अनाज के अभाव में बिहार के बच्चे खा रहे मेंढक, Scroll का दावा निकला झूठा

बिहार मेंढक, स्क्रॉल, फेक न्यूज
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
जबसे कोरोना को भारत से हराने लॉक डाउन के दौरान सरकारों एवं कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा निर्धन एवं भूखे परिवारों को खाद्य पदार्थ उपलब्ध करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही और इस काम में पुलिस का योगदान भी कम नहीं। कुछ स्थानों पर तो सुना है 2000 रूपए नकद भी वितरित हुए हैं, लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं हुई कि नोटों का वितरण किसके द्वारा करवाया गया। यह जाँच का विषय है। 
खैर, सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे भी वीडियो देखने को मिले, जिनमें लोग भूख से मरने का ड्रामा कर पुलिस से खाद्य पदार्थ मंगवाने पर देखा कि उनके घर पहले ही से जरुरत से अधिक भरा पड़ा है। फ्रिज में चिकन रखा है और फिश फ्राई हो रही है। सरकार एवं स्वयंसेवी संस्थाओं में बैठे बुद्धिजीवियों को चाहिए कि खाद्य सामग्री वितरित करते समय खाद्य सामग्री लेने वालों के घरों की भी जाँच करनी चाहिए। ताकि जरूरतमंद के पास खाद्य सामग्री पहुँच सके, नाकि लोग घर में सामग्री जमा कर महीने का राशन इकट्ठा न कर पाएं। 
इसी सन्दर्भ में अवलोकन करें: 
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लॉकडाउन के बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिनका काम सरकार और प्रशासन को परेशान करना है। वो ऐसा कर के न सिर्फ़ ज़रूरतमंदों का ह....
बिहार के जहानाबाद में कुछ बच्चे खाना न मिलने के कारण लॉकडाउन में मेंढक खाने को मजबूर हैं। वामपंथी मीडिया पोर्टल स्क्रॉल ने ‘newsd’ नाम के यूट्यूब चैनल की एक वीडियो शेयर करते हुए यह दावा किया। जिसके बाद वहाँ के जिलाधिकारी ने खुद इस दावे की जाँच की और इन अफवाहों का खंडन करके स्क्रॉल के प्रोपगेंडे को ध्वस्त किया।
बिहार सरकार के सूचना और जनसंपर्क विभाग ने जानकारी साझा की कि वीडियो द्वारा किए गए दावों की जाँच करने पर, यह पाया गया कि बच्चों के घरों में पर्याप्त भोजन इकट्ठा था और इनमें से किसी के पास मेंढक पकड़ने या खाने का कोई कारण नहीं था। उन्होंने कहा कि इस वीडियो को कुछ लोगों ने जिला प्रशासन की छवि धूमिल करने के लिहाज से बनाया था।
इस स्पष्टीकरण के बाद पीआईबी फैक्ट चेक की टीम ने भी स्क्रॉल द्वारा शेयर की गई वीडियो को फर्जी और असत्यापित बताया। इसके अलावा बिना तथ्यों की जाँच परख के निराधार दावे करने पर पीआईबी ने लिखा, “स्क्रॉल- एक प्रमुख मीडिया चैनल ने जहानाबाद में बच्चों के मेंढक खाने को लेकर झूठा दावा किया कि उनके पास खाने को कुछ नहीं है। इसके बाद वीडियो वायरल हुआ। मगर डीएम जहानाबाद की जाँच में ये दावा झूठा पाया गया और ये भी पता चला कि इन बच्चों के घरों में खाने को पर्याप्त सामग्री थी।”



डीएम की ओर से की गई पड़ताल के बाद स्क्रॉल को अपनी रिपोर्ट को अपडेट करना पड़ा और उन्होंने ये भी बताया कि उनके झूठ का पर्दाफाश डीएम की पड़ताल के बाद हुआ।
इससे पहले एनडीटीवी ने भी अरुणाचल प्रदेश को लेकर एक ऐसी झूठी खबर फैलाई थी। अपनी खबर में एनडीटीवी ने दावा किया था कि वहाँ पर लोग सांप का शिकार करके उसे खाने पर मजबूर हैं क्योंकि उनके पास चावल खाने को नहीं है। उन्होंने अपनी बात को सही साबित करने के लिए सोशल मीडिया पर कई वीडियो भी पोस्ट की, जिसमें वहाँ के अनुसूचित जनजाति के लोग 12 फीट का किंग कोबरा लेकर पोज दे रहे हैं। इस वीडियो को लेकर दावा किया कि उन्होंने किंग कोबरा का खाने के लिए शिकार किया।
बाद में केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने इस खबर के लिए एनडीटीवी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि किंग कोबरा एक संरक्षित प्रजाति है और उसका सेवन करने के लिए कोई जनजाति उसका शिकार नहीं करती। इसके अलावा रिजिजू व अरुणाचल सरकार ने एनडीटीवी पर झूठी खबर फैलाने का भी आरोप लगाया। साथ ही स्पष्ट किया कि वहाँ चावल की कोई कमी नहीं है।
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1 comment:

Unknown said...

एनडीटीवी,बिकाऊ एवम् मोदी विरोधी पार्टियों इस संकट काल में भी सरकार द्वारा किए गए सराहनीय कार्यों को ना दिखा कर भुखमरी की झुटी अफवाह फैला रहे है।
जहा इन्हे खुल कर विरोध करना चाहिए बहा इनकी बोलती बंद हो जाती हैं और खवर को नजर अंदाज करते है। उसमे भी राजनीति करते है।
पालघर,महाराष्ट्र में दो संतो एवम् उनके ड्राइवर की क्रूरता पूर्वक हत्या की गई, उस पर आज तक कोई रिएक्शन नहीं दिया, क्योंकि उस एरिया में धर्म परिवर्तन ,एवम् भोली भाली आदिवासी समाज को बाम पंथी अपना एजेंडा चलाते है।और अपना उद्देश्य पूरा करते है।
धर्म के नाम पर समाज में घृणा फैलाने का काम भी यह लोग करते है, उसी की तहत अफवाह फैला कर संतो की हत्या कराई गई।