अंतरराष्ट्रीय मीडिया, वामपंथी गिरोह और कट्टरपंथी मिलकर हिन्दुओं के ख़िलाफ़ घृणा फैलाने का काम धड़ल्ले से कर रहे हैं। नतीजा ये है कि आज विश्व के सबसे शक्तिशाली देश और सबसे बड़े लोकतंत्र में भी हिंदू खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। हिन्दुओं की लाचारी, उनकी बेबसी और उनके प्रति नफरत फ़ैलाने के बात को अमेरिकी राजनेता तुलसी गबार्ड भी मानती है। तुलसी अमेरिका की पहली हिन्दू सांसद हैं। वे उन तीन दावेदारों में भी शामिल हैं जिनमें से डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुना जाना है। बकौल तुलसी, हिन्दूफोबिया एक सच्चाई है। उन्होंने भी इसे कई बार झेला है। यहॉं तक कि कांग्रेस चुनाव और राष्ट्रपति उम्मीदवारी के अपने अभियान के दौरान भी।
तुलसी गबार्ड ने डॉ. शीनी अम्ब्राडर (वही डॉ. जिन्होंने हिन्दू महिला के साथ उबर ड्राइवर की बदसलूकी का वाकया साझा किया था) का पोस्ट शेयर करते हुए ट्ववीट किया है, "बदकिस्तमती से हिन्दफोबिआ एक सच है। मैंने कांग्रेस और राष्ट्रपति उम्मीदवारी के अपने अभियान के दौरान हर बार इसे प्रत्यक्ष तौर पर महसूस किया है। ये तो सिर्फ़ एक उदाहरण है कि हमारे देश में हिन्दुओं को क्या झेलना पड़ता है। दुखद तो ये है कि इसके बावजूद हमारे नेता और मीडिया इसे न केवल बर्दाश्त करते हैं, बल्कि इसे और भड़काते हैं।"
Unfortunately, Hinduphobia is very real. I've experienced it directly in each of my campaigns for Congress & in this presidential race. Here's just one example of what Hindus face every day in our country. Sadly, our political leaders & media not only tolerate it, but foment it. https://t.co/60MDtszQHf— Tulsi Gabbard 🌺 (@TulsiGabbard) March 5, 2020
तुलसी गबार्ड के इस ट्वीट से पहले बुधवार(मार्च 4, 2020) को यूएस की एक साइकेट्रिस्ट एवं साइकोथेरेपिस्ट शीनी अंब्राडर ने एक हिन्दू महिला का अनुभव ट्विटर पर शेयर किया था। डॉ. शीनी ने अपने पोस्ट में पीड़िता का नाम नहीं बताया था। पीड़िता का जो फेसबुक पोस्ट डॉ. शीनी ने शेयर किया था, उसमें वह एक उबर ड्राइवर की बदसलूकी के बारे में बताती नजर आईं, जिसे उन्हें हिन्दू होने और हिन्दुओं का बचाव करने के कारण झेलना पड़ा। पोस्ट में महिला ने बताया था कि आखिर किस तरह अंतरराष्ट्रीय मीडिया की गलत कवरेज के कारण दिल्ली में हुए दंगों को लोग मुस्लिमों के ख़िलाफ़ मान रहे हैं और न केवल हिन्दुओं को विलेन समझ रहे हैं, बल्कि उनके प्रति आक्रमक भी हो रहे हैं।
महिला के मुताबिक, जब उसने उबर बुक की तो ड्राइवर ने पहले सुनिश्चित किया कि वे भारतीय हैं। इसके बाद उसने दिल्ली में हिन्दू विरोधी दंगों के बारे में बात करनी शुरू की। वह इस बात पर जोर देकर बताने लगा कि भारत में मुस्लिमों को हिन्दू मार रहे हैं। हिन्दू मस्जिदों को तोड़ रहे हैं।
महिला ने अपनी साथ हुई इस घटना के लिए सीधे तौर पर एकतरफा पत्रकारिता को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने इस घटना को बिंदु में रखते हुए पोस्ट लिखा था और आरोप लगाया था कि दिल्ली दंगों पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया की एकतरफा पत्रकारिता से विदेशों में हिन्दूफोबिया बढ़ रहा है और लोग हिन्दुओं के ख़िलाफ़ गलत धारणा बना रहे हैं।
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प्रतीकात्मक |
अंतरराष्ट्रीय मीडिया में हिन्दुओं के ख़िलाफ़ परोसी जा रही नफरत अब बड़े स्तर पर अपना असर दिखाने लगी है। सोशल मीडिया पर लोग खुलकर अपने ऐसे अनुभव साझा कर रहे हैं जब उन्हें अपने हिन्दू होने के नाते या हिन्दुओं को डिफेंड करने के नाते कट्टरपंथी सोच का शिकार होना पड़ा। मार्च 4 को ऐसा ही कड़वा अनुभव यूएस की एक साइकेट्रिस्ट एवं साइकोथेरेपिस्ट शीनी अंब्राडर ने शेयर किया। हालाँकि डॉ. शीनी का ये निजी अनुभव नहीं है। उन्होंने एक हिन्दू महिला के साथ हुई घटना को शेयर किया है।
डॉ. शीनी ने अपने पोस्ट में पीड़िता का नाम नहीं बताया। लेकिन शीनी के पोस्ट से ये बात मालूम होती है कि पीड़िता हिन्दू है। पीड़िता का फेसबुक पोस्ट, जिसे डॉ. शीनी ने शेयर किया, उसमें वह एक उबर ड्राइवर की बदसलूकी के बारे में बताती नजर आईं, जिसे उन्हें हिन्दू होने और हिन्दुओं का बचाव करने के कारण झेलना पड़ा।

पीड़िता के मुताबिक, इतना सब सुनने के बाद उसने ड्राइवर को समझाने की पूरी कोशिश की दिल्ली दंगों के बारे में उनकी सोच सही नहीं है। क्योंकि इन दंगों में दो समुदाय के लोगों का नुकसान हुआ, दोनों तरफ के लोग घायल हुए और दोनों को मारा गया। मगर, ड्राइवर ये सब सुनने के बाद महिला से नाराज हो गया। वह महिला की बात सुनकर चुप होने की बजाय उसपर गुस्सा निकालने लगा और थोड़ी देर में उसने महिला को और महिला की बहन को अपनी कैब से उतरने को बोल दिया।
ड्राइवर का ऐसा रवैया देखकर महिला ने फौरन पुलिस को बुलाया जिसके बाद वह शांत हुआ। मगर पीड़िता ने इस घटना को महसूस करने के बाद इसके पीछे अतंरराष्ट्रीय मीडिया की एकतरफा पत्रकारिता को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने इस घटना को बिंदु में रखते हुए पोस्ट लिखा और आरोप लगाया कि दिल्ली दंगों पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया की एकतरफा पत्रकारिता से विदेशों में हिन्दूफोबिया बढ़ रहा है। लोग हिन्दुओं के ख़िलाफ़ गलत धारणा बना रहे हैं।
दिल्ली में बीते दिनों हमने सीएए के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन के नाम पर हिन्दू विरोधी हिंसा देखी। मगर, वामपंथी मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इसमें भी हिन्दुओं को दोषी बता दिया। इस बीच मुस्लिम भीड़ सड़कों पर अल्लाह हू अकबर और नारा ए तकबीर कहती आगजनी, पत्थरबाजी को अंजाम देती रही। लेकिन इस मीडिया का ध्यान जय श्री राम के नारों पर आ टिका और देखते ही देखते यहाँ हर मुमकिन प्रयास और उदहारणों के जरिए हिंसक भीड़ की बर्बरता को हिन्दुओं का नाम लेकर समझाने की कोशिश हुई। नतीजतन उबर ड्राइवर जैसे लोग तैयार हुए, जिन्होंने हिन्दुओं को पीड़ित श्रेणी में सुनकर उन पर संवेदना जताने की बजाय अपना गुस्सा जाहिर किया और उनका पक्ष लेने वाली महिला को कैब से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
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