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दिल्ली से पलायन करते मजदूरों ने किया दिल्ली सरकार को बेनकाब |
बीते 5 दिनों से दिल्ली से बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिकों का पलायन हो रहा है। हालत ये है कि दिल्ली-उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। ऐसी हालत तब है, जब देश में लॉकडाउन है। लोगों को घरों में रखने के लिए देश में अघोषित कर्फ्यू जैसे हालात हैं।
फिर सवाल उठता है, आखिर दिल्ली से इतनी बड़ी भीड़ पैदल ही सौ-हजार या हजार से ज्यादा किलोमीटर की यात्रा कर घर जाने को क्यों मजबूर हुई? उन दावों का क्या हुआ, जिसमें कहा जा रहा था कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने कोरोना वायरस की स्थिति सँभालने के लिए बढ़िया काम किया है?
इस मामले को लेकर केजरीवाल चौतरफा घिरते जा रहे हैं। न केवल विपक्षी दल बीजेपी के कपिल मिश्रा, मनोज तिवारी, गौतम गंभीर प्रवेश वर्मा जैसे नेताओं ने मुख्यमंत्री पर सवाल उठाए हैं, बल्कि आशुतोष जैसे पत्रकार जो आप में रह चुके हैं ने भी केजरीवाल सरकार को घेरा है।
दिल्ली से UP बिहार की गरीब लेबर का अचानक सब कुछ दिल्ली में छोड़ वापिस अपने प्रदेश के लिए देशव्यापी लॉक डाउन में बाहर निकलना मात्र कोई समान्य घटना नहीं है, इसके पीछे बहुत बड़े अवसरवादी षड़यंत्र की राजनीतिक नींव काम कर रही है।
प्रधानमंत्री मोदी की छवि को गिराना
दिल्ली से UP बिहार की गरीब जनता को कोरोना वायरस के देशव्यापी संकट के समय घर से बाहर निकलवा के वापिस अपने राज्यों में भजने के पीछे गहरी राजनैतिक साजिश है, इस षड्यंत्र में प्रशांत किशोर और केजरीवाल ने एक तीर से अनेक निशानों पे वार किया है…
सबसे पहले पूरे देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री मोदी की छवि को गिराना है, और साबित करना है कि देश में मोदी द्वारा लॉक डाउन आव्हान से लाखों गरीब मजदूर बेरोजगार हो गए और दूसरा निकट समय में जो बिहार चुनाव आने वाले हैं उस पर अपनी राजनैतिक रोटी सेंकी जाये..और देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भी अफरा तफरी और बेरोज़गारी को बढ़ावा दिया जाए !
बिहार में इस साल चुनाव हैं, नीतीश ने समझदारी वाली बात कही थी कि अगर वो बाहर रह रहे बिहारियों को वापस आने देंगे तो लॉक डाउन टूट जाएगा और फिर उसका असर ख़त्म हो जाएगा। आम आदमी पार्टी को इस साल बिहार में चुनाव लड़ना है, केजरीवाल से भी घटिया आदमी प्रशांत किशोर ने उसे सलाह दी कि अगर इन प्रवासी बिहारियों की लौटने में मदद की जाए तो दो फ़ायदे होंगे, पहला कि ये लोग और इनके घरवाले ख़ुश होंगे, दूसरा, बिहार में बीमारी और अव्यवस्था फैलेगी और इससे नीतीश का सुशासन का दावा कुशासन में बदल जाएगा और इसका पॉलिटिकल माइलेज केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को को मिलेगा...इसीलिए उसने सबसे पहले उन लोगों के बीच ये अफ़वाह फैलाई कि लॉक्डाउन 3 से 6 महीने चलेगा, 14 अप्रेल को तो अब 15 दिन ही बचे हैं, ये लोग 15 दिनों के लिए घर नहीं जा रहे, ये इसीलिए जा रहे हैं क्यूँकि उन्हें बताया गया है कि अब 3 से 6 महीने कोई काम नहीं मिलेगा तो यहाँ रहकर क्या करोगे…
केजरीवाल हमेशा राष्ट्रीय स्तर की राजनीती पर भरसक प्रयास करते रहते हैं की कैसे प्रधानमंत्री मोदी की छवि को नीचे गिराया जाये, और इस समय कोरोना वायरस जैसी संकट की घडी में भी उन्होंने अपनी घिनौनी सोच और षड्यंत्र को अंजाम दिया, केजरीवाल ने कोरोना वायरस के खतरे में केवल पूरी दिल्ली को संकट में दाल दिया बल्कि गरीब मजदूर वर्ग को भी झूठी अफवाहों से भर्मित कर के अपना राजनैतिक उल्लू सीधा करने की घटिया कोशिश की!
कारण
दिल्ली सरकार द्वारा कहा गया कि दिल्ली पूरी तरह तैयार है। बीते एक सप्ताह से यह कहा जा रहा है कि दिल्ली के विश्वस्तरीय शेल्टर होम में खाने-रहने की व्यवस्था की गई है। लेकिन आँकड़े इसकी गवाही नहीं देते।
शेल्टर होम के आँकड़े बताते हैं कि दिल्ली सरकार के पास 223 शेल्टर होम हैं। यहाँ जाने वाले कुल लोगों की संख्या में 4 दिनों में 2 से 3 गुना इजाफ़ा हुआ है। लेकिन रोचक बात ये है कि लोगों की संख्या सभी शेल्टर होम में नहीं बढ़ी है। 223 में से 30 से भी कम शेल्टर होम में लोगों की आवाजाही ज्यादा बढ़ी, बाकी जगहों पर आज भी जाने वाले लोगों की संख्या 20 से 50 ही है।

जबकि आँकड़े बताते हैं कि यमुना पुश्ता नाम के शेल्टर होम में सबसे अधिक लोग पहुँचे, लेकिन वहाँ भी आँकड़ा एक समय में 7000 का नहीं हुआ, जैसा बताया गया। कई शेल्टर होम में तो खाने की व्यवस्था भी नहीं थी, जहाँ दिल्ली पुलिस की मदद से भोजन के पैकेट पहुँचाए गए।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या केजरीवाल सरकार को अंदाजा हो गया था कि उसे लोगों को खिलाने की व्यवस्था करनी पड़ेगी, इसलिए शुरुआती 4 दिनों में कम लोगों की व्यवस्था की और लोगों को दिल्ली से भागने दिया गया?
दिल्ली की जनता ने @ArvindKejriwal को औरों पे आरोप लगाने के लिए चुना है क्या ?— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) March 29, 2020
इस स्थिति में भी सारी जवाबदेही PM और बाकी राज्यों के CM पे डाल दी !
500 करोड़ के advertisement budget में 2 लाख लोगों का खाना आ जायेगा
अगर दिल्ली ही नहीं रहेगी तो कहाँ बेचोगे अपने झूठ को?
शर्मनाक! pic.twitter.com/eNv2LbjTeb
•@ArvindKejriwal जी DTC बसों में लोगों को भर दिल्ली बॉर्डर पर इकट्ठा तो करवा दिए आप,CM साहेब हाथ जोड़ 🙏के विनम्र निवेदन है कि 15 दिनों का राशन हर परिवार को दें और उन्ही बसों में इनको वापिस दिल्ली में ही जहाँ रहते हैं वहां छुड़वा दें, नहीं तो ये गंभीर समस्या का रूप ले लेगा..🙏🙏— Manoj Tiwari (@ManojTiwariMP) March 28, 2020
दिल्ली के गरीबों में भगदड़ क्यूं— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) March 28, 2020
क्योंकि ग्राउंड पे सरकार गायब हैं
दिल्ली सरकार सिर्फ प्रेस कांफ्रेंस, विज्ञापनों में बिजी है
लेबर्स गए तो राशन और दवाई की सप्लाई भी ठप्प होगी
Delhi city Management has collapsed
Crisis not even started yet
Listen this AajTak report- pic.twitter.com/ZaVbTp2Rsv
दिल्ली यूपी बॉर्डर कौशाम्बी— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) March 28, 2020
ये तस्वीरें देखकर रोना भी आ रहा हैं और गुस्सा भी
एक फेल दिल्ली सरकार जो गरीबों को भरोसा ही नहीं दे पाई
चंद एजेंडा पत्रकार जिन्होंने 24 घण्टे हौवा खड़ा किया और इन गरीबों में दहशत पैदा की
देश की कोरोना के खिलाफ लड़ाई कहीं यही से फेल ना हो जाये pic.twitter.com/j3hAOMASxJ
More than 2 lakh crowd at Anand Vihar Delhi— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) March 28, 2020
अभी इन समय आनंद विहार दिल्ली में 2 लाख से ज्यादा की भीड़
दिल्ली की निकम्मी राज्य सरकार और चंद एजेंडा पत्रकारों ने पूरे देश को इस आग में झोंक दिया है pic.twitter.com/lg5RhXRb8C
अभी रात को भी दिल्ली में जगह जगह से आनंद विहार के लिए डीटीसी की बसें चलाई जा रही हैं— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) March 28, 2020
इन्हीं बसों से लाखो की भीड़ आनंद विहार में इकठ्ठा हो रही हैं
साफ है ये तमाशा जानबूझकर किया जा रहा हैं
चाहते क्या हो केजरीवाल जी? #KejriwalFailedDelhi pic.twitter.com/fVXCnLbrbA
22 मार्च ऐलान किया मुख्यमंत्री @ArvindKejriwal ने कि 31मार्च तक दिल्ली के बॉर्डर सील रहेंगे।किसने अफवाह फैलाई और कौन बसें भर भर के लोगों को बॉर्डर पर छुड़वा रहा है?— Parvesh Sahib Singh (@p_sahibsingh) March 29, 2020
दिल्ली में अलग ही आपातकालीन स्तिथि उत्पन्न करके करोड़ों लोगों की ज़िन्दगियों से खेलने का मतलब? pic.twitter.com/mDHOmg4QmV
क्या आपने आनंद विहार पर दिल्ली सरकार के किसी नुमाइंदे को देखा ? कहाँ है दिल्ली के मुख्य मंत्री ? ये सारे लोग वहीं है जो वहां इकट्टा है जिन्होंने एक महीना पहले केजरीवाल को वोट दिया । आज ये अपने को अनाथ महसूस कर रहे हैं ! ये पार्टी कहती है कि ये आम आदमी की बात करती है ।— ashutosh (@ashutosh83B) March 28, 2020
यहाँ पर गौर करने वाली बात ये भी है कि जब 223 शेल्टर होम में महज 20000 लोगों की ही व्यवस्था हो सकती है तो सरकार कैसे यह दावा कर रही है कि 235 स्कूलों में 2 लाख लोगों तक उसने खाना पहुँचाया! कहा यह भी गया कि लंच और डिनर दोनों दिए जा रहे है लेकिन भीड़ में खिचड़ी परोसते विडियो वायरल हुए।
अब ऐसे में दिल्ली के लाखों दिहाड़ी मजदूर क्या करते, जब राज्य सरकार की ओर से कोई इंतजाम ही नहीं किया गया!
गैर-निवासियों के साथ भेदभाव
राज्य सरकार द्वारा जितनी भी घोषणाएँ की गईं, वे सब दिल्ली के नागरिकों के लिए थे। कंस्ट्रक्शन क्षेत्र के मजदूरों के लिए सहायता राशि की घोषणा में वे दिहाड़ी मजदूर शामिल नहीं थे, जो बड़ी संख्या में गैर पंजीकृत थे लेकिन कंस्ट्रक्शन कंपनी अथवा ठेकेदारों के साथ कार्य करते थे। दिल्ली छोड़कर जा रहे मजदूरों ने यह इल्जाम भी लगाया कि हेल्पलाइन नंबरों पर उन्हें न तो कोई मदद मिली, न कोई आश्वासन। यहाँ तक कि आवासीय प्रमाण पत्रों की माँग की गई और जो दिल्ली के नहीं थे, उनके साथ भेदभाव किया गया, उन्हें खाने को नहीं मिला।

कोरोना वायरस जहाँ से शुरू हुआ, उस वुहान (चीन) में हुए एक अध्ययन से ये बात सामने आई कि वायरस की चपेट में आए लोगों में साँस लेने की दिक्कत होती है। कोरोना पॉजिटिव मरीजों में से 5 प्रतिशत मरीजों को ICU अर्थात इंटेंसिव केयर यूनिट की आवश्यकता पड़ती है। वही 2.3 प्रतिशत मरीजों को वेंटिलेटर की नितांत जरूरत पड़ती है। नार्मल साँस लेने की दर प्रति मिनट 15 होती है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति 28 साँस/मिनट के आँकड़े को छू ले तो उसकी स्थिति सँभालने के लिए वेंटिलेटर अवश्य चाहिए होता है।
बात अगर दिल्ली के पास उपलब्ध वेंटिलेटर की करें तो 2 दिसंबर 2019 को दिल्ली विधानसभा में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि केवल 466 वेंटिलेटर हैं दिल्ली में, जिनमें से 23 काम नहीं कर रहे, वहीं 11 को ठीक करवाने की प्रक्रिया चल रही थी। यानी केवल 432 वेंटीलेटर काम के हैं। बीते तीन महीनों में इजाफ़ा नहीं हुआ, क्योंकि इसी जबाब में यह कहा गया कि कोई माँग लंबित नहीं है।
बात यहीं खत्म नहीं हो जाती। दिल्ली के किन-किन अस्पतालों में ICU की सुविधा उपलब्ध है, इस प्रश्न के जबाब में दिल्ली सरकार के दिए आँकड़े और अचंभित करते हैं। दिसंबर, 2019 में ही विधानसभा के पटल पर दिए जबाब के मुताबिक दिल्ली के 28 अस्पतालों की सूची दी गई, जिनमें से 12 में ICU ही नहीं हैं। वही 6 अस्पतालों में वेंटिलेटर की कोई सुविधा नहीं है। 28 में से एक अस्पताल के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।


ICU और वेंटिलेटर तक ही बात सीमित नहीं है। दिल्ली सरकार ने कोरोना की जाँच के बाद अच्छी सुविधाएँ मुहैया न होने से झल्लाए मिडल क्लास के लिए तो 3100 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से प्राइवेट आलिशान होटल मुहैया करवा कर उनका मुँह बंद करवा दिया लेकिन अगर गरीब लोग बड़ी संख्या में कोरोना के मरीज बने या मरीजों के चपेट में आ गए तो उन्हें रखेंगे कहाँ, यह समस्या भी दिल्ली सरकार के सामने खड़ी है।
दिल्ली सरकार के इकॉनमिक सर्वे (2019-20) की मानें तो वर्तमान में यहाँ के सरकारी अस्पतालों में केवल 11770 बेड हैं। दिल्ली के सभी अस्पतालों में उपलब्ध बेड की बात करें तो कुल 57709 बेड मरीजों के लिए उपलब्ध है। प्रतिशत में देखें तो 52 प्रतिशत बेड प्राइवेट अस्पतालों में है, वहीं केंद्र सरकार, MCD के अस्पतालों में 28 प्रतिशत। महज 20 प्रतिशत हिस्सा दिल्ली सरकार के अस्पतालों में है।

यही नहीं। दिसंबर 2019 तक दिल्ली में चल रहे जिन 315 मोहल्ला क्लिनिक को वर्ल्ड क्लास कहा गया, वहाँ न तो कोरोना का टेस्ट हो सकता है, न ही वहाँ कोरोना के मरीजों के इलाज अथवा रुकने की व्यवस्था है। अफ़सोस, जब पूरा देश कोरोना से जंग लड़ रहा है, मोहल्ला क्लिनिक से कोरोना के मरीज ही निकले, वे कोरोना से लड़ने की जगह नहीं बन पाए। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो आज हालत यह है कि जबसे यह पता चला है एक डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव निकला है, कई मोहल्ला क्लिनिकों में डॉक्टर ही नहीं आ रहे। अधिकांश मोहल्ला क्लिनिक न साफ़-सुथरे हैं, न ही कोरोना वायरस से बचने के वहाँ कोई उपाय!
बिहार विरोधी षड़यंत्र

जब बड़ी संख्या में पलायन की ख़बरें 24 मार्च से ही आने शुरू हुए, तबसे लेकर अगले 4 दिनों तक किसी भी तरह के उपाय की घोषणा दिल्ली सरकार द्वारा नहीं की गई, जो प्रवासी श्रमिकों के भले के लिए हो, उन्हें राहत पहुँचाए। पलायन रोकने के लिए भी कोई पहल नहीं की गई। जब स्थिति आउट ऑफ़ कंट्रोल होने लगी तो पहले स्कूलों में लंगर चलाने के आँकड़े बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने का काम हुआ, फिर पब्लिसिटी बटोरने के लिए सिसोदिया प्रवासी मजदूरों के साथ विडियो शेयर करके अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर रफू-चक्कर हो गए।
अवलोकन करें:-
दिल्ली सरकार चलाने वाले इस बात को भी समझते हैं कि जिस तरीके से दुनिया के बड़े शहरों जैसे न्यू यॉर्क, न्यूजर्सी में कोरोना का दहशत पैदा हुआ है, अस्पताल परेशान है, संसाधन नहीं है, वैसी स्थिति दिल्ली में बनी तो केजरीवाल की बनी बनाई छवि बर्बाद हो जाएगी। इसलिए गरीबों की मौत का ठीकरा किसी और पर फूटे, इसलिए भी लोगों को दिल्ली से भगाने की कोशिशों को अंजाम दिया गया।
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