केजरीवाल एक, गड़बड़ियाँ अनेक : राज्यपाल से झगड़ा, केंद्र से लफड़ा, कोरोना नाकामी और दिल्ली दंगों का दाग

कोरोना: दिल्ली के एलजी ने अरविंद ...
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने अपने पहले कार्यकाल में राज्यपाल और केंद्र सरकार से लड़ाई में पूरे 5 साल गुजार दिए। अपने दूसरे कार्यकाल में उन्होंने कोरोना वायरस पर केंद्र सरकार का क्रेडिट खाने और मिसमैनेजमेंट में बीता दिया। केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के नेता ताहिर हुसैन का नाम दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों में आया और पार्टी के एक अन्य नेता अमानतुल्लाह खान उनका खुलेआम बचाव करते रहे।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों में चार्जशीट दाखिल होने के बाद आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान ने पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन का कई बार बचाव किया। ताहिर के कुकृत्यों पर मजहब का पर्दा डालने की उसने कोशिश की थी। अमानतुल्लाह खान ने ट्वीट कर कहा था, “दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में ताहिर हुसैन को दिल्ली दंगों का मास्टरमाइंड बनाया है, जबकि पूरा देश जनता है कि दंगे किसने कराए। असल दंगाइयों से अभी तक पुलिस ने पूछताछ तक नहीं की। मुझे लगता है कि ताहिर हुसैन को सिर्फ मुसलमान होने की सज़ा मिली है।” 
Arvind Kejriwal, केजरीवाल फिर मुख्यमत्री ...दरअसल, कांग्रेस के गर्भ से जन्मी आम आदमी पार्टी (जब इस पार्टी का जन्म हुआ था, उन दिनों (2014 में ) एक हिन्दी पाक्षिक का सम्पादन करते शीर्षक "कांग्रेस और आप का DNA Positive में विस्तार से प्रकाशित किया था। जिसका किसी पक्ष ने आज तक खंडन नहीं किया। केजरीवाल के विरुद्ध समाचार प्रकाशित करने पर फ़ोन पर धमकी मिलने पर उक्त स्टोरी की थी।) अनेक प्रमाणों में प्रमुख है,  "दिल्ली चुनावों के समय केजरीवाल और प्रशांत भूषण तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के विरुद्ध 370 आरोप लिए घूमते थे, लेकिन सत्ता हाथ आते ही सारे आरोप ठन्डे बस्ते में चले गए।"  कहने का अभिप्राय यह है कि जिस तरह कांग्रेस अपनी कुर्सी की खातिर छद्दम धर्म-निरपेक्षता की आड़ में हिन्दू-मुसलमानों के बीच नफरत  बीज बोए, उसी तर्ज पर केजरीवाल पार्टी चल रही है। 
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया था, “अमानतुल्लाह खान, दिल्ली पुलिस ने अभी ताहिर हुसैन को पकड़ा है तो इतनी बौखलाहट। तब क्या हाल होगा तुम्हारा जब पर्दे के पीछे के असली किरदार पकड़े जाएँगे। चिंता मत करो, दिल्ली पुलिस ईमानदारी से कार्य कर रही है। दिल्ली जलाने वाले 1 भी व्यक्ति को छोड़ेंगे नहीं।” 2 जून को दिल्ली पुलिस ने दंगों के मामले में 2 चार्जशीट दायर की थी। इस चार्जशीट में ताहिर को मुख्य आरोपित बनाया गया है।
जबकि CAA के विरुद्ध हो रहे प्रदर्शनों के उग्र होने पर अक्सर अपने ब्लॉग पर गोधरा दोहराये जाने की शंका व्यक्त करता था, जो एक-एक दंगाई को पकडे जाने से सिद्ध हो रही है। कपिल मिश्रा, परवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर को दंगे का आरोपी कहने वाले जवाब दें :"क्या इतना असला( ईंट, पत्थर, पेट्रोल बम और एसिड) क्या एक ही दिन में जमा हो गया था? दूसरे, जब CAA प्रदर्शनों में हिन्दू, योगी और मोदी आदि की कब्र खोदने की बात कौन कर रहा था? तब "हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई" और "गंगा-जमुना तहजीब" की बातों से भ्रमित करने वाले क्यों मुंह में दही जमाए बैठे थे? इससे पूर्व लाल कुआँ क्षेत्र में हिन्दू मंदिर को क्षति और हिन्दू महिलाओं को घर में घुसकर प्रताड़ित किया जा रहा था और हौज़ काज़ी थाने पर जमा होकर "नारा-ओ-तकबीर, अल्लाहु अकबर" के नारों से शोर मचाया जा रहा था, कोई छद्दम धर्म-निरपेक्ष बाहर नहीं आया, सबके कानों में सीसा भरा हुआ था, लेकिन जैसे ही क्षेत्रीय सांसद डॉ हर्षवर्धन, केन्द्रीय मंत्री, हरकत में आए, सबको "हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई और गंगा-जमुना तहजीब" याद आ गयी। क्या यह छद्दमवाद नहीं?
अब सवाल उठता है कि केजरीवाल ने अमानतुल्लाह खान द्वारा बार-बार दंगा आरोपित का बचाव किए जाने पर केजरीवाल चुप क्यों हैं? उन्होंने अमानतुल्लाह पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसका मतलब हो सकता है कि सब कुछ उनकी इच्छा से हो रहा हो क्योंकि कपिल मिश्रा पहले से ही आप नेता संजय सिंह पर ताहिर हुसैन का क़रीबी होने का आरोप लगाते रहे हैं। केजरीवाल का इस सम्बन्ध में कोई बयान नहीं आया।
केजरीवाल ने सर्जिकल स्ट्राइक के भी सबूत माँगे थे लेकिन जन आक्रोश को देखते हुए उन्होंने अपने हाथ वापस खींच लिए थे। आपको याद होगा कि कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली से प्रवासियों के भारी पलायन को लेकर उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में उन्होंने इस पलायन पर नाराजगी जताई थी। वहीं इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह भी लॉकडाउन के बीच हुए पलायन पर केजरीवाल से गहरी चिंता व्यक्त कर चुके थे।
अनिल बैजल ने कड़े शब्दों में पत्र लिखते हुए केजरीवाल से कहा था कि लॉकडाउन को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए दिल्ली सरकार के पास सभी शक्तियाँ थीं, फिर भी ऐसा नहीं हो सका। केंद्र इस बात से नाराज था कि दिल्ली सरकार ने प्रवासियों को बसों के जरिए सीमा पर छोड़ दिया। जिसके मद्देनजर गृह सचिव अजय भल्ला ने दिल्ली के मुख्य सचिव को इस मामले में लापरवाही के लिए दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को सस्पेंड करने का आदेश दिया था।
पिछले ही सप्ताह (जून 21 को न्यूज़18 पर) आप नेता संजय सिंह ने कहा था कि "हमने 5000-5000 रूपए बांटे" जबकि मेरे मौहल्ले में बंटे मात्र 2000 रूपए। ऐसे में प्रश्न यह होता है कि जब पार्टी या दिल्ली सरकार ने 5000 रूपए दिए थे, फिर 3000 रूपए किसने रखे?  
अभी की ही एक हालिया घटना को उदाहरण के रूप में लेते हैं। जब केजरीवाल सरकार की नाकामी के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मैदान में उतरे और उन्होंने कोरोना से निपटने की तैयारियों का जिम्मा सम्भाला, तब आम आदमी पार्टी की सरकार केंद्र द्वारा किए जा रहे कार्यों का क्रेडिट खाने के मूड में भी है। भाजपा सरकार के काम की क्रेडिट लेना तो दूर की बात थी, आप नेता संजय सिंह ने तो एक क़दम और आगे बढ़ कर केंद्र सरकार द्वारा किए गए काम को लेकर केंद्र को ही कोसना शुरू कर दिया।
Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) | Twitter
उन्होंने दावा किया कि जहाँ लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की स्मृति में भाजपा ने सबसे ऊँची प्रतिमा बनवाई, वहीं आप सरकार ने सबसे बड़ा अस्पताल बनवाया। जबकि सच्चाई ये है कि दोनों काम केंद्र सरकार ने ही कराए हैं। उससे पहले अमित शाह ने केजरीवाल को ट्वीट कर पहले ही कहा था कि ये पहले ही बैठक में निर्णय लिया जा चुका है कि 10,000 बेड्स का अस्पताल बनवाया जाएगा। जब सीएम केजरीवाल ने उन्हें अस्पताल के इंस्पेक्शन के लिए आमंत्रित किया था, तब शाह ने उन्हें जवाब देते हुए ये बात लिखी थी।
कुल मिला कर देखा जाए तो अरविन्द केजरीवाल अब तक दिल्ली में सारी समस्याओं के मामले में टालमटोल ही करते आए हैं या फिर जब केंद्र ने किया तो उन्होंने उसका क्रेडिट खाया है। अब तो दिल्ली में टिड्डियों की समस्या भी आ गई है। हाँ, दिन-रात टीवी पर दिखने और बयान देने में उनका कोई सानी नहीं है। वो चाहते हैं कि दिल्ली के लोग सोते-जागते उनका ही चेहरा देखें। खैर, असली मूल्यांकन तो कोरोना समस्या ख़त्म होने के बाद ही होगा।
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