आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
दिल्ली में कोरोना मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन तेजी से बढ़ती चली जा रही है। इस बीच कोरोना से मरने वाले मरीजों की संख्या को लेकर एक बार फिर केजरीवाल सरकार पर विपक्षियों ने सवाल खड़े किए हैं। साथ ही केजरीवाल सरकार पर मौतों के आँकड़ों को छिपाने का आरोप भी लगाया है।
मई 30 को TV9 पर साक्षात्कार देते हुए कोरोना पर हुई मौतों पर विपक्ष पर झूठ बोलने का आरोप लगाया था। इतना ही नहीं भाजपा पर आरोप लगाते कहा, "नगर निगम के कितने हॉस्पिटल्स में कोरोना का इलाज हो रहा है?" केजरीवाल के झूठ की परतें उस दिन खुलनी शुरू हो गयीं थी, जब दिल्ली में मौत का आंकड़ा 76 दिया जा रहा था, जबकि विपक्ष कह रहा था कि "जब आई टी ओ कब्रिस्तान में ही 91 शव आ चुके हैं, फिर सरकार 76 मौत क्यों बता रही है?"
अब दिल्ली में कोरोना से मौतों के आँकड़ों को लेकर दिल्ली प्रदेश कॉन्ग्रेस कमिटी के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन ने ट्वीट करते हुए अरविंद केजरीवाल सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। माकन ने ट्वीट करते हुए लिखा, “कल रात तक दिल्ली में 1036 का दाह संस्कार कोविड प्रोटोकॉल से हुआ है। परंतु मृत्यु का सरकारी आँकड़ा 392 है। असलियत- निगम बोध-439, पंजाबी बाग-389, आईटीओ-164, मंगोल पुरी-22, बुलंद मस्जिद-22”
अजय माकन ने केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाते हुए आगे लिखा कि देर रात को सरकार की ओर से मौतों के आँकड़े जारी किए जा रहे हैं। ताकि कोई अखबार न छाप सके। साथ ही उन्होंने लिखा कि सरकार चुपके-चुपके जो जानकारी दे रही, वो भी आधी-अधूरी है।
29 फरवरी के हेल्थ बुलेटिन को दिल्ली सीएमओ ने शेयर किया है। इसमें बताया गया है कि दिल्ली में कोरोना के अब तक 17 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, ऐक्टिव केस की संख्या 9,142 है, जबकि इससे मरने वालों की संख्या 398 हो गई है।
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा है कि दिन-प्रतिदिन जिस तरह कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं इससे लोगों के सामने अरविंद केजरीवाल सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत उजागर हो गई है।
अखबारों में विज्ञापन देने के लिए सरकार पर सवाल उठाते हुए तिवारी ने कहा, “यह साफ है कि विज्ञापन पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने के लिए केजरीवाल सरकार के पास कोई रणनीति नहीं है।’
वहीं बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने भी एक ट्वीट करते हुए अपना ही एक वीडियो शेयर किया, जिसमें कपिल मिश्रा को दिल्ली में कोरोना से होने वाली मौतों के आँकड़ों को लेकर केजरीवाल सरकार पर आँकड़े छिपाने का आरोप लगाया और दावा किया कि कई डाटा के मुताबिक दिल्ली में अभी तक कोरोना से मरने वालों की संख्या 1000 से अधिक हो गई है, जबकि सरकार गलत आँकड़ों को पेश कर लगातार दिल्ली की जनता से झूठ बोल रही है।
इससे पहले कोरोना के मामलों की जानकारी देते हुए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि दिल्ली में अब तक 398 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, सिसोदिया ने कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि दिल्ली में स्वस्थ होने का प्रतिशत करीब 50 फीसदी तक है।
अवलोकन करें:-
उन्होंने आगे कहा कि जब तक लोगों में संक्रमण के लक्षण नहीं दिखते हैं तब तक अस्पताल आने की कोई जरूरत नहीं है और ऐसे करीब 80-90 फीसदी मरीज घर में ही आइसोलेशन में रहकर स्वस्थ हुए हैं। गौरतलब है कि इससे पहले भी MCD के नेताओं ने दिल्ली सरकार पर आँकड़ें छिपाने का आरोप लगाया था।
अभी फेसबुक पर अपने सहयोगी पत्रकार जितेंद्र तिवारी का मार्मिक लेख आपके साथ शेयर कर रहा हूँ:
दिल्ली में कोरोना मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन तेजी से बढ़ती चली जा रही है। इस बीच कोरोना से मरने वाले मरीजों की संख्या को लेकर एक बार फिर केजरीवाल सरकार पर विपक्षियों ने सवाल खड़े किए हैं। साथ ही केजरीवाल सरकार पर मौतों के आँकड़ों को छिपाने का आरोप भी लगाया है।
मई 30 को TV9 पर साक्षात्कार देते हुए कोरोना पर हुई मौतों पर विपक्ष पर झूठ बोलने का आरोप लगाया था। इतना ही नहीं भाजपा पर आरोप लगाते कहा, "नगर निगम के कितने हॉस्पिटल्स में कोरोना का इलाज हो रहा है?" केजरीवाल के झूठ की परतें उस दिन खुलनी शुरू हो गयीं थी, जब दिल्ली में मौत का आंकड़ा 76 दिया जा रहा था, जबकि विपक्ष कह रहा था कि "जब आई टी ओ कब्रिस्तान में ही 91 शव आ चुके हैं, फिर सरकार 76 मौत क्यों बता रही है?"
अब दिल्ली में कोरोना से मौतों के आँकड़ों को लेकर दिल्ली प्रदेश कॉन्ग्रेस कमिटी के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन ने ट्वीट करते हुए अरविंद केजरीवाल सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। माकन ने ट्वीट करते हुए लिखा, “कल रात तक दिल्ली में 1036 का दाह संस्कार कोविड प्रोटोकॉल से हुआ है। परंतु मृत्यु का सरकारी आँकड़ा 392 है। असलियत- निगम बोध-439, पंजाबी बाग-389, आईटीओ-164, मंगोल पुरी-22, बुलंद मस्जिद-22”
अजय माकन ने केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाते हुए आगे लिखा कि देर रात को सरकार की ओर से मौतों के आँकड़े जारी किए जा रहे हैं। ताकि कोई अखबार न छाप सके। साथ ही उन्होंने लिखा कि सरकार चुपके-चुपके जो जानकारी दे रही, वो भी आधी-अधूरी है।
कल रात तक- दिल्ली में 1036 का दाह संस्कार COVID Protocol से हुआ है!— Ajay Maken (@ajaymaken) May 29, 2020
परन्तु मृत्यु का सरकारी आँकड़ा 392 है!
असलियत👇
निगम बोध-439
पंजाबी बाग-389
ITO-164
मंगोल पुरी-22
बुलन्द मस्जिद-22
देर रात को-ताकि कोई अख़बार ना छाप सके, चुपके-चुपके जो जानकारी AAP दे रही, वो भी आधी-अधूरी है! https://t.co/pmQoDKsNR4
29 फरवरी के हेल्थ बुलेटिन को दिल्ली सीएमओ ने शेयर किया है। इसमें बताया गया है कि दिल्ली में कोरोना के अब तक 17 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, ऐक्टिव केस की संख्या 9,142 है, जबकि इससे मरने वालों की संख्या 398 हो गई है।
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा है कि दिन-प्रतिदिन जिस तरह कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं इससे लोगों के सामने अरविंद केजरीवाल सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत उजागर हो गई है।
अखबारों में विज्ञापन देने के लिए सरकार पर सवाल उठाते हुए तिवारी ने कहा, “यह साफ है कि विज्ञापन पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने के लिए केजरीवाल सरकार के पास कोई रणनीति नहीं है।’
वहीं बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने भी एक ट्वीट करते हुए अपना ही एक वीडियो शेयर किया, जिसमें कपिल मिश्रा को दिल्ली में कोरोना से होने वाली मौतों के आँकड़ों को लेकर केजरीवाल सरकार पर आँकड़े छिपाने का आरोप लगाया और दावा किया कि कई डाटा के मुताबिक दिल्ली में अभी तक कोरोना से मरने वालों की संख्या 1000 से अधिक हो गई है, जबकि सरकार गलत आँकड़ों को पेश कर लगातार दिल्ली की जनता से झूठ बोल रही है।
More than 1000 corona deaths in Delhi as per MCD & hospitals data as on 30th May 2020— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) May 30, 2020
Kejriwal Govt hiding truth from Public & Media showing only 25% deaths pic.twitter.com/Gh5kjRC6aG
इससे पहले कोरोना के मामलों की जानकारी देते हुए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि दिल्ली में अब तक 398 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, सिसोदिया ने कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि दिल्ली में स्वस्थ होने का प्रतिशत करीब 50 फीसदी तक है।
अवलोकन करें:-
उन्होंने आगे कहा कि जब तक लोगों में संक्रमण के लक्षण नहीं दिखते हैं तब तक अस्पताल आने की कोई जरूरत नहीं है और ऐसे करीब 80-90 फीसदी मरीज घर में ही आइसोलेशन में रहकर स्वस्थ हुए हैं। गौरतलब है कि इससे पहले भी MCD के नेताओं ने दिल्ली सरकार पर आँकड़ें छिपाने का आरोप लगाया था।
अभी फेसबुक पर अपने सहयोगी पत्रकार जितेंद्र तिवारी का मार्मिक लेख आपके साथ शेयर कर रहा हूँ:
(यह मन का दर्द है, कृपया लाइक न करें। पूरा पढ़े और हकीकत को समझें। फेसबुक पर लाइक की गिनती के लिए नहीं, सच सामने लाने के लिए लिखा है।)
श्मशान भूमि को इंतजार है शवों का?
ऐसा मंजर जीवन में पहले कभी नहीं देखा था। नई दिल्ली के पंजाबी बाग श्मशान घाट जब पहुंचा तो अजब नजारा था। कोविड-19 यानि कोरोना से हुई मृत्यु के लिए अलग से एक स्थान निर्धारित किया गया था। यह तो ठीक था। पर अंतिम क्रिया के लिए निर्धारित स्थान पर पहले से ही लकड़िया सजा कर रखी गई थीं। क्यों, इसलिए कि कोरोना से हुई मृत्यु के शवों की अंतिम क्रिया के साथ आप अपनी परम्पराओं का निर्वहन भी नहीं कर सकते। नहलाना, नए कपड़े पहनाना, पिंड रखना...... सब भूल जाइये, अंतिम समय में चेहरा भी नहीं देख सकते।
ऐसा मंजर जीवन में पहले कभी नहीं देखा था। नई दिल्ली के पंजाबी बाग श्मशान घाट जब पहुंचा तो अजब नजारा था। कोविड-19 यानि कोरोना से हुई मृत्यु के लिए अलग से एक स्थान निर्धारित किया गया था। यह तो ठीक था। पर अंतिम क्रिया के लिए निर्धारित स्थान पर पहले से ही लकड़िया सजा कर रखी गई थीं। क्यों, इसलिए कि कोरोना से हुई मृत्यु के शवों की अंतिम क्रिया के साथ आप अपनी परम्पराओं का निर्वहन भी नहीं कर सकते। नहलाना, नए कपड़े पहनाना, पिंड रखना...... सब भूल जाइये, अंतिम समय में चेहरा भी नहीं देख सकते।
सामने मेरे प्रिय अश्वनी शर्मा के पिता के.के. शर्मा जी का शव एक प्लास्टिक में लिपटा रखा था। दूसरी ओर अश्वनी और उसका भाई तुलसी भी प्लास्टिक की सीट, जिसे पीपीई किट कहते हैं, में लिपटे बैठे थे। दो दिन पहले, गुरूवार को जब मंगोलपुरी के संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल गया था तो भी रोते हुए अश्वनी को सीने से लगाकर चुप नहीं करा पाया था। कोरा आश्वासन देकर चला आया कि जल्द ही पापा ठीक होकर घर आ जाएंगे। पर कल शुक्रवार की सुबह ही पंजाब केसरी के वरिष्ठ पत्रकार केके शर्मा जी के निधन का समाचार आया। कहते हैं अचानक से बढ़ी शुगर ने उनकी जान ले ली। कोरोना पॉजिटिव थे या निगेटिव, इसकी रिपोर्ट आने में अभी कई दिन लग सकते थे। इसलिए पॉजिटिव मानकर ही शव लेने का दावा किया गया, ताकि अंतिम संस्कार तो जल्द ही किया जा सके, वरना शवगृहों में अपने प्रियजन की देह की दुर्गति की खबरों ने पहले ही डरा रखा था।
पता चला कि दो दिन पहले ही दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश पर कोरोना पॉजिटिव का लकड़ियों से अंतिम संस्कार शुरू हुआ। उससे पहले तो आपको अनिवार्यता सीएनजी से अंतिम संस्कार करना था। पर वहां लम्बी लाइन लग गई। केवल निगम बोध घाट और पंजाबी बाग में ही सीएनजी से अंतिम संस्कार की सुविधा है, जहां एक दिन में अधिकतम 30-35 लोगों की ही अंतिम क्रिया सम्पन्न हो सकती थी। इसलिए शवों को अपनी अंतिम क्रिया का इंतजार करना पड़ रहा था। इसलिए परम्परागत हिन्दू रीति नीति से भी अंतिम क्रिया की अनुमति दी गई। वैसे भी सीएनजी में तो इधर आपके प्रिय की देह अंदर भेजी गई और उधर आपसे अपेक्षा की घर जाइये। क्योंकि आपको विसर्जन के लिए न अस्थियां मिलेंगी और न राख।
पर हिन्दू रीति नीति भी क्या और काहे की अंतिम क्रिया... बस यूं समझिए कि लकड़ियां सजाते दिल भारी हो रहा था। आस पास के ढूलों पर पहले से बेस बनाकर रखा गया था, ताकि प्लास्टिक में लिपटा शव जैसे ही आए सीधे उसे लिटाया जाए और ऊपर से लकड़िया लाद दी जाएं। अंतिम समय में मुख दर्शन भी भूल जाइये। बस, जैसे तैसे एक चादर ऊपर से और चढ़ा दी थी। अग्नि संस्कार हुआ तो इंतजार था कि कपाल क्रिया हो तो ऊं नमः शिवाय बोलकर जाएंगे। पर वाह रे मन के बहम। एक बांस के सहारे दूर से कपाल क्रिया कराने को भी तथाकथित पंडित या कहें कि महापंडित तैयार नहीं। बोला कोरोना बाले को बांस से छूने की मनाही है। वैसे भी आप अर्थी पर कहां लाए, जिससे बांस निकाल कर कपाल क्रिया होती। कोरोना से होने वाली मृत्यु के साथ अस्पताल के दो यमदूत भी साथ ही आते हैं, ताकि कोई रस्मोअदायगी न कर सके। सीधे श्मसान भूमि और बस काम खत्म।
आप इसे अंतिम संस्कार भी कह सकते हैं। पर कोरोना का यही दंश है.. सब सीखे हुए और सिखाए हुए संस्कार बदलने पड़ रहे हैं। रोते हुए को दिलासा देने के लिए अपने कंधे का सहारा नहीं दिया, मृतक को अपने कंधे पर नहीं ढ़ोया, न पिंड दान न कपाल क्रिया.. और रास्ते में मांगने वाले को भी कहा दूर ही रहो, जो जेब में था, एक तरह से फेंक कर दिया...। आंखों के सामने वही चित्र बसा था.. पहले से तैयार अर्थियों का, जो याद दिला रही थीं कि एक दिन तुम्हें भी यहीं आना है। पर हे देव, ऐसे नहीं जैसे मेरे प्रिय अश्वनी के पिता केके शर्मा जी को जाना पड़ा। इतना तो करना मेरे प्रभु, उनको अपने चरणों में आसरा देना।
पता चला कि दो दिन पहले ही दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश पर कोरोना पॉजिटिव का लकड़ियों से अंतिम संस्कार शुरू हुआ। उससे पहले तो आपको अनिवार्यता सीएनजी से अंतिम संस्कार करना था। पर वहां लम्बी लाइन लग गई। केवल निगम बोध घाट और पंजाबी बाग में ही सीएनजी से अंतिम संस्कार की सुविधा है, जहां एक दिन में अधिकतम 30-35 लोगों की ही अंतिम क्रिया सम्पन्न हो सकती थी। इसलिए शवों को अपनी अंतिम क्रिया का इंतजार करना पड़ रहा था। इसलिए परम्परागत हिन्दू रीति नीति से भी अंतिम क्रिया की अनुमति दी गई। वैसे भी सीएनजी में तो इधर आपके प्रिय की देह अंदर भेजी गई और उधर आपसे अपेक्षा की घर जाइये। क्योंकि आपको विसर्जन के लिए न अस्थियां मिलेंगी और न राख।
पर हिन्दू रीति नीति भी क्या और काहे की अंतिम क्रिया... बस यूं समझिए कि लकड़ियां सजाते दिल भारी हो रहा था। आस पास के ढूलों पर पहले से बेस बनाकर रखा गया था, ताकि प्लास्टिक में लिपटा शव जैसे ही आए सीधे उसे लिटाया जाए और ऊपर से लकड़िया लाद दी जाएं। अंतिम समय में मुख दर्शन भी भूल जाइये। बस, जैसे तैसे एक चादर ऊपर से और चढ़ा दी थी। अग्नि संस्कार हुआ तो इंतजार था कि कपाल क्रिया हो तो ऊं नमः शिवाय बोलकर जाएंगे। पर वाह रे मन के बहम। एक बांस के सहारे दूर से कपाल क्रिया कराने को भी तथाकथित पंडित या कहें कि महापंडित तैयार नहीं। बोला कोरोना बाले को बांस से छूने की मनाही है। वैसे भी आप अर्थी पर कहां लाए, जिससे बांस निकाल कर कपाल क्रिया होती। कोरोना से होने वाली मृत्यु के साथ अस्पताल के दो यमदूत भी साथ ही आते हैं, ताकि कोई रस्मोअदायगी न कर सके। सीधे श्मसान भूमि और बस काम खत्म।
आप इसे अंतिम संस्कार भी कह सकते हैं। पर कोरोना का यही दंश है.. सब सीखे हुए और सिखाए हुए संस्कार बदलने पड़ रहे हैं। रोते हुए को दिलासा देने के लिए अपने कंधे का सहारा नहीं दिया, मृतक को अपने कंधे पर नहीं ढ़ोया, न पिंड दान न कपाल क्रिया.. और रास्ते में मांगने वाले को भी कहा दूर ही रहो, जो जेब में था, एक तरह से फेंक कर दिया...। आंखों के सामने वही चित्र बसा था.. पहले से तैयार अर्थियों का, जो याद दिला रही थीं कि एक दिन तुम्हें भी यहीं आना है। पर हे देव, ऐसे नहीं जैसे मेरे प्रिय अश्वनी के पिता केके शर्मा जी को जाना पड़ा। इतना तो करना मेरे प्रभु, उनको अपने चरणों में आसरा देना।
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