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आपस में लड़ते प्रदर्शनकारी |
कहावत है 'बोया पेड़ बबुल का, आम कहाँ से होए', शाहीन बाग़ में शत-प्रतिशत चरितार्थ हो रही है। जहाँ नेतागिरी को लेकर झगड़ा शुरू हो गया है। दूसरे, जब नागरिकता संशोधक कानून समर्थक कहते थे कि प्रदर्शनकारी विरोध में नहीं, बल्कि 500 रूपए, बिरयानी और बढ़िया नाश्ता के लालच में दूध पीते नौनिहालों को लेकर पहुँचती महिलाओं पर लोग कहते थे कि 'ऐसे कौन जाएगा', समय बड़ा बलवान होता है। नौसिखिए नेता बने घूम रहे थे, लोगों को धन, बिरयानी, नाश्ता और टैंट आदि का प्रबंध करने वाले कहीं दूर तक नज़र नहीं आ रहे, कोई उनका अहसान तक नहीं मान रहे। कोरोना के चलते धन का आभाव होने से प्रदर्शनकारी सरकार का विरोध करने की बजाए आपस में ही भिड़ने लगे हैं।
जहाँ एक तरफ पूरा देश कोरोना वायरस के खतरे से लड़ रहा है, शाहीन बाग़ के उपद्रवी आपस में ही लात-घूसा चला रहे हैं। एक तो शाहीन बाग़ वालों ने कोरोना वायरस के खतरों को नजरंदाज कर धरना-प्रदर्शन जारी रखा है और पूरी दिल्ली को ख़तरे में डाल दिया है, ऊपर से वो क़ानून-व्यवस्था के लिए भी संकट उत्पन्न कर रहे हैं। दिल्ली के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने शाहीन बाग़ का शनिवार (मार्च 21, 2020) का एक विडियो शेयर किया है। इसमें प्रदर्शनकारी आपस में ही मारपीट करते हुए दिख रहे हैं।
भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने दावा किया है कि शाहीन बाग़ के इन प्रदर्शनकारियों ने न सिर्फ़ आपस में लात-घूसों से लड़ाई की बल्कि एक-दूसरे पर पत्थर भी चलाए। अब इससे ये शक उभरता है कि क्या आज वहाँ पर पेट्रोल बम का फेंका जाना आपस की गैंगवार का प्रतिफल है? दिल्ली के हालिया हिन्दू-विरोधी दंगों में भी मुस्लिम दंगाई भीड़ ने पेट्रोल बम का जम कर इस्तेमाल किया था। कपिल मिश्रा का कहना है कि कोरोना के चक्कर में इनका धंधा बंद हो रहा है, इसलिए बौखला कर आपस में ही सिर-फुटव्वल कर रहे हैं।
कल रात शाहीन बाग में आपस में लात घुसें चले हैं— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) March 22, 2020
बाद में कुछ लोगों ने शायद एक दूसरे को पत्थरों से भी मारा
आज वहां पेट्रोल बम फेंका गया
ये आपस की गैंगवार हैं
कोरोना के चक्कर में धंधा बंद हो रहा हैं pic.twitter.com/1MusTYjYgF
हो सकता है कि कोरोना पर सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों और संक्रमित होते लोगों के बीच शाहीन बाग़ को पब्लिसिटी न मिल पा रही हो और इसके लिए उन्होंने कोई कुचक्र रचा हो। वो लगातार सरकारी आदेशों की तौहीन कर रहे हैं। उनकी आपस की लड़ाई भी इसी बौखलाहट का नतीजा हो सकती है कि उन्हें मीडिया का अटेंशन नहीं मिल रहा और 100 दिन से ज्यादा समय से चल रहे इस उवद्रव से अब वो भी बोर हो चुके हैं।
अवलोकन करें:-
कोरोना पर शेहला रशीद और योगेंद्र यादव सहित कई अन्य सीएए विरोधियों द्वारा मोदी की तारीफ करने से भी लिबरलों के कट्टरवादी समूह में बौखलाहट का माहौल है।
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