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झूठ फ़ैलाने में सिद्धहस्त |
जैसाकि सर्वविदित है कि 2014 में मोदी लहर को रोकने के लिए आम आदमी पार्टी के गठन से पूर्व योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, संजय सिंह, मनीष सिसोदिया से लेकर अरविन्द केजरीवाल तक सभी तत्कालीन एवं वर्तमान कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी की राष्ट्रीय सलाहकार समिति के सदस्य थे। जिसका उल्लेख उन दिनों एक हिन्दी पाक्षिक को सम्पादित करते पहले शीर्षक "कांग्रेस के गर्भ से निकली आप" और फिर अरविन्द केजरीवाल के विरुद्ध न छापने की धमकी के बाद शीर्षक "कांग्रेस और आप का Positive DNA" लेखों में विस्तार से लिख चुका हूँ। जनता ने देखा कि जिस तरह चुनावों में कांग्रेस को भला-बुरा कहा जाता था, तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के विरुद्ध 370 सबूत चुनावी रैलियों में दिखाए जाते थे, लेकिन सत्ता हाथ आते ही सब आरोप छूमंतर हो गए और कांग्रेस पवित्र। यानि जिस तरह कांग्रेस नितरोज जनता को भ्रमित करती रहती है, उसी भांति यही ग्रुप आज तक जनता को भ्रमित कर अपनी रोटियां सेंक रहा है।
योगेंद्र यादव को चाहिए ये था कि 70,000 रूपए से कम हुए 49,000 रूपए को बढ़ावा बताकर जनता को गुमराह कर सरकार के विरुद्ध आक्रोश खड़ा करने की बजाए, भूतपूर्व और वर्तमान पार्षद से लेकर सांसद को मिलने वाली पेंशन को बंद करने का मुद्दा उठाना था। इस समय देश को धन की जरुरत भी है, क्योकि इस पेंशन में हर माह करोड़ों बर्बाद होता है। दूसरे यह कि जनसेवकों को वेतन एवं पेंशन क्यों? यह खुली लूट है। इसे बंद होना चाहिए।
योगेंद्र यादव ने दावा किया है कि सरकार ने ‘चुपचाप’ सांसदों के निर्वाचन क्षेत्र भत्ते (Salary Allowance) में बढ़ोतरी कर दी है। ‘स्वराज इंडिया’ के संस्थापक ने आदेश की प्रति शेयर करते हुए ऐसा दावा किया। उन्होंने लिखा कि जब सरकार को मजदूरों के लिए मुफ्त में ट्रेनें चलानी चाहिए थी, उसने ‘चुपके से’ सांसदों को मिलने वाले निर्वाचन क्षेत्र भत्ते को बढ़ा कर 49,000 रुपए कर दिया है। ये आदेश अप्रैल 7, 2020 को आया।
हालाँकि, इस दौरान योगेंद्र यादव ये बताना भूल गए कि सांसदों के भत्ते को कितने रुपए से बढ़ा कर 49,000 रुपए किया गया है। अगर वो ये बात बता देते तो उनकी पोल खुल जाती। इसीलिए, उन्होंने आदेश की एक कॉपी शेयर कर दी और लोगों को भ्रम की स्थिति में डालने के उद्देश्य से झूठ फैलाया। योगेंद्र यादव इससे पहले भी सीएए और एनआरसी को लेकर ऐसी हरकतें कर चुके हैं। अजीबोगरीब पोल प्रेडिक्शन तो उनका पेशा ही है, जो सच ही नहीं होता।
दरअसल, सांसदों को पहले निर्वाचन क्षेत्र भत्ता (Salary Allowance) के रूप में 70,000 रुपए मिलते थे, जिसमें 30% की कटौती की गई। कटौती के बाद उनका भत्ता 21,000 रुपए कम हो गया और अब ये 49,000 रुपए प्रति महीने आएगा। संसद की जॉइंट कमिटी ने ये सिफारिश की थी, जिसे राज्यसभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्वीकार कर लिया था।
In the meanwhile, instead of #FreeTrains4Workers the government has quietly increased the constituency allowance for each MP to ₹ 49,000— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) May 4, 2020
Order issued on 7th April pic.twitter.com/PJ9ogU71ow
इस आदेश को ‘Members of Parliament (Constituency Allowance) Amendment Rules, 2020’ नाम दिया गया है। अब आते हैं इससे पहले के भी एक फ़ैसले पर। कंस्टिटूएंसी अलाउंस से पहले MPLADS फण्ड (सांसद निधि) को भी सस्पेंड कर दिया गया था। अगले दो साल तक ये सस्पेंड रहेगा। यानी 2020-21 और 2021-22 में सांसदों को सांसद निधि की रकम नहीं दी जाएगी। ये रकम कोविड-19 से लड़ने में ख़र्च होगी। कई लोगों द्वारा ध्यान दिलाए जाने के बावजूद योगेंद्र यादव ने अपना ट्वीट डिलीट नहीं किया।
इससे सरकार के पास 7900 करोड़ रुपए बचेंगे, जिसे कंसोलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया में डाला जाएगा। ये रकम कोरोना आपदा के बीच जनता की भलाई के लिए ख़र्च होगी। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और सभी राज्यों के राज्यपालों से स्वेच्छा से ‘पे कट’ का फ़ैसला लिया और इसे सामाजिक दायित्व बताया। एक ख़बर के अनुसार, सरकार हर महीने एक सांसद पर औसतन 2.7 लाख रुपए ख़र्च करती है। संसद में फिलहाल कुल 795 सदस्य हैं, जिनमें से 545 लोकसभा में हैं और 250 राज्यसभा में।
फ़रवरी 2020 में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ एक इवेंट में मंच साझा करते हुए मंच से ही योगेंद्र यादव ने यह कह सनसनी फैला दी थी कि, “भारत हिंदी, हिन्दू , हिन्दुस्तान से नहीं बनेगा, हिंदी हिन्दू हिन्दुस्तान देश को तोड़ देगा… आज यह करने की कोशिश हो रही है।” राम मंदिर पर फ़ैसले को लेकर उन्होंने कहा था कि राम मंदिर कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रस्तावों के साथ भारत में सेक्युलर पॉलिटिक्स की परीक्षा होगा।
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