जब से तबलीगी जमात की करतूत सामने आई है लिबरल गैंग खार खाए बैठा है। वह जमातियों के गुनाहों पर पर्दा डालने के लिए हिन्दुओं को कसूरवार ठहराने का हर जतन कर रहा है। इस क्रम में फेक न्यूज, पुराने वीडियो तक सोशल मीडिया में पोस्ट किए जा रहे। इस गिरोह में कथित पत्रकार सबा नकवी भी है जो हिन्दुओं के खिलाफ जहर फैलाने का कोई मौका नहीं छोड़ती। अब उसने एक पुराना विडियो शेयर कर यह जताने की कोशिश की है कि हिन्दू भी लॉकडाउन का उल्लंघन कर रहे हैं।
नकवी ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें मंदिर में कई श्रद्धालु दर्शन हेतु जाते दिख रहे हैं। नकवी ने दावा किया कि यह घटना तबलीगी जमात के आयोजनों जैसा ही है और हिन्दुओं ने भी बड़े पैमाने पर लॉकडाउन का उल्लंघन किया है। उसने दावा किया कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किए बिना और सरकारी निर्देशों की अवहेलना करते हुए भक्तगण मंदिरों में टूट पड़े हैं। लेकिन, सच्चाई कुछ और ही है। चोरी पकड़े जाने के बाद नकवी ने अपना ये ट्वीट डिलीट कर दिया है।

18 मार्च को यूट्यब पर पोस्ट किया गया था ये वीडियो
सबा नकवी ने जो विडियो शेयर किया, वो 18 मार्च का है। तब न तो प्रधानमंत्री मोदी ने ‘जनता कर्फ्यू’ का ऐलान किया था और न ही देश में लॉकडाउन लगाया गया था। ये विडियो अयोध्या का है। सबा नकवी ने 18 मार्च के विडियो को 15 दिनों के बाद शेयर किया और लिखा कि ये लॉकडाउन का उल्लंघन है। उस समय तक कई मंदिरों में दर्शन चालू थे और लोग बाहर भी निकल रहे थे। फिर सबा नकवी के अनुसार, लोगों ने तब लॉकडाउन का उल्लंघन किया जब लॉकडाउन लगाया ही नहीं गया था। पीएम मोदी ने 19 मार्च को ‘जनता कर्फ्यू’ का ऐलान किया, जिसका पालन 22 मार्च को किया जाना था।
बाद में उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार ने मिल कर अयोध्या में मास गैदरिंग रोकने की पहल की, जिसके बाद श्रद्धालुओं की संख्या कम हुई। लेकिन, सबा नकवी ने इस घटना की तुलना उस घटना से कर दी, जिसमें कई दिनों तक लगातार पुलिस-प्रशासन की बातों की अवहेलना करते हुए लॉकडाउन का उल्लंघन किया जाता रहा। लॉकडाउन के बावजूद दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज़ में मजहबी कार्यक्रम आयोजित होते रहे। उल्लेखनीय है कि दिल्ली में लॉकडाउन के ऐलान से काफी पहले ही 200 लोगों के जुटान पर रोक लगा दी गई थी। बावजूद इसके मरकज में हजारों लोग थे। इनमें विदेश भी थे। आज मरकज कोरोना वायरस संक्रमण का देश में मुख्य केंद्र बनकर उभरा है।
सबा नकवी जैसे मरकज़ समर्थकों की कमी नहीं, जो अपने-अपने स्तर पर व्हाट्सअप जैसे सोशल मीडिया पर अचानक लॉक आउट होने के कारण फंस जाने को उनकी मजबूरी बता रहे हैं। साथ में धमकी लहजे में उन्हीं की भाषा में जवाब देने को तैयार हैं। मीडिया द्वारा मरकज़ को बदनाम कर, सरकार की चापलूसी बता रहे हैं। जबकि टीवी परिचर्चाओं में भाग लेने वाले मरकज़ के समर्थकों को मुंह की खानी पड़ रही है। मरकज़ द्वारा भारत में कोरोना फैलाए जाना नहीं दिखता, आदि आदि। वैसे ऐसे लोग राजनीतिक दल में अपनी अच्छी पैठ रखते हैं। चुनावों में उसी पार्टी के विरुद्ध काम करते भी देखा एवं सुना गया है।
अली सोहराब के फेक न्यूज़ को शेयर करने वाला अबरार हुसैन गिरफ्तार
सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर फेक न्यूज शेयर करने के आरोप में वडोदरा पुलिस ने 35 वर्षीय मुहम्मद अबरार हुसैन शेख को गिरफ्तार किया है। अबरार ने जो फर्जी न्यूज शेयर की थी, उसमें कहा गया था कि वैष्णो देवी के मंदिर में फँसे 400 लोगों में से 145 लोगों का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव पाया गया है। बाकियों का टेस्ट जारी है और नए मामले भी सामने आ सकते हैं।
ऑनलाइन पोर्टल DeshGujarat की रिपोर्ट के मुताबिक शहर के साइबर सेल पुलिस स्टेशन ने अबरार शेख के खिलाफ आईपीसी की धारा 502 (2) और आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 54 के तहत केस दर्ज किया गया है। जानकारी के मुताबिक शेख ने कथित पत्रकार अली सोहराब के एक फेसबुक पोस्ट को शेयर किया था। सोहराब का अफवाहें फैलाने और झूठे ट्वीट व पोस्ट करने का पुराना इतिहास है। वह आपत्तिनजक ट्वीट करने के आरोप में यूपी पुलिस की कार्रवाई का सामना भी कर चुका है।
अली सोहराब ने ये सब तबलीगी जमात की हरकतों को ढकने के लिए किया। वो झूठी खबर फैला कर ये साबित करना चाहता था कि जैसे दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज़ में हज़ारों जमाती इकट्ठे होकर पुलिस-प्रशासन के निर्देशों की अवहेलना कर रहे थे, उसी तरह वैष्णो देवी मंदिर में भी श्रद्धालुओं ने ऐसी ही हरकत की है। जमातियों के कारण भारत में कोरोना वायरस के मामलों में अचानक से तेज वृद्धि हुई है और इसलिए लिबरल गिरोह के कई पत्रकार मजहब और कौम को जिम्मेदार न ठहराने की बात करते हुए घूम रहे हैं।
वैष्णो देवी गए 145 को हुआ कोरोना: पत्रकार अली ने फैलाया झूठ
पत्रकार अली सोहराब इससे पहले भी आपत्तिनजक ट्वीट करने के आरोप में यूपी पुलिस की कार्रवाई का सामना कर चुका है। अब उसने फिर से अफवाहें फैलाने और झूठे ट्वीट व पोस्ट करने का सिलसिला चालू कर दिया है। अली सोहराब ने माता वैष्णो देवी मंदिर में 400 लोगों के फँसे होने की झूठी ख़बर पोस्ट की है। इसके बाद उसने फेसबुक पर ही अगली पोस्ट में यह भी दावा किया कि उनमें से 145 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। अली सोहराब ने लिखा कि बाकियों का टेस्ट जारी है और नए मामले भी सामने आ सकते हैं।
अली सोहराब ने ये सब तबलीगी जमात की हरकतों को ढकने के लिए किया। वो झूठी ख़बर फैला कर ये साबित करना चाहता था कि जैसे दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज़ में हज़ारों जमाती इकट्ठे होकर पुलिस-प्रशासन की अवहेलना कर रहे थे, उसी तरह माता वैष्णो देवी मंदिर में भी श्रद्धालुओं ने ऐसी ही हरकत की है। जमातियों के कारण भारत में कोरोना वायरस के मामलों में अचानक से तेज वृद्धि हुई है और इसीलिए सेक्युलर गिरोह के कई पत्रकार मजहब और कौम को जिम्मेदार न ठहराने की बात करते हुए घूम रहे हैं।
माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने पहले ही ऐसी किसी भी ख़बर को नकार दिया है, जिसमें मंदिर में श्रद्धालुओं के फँसे होने की बात कही गई है। कटरा में भी कोई श्रद्धालु नहीं फँसा हुआ है। यात्रा पहले ही रोकी जा चुकी है। कई लोग मीडिया पर आरोप लगा रहे थे कि जब किसी हिन्दू धार्मिक स्थल में श्रद्धालु होते हैं तो उन्हें ‘फँसा हुआ’ बताया जाता है जबकि मस्जिद के मामले में ‘छिपा हुआ’ कहा जाता है। इसके बाद फेक न्यूज़ का दौर शुरू हुआ, जिसे अली सोहराब जैसों ने हज़ारों तक फैलाया।
अवलोकन करें:-
इससे पहले जब लखनऊ में कमलेश तिवारी की हत्या कर दी गई थी, तब अली सोहराब ने दिवाली कह कर सोशल मीडिया पर जश्न मनाया था। तब अली सोहराब को दिल्ली पुलिस और यूपी पुलिस की संयुक्त ऑपरेशन के दौरान गिरफ़्तार किया गया था। उस पर आईपीसी की धारा 295 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के लिए दुर्भावना से ग्रसित होकर और जानबूझ कर किया गया कृत्य) और 66, 67 आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था।
नकवी ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें मंदिर में कई श्रद्धालु दर्शन हेतु जाते दिख रहे हैं। नकवी ने दावा किया कि यह घटना तबलीगी जमात के आयोजनों जैसा ही है और हिन्दुओं ने भी बड़े पैमाने पर लॉकडाउन का उल्लंघन किया है। उसने दावा किया कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किए बिना और सरकारी निर्देशों की अवहेलना करते हुए भक्तगण मंदिरों में टूट पड़े हैं। लेकिन, सच्चाई कुछ और ही है। चोरी पकड़े जाने के बाद नकवी ने अपना ये ट्वीट डिलीट कर दिया है।

18 मार्च को यूट्यब पर पोस्ट किया गया था ये वीडियो
सबा नकवी ने जो विडियो शेयर किया, वो 18 मार्च का है। तब न तो प्रधानमंत्री मोदी ने ‘जनता कर्फ्यू’ का ऐलान किया था और न ही देश में लॉकडाउन लगाया गया था। ये विडियो अयोध्या का है। सबा नकवी ने 18 मार्च के विडियो को 15 दिनों के बाद शेयर किया और लिखा कि ये लॉकडाउन का उल्लंघन है। उस समय तक कई मंदिरों में दर्शन चालू थे और लोग बाहर भी निकल रहे थे। फिर सबा नकवी के अनुसार, लोगों ने तब लॉकडाउन का उल्लंघन किया जब लॉकडाउन लगाया ही नहीं गया था। पीएम मोदी ने 19 मार्च को ‘जनता कर्फ्यू’ का ऐलान किया, जिसका पालन 22 मार्च को किया जाना था।
बाद में उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार ने मिल कर अयोध्या में मास गैदरिंग रोकने की पहल की, जिसके बाद श्रद्धालुओं की संख्या कम हुई। लेकिन, सबा नकवी ने इस घटना की तुलना उस घटना से कर दी, जिसमें कई दिनों तक लगातार पुलिस-प्रशासन की बातों की अवहेलना करते हुए लॉकडाउन का उल्लंघन किया जाता रहा। लॉकडाउन के बावजूद दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज़ में मजहबी कार्यक्रम आयोजित होते रहे। उल्लेखनीय है कि दिल्ली में लॉकडाउन के ऐलान से काफी पहले ही 200 लोगों के जुटान पर रोक लगा दी गई थी। बावजूद इसके मरकज में हजारों लोग थे। इनमें विदेश भी थे। आज मरकज कोरोना वायरस संक्रमण का देश में मुख्य केंद्र बनकर उभरा है।
सबा नकवी जैसे मरकज़ समर्थकों की कमी नहीं, जो अपने-अपने स्तर पर व्हाट्सअप जैसे सोशल मीडिया पर अचानक लॉक आउट होने के कारण फंस जाने को उनकी मजबूरी बता रहे हैं। साथ में धमकी लहजे में उन्हीं की भाषा में जवाब देने को तैयार हैं। मीडिया द्वारा मरकज़ को बदनाम कर, सरकार की चापलूसी बता रहे हैं। जबकि टीवी परिचर्चाओं में भाग लेने वाले मरकज़ के समर्थकों को मुंह की खानी पड़ रही है। मरकज़ द्वारा भारत में कोरोना फैलाए जाना नहीं दिखता, आदि आदि। वैसे ऐसे लोग राजनीतिक दल में अपनी अच्छी पैठ रखते हैं। चुनावों में उसी पार्टी के विरुद्ध काम करते भी देखा एवं सुना गया है।
अली सोहराब के फेक न्यूज़ को शेयर करने वाला अबरार हुसैन गिरफ्तार
सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर फेक न्यूज शेयर करने के आरोप में वडोदरा पुलिस ने 35 वर्षीय मुहम्मद अबरार हुसैन शेख को गिरफ्तार किया है। अबरार ने जो फर्जी न्यूज शेयर की थी, उसमें कहा गया था कि वैष्णो देवी के मंदिर में फँसे 400 लोगों में से 145 लोगों का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव पाया गया है। बाकियों का टेस्ट जारी है और नए मामले भी सामने आ सकते हैं।
ऑनलाइन पोर्टल DeshGujarat की रिपोर्ट के मुताबिक शहर के साइबर सेल पुलिस स्टेशन ने अबरार शेख के खिलाफ आईपीसी की धारा 502 (2) और आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 54 के तहत केस दर्ज किया गया है। जानकारी के मुताबिक शेख ने कथित पत्रकार अली सोहराब के एक फेसबुक पोस्ट को शेयर किया था। सोहराब का अफवाहें फैलाने और झूठे ट्वीट व पोस्ट करने का पुराना इतिहास है। वह आपत्तिनजक ट्वीट करने के आरोप में यूपी पुलिस की कार्रवाई का सामना भी कर चुका है।
अली सोहराब ने ये सब तबलीगी जमात की हरकतों को ढकने के लिए किया। वो झूठी खबर फैला कर ये साबित करना चाहता था कि जैसे दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज़ में हज़ारों जमाती इकट्ठे होकर पुलिस-प्रशासन के निर्देशों की अवहेलना कर रहे थे, उसी तरह वैष्णो देवी मंदिर में भी श्रद्धालुओं ने ऐसी ही हरकत की है। जमातियों के कारण भारत में कोरोना वायरस के मामलों में अचानक से तेज वृद्धि हुई है और इसलिए लिबरल गिरोह के कई पत्रकार मजहब और कौम को जिम्मेदार न ठहराने की बात करते हुए घूम रहे हैं।
वैष्णो देवी गए 145 को हुआ कोरोना: पत्रकार अली ने फैलाया झूठ
पत्रकार अली सोहराब इससे पहले भी आपत्तिनजक ट्वीट करने के आरोप में यूपी पुलिस की कार्रवाई का सामना कर चुका है। अब उसने फिर से अफवाहें फैलाने और झूठे ट्वीट व पोस्ट करने का सिलसिला चालू कर दिया है। अली सोहराब ने माता वैष्णो देवी मंदिर में 400 लोगों के फँसे होने की झूठी ख़बर पोस्ट की है। इसके बाद उसने फेसबुक पर ही अगली पोस्ट में यह भी दावा किया कि उनमें से 145 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। अली सोहराब ने लिखा कि बाकियों का टेस्ट जारी है और नए मामले भी सामने आ सकते हैं।
अली सोहराब ने ये सब तबलीगी जमात की हरकतों को ढकने के लिए किया। वो झूठी ख़बर फैला कर ये साबित करना चाहता था कि जैसे दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज़ में हज़ारों जमाती इकट्ठे होकर पुलिस-प्रशासन की अवहेलना कर रहे थे, उसी तरह माता वैष्णो देवी मंदिर में भी श्रद्धालुओं ने ऐसी ही हरकत की है। जमातियों के कारण भारत में कोरोना वायरस के मामलों में अचानक से तेज वृद्धि हुई है और इसीलिए सेक्युलर गिरोह के कई पत्रकार मजहब और कौम को जिम्मेदार न ठहराने की बात करते हुए घूम रहे हैं।
पिछली बार लगता है @Uppolice की सेवा में कमी रह गयी जो अभी भी अली सोहराब अफ़वाह उड़ाने में जुटा हुआ है। इस बार ‘रिपीट ओफेंडर’ मानते हुए इस पर गभीरतम धाराओं में मुक़दमा दर्ज किया जाए। एक उदाहरण सेट करने की जरूरत है पूरे देश में और वो उत्तरप्रदेश से ही सम्भव। @dgpup @CMOfficeUP pic.twitter.com/YuK64ZESjY— Vedank Singh (@VedankSingh) April 4, 2020
माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने पहले ही ऐसी किसी भी ख़बर को नकार दिया है, जिसमें मंदिर में श्रद्धालुओं के फँसे होने की बात कही गई है। कटरा में भी कोई श्रद्धालु नहीं फँसा हुआ है। यात्रा पहले ही रोकी जा चुकी है। कई लोग मीडिया पर आरोप लगा रहे थे कि जब किसी हिन्दू धार्मिक स्थल में श्रद्धालु होते हैं तो उन्हें ‘फँसा हुआ’ बताया जाता है जबकि मस्जिद के मामले में ‘छिपा हुआ’ कहा जाता है। इसके बाद फेक न्यूज़ का दौर शुरू हुआ, जिसे अली सोहराब जैसों ने हज़ारों तक फैलाया।
अवलोकन करें:-
इससे पहले जब लखनऊ में कमलेश तिवारी की हत्या कर दी गई थी, तब अली सोहराब ने दिवाली कह कर सोशल मीडिया पर जश्न मनाया था। तब अली सोहराब को दिल्ली पुलिस और यूपी पुलिस की संयुक्त ऑपरेशन के दौरान गिरफ़्तार किया गया था। उस पर आईपीसी की धारा 295 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के लिए दुर्भावना से ग्रसित होकर और जानबूझ कर किया गया कृत्य) और 66, 67 आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था।
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