कोरोना वायरस संकट पर देश में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद से लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं। घर से बाहर ना निकल कर लोग इस महामारी को मात देने की कोशिश में लगे हैं, लेकिन कुछ मीडिया हाउस फेक न्यूज से दहशत फैला कर कोरोना के खिलाफ अभियान को असफल करना चाहते हैं। कोरोना को लेकर न्यूज एजेंसी IANS के साथ NDTV और बिजनेस इनसाइडर ने यह दिखाने की कोशिश की कि भारत में कोरोना वायरस की भयावह स्थिति अगस्त के मध्य तक रह सकती है। अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी और सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी (CDDEP) की रिपोर्ट का हवाला देकर गया कि करीब 25 करोड़ लोग इस वायरस की चपेट में आकर अस्पताल पहुंच सकते हैं।
वैसे फेक न्यूज़ चलाने में द ऑल्ट, द क्विंट भी पीछे नहीं। अपनी TRP बढ़ाने के लिए इतनी असंभव न्यूज़ प्रसारित कर रहे हैं, जिनका सच्चाई से दूर तक कोई वास्ता नहीं। इन जैसे संस्थानों ने समस्त पत्रकारिता को पीली पत्रकारिता(yellow journalism) बना दिया है। जो किसी भी देश में कभी भी विस्फोटक स्थिति ला सकता है। भारत सरकार लॉक डाउन से पूर्व सावधानी बरत रही थी, जैसे हवाई अड्डों, मेट्रो और रेलवे स्टेशन को सनेटाइज़ करना आदि आदि। इस कटु सच्चाई से इंकार भी नहीं भारत में यह संक्रामक बीमारी विदेशों से आए लोगों के कारण ही फैली; दूसरे, जिन्हें इस बीमारी की पुष्टि हो गयी, उनका इलाज करवाने की बजाए इधर-उधर छुपकर अपने साथ अन्यों को भी संक्रमित करने के कारण भी फैली।


लेकिन जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने इस खबर या स्टडी से कोई लेना-देना ना होने की बात कह कर फेक न्यूज फैलाने वालों पोल खोल दी।

सोशल मीडिया पर लोगों ने एनडीटीवी को लताड़ लगानी शुरू कर दी।

पोल खुलने के बाद एनडीटीवी ने खबर डिलीट कर दी।

स्मरण हो कि जब देश में नागरिकता संशोधक कानून विरोधी शांति के नाम धरने एवं प्रदर्शन कर रहे थे, तब भी इसी NDTV ने उपद्रवियों द्वारा अलगाववादी नारे, हिन्दुत्व, योगी, मोदी, अमित विरोधी नारे लगाए जाने को कभी उजागर नहीं किया। किस तरह इन धरने और प्रदर्शनों पर विरोधी दल पैसा पानी की बहा रहे थे, कभी NDTV, The Quint और The Alt आदि ने कभी जनता के सम्मुख नहीं रखा। विपरीत इसके उनकी अनुचित बातों का ढोल पीटते रहे।
अवलोकन करें:-
वैसे फेक न्यूज़ चलाने में द ऑल्ट, द क्विंट भी पीछे नहीं। अपनी TRP बढ़ाने के लिए इतनी असंभव न्यूज़ प्रसारित कर रहे हैं, जिनका सच्चाई से दूर तक कोई वास्ता नहीं। इन जैसे संस्थानों ने समस्त पत्रकारिता को पीली पत्रकारिता(yellow journalism) बना दिया है। जो किसी भी देश में कभी भी विस्फोटक स्थिति ला सकता है। भारत सरकार लॉक डाउन से पूर्व सावधानी बरत रही थी, जैसे हवाई अड्डों, मेट्रो और रेलवे स्टेशन को सनेटाइज़ करना आदि आदि। इस कटु सच्चाई से इंकार भी नहीं भारत में यह संक्रामक बीमारी विदेशों से आए लोगों के कारण ही फैली; दूसरे, जिन्हें इस बीमारी की पुष्टि हो गयी, उनका इलाज करवाने की बजाए इधर-उधर छुपकर अपने साथ अन्यों को भी संक्रमित करने के कारण भी फैली।


लेकिन जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने इस खबर या स्टडी से कोई लेना-देना ना होने की बात कह कर फेक न्यूज फैलाने वालों पोल खोल दी।

सोशल मीडिया पर लोगों ने एनडीटीवी को लताड़ लगानी शुरू कर दी।
पोल खुलने के बाद एनडीटीवी ने खबर डिलीट कर दी।

स्मरण हो कि जब देश में नागरिकता संशोधक कानून विरोधी शांति के नाम धरने एवं प्रदर्शन कर रहे थे, तब भी इसी NDTV ने उपद्रवियों द्वारा अलगाववादी नारे, हिन्दुत्व, योगी, मोदी, अमित विरोधी नारे लगाए जाने को कभी उजागर नहीं किया। किस तरह इन धरने और प्रदर्शनों पर विरोधी दल पैसा पानी की बहा रहे थे, कभी NDTV, The Quint और The Alt आदि ने कभी जनता के सम्मुख नहीं रखा। विपरीत इसके उनकी अनुचित बातों का ढोल पीटते रहे।
अवलोकन करें:-
No comments:
Post a Comment