नागरिकता संशोधक कानून से लेकर आज व्यापक रूप से फैली कोरोना बीमारी से भारत ही नहीं विश्व लड़ रहा है, लेकिन भारत में अराजक तत्व बेगुनाहों को सच्चाई से दूर रख, इसे इस्लामॉफ़ोबिआ नाम देकर मुस्लिम समाज को भड़काने में व्यस्त हैं। जबकि सच्चाई यह है कि जितना खुशहाल मुस्लिम भारत में है, उतना विश्व तो क्या, किसी मुस्लिम देश में भी नहीं।
भारत में ही भारतीय कानूनों और प्रधानमंत्री के विरुद्ध जहर उगलने का साहस कर सकते हैं, लेकिन किसी मुस्लिम देश में ऐसा करने पर जेलों में ढूंस दिया होता। भारत में आक्रांता बाबर की मस्जिद के लिए कितना सियापा किया, परन्तु मक्का में हिलाल मस्जिद कहाँ गयी, किसी में बोलने का साहस नहीं।
चीन के शिनजियांग में उइगर मुस्लिम समेत अन्य अल्पसंख्यक आबादी के लोगों के साथ होने वाला बर्ताव अब किसी से छिपा नहीं है। विश्व उइगर कांग्रेस के अनुसार रमदान के महीने में वहाँ से खबर है कि चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी ने अपने अत्याचार उन लाचार लोगों पर और बढ़ा दिए हैं।
एक ओर जहाँ अन्य देशों में इस्लाम को मानने वाले इन दिनों रोजा रखकर अपनी इबादत कर रहे हैं। वहीं शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों व अन्य अल्पसंख्यक (कज़ाक और किर्गिज लोगों) को पीड़ा देने के लिए उनकी कुरानें जलाई जाती हैं, हलाल खाने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। साथ ही रोजे के महीने में रेस्टुरेंट आदि को भी खुले रखने के लिए मजबूर किया जाता है।
सुबह से लेकर शाम तक रोजा रखना रमदान की पहचान है। लेकिन एमनेस्टी इंटरनेशलन में पिछले साल प्रकाशित रिपोर्ट बताती है कि शिनजियांग में सीसीपी ने इसे ‘अतिवाद का चिह्न’ बताया है। साथ ही रेडियो फ्री एशिया की रिपोर्ट के अनुसार रमदान के दौरान, चीन के सीसीपी का मानना है कि ‘अतिवाद’ के अन्य चिह्नों में उइगर मुस्लिम का रमदान के दौरान ‘सामान्य रूप से व्यवसाय का संचालन करना’ और महिलाओं का मजहबी कपड़े पहनना आदि शामिल है।
रिपोर्ट बताती है कि धार्मिक संबद्धता के ये प्रदर्शन, चाहे खुले हों या निजी, कम्युनिस्ट राष्ट्र द्वारा निषिद्ध हैं। इस तरह के रिवाज को प्रदर्शित करने के लिए उइगर मुस्लिमों को चीनी कॉन्सेंट्रेशन कैंपों में काम करने की सजा दी जा सकती है।
चीन में उइगर मुसलमानों को दी जाने वाली प्रताड़नाओं का कोई अंत होता नहीं दिख रहा। वहाँ उक्त प्रांत में चीनीकरण के नाम पर उइगर मुसलमानों को डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है। उनपर आम दिनों में भी इस्लामिक रीति-रिवाजों और इस्लामी टोपी लगा कर घूमने पर पाबंदी है। इसके अलावा नमाज भी पुलिस की निगरानी में अनुमति लेकर ही पढ़ी जा सकती है। इतना ही नहीं वहाँ के हालात ये हैं कि अल्पसंख्यकों के घरों की साज-सज्जा भी चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी तय करती है।
कुछ दिन पहले की खबर पढ़ें तो मालूम पड़ेगा कि रेडियो फ्री एशिया ने ही बताया था कि उइगर मुसलमानों पर अपना घर चीनी परंपरा के अनुरूप डेकोरेट करने का दबाव बनाया गया और इसके लिए चीन ने 575 मिलियन डॉलर का फंड केवल उइगर मुस्लिमों के आधुनिकीकरण के लिए जारी किया। जिसमें उनके पारंपरिक डिजाइन के घरों को नष्ट करना भी शामिल था।
चीन ने 5 साल में तबाह कर दिए कई इस्लामी कब्रगाह
उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार के लिए चीन हमेशा नए-नए तरीके अपनाता रहा है। अब चीन ने उइगर मुस्लिमों के मरने के बाद भी उनकी शांति छीनने वाला काम शुरू किया है। चीन में उइगर मुस्लिमों के कई कब्रगाहों को तबाह कर दिया गया है। ये वो कब्रगाह थे, जहाँ उइगर मुस्लिमों की कई पीढ़ियों के लोगों को मरने के बाद दफ़न किया जाता रहा है। मृतकों की हड्डियाँ बिखरी पड़ी हैं और कब्रों को तहस-नहस कर दिया गया है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि चीन ने उइगर मुस्लिमों को पूरी तरह मिटाने की ठान ली है। शिनजियांग में केवल 2 सालों में ही कई दर्जन कब्रगाहों को तबाह कर दिया गया है।
सैटेलाइट इमेज के अनुसार हुए खुलासे से इस बात का पता चला है। एएफपी ने कई फोटो जारी किए हैं, जिसमें देखा जा सकता है कि मृतकों की हड्डियाँ इधर-उधर बिखरी पड़ी हैं और कब्रगाहों की ईंटें फैली हुई हैं। यह दिखाता है कि चीन ने इन कब्रगाहों को तबाह करने में जरा सी भी संवेदनशीलता का परिचय नहीं दिया और मृतकों तक को नहीं बख़्शा।
चीन ने इन कब्रगाहों को विकास की आड़ में तबाह किया है। कई कब्रगाहों को तबाह करने के पीछे विकास और इंडस्ट्री बिठाने जैसे कारण आधिकारिक रूप से बताए गए। वहीं कई अन्य कब्रगाहों को तबाह करने के पीछे का कारण उन्हें मॉडर्न बनाने का प्रयास बताया गया। उइगर मुस्लिमों का कहना है कि चीन की सरकार उनके जीवन के हर एक क्षेत्र पर कब्ज़ा करना चाहती है। एक उइगर कार्यकर्ता ने बताया कि चीन उनके समाज की हर एक निशानी को मिटा रहा है ताकि कुछ दिनों बाद वे लोग ख़ुद के बारे में ही अनजान बन जाएँ।
एक उइगर कार्यकर्ता ने बताया कि उसके दादा के दादा जिस कब्रगाह में दफ़न किए गए थे, उस कब्रगाह को तबाह कर दिया गया है। उइगर कार्यकर्ताओं ने बताया कि उनके इतिहास, उनकी पहचान और उनकी पूर्वजों की हर एक निशानी मिटाई जा रही है। लगभग 10 लाख उइगर मुस्लिमों को पकड़ कर शिक्षा देने के नाम पर चीन के डिटेंशन कैम्पस में रखा गया है। वहाँ उन्हें अपने मजहब का कोई भी चीज प्रैक्टिस नहीं करने दिया जाता। अगर कुछ उइगर मुस्लिम बाहर भी हैं तो उन्हें वही सब करना होता है, जो चीन की सरकार चाहती है। खुले में नमाज पढ़ने से लेकर क़ुरान रखने तक, उन पर कई पाबंदियाँ हैं।
कई लोकप्रिय उइगर नेताओं या स्थानीय वरिष्ठ लोगों के मरने के बाद उनके कब्र पर उनका विवरण और तस्वीरें लगाई जाती हैं। चीन ने इन सब तक को भी तबाह कर दिया। चीन की सरकार ने कई उइगर कब्रगाहों को कहीं और शिफ्ट कर दिया है। हर कब्रगाह को तबाह करने के पीछे अलग-अलग आधिकारिक कारण गिनाए गए हैं। चीन ने जहाँ नए कब्रगाह बनाए हैं, वहाँ लिखा गया है कि ये कब्रगाह वातावरण को नुकसान नहीं पहुँचाता है और यहाँ सभ्य तरीके से अंतिम क्रिया संपन्न की जाएगी। इसका अर्थ यह है कि उइगर अब किस रीति-रिवाज से अपने समाज के मृतकों को दफ़नाएँगे, यह भी चीन ही तय करेगा।
अवलोकन करें:-
2017 से अब तक एक अनुमान है कि 1 मिलियन से लेकर 3 मिलियन मुस्लिम अल्पसंख्यकों को चीन में कन्संट्रेशन कैंप में भेजा जा चुका है। हालाँकि, चीन हमेशा अपने ऊपर लगे इन इल्जामों को खारिज करता रहा है और कहता रहा है कि वे सब अनार के दानों की तरह संगठित हैं। लेकिन चीन में मुस्लिमों की दशा को दिखाता एक वीडियो भी सामने आया था। जिसे वॉर ऑन फियर नाम के यूट्यूब चैनल पर पिछले महीने अपलोड किया था। इसमें देखा गया था कि कई सौ की तादाद मे मुस्लिमों को बंदी बनाकर और उनकी आँखों को मूँदकर ट्रेन से शियानजिंग में स्थांतरित किया जा रहा था।
भारत में ही भारतीय कानूनों और प्रधानमंत्री के विरुद्ध जहर उगलने का साहस कर सकते हैं, लेकिन किसी मुस्लिम देश में ऐसा करने पर जेलों में ढूंस दिया होता। भारत में आक्रांता बाबर की मस्जिद के लिए कितना सियापा किया, परन्तु मक्का में हिलाल मस्जिद कहाँ गयी, किसी में बोलने का साहस नहीं।
चीन के शिनजियांग में उइगर मुस्लिम समेत अन्य अल्पसंख्यक आबादी के लोगों के साथ होने वाला बर्ताव अब किसी से छिपा नहीं है। विश्व उइगर कांग्रेस के अनुसार रमदान के महीने में वहाँ से खबर है कि चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी ने अपने अत्याचार उन लाचार लोगों पर और बढ़ा दिए हैं।
एक ओर जहाँ अन्य देशों में इस्लाम को मानने वाले इन दिनों रोजा रखकर अपनी इबादत कर रहे हैं। वहीं शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों व अन्य अल्पसंख्यक (कज़ाक और किर्गिज लोगों) को पीड़ा देने के लिए उनकी कुरानें जलाई जाती हैं, हलाल खाने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। साथ ही रोजे के महीने में रेस्टुरेंट आदि को भी खुले रखने के लिए मजबूर किया जाता है।
सुबह से लेकर शाम तक रोजा रखना रमदान की पहचान है। लेकिन एमनेस्टी इंटरनेशलन में पिछले साल प्रकाशित रिपोर्ट बताती है कि शिनजियांग में सीसीपी ने इसे ‘अतिवाद का चिह्न’ बताया है। साथ ही रेडियो फ्री एशिया की रिपोर्ट के अनुसार रमदान के दौरान, चीन के सीसीपी का मानना है कि ‘अतिवाद’ के अन्य चिह्नों में उइगर मुस्लिम का रमदान के दौरान ‘सामान्य रूप से व्यवसाय का संचालन करना’ और महिलाओं का मजहबी कपड़े पहनना आदि शामिल है।
रिपोर्ट बताती है कि धार्मिक संबद्धता के ये प्रदर्शन, चाहे खुले हों या निजी, कम्युनिस्ट राष्ट्र द्वारा निषिद्ध हैं। इस तरह के रिवाज को प्रदर्शित करने के लिए उइगर मुस्लिमों को चीनी कॉन्सेंट्रेशन कैंपों में काम करने की सजा दी जा सकती है।
चीन में उइगर मुसलमानों को दी जाने वाली प्रताड़नाओं का कोई अंत होता नहीं दिख रहा। वहाँ उक्त प्रांत में चीनीकरण के नाम पर उइगर मुसलमानों को डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है। उनपर आम दिनों में भी इस्लामिक रीति-रिवाजों और इस्लामी टोपी लगा कर घूमने पर पाबंदी है। इसके अलावा नमाज भी पुलिस की निगरानी में अनुमति लेकर ही पढ़ी जा सकती है। इतना ही नहीं वहाँ के हालात ये हैं कि अल्पसंख्यकों के घरों की साज-सज्जा भी चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी तय करती है।
कुछ दिन पहले की खबर पढ़ें तो मालूम पड़ेगा कि रेडियो फ्री एशिया ने ही बताया था कि उइगर मुसलमानों पर अपना घर चीनी परंपरा के अनुरूप डेकोरेट करने का दबाव बनाया गया और इसके लिए चीन ने 575 मिलियन डॉलर का फंड केवल उइगर मुस्लिमों के आधुनिकीकरण के लिए जारी किया। जिसमें उनके पारंपरिक डिजाइन के घरों को नष्ट करना भी शामिल था।
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चीन में कब्रिस्तानों की तबाही का आलम |
उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार के लिए चीन हमेशा नए-नए तरीके अपनाता रहा है। अब चीन ने उइगर मुस्लिमों के मरने के बाद भी उनकी शांति छीनने वाला काम शुरू किया है। चीन में उइगर मुस्लिमों के कई कब्रगाहों को तबाह कर दिया गया है। ये वो कब्रगाह थे, जहाँ उइगर मुस्लिमों की कई पीढ़ियों के लोगों को मरने के बाद दफ़न किया जाता रहा है। मृतकों की हड्डियाँ बिखरी पड़ी हैं और कब्रों को तहस-नहस कर दिया गया है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि चीन ने उइगर मुस्लिमों को पूरी तरह मिटाने की ठान ली है। शिनजियांग में केवल 2 सालों में ही कई दर्जन कब्रगाहों को तबाह कर दिया गया है।
सैटेलाइट इमेज के अनुसार हुए खुलासे से इस बात का पता चला है। एएफपी ने कई फोटो जारी किए हैं, जिसमें देखा जा सकता है कि मृतकों की हड्डियाँ इधर-उधर बिखरी पड़ी हैं और कब्रगाहों की ईंटें फैली हुई हैं। यह दिखाता है कि चीन ने इन कब्रगाहों को तबाह करने में जरा सी भी संवेदनशीलता का परिचय नहीं दिया और मृतकों तक को नहीं बख़्शा।
In other locations, AFP's reporters found tread marks of heavy machinery and tombs in pieces. pic.twitter.com/jgk2LrkKGQ— Laurent Thomet 卢鸿 (@LThometAFP) October 9, 2019
चीन ने इन कब्रगाहों को विकास की आड़ में तबाह किया है। कई कब्रगाहों को तबाह करने के पीछे विकास और इंडस्ट्री बिठाने जैसे कारण आधिकारिक रूप से बताए गए। वहीं कई अन्य कब्रगाहों को तबाह करने के पीछे का कारण उन्हें मॉडर्न बनाने का प्रयास बताया गया। उइगर मुस्लिमों का कहना है कि चीन की सरकार उनके जीवन के हर एक क्षेत्र पर कब्ज़ा करना चाहती है। एक उइगर कार्यकर्ता ने बताया कि चीन उनके समाज की हर एक निशानी को मिटा रहा है ताकि कुछ दिनों बाद वे लोग ख़ुद के बारे में ही अनजान बन जाएँ।
एक उइगर कार्यकर्ता ने बताया कि उसके दादा के दादा जिस कब्रगाह में दफ़न किए गए थे, उस कब्रगाह को तबाह कर दिया गया है। उइगर कार्यकर्ताओं ने बताया कि उनके इतिहास, उनकी पहचान और उनकी पूर्वजों की हर एक निशानी मिटाई जा रही है। लगभग 10 लाख उइगर मुस्लिमों को पकड़ कर शिक्षा देने के नाम पर चीन के डिटेंशन कैम्पस में रखा गया है। वहाँ उन्हें अपने मजहब का कोई भी चीज प्रैक्टिस नहीं करने दिया जाता। अगर कुछ उइगर मुस्लिम बाहर भी हैं तो उन्हें वही सब करना होता है, जो चीन की सरकार चाहती है। खुले में नमाज पढ़ने से लेकर क़ुरान रखने तक, उन पर कई पाबंदियाँ हैं।
कई लोकप्रिय उइगर नेताओं या स्थानीय वरिष्ठ लोगों के मरने के बाद उनके कब्र पर उनका विवरण और तस्वीरें लगाई जाती हैं। चीन ने इन सब तक को भी तबाह कर दिया। चीन की सरकार ने कई उइगर कब्रगाहों को कहीं और शिफ्ट कर दिया है। हर कब्रगाह को तबाह करने के पीछे अलग-अलग आधिकारिक कारण गिनाए गए हैं। चीन ने जहाँ नए कब्रगाह बनाए हैं, वहाँ लिखा गया है कि ये कब्रगाह वातावरण को नुकसान नहीं पहुँचाता है और यहाँ सभ्य तरीके से अंतिम क्रिया संपन्न की जाएगी। इसका अर्थ यह है कि उइगर अब किस रीति-रिवाज से अपने समाज के मृतकों को दफ़नाएँगे, यह भी चीन ही तय करेगा।
अवलोकन करें:-
2017 से अब तक एक अनुमान है कि 1 मिलियन से लेकर 3 मिलियन मुस्लिम अल्पसंख्यकों को चीन में कन्संट्रेशन कैंप में भेजा जा चुका है। हालाँकि, चीन हमेशा अपने ऊपर लगे इन इल्जामों को खारिज करता रहा है और कहता रहा है कि वे सब अनार के दानों की तरह संगठित हैं। लेकिन चीन में मुस्लिमों की दशा को दिखाता एक वीडियो भी सामने आया था। जिसे वॉर ऑन फियर नाम के यूट्यूब चैनल पर पिछले महीने अपलोड किया था। इसमें देखा गया था कि कई सौ की तादाद मे मुस्लिमों को बंदी बनाकर और उनकी आँखों को मूँदकर ट्रेन से शियानजिंग में स्थांतरित किया जा रहा था।
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