आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
जब से 2014 में मोदी सरकार बनी है, कांग्रेस मीडिया की स्वतन्त्रता पर हो रहे तथाकथित प्रहारों से जनता को भ्रमित करती रही है। लेकिन पालघर में निर्दोष हिन्दू साधुओं की निर्मम हत्या पर अर्नब गोस्वामी द्वारा सोनिया गाँधी की चुप्पी पर अपने तीखे प्रश्नों से प्रहार करके कांग्रेस की धर्म-निरपेक्षता पर जबरदस्त प्रहार किया था। जो कांग्रेस से बर्दाश्त नहीं हो रहा। अगर अर्नब ने कुछ आपत्तिजनक प्रहार किया था, कोर्ट में केस डालते, हमला करने की क्या जरुरत थी? किसके इशारे और कहने पर यह हमला हुआ? अगर अर्नब के प्रश्नों पर गंभीरता से चिंतन किया जाने यह बात उजागर होती है, जब इसके 'शान्तिप्रिय' पर किसी न किसी कारण हमला होने पर ही दर्द होता है, हिन्दू मरता है तो मर जाने दो।
कांग्रेस के प्रैस प्रेम पर रौशनी डालते हैं:-
जो पत्रकार कांग्रेस के समर्थन में अर्नब पर हमला बोल रहे हैं, शायद आपातकाल भूल गए। इस दौरान कांग्रेस की तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी ने Press Censorship लगा दी थी, कोई भी समाचार-पत्र/पत्रिका बिना सरकार द्वारा पारित समाचार प्रकाशित नहीं कर सकता था। The Motherland के मुख्यसंपादक केवल रतन मलकानी को मीसा में बंद कर दिया था और समाचार पत्र को भी बंद कर दिया था।
यूपीए के कार्यकाल में ये ही मीडिया कितनी निर्ममता से हिन्दू धर्म को कलंकित कर रहा था? इस्लामिक आतंकवादियों को बचाने के लिए बेकसूर हिन्दू साधु-संत, साध्वियों जैसे साध्वी प्रज्ञा, स्वामी असीमानंद और कर्नल पुरोहित को तथाकथित "हिन्दू आतंकवाद" और "भगवा आतंकवाद" के नाम पर जेलों में डाला जा रहा था। किसी तथाकथित खोजी पत्रकार ने सच्चाई सामने लाने का साहस नहीं किया। दीपावली के शुभावसर पर हिन्दुओं के सम्मानित शंकराचार्य को झूठे आरोप में गिरफ्तार किया करने पर भूतपूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उस समय कांग्रेस कार्यकारणी के सदस्य रहते मीटिंग में जो प्रश्न किया था, "क्या ईद के मौके किसी मौलवी गिरफ्तार किया जा सकता है?" और उनके इस प्रश्न का उन्हें आज तक कांग्रेस ने कोई जवाब नहीं दिया।
फिर अख़लाक़ के मरने पर, कांग्रेस सहित समस्त छद्दम धर्म-निरपेक्ष चीख-चिल्ला रहे थे, लेकिन पालघर में निर्दोष साधुओं की निर्मम हत्या पर सबके मुंह दही जम गया है? दूसरे, महाराष्ट्र मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा गिरफ्तार आरोपियों के नाम सार्वजनिक करने से एक और नए विवाद को जन्म देकर, शक की सुई छद्दम धर्म-निरपेक्षों की ओर घुमा दी है।
अर्नब गोस्वामी और उनकी पत्नी पर कल रात हुए हमले के बाद कांग्रेस सवालों के घेरे में है। करीब 12 बजे हुई इस घटना पर अर्नब गोस्वामी ने खुद वीडियो जारी करके पूरे वाकये की जानकारी दी है। अब खबर है कि उन्होंने इस घटना पर लिखित शिकायत भी दर्ज करवा दी है। ये शिकायत उन्होंने मुंबई में हुए हमले के संबंध में आज सुबह ही करवाई है। अपनी शिकायत में उन्होंने 2 लोगों पर आरोप लगाते हुए कहा कि रिपब्लिक भारत के हेडक्वार्टर से घर लौटते हुए उन पर व उनकी पत्नी पर हमला किया गया।
अर्नब के अनुसार, इस बीच दोनों गुंडे उन्हें हिंदी में गालियाँ देते रहे और उनका रवैया हिंसक रहा। जब अर्नब ने ये सब देखते हुए अपनी गाड़ी आगे ले जाने की कोशिश की तो दोनों ने उनका रास्ता रोक लिया और फिर वहीं तरल पदार्थ फेंकने लगे। साथ ही उनकी कार का गेट भी थपथपाया। हालाँकि, थोड़े प्रयास करने के बाद वो अपनी गाड़ी आगे ले जाने में सफल रहे। आगे जाकर उन्होंने अपनी गाड़ी के बैक मिरर में देखा कि हमलावरों को मुंबई पुलिस की प्रोटेक्शन टीम के शिवाजी होस्मानी और उनके ऑफिस गार्ड ने पकड़ लिया था।
अपनी बिल्डिंग तक पहुँचने के बाद उन्होंने अपने ऑफिस गार्ड को इस बारे में पूछा। तो उसने बताया कि हमलावरों ने खुद को यूथ कांग्रेस का सदस्य बताया है, जो कह रहे थे कि वे उन्हें (अर्नब को) सबक सिखाने आए थे। अर्नब के मुताबिक इस बीच मुंबई पुलिस भी मौके में पहुँची और अर्नब की प्रोटेक्शन में तैनात शिवाजी होस्मानी ने उन्हें पूरा वाकया बताया कि उन पर हमला यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने किया। इसके बाद डीसीपी खुद अर्नब की पार्किंग में 10-15 मिनट के बाद आ गए और यहाँ भी शिवाजी होस्मानी ने उन्हें तीसरी बार पूरा वाकया बताया। साथ ही ये भी कहा कि हमलावर यूथ कांग्रेस के थे।
लिखित शिकायत के अनुसार, पहले उन दोनों लोगों ने अर्नब की गाड़ी में ये पहचानने की कोशिश की कि उसे कौन चला कौन कहा है। फिर उनमें से एक ने अर्नब की ओर उंगली से इशारा किया और बाइक को सामने खड़ा करके उनका रास्ता रोक लिया। इसके बाद उन्होंने ख़िड़की के शीशे तो तोड़ना चाहा, मगर जब वो नहीं टूटा तो उन्होंने अपनी जेब से कुछ तरल पदार्थ निकाला और पूरी कार पर छिड़क दिया।
अर्नब अपनी शिकायत में कहते हैं कि जब उन्होंने इस मामले पर एफआईआर की बात की तो डीसीपी ने उन्हें जल्दबाजी न करने को कहा। उन्होंने आश्वासन दिया कि इसमें वे शिकायत दर्ज करेंगे और तथ्यों को सत्यापित करने के लिए उन्हें कॉल करेंगे। मगर, जब उन्हें डेढ़ घंटे तक कॉल नहीं आई तो उन्होंने अपने सहकर्मी को फोन किया जो कि पुलिस थाने पर था। उसने अर्नब को बताया कि डीसीपी इस समय कह रहे हैं कि ये जाँच का विषय है कि वे लोग यूथ कॉन्ग्रेस के थे या नहीं।
अर्नब का आरोप है कि उन्हें शिकायत दर्ज कराने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी क्योंकि उन पर हमला करने वाले लोग वे थे, जो सत्ताधारी पार्टी से जुड़े थे। इसलिए बार-बार कहने पर भी उनकी बात को अनसुना किया जाता रहा। इस दौरान उनके सुरक्षा में तैनात प्रोटेक्शन टीम का हिस्सा रहे शिवाजी कहते रहे कि उन्होंने जिन्हें पकड़ा था, उन्होंने खुद स्वीकारा था कि वे लोग यूथ कॉन्ग्रेस से थे। जिनकी पहचान श्याम सुंदर मिश्रा और अरुण दिलीप बुराडे के रूप में हुई। जिनकी वीडियो और फोटोज भी उनके पास हैं।
अर्नब का अपनी शिकायत में कहना है कि सब कुछ साफ होने के बाद भी ऐसी बात कहना तथ्यों को मोड़ने जैसा है। उनका दावा है कि डीसीपी के साथ बातचीत की उनके पास 2 रिकॉर्डिंग हैं। उन्होंने बताया कि वे ये सब जानकर साढ़े तीन बजे पुलिस थाने गए और वहाँ जाकर वे तब हैरान रह गए तब डीसीपी ने उनके मुँह पर झूठ बोला कि चूँकि वे उन हमलावरों को नहीं जानते हैं इसलिए ये जाँच करने का विषय है कि वे यूथ कांग्रेस से हैं भी या नहीं।
इसके अलावा अपनी शिकायत में अर्नब ने अलका लांबा के ट्वीट का भी जिक्र किया है। जिसमें उन्होंने इस हमले के तुरंत बाद यूथ कांग्रेस जिंदाबाद लिखा। उन्होंने सोनिया गाँधी, पालघर में साधु लिंचिंग को लेकर भी अपनी बात कही। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस व उसके शीर्ष नेता लगातार उनसे, उनकी टीम से असहज हैं क्योंकि वे उनके ख़िलाफ सवाल पूछते हैं, जिससे उन्हें परेशानी होती है।
इस मामले में मुंबई के एनएम जोशी थाने में दोनों आरोपितों के ख़िलाफ 341 और 504 के तहत मामला दर्ज हुआ है। सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने हमले की निंदा करते हुए कहा, “हम वरिष्ठ पत्रकार अर्णब गोस्वामी पर हमले की निंदा करते हैं। हम किसी भी पत्रकार पर हमले की निंदा करते हैं। यह लोकतंत्र के खिलाफ है। जो लोग सहिष्णुता पर प्रवचन देते हैं वे उतने असहिष्णु हो गए हैं। यह अलोकतांत्रिक है।”
अर्नब गोस्वामी पर हमले के तुरंत बाद लिखा – ‘युवा कांग्रेस जिंदाबाद’
हैरानी की बात है कि इस हमले की सूचना के तुरंत बाद कांग्रेस की महिला नेता अलका लांबा ने यूथ कॉन्ग्रेस की वाह वाही में ट्वीट लिख दिया। ये ट्वीट रात के तीन बजे आया और बता दें कि अर्नब गोस्वामी पर हमला 12 से 1 बजे के बीच हुआ। जिसकी जानकारी उन्होंने वीडियो जारी करके खुद दी।

अलका लांबा ने देर रात ट्वीट में लिखा, “युवा कांग्रेस जिंदाबाद।” अब सोचने की बात है कि कांग्रेस ने ऐसा क्या किया? जो अलका लांबा को देर रात युवा कांग्रेस जिंदाबाद कहना पड़ा। तो बता दें कि अर्नब गोस्वामी की टिप्पणी के अलावा कांग्रेस कल किसी मुख्य कारण चर्चा में नहीं आई। और अलका लांबा जो ये ट्वीट कर रही हैं उससे पहले वे और राजस्थान सीएम समेत कई कांग्रेस नेता अर्नब पर एक्शन लेने की माँग कर रहे थे। मगर जैसी ही हमले की खबर सार्वजनिक हुई। उन्होंने यूथ कांग्रेस की जय-जयकार शुरू कर दी। जिसके बाद सोशल मीडिया यूजर्स ने भी उन्हें आड़े हाथों लिया और जमकर सुनाया। लोगों ने कहा कि ये हमला अलका लांबा के कारण हुआ, क्योंकि उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को भड़काया था, इसके लिए उन्होंने 2 ट्वीट भी किए थे।
इस टिप्पणी को सुनकर कई कांग्रेसियों की प्रतिक्रिया आई। उनपर एफआईआर की गईं। उनके ख़िलाफ आवाज उठी। यहाँ तक सहमति-असहमति आम बात है। मगर अलका लांबा ने यहाँ अपने कार्यकर्ताओं को भड़काना शुरू कर दिया। पहले अलका लांबा ने लिखा कि अगर अर्नब गोस्वामी को साम्प्रदायिक हिंसा भड़काने और कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गाँधी जी को लेकर की गई टिप्पणी पर गिरफ्तार नहीं किया जाता, तो भारतीय युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को बिना सोचे सड़कों पर उतर जाना चाहिए, वरना कोरोना से पहले यह नफ़रत कर ज़हर देश को मार डालेगा।
इसके बाद, अलका लांबा यहीं पर नहीं रुकी। उन्होंने इसी बयान पर अपनी आगे बात रखी और फिर कहा, “देशभर के कार्यकर्ता अर्नब गोस्वामी द्वारा कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी जी पर दिए गए ब्यान को लेकर बेहद आहत हैं, अगर समय रहते महाराष्ट्र ने उचित क़ानूनी कार्यवाही नहीं की तो मैं यह चेतावनी दे रही हूँ कि फिर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सड़कों पर उतर आने से कोई नहीं रोक पाएगा।”
अवलोकन करें:-
अब भले ही, इन ट्वीट को करने के बाद अलका लांबा अर्नब के विरोध में और सोनिया गाँधी के समर्थन में कितनी ही बातें रखें। मगर, सोशल मीडिया पर लोगों का यही मानना है कि अर्नब की टिप्पणी के बाद अलका लांबा के भड़काने के कारण उन पर हमला हुआ। हालाँकि ये बात कितनी सच है? ये भी जाँच का विषय है क्योंकि यूजर्स के इल्जाम निराधार नहीं है। पहले लगातार अर्नब की निंदा और फिर अपने कार्यकर्ताओं को सड़क पर उकसाने की बात कहना, फिर अचानक अर्नब पर कांग्रेस के गुंडों का हमला करना और देर रात कॉन्ग्रेस नेता का ट्वीट आना…ये सब एक क्रम से होना दर्शाता है कि हमले के सोनिया गाँधी पर टिप्पणी सुनकर अलका लांबा ने हिंसा भड़काने और नियमों का उल्लंघन करने के लिए उकसाने के लिए ट्वीट किया। उन्होंने लगातार कहा कि उनके युवा नेता सड़कों पर आ जाएँगे। जबकि वो जानती है कि ये लॉकडाउन का समय है और सरकार लोगों को घर में रहने की सलाह दे रही है।
जब से 2014 में मोदी सरकार बनी है, कांग्रेस मीडिया की स्वतन्त्रता पर हो रहे तथाकथित प्रहारों से जनता को भ्रमित करती रही है। लेकिन पालघर में निर्दोष हिन्दू साधुओं की निर्मम हत्या पर अर्नब गोस्वामी द्वारा सोनिया गाँधी की चुप्पी पर अपने तीखे प्रश्नों से प्रहार करके कांग्रेस की धर्म-निरपेक्षता पर जबरदस्त प्रहार किया था। जो कांग्रेस से बर्दाश्त नहीं हो रहा। अगर अर्नब ने कुछ आपत्तिजनक प्रहार किया था, कोर्ट में केस डालते, हमला करने की क्या जरुरत थी? किसके इशारे और कहने पर यह हमला हुआ? अगर अर्नब के प्रश्नों पर गंभीरता से चिंतन किया जाने यह बात उजागर होती है, जब इसके 'शान्तिप्रिय' पर किसी न किसी कारण हमला होने पर ही दर्द होता है, हिन्दू मरता है तो मर जाने दो।
कांग्रेस के प्रैस प्रेम पर रौशनी डालते हैं:-
जो पत्रकार कांग्रेस के समर्थन में अर्नब पर हमला बोल रहे हैं, शायद आपातकाल भूल गए। इस दौरान कांग्रेस की तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी ने Press Censorship लगा दी थी, कोई भी समाचार-पत्र/पत्रिका बिना सरकार द्वारा पारित समाचार प्रकाशित नहीं कर सकता था। The Motherland के मुख्यसंपादक केवल रतन मलकानी को मीसा में बंद कर दिया था और समाचार पत्र को भी बंद कर दिया था।
यूपीए के कार्यकाल में ये ही मीडिया कितनी निर्ममता से हिन्दू धर्म को कलंकित कर रहा था? इस्लामिक आतंकवादियों को बचाने के लिए बेकसूर हिन्दू साधु-संत, साध्वियों जैसे साध्वी प्रज्ञा, स्वामी असीमानंद और कर्नल पुरोहित को तथाकथित "हिन्दू आतंकवाद" और "भगवा आतंकवाद" के नाम पर जेलों में डाला जा रहा था। किसी तथाकथित खोजी पत्रकार ने सच्चाई सामने लाने का साहस नहीं किया। दीपावली के शुभावसर पर हिन्दुओं के सम्मानित शंकराचार्य को झूठे आरोप में गिरफ्तार किया करने पर भूतपूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उस समय कांग्रेस कार्यकारणी के सदस्य रहते मीटिंग में जो प्रश्न किया था, "क्या ईद के मौके किसी मौलवी गिरफ्तार किया जा सकता है?" और उनके इस प्रश्न का उन्हें आज तक कांग्रेस ने कोई जवाब नहीं दिया।
फिर अख़लाक़ के मरने पर, कांग्रेस सहित समस्त छद्दम धर्म-निरपेक्ष चीख-चिल्ला रहे थे, लेकिन पालघर में निर्दोष साधुओं की निर्मम हत्या पर सबके मुंह दही जम गया है? दूसरे, महाराष्ट्र मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा गिरफ्तार आरोपियों के नाम सार्वजनिक करने से एक और नए विवाद को जन्म देकर, शक की सुई छद्दम धर्म-निरपेक्षों की ओर घुमा दी है।
अर्नब गोस्वामी और उनकी पत्नी पर कल रात हुए हमले के बाद कांग्रेस सवालों के घेरे में है। करीब 12 बजे हुई इस घटना पर अर्नब गोस्वामी ने खुद वीडियो जारी करके पूरे वाकये की जानकारी दी है। अब खबर है कि उन्होंने इस घटना पर लिखित शिकायत भी दर्ज करवा दी है। ये शिकायत उन्होंने मुंबई में हुए हमले के संबंध में आज सुबह ही करवाई है। अपनी शिकायत में उन्होंने 2 लोगों पर आरोप लगाते हुए कहा कि रिपब्लिक भारत के हेडक्वार्टर से घर लौटते हुए उन पर व उनकी पत्नी पर हमला किया गया।
अर्नब के अनुसार, इस बीच दोनों गुंडे उन्हें हिंदी में गालियाँ देते रहे और उनका रवैया हिंसक रहा। जब अर्नब ने ये सब देखते हुए अपनी गाड़ी आगे ले जाने की कोशिश की तो दोनों ने उनका रास्ता रोक लिया और फिर वहीं तरल पदार्थ फेंकने लगे। साथ ही उनकी कार का गेट भी थपथपाया। हालाँकि, थोड़े प्रयास करने के बाद वो अपनी गाड़ी आगे ले जाने में सफल रहे। आगे जाकर उन्होंने अपनी गाड़ी के बैक मिरर में देखा कि हमलावरों को मुंबई पुलिस की प्रोटेक्शन टीम के शिवाजी होस्मानी और उनके ऑफिस गार्ड ने पकड़ लिया था।
अपनी बिल्डिंग तक पहुँचने के बाद उन्होंने अपने ऑफिस गार्ड को इस बारे में पूछा। तो उसने बताया कि हमलावरों ने खुद को यूथ कांग्रेस का सदस्य बताया है, जो कह रहे थे कि वे उन्हें (अर्नब को) सबक सिखाने आए थे। अर्नब के मुताबिक इस बीच मुंबई पुलिस भी मौके में पहुँची और अर्नब की प्रोटेक्शन में तैनात शिवाजी होस्मानी ने उन्हें पूरा वाकया बताया कि उन पर हमला यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने किया। इसके बाद डीसीपी खुद अर्नब की पार्किंग में 10-15 मिनट के बाद आ गए और यहाँ भी शिवाजी होस्मानी ने उन्हें तीसरी बार पूरा वाकया बताया। साथ ही ये भी कहा कि हमलावर यूथ कांग्रेस के थे।
Written complaint submitted to police by Republic TV editor-in-chief Arnab Goswami, after he and his wife were attacked early this morning in Mumbai by 2 unknown persons while they were driving home from their studios. pic.twitter.com/wTU1Dau1lC— ANI (@ANI) April 23, 2020
#SoniaGoonsAttackArnab | WATCH: Arnab narrates the physical attack on him by Congress goons https://t.co/ehkpNESnKV pic.twitter.com/uMMaVQVfmy— Republic (@republic) April 22, 2020
The way Arnab Goswami is trying to communalise the unpardonable lynching of Sadhus in Palgarh and how he used derogatory language against Congress President Sonia Gandhi, I request @AnilDeshmukhNCP @OfficeofUT @bb_thorat to file a case against him and #ArrestAntiIndiaArnab! pic.twitter.com/iyTADzMirx— Gaurav Pandhi (@GauravPandhi) April 22, 2020
लिखित शिकायत के अनुसार, पहले उन दोनों लोगों ने अर्नब की गाड़ी में ये पहचानने की कोशिश की कि उसे कौन चला कौन कहा है। फिर उनमें से एक ने अर्नब की ओर उंगली से इशारा किया और बाइक को सामने खड़ा करके उनका रास्ता रोक लिया। इसके बाद उन्होंने ख़िड़की के शीशे तो तोड़ना चाहा, मगर जब वो नहीं टूटा तो उन्होंने अपनी जेब से कुछ तरल पदार्थ निकाला और पूरी कार पर छिड़क दिया।
अर्नब अपनी शिकायत में कहते हैं कि जब उन्होंने इस मामले पर एफआईआर की बात की तो डीसीपी ने उन्हें जल्दबाजी न करने को कहा। उन्होंने आश्वासन दिया कि इसमें वे शिकायत दर्ज करेंगे और तथ्यों को सत्यापित करने के लिए उन्हें कॉल करेंगे। मगर, जब उन्हें डेढ़ घंटे तक कॉल नहीं आई तो उन्होंने अपने सहकर्मी को फोन किया जो कि पुलिस थाने पर था। उसने अर्नब को बताया कि डीसीपी इस समय कह रहे हैं कि ये जाँच का विषय है कि वे लोग यूथ कॉन्ग्रेस के थे या नहीं।
अर्नब का आरोप है कि उन्हें शिकायत दर्ज कराने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी क्योंकि उन पर हमला करने वाले लोग वे थे, जो सत्ताधारी पार्टी से जुड़े थे। इसलिए बार-बार कहने पर भी उनकी बात को अनसुना किया जाता रहा। इस दौरान उनके सुरक्षा में तैनात प्रोटेक्शन टीम का हिस्सा रहे शिवाजी कहते रहे कि उन्होंने जिन्हें पकड़ा था, उन्होंने खुद स्वीकारा था कि वे लोग यूथ कॉन्ग्रेस से थे। जिनकी पहचान श्याम सुंदर मिश्रा और अरुण दिलीप बुराडे के रूप में हुई। जिनकी वीडियो और फोटोज भी उनके पास हैं।
अर्नब का अपनी शिकायत में कहना है कि सब कुछ साफ होने के बाद भी ऐसी बात कहना तथ्यों को मोड़ने जैसा है। उनका दावा है कि डीसीपी के साथ बातचीत की उनके पास 2 रिकॉर्डिंग हैं। उन्होंने बताया कि वे ये सब जानकर साढ़े तीन बजे पुलिस थाने गए और वहाँ जाकर वे तब हैरान रह गए तब डीसीपी ने उनके मुँह पर झूठ बोला कि चूँकि वे उन हमलावरों को नहीं जानते हैं इसलिए ये जाँच करने का विषय है कि वे यूथ कांग्रेस से हैं भी या नहीं।
इसके अलावा अपनी शिकायत में अर्नब ने अलका लांबा के ट्वीट का भी जिक्र किया है। जिसमें उन्होंने इस हमले के तुरंत बाद यूथ कांग्रेस जिंदाबाद लिखा। उन्होंने सोनिया गाँधी, पालघर में साधु लिंचिंग को लेकर भी अपनी बात कही। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस व उसके शीर्ष नेता लगातार उनसे, उनकी टीम से असहज हैं क्योंकि वे उनके ख़िलाफ सवाल पूछते हैं, जिससे उन्हें परेशानी होती है।
इस मामले में मुंबई के एनएम जोशी थाने में दोनों आरोपितों के ख़िलाफ 341 और 504 के तहत मामला दर्ज हुआ है। सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने हमले की निंदा करते हुए कहा, “हम वरिष्ठ पत्रकार अर्णब गोस्वामी पर हमले की निंदा करते हैं। हम किसी भी पत्रकार पर हमले की निंदा करते हैं। यह लोकतंत्र के खिलाफ है। जो लोग सहिष्णुता पर प्रवचन देते हैं वे उतने असहिष्णु हो गए हैं। यह अलोकतांत्रिक है।”
अर्नब गोस्वामी पर हमले के तुरंत बाद लिखा – ‘युवा कांग्रेस जिंदाबाद’
हैरानी की बात है कि इस हमले की सूचना के तुरंत बाद कांग्रेस की महिला नेता अलका लांबा ने यूथ कॉन्ग्रेस की वाह वाही में ट्वीट लिख दिया। ये ट्वीट रात के तीन बजे आया और बता दें कि अर्नब गोस्वामी पर हमला 12 से 1 बजे के बीच हुआ। जिसकी जानकारी उन्होंने वीडियो जारी करके खुद दी।
इस टिप्पणी को सुनकर कई कांग्रेसियों की प्रतिक्रिया आई। उनपर एफआईआर की गईं। उनके ख़िलाफ आवाज उठी। यहाँ तक सहमति-असहमति आम बात है। मगर अलका लांबा ने यहाँ अपने कार्यकर्ताओं को भड़काना शुरू कर दिया। पहले अलका लांबा ने लिखा कि अगर अर्नब गोस्वामी को साम्प्रदायिक हिंसा भड़काने और कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गाँधी जी को लेकर की गई टिप्पणी पर गिरफ्तार नहीं किया जाता, तो भारतीय युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को बिना सोचे सड़कों पर उतर जाना चाहिए, वरना कोरोना से पहले यह नफ़रत कर ज़हर देश को मार डालेगा।
देशभर के कार्यकर्ता #ArnabGoswami द्वारा काँग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी जी पर दिए गए ब्यान को लेकर बेहद आहत हैं,— Alka Lamba - अलका लाम्बा🇮🇳 (@LambaAlka) April 22, 2020
अगर समय रहते @CMOMaharashtra ने उचित क़ानूनी कार्यवाही नहीं की तो मैं यह #चेतावनी दे रही हूँ कि फिर काँग्रेस कार्यकर्ताओं को सड़को पर उतर आने से कोई नहीं रोक पायेगा. https://t.co/fBBBnnqFj2
युवा काँग्रेस जिंदाबाद :) 🇮🇳👍.— Alka Lamba - अलका लाम्बा🇮🇳 (@LambaAlka) April 22, 2020
इसके बाद, अलका लांबा यहीं पर नहीं रुकी। उन्होंने इसी बयान पर अपनी आगे बात रखी और फिर कहा, “देशभर के कार्यकर्ता अर्नब गोस्वामी द्वारा कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी जी पर दिए गए ब्यान को लेकर बेहद आहत हैं, अगर समय रहते महाराष्ट्र ने उचित क़ानूनी कार्यवाही नहीं की तो मैं यह चेतावनी दे रही हूँ कि फिर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सड़कों पर उतर आने से कोई नहीं रोक पाएगा।”
अवलोकन करें:-
अब भले ही, इन ट्वीट को करने के बाद अलका लांबा अर्नब के विरोध में और सोनिया गाँधी के समर्थन में कितनी ही बातें रखें। मगर, सोशल मीडिया पर लोगों का यही मानना है कि अर्नब की टिप्पणी के बाद अलका लांबा के भड़काने के कारण उन पर हमला हुआ। हालाँकि ये बात कितनी सच है? ये भी जाँच का विषय है क्योंकि यूजर्स के इल्जाम निराधार नहीं है। पहले लगातार अर्नब की निंदा और फिर अपने कार्यकर्ताओं को सड़क पर उकसाने की बात कहना, फिर अचानक अर्नब पर कांग्रेस के गुंडों का हमला करना और देर रात कॉन्ग्रेस नेता का ट्वीट आना…ये सब एक क्रम से होना दर्शाता है कि हमले के सोनिया गाँधी पर टिप्पणी सुनकर अलका लांबा ने हिंसा भड़काने और नियमों का उल्लंघन करने के लिए उकसाने के लिए ट्वीट किया। उन्होंने लगातार कहा कि उनके युवा नेता सड़कों पर आ जाएँगे। जबकि वो जानती है कि ये लॉकडाउन का समय है और सरकार लोगों को घर में रहने की सलाह दे रही है।
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