभावित लोगों के लिए गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के संकल्प के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार। मैं सभी को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूं।” उन्होंने कहा, “नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 संसद में पारित होने के साथ ही करोड़ों वंचित और पीड़ित लोगों के सपने आज साकार हुए हैं।”
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