आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने राम मंदिर भूमि पूजन को लेकर फिर ज़हर उगला है। हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अयोध्या दौरे का भी विरोध किया है। उन्होंने भूमि पूजन में मोदी के शामिल होने का विरोध करते हुए कहा कि उनका ऐसा करना उनकी उस शपथ का उल्लंघन होगा, जो उन्होंने प्रधानमंत्री पद ग्रहण करते हुए ली थी।
ओवैसी शायद यह भी भूल रहे हैं कि राष्ट्रपति से बड़ा कोई संवैधनिक व्यक्ति नहीं, जब राष्ट्रपति होते डॉ राजेंद्र प्रसाद सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्वार उपरांत प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा विरोध करने के बावजूद मंदिर उद्घाटन में शामिल होने गए थे, कौन-सा संविधान खतरे में पड़ गया था। हकीकत यह है कि अयोध्या में कोई राम मंदिर नहीं बन रहा, बल्कि अब तक हिन्दुओं को अपमानित कर भारत की मासूम को गुमराह करने के उनके घिनौने कारनामों की पोल खुलने का श्रीगणेश हो रहा है। दूसरे, संविधान में कहाँ लिखा है कि प्रधानमंत्री द्वारा मंदिर के किसी भी कार्यक्रम में शामिल होने से संविधान खतरे में पड़ जायेगा, क्यों गलत भ्रांतियां फैलाकर संविधान को बदनाम कर रहो हो।
विश्व हिन्दू परिषद् ने कई बार कहा था कि "हमारे ये तीन तीर्थ--अयोध्या, काशी और मथुरा-- दे दो, शेष 5997 से अपना हक़ छोड़ देंगे, अन्यथा समस्त स्थान लेकर रहेंगे।" किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। उन्हें नहीं मालूम था कि 2014 चुनावों से जो लहर उठेगी, वह उनके सारे अरमानों पर पानी फेर देगी।
बकौल असदुद्दीन ओवैसी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अयोध्या राम मंदिर भूमि पूजन में हिस्सा लेना उनके द्वारा ली गई संवैधानिक शपथ का उल्लंघन है। साथ ही उन्होंने दावा किया कि सेकुलरिज्म हमारे संविधान की सबसे मूल संरचना है। उन्होंने कहा कि वो कभी नहीं भूलेंगे कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद 400 वर्षों तक खड़ा रहा था। उन्होंने 1992 बाबरी मस्जिद ध्वस्त करने वालों को भी ‘आपराधिक भीड़’ करार दिया।
ओवैसी ने कहा कि बाबरी मस्जिद एक मस्जिद था और हमेशा मस्जिद ही रहेगा। उन्होंने ‘आउटलुक’ को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि ये उनकी आस्था है और कोई उनसे उनकी आस्था को नहीं छीन सकता। उन्होंने कहा कि अगर बाबरी को ध्वस्त नहीं किया जाता तो शायद राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय भी नहीं आता। उन्होंने इसके लिए दिसम्बर 1949 में मस्जिद में चोरी-चुपके मूर्ति रखने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने दावा किया कि मुसलमान अपनी अगली जनरेशन को ये बताते रहेंगे कि मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया था। यह भी बताना नहीं भूलना कि खुदाई में मंदिर के अवशेष मिले थे, मस्जिद का एक भी सबूत नहीं। उन्होंने मुसलमानों की आवाजों को दबाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बतौर पीएम, मोदी हर धर्म के लोगों के लिए जिम्मेदार हैं और उनके लिए भी, जो किसी धर्म को नहीं मानते। उन्होंने कहा कि 1992 में तत्कालीन यूपी के सीएम और देश के पीएम बाबरी को बचाने में अक्षम रहे।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ये मानता है कि अयोध्या जजमेंट फैक्ट पर कम और आस्था पर ज्यादा निर्भर है। उन्होंने पूछा कि अगर ‘1991 प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ मौजूद है, फिर भी ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ का मामला कोर्ट में क्यों पेंडिंग पड़ा हुआ है? उन्होंने इस केस को तुरंत अदालत से बाहर फेंकने की माँग की। साथ ही उन्होंने डर जताया कि भाजपा सरकार इस एक्ट को हटा सकती है।
ओवैसी और अन्य राम विरोधियों को सबसे बड़ा डर यह सता रहा है कि जब मंदिर निर्माण में पूरे परिसर की खुदाई होने पर जो अवशेष निकलेंगे, उससे उनके द्वारा फैलाया पाखंड जगजाहिर हो जायेगा, जो अन्य विवादों में प्रमाण के रूप में प्रस्तुत कर मथुरा, काशी एवं अन्य स्थानों पर उनकी लड़ाई को कमजोर करने में सहायक होंगे। और संभव है कि भविष्य में अधिकांश मुस्लिम ही उनके विरोध में खड़े न हो जाएं।
अवलोकन करें:-
संबित पात्रा ने राम मंदिर भूमि पूजन का विरोध कर रहे लोगों के लिए ‘कहीं पूजन, कहीं सूजन’ हैशटैग का आइडिया दिया है। संबित पात्रा ने राम मंदिर का विरोध करने वालों को ‘दिलजले’ करार देते हुए ‘कहीं दीप जले, कहीं दिल’ वाले लता मंगेशकर के गाने को याद किया। उन्होंने कहा कि जब ऐसे लोगों का दिल जलेगा तो उसे सूँघ कर उन्हें परम सुख की अनुभूति होगी, जिसे एन्जॉय करना चाहिए।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने राम मंदिर भूमि पूजन को लेकर फिर ज़हर उगला है। हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अयोध्या दौरे का भी विरोध किया है। उन्होंने भूमि पूजन में मोदी के शामिल होने का विरोध करते हुए कहा कि उनका ऐसा करना उनकी उस शपथ का उल्लंघन होगा, जो उन्होंने प्रधानमंत्री पद ग्रहण करते हुए ली थी।
ओवैसी शायद यह भी भूल रहे हैं कि राष्ट्रपति से बड़ा कोई संवैधनिक व्यक्ति नहीं, जब राष्ट्रपति होते डॉ राजेंद्र प्रसाद सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्वार उपरांत प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा विरोध करने के बावजूद मंदिर उद्घाटन में शामिल होने गए थे, कौन-सा संविधान खतरे में पड़ गया था। हकीकत यह है कि अयोध्या में कोई राम मंदिर नहीं बन रहा, बल्कि अब तक हिन्दुओं को अपमानित कर भारत की मासूम को गुमराह करने के उनके घिनौने कारनामों की पोल खुलने का श्रीगणेश हो रहा है। दूसरे, संविधान में कहाँ लिखा है कि प्रधानमंत्री द्वारा मंदिर के किसी भी कार्यक्रम में शामिल होने से संविधान खतरे में पड़ जायेगा, क्यों गलत भ्रांतियां फैलाकर संविधान को बदनाम कर रहो हो।
विश्व हिन्दू परिषद् ने कई बार कहा था कि "हमारे ये तीन तीर्थ--अयोध्या, काशी और मथुरा-- दे दो, शेष 5997 से अपना हक़ छोड़ देंगे, अन्यथा समस्त स्थान लेकर रहेंगे।" किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। उन्हें नहीं मालूम था कि 2014 चुनावों से जो लहर उठेगी, वह उनके सारे अरमानों पर पानी फेर देगी।
बकौल असदुद्दीन ओवैसी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अयोध्या राम मंदिर भूमि पूजन में हिस्सा लेना उनके द्वारा ली गई संवैधानिक शपथ का उल्लंघन है। साथ ही उन्होंने दावा किया कि सेकुलरिज्म हमारे संविधान की सबसे मूल संरचना है। उन्होंने कहा कि वो कभी नहीं भूलेंगे कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद 400 वर्षों तक खड़ा रहा था। उन्होंने 1992 बाबरी मस्जिद ध्वस्त करने वालों को भी ‘आपराधिक भीड़’ करार दिया।
ओवैसी ने कहा कि बाबरी मस्जिद एक मस्जिद था और हमेशा मस्जिद ही रहेगा। उन्होंने ‘आउटलुक’ को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि ये उनकी आस्था है और कोई उनसे उनकी आस्था को नहीं छीन सकता। उन्होंने कहा कि अगर बाबरी को ध्वस्त नहीं किया जाता तो शायद राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय भी नहीं आता। उन्होंने इसके लिए दिसम्बर 1949 में मस्जिद में चोरी-चुपके मूर्ति रखने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने दावा किया कि मुसलमान अपनी अगली जनरेशन को ये बताते रहेंगे कि मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया था। यह भी बताना नहीं भूलना कि खुदाई में मंदिर के अवशेष मिले थे, मस्जिद का एक भी सबूत नहीं। उन्होंने मुसलमानों की आवाजों को दबाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बतौर पीएम, मोदी हर धर्म के लोगों के लिए जिम्मेदार हैं और उनके लिए भी, जो किसी धर्म को नहीं मानते। उन्होंने कहा कि 1992 में तत्कालीन यूपी के सीएम और देश के पीएम बाबरी को बचाने में अक्षम रहे।
Attending Bhumi Pujan in official capacity will be a violation of @PMOIndia‘s constitutional oath. Secularism is part of the Basic Structure of Constitution— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 28, 2020
We can’t forget that for over 400 years Babri stood in Ayodhya & it was demolished by a criminal mob in 1992 https://t.co/qt2RCvJOK1
इस सदी का सबसे बड़ा मज़ाक कर रहा है ये,— 🇮🇳 सौरभ तिवारी (@snathti) July 28, 2020
मंदिर में "पीएम" का जाना संविधान के खिलाफ कैसे हो सकता है?
विदेशी आक्रांताओं और लुटेरों ने देश में जो हजारों मंदिर गिराए उनका हिसाब कौन देगा?
तुम ना सिखाओ की संविधान की रक्षा कैसे हो सकती है😡@narendramodi जी को अच्छे से ये काम आता है🚩
Hagia Sophia एक चर्च को किस प्रकार से मुसलमानों ने मस्जिद का रूप दे दिया यह आज पूरी दुनिया देख रही है तुम मुसलमानों ने दूसरे धर्मों को काफी नुकसान पहुंचाया है इंडिया में ज्यादातर मस्जिद हिंदू मंदिरों को तोड़कर बनाया है और इसी को तुम लोग अपना गौरव समझते हो और खुद कहते हो की pic.twitter.com/QZPEWDfmD3— R Singh (@R_Singh____) July 28, 2020
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ये मानता है कि अयोध्या जजमेंट फैक्ट पर कम और आस्था पर ज्यादा निर्भर है। उन्होंने पूछा कि अगर ‘1991 प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ मौजूद है, फिर भी ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ का मामला कोर्ट में क्यों पेंडिंग पड़ा हुआ है? उन्होंने इस केस को तुरंत अदालत से बाहर फेंकने की माँग की। साथ ही उन्होंने डर जताया कि भाजपा सरकार इस एक्ट को हटा सकती है।
ओवैसी और अन्य राम विरोधियों को सबसे बड़ा डर यह सता रहा है कि जब मंदिर निर्माण में पूरे परिसर की खुदाई होने पर जो अवशेष निकलेंगे, उससे उनके द्वारा फैलाया पाखंड जगजाहिर हो जायेगा, जो अन्य विवादों में प्रमाण के रूप में प्रस्तुत कर मथुरा, काशी एवं अन्य स्थानों पर उनकी लड़ाई को कमजोर करने में सहायक होंगे। और संभव है कि भविष्य में अधिकांश मुस्लिम ही उनके विरोध में खड़े न हो जाएं।
अवलोकन करें:-
संबित पात्रा ने राम मंदिर भूमि पूजन का विरोध कर रहे लोगों के लिए ‘कहीं पूजन, कहीं सूजन’ हैशटैग का आइडिया दिया है। संबित पात्रा ने राम मंदिर का विरोध करने वालों को ‘दिलजले’ करार देते हुए ‘कहीं दीप जले, कहीं दिल’ वाले लता मंगेशकर के गाने को याद किया। उन्होंने कहा कि जब ऐसे लोगों का दिल जलेगा तो उसे सूँघ कर उन्हें परम सुख की अनुभूति होगी, जिसे एन्जॉय करना चाहिए।
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