
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
राजस्थान का कोटा शहर इन दिनों चर्चा में है। बच्चों की मौत हर एक दिन हो रही है। ये बात अलग है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसे सामान्य बताया। लेकिन बीएसपी की अध्यक्ष मायावती ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पर ट्वीट के जरिए जबरदस्त अंदाज में हमला किया। उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी एक तरफ तो सीएए जैसे मुद्दे पर विरोध कर रही हैं। लेकिन राजस्थान में बच्चों की मौत पर खामोश है। ये उनका दोहरा व्यवहार जिसे स्पष्ट तौर पर समझा जा सकता है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रारम्भ से ही कांग्रेस का दोहरा रवैया रहा है, अपने शासित राज्य में कुछ और विपक्ष शासित राज्य में कुछ। प्रियंका उत्तर प्रदेश में सीएए के विरोध में जख्मी अथवा मारे गए उपद्रवियों के घर जाकर संवेदना प्रकट करने का जो नाटक कर रही है, लेकिन इन्ही प्रदर्शनकारियों द्वारा जख्मी 258 से अधिक पुलिसकर्मियों से इनकी कोई संवेदना नहीं।
मायावती ने आगे कहा कि कांग्रेस शासित राजस्थान के कोटा जिले में हाल ही में लगभग 100 मासूम बच्चों की मौत से माओं का गोद उजड़ना अति-दुःखद व दर्दनाक समाचार है, तो भी वहाँ के मुख्यमंत्री श्री गहलोत स्वयं व उनकी सरकार इसके प्रति अभी भी उदासीन, असंवेदनशील व गैर-जिम्मेदार बने हुए हैं, जो अति-निन्दनीय है।
2. किन्तु उससे भी ज्यादा अति दुःखद है कि कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व व खासकर महिला महासचिव की इस मामले में चुप्पी साधे रखना। अच्छा होता कि वह यू.पी. की तरह उन गरीब पीड़ित माओं से भी जाकर मिलती, जिनकी गोद केवल उनकी पार्टी की सरकार की लापरवाही आदि के कारण उजड़ गई हैं।— Mayawati (@Mayawati) January 2, 2020
किन्तु उससे भी ज्यादा अति दुःखद है कि कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व व खासकर महिला महासचिव की इस मामले में चुप्पी साधे रखना। अच्छा होता कि वह उत्तर प्रदेश की तरह उन गरीब पीड़ित माओं से भी जाकर मिलती, जिनकी गोद केवल उनकी पार्टी की सरकार की लापरवाही आदि के कारण उजड़ गई हैं।
यदि कांग्रेस की महिला राष्ट्रीय महासचिव राजस्थान के कोटा में जाकर मृतक बच्चों की ‘‘माओं" से नहीं मिलती हैं तो यहाँ अभी तक किसी भी मामले में उत्तर प्रदेश पीड़ितों के परिवार से मिलना केवल इनका यह राजनैतिक स्वार्थ व कोरी नाटकबाजी ही मानी जायेगी, जिससे उत्तर प्रदेश की जनता को सर्तक रहना है।
1 comment:
Though the issue of CAA relating to relief to the most deserving sufferers of India Partition n Sikhs refuzees from Afghanistan but the fact remains that mostly are Scheduled Caste from Pak who remained or retained there for doing cleaning + jobs but are being targeted for change of religion n other harassments
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