आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
कांग्रेस द्वारा किए घोटाले सुन-सुनकर जनता के कान पक गए हैं। चुनाव आने से पूर्व लगभग हर पार्टी कांग्रेस अथवा यूपीए घोटालों का झुनझुना लेकर बजाने लगती हैं, लेकिन चुनाव उपरांत परिणाम वही ढाक के तीन पात।
दिल्ली सत्ता हथियाने आम आदमी पार्टी के "अरविन्द केजरीवाल तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के विरुद्ध 370 आरोप लेकर नाच रहे थे, कहते थे शीला जेल जाएगी, क्या हुआ?" आज तक एक घोटाले की जाँच तो क्या नाम तक नहीं लिया और अब तो शीला दीक्षित स्वर्गवासी हो चुकी हैं।
2019 के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते थे कि "भ्रष्टाचारी जमानत पर बाहर हैं, जेल के दरवाजे तक पहुंचा दिया, बस दरवाजे की दूसरी तरफ भेजना है।" क्या हुआ बाबाजी का ढुल्लू। यदि इतने घोटाले किसी आम नागरिक अथवा अधिकारी ने किए होते, पता नहीं कब का जेल में पटक दिया होता। बस दामन बचाने के लिए लालू यादव जैसे को जेल भेज दिया, हो गया भ्रष्टाचार दूर, हो गयी भ्रष्टाचार पर कार्यवाही। मायावती, मुलायमसिंह, अखिलेश याद आएंगे उत्तर प्रदेश चुनावों में।
यह सत्ता पक्ष पर आरोप नहीं, कटु सच्चाई है। भ्रष्टाचार का यह हाल है कि "कल जो काम 100 रूपए देकर होता था, आज 1000 रूपए में होता है। बिना रिश्वत दिए नगर निगम का भवन विभाग नक्शा पास नहीं करता। चलिए नक्शा पास हो गया, फिर ??।" यानि आम आदमी कहाँ-कहाँ रिश्वत से बचे। सब्जीवाला बिना रिश्वत दिए सड़क पर बैठ नहीं सकता। सीमेंट से भरे एक विक्रम टैम्पो 600 रूपए देता है।
सरकार यदि भ्रष्टाचार पर गंभीर है तो सबसे पहले नेताओं की मोटी होती तिजोरियों, चुनावों में शराब और नोट बंटवारे पर लगाम लगानी होगी। अन्यथा जनता फ़िल्मी गीत "सपने सुहाने लड़कपन के...." याद रखे।
खैर अब, राजीव गाँधी फाउंडेशन समेत 3 ट्रस्टों की फंडिंग को लेकर उपजे विवाद पर केंद्रीय गृह मंत्रालय सख्त है और अंतर-मंत्रालय जाँच बिठा दी गई है, जिससे गाँधी परिवार की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। ख़ुद गृह मंत्रालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर के इस बात की सूचना दी गई है। ये कमिटी फाउंडेशन द्वारा ली गई फंडिंग और नियमों के उल्लंघन को लेकर जाँच करेगी। प्रवर्तन निदेशालय (ED) के डायरेक्टर इस कमिटी की अध्यक्षता करेंगे।
गृह मंत्रालय ने अपनी ट्वीट में कहा– “केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अंतर-मंत्रालय कमिटी का गठन किया है, जो राजीव गाँधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की जाँच करेगी।” गृह मंत्रालय द्वारा गठित कमिटी PMLA एक्ट, इनकम टैक्स एक्ट और FCRA एक्ट के नियम-क़ानूनों के उल्लंघन के सम्बन्ध में जाँच करेगी, जिसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।
राजीव गाँधी फाउंडेशन को चीन से फंडिंग मिलने का खुलासा होने के बाद हंगामा शुरू हो गया था। इस फाउंडेशन के शीर्ष अधिकारियों में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राहुल गाँधी के नाम शामिल हैं।
भारती फाउंडेशन द्वारा गृह मंत्रालय को प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों से यह भी पता चलता है कि इसे कतर फाउंडेशन एंडोमेंट से वित्त वर्ष 2018-19 में लगभग 14 करोड़ रुपए मिले थे। बता दें कि कतर फाउंडेशन एक प्राइवेट चैरिटी संस्थान है, जो पूर्व अमीर शेख हमद बिन खलीफा अल थानी और उनकी पत्नी शेखा मोझा बिंत नासिर द्वारा स्थापित किया गया था। कॉन्ग्रेस का यहूदी अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस के साथ भी काफी नजदीकी संबंध रहा है।
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के समय मूंदड़ा घोटाला हो, इंदिरा गांधी के समय मारूति घोटाला या फिर राजीव गांधी के समय में बोफोर्स घोटाला या सोनिया गांधी के समय डॉ मनमोहन सिंह के नाम पर घोटाला ही घोटाला। आजादी के बाद से ही देश में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में कांग्रेस आगे रही है। अपने स्वार्थ को साधने के लिए सत्ता का कैसे दुरुपयोग हो सकता है, ये कांग्रेस सरकारों की करतूतों से सामने आता रहा है। सत्ता का दुरुपयोग का ही एक मामला हाल में सामने आया है कि राजीव गांधी फाउंडेशन को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से पैसा दिया गया था। इसके साथ ही कई सरकारी कंपनियों पर भी पैसा देने के लिए दवाब बनाया गया था। इतना ही नहीं राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन से फंडिंग मिलती थी। इस सबका खुलासा होने के बाद गृह मंत्रालय ने एक अंतरमंत्रालय कमेटी बनाई है। अंतरमंत्रालय समिति राजीव गांधी फाउंडेशन के साथ राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट, इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की भी जांच करेगी। कमेटी इन फाउंडेशन की फंडिंग, इनके द्वारा किए गए उल्लंघनों की जांच करेगी। इस जांच में पीएमएलए एक्ट, इनकम टैक्स एक्ट, एफआरसीए एक्ट के नियमों के उल्लंघन की जांच शामिल है। इस कमेटी की अगुवाई प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के स्पेशल डायरेक्टर करेंगे।
देश के आजाद होने के बाद कांग्रेस और गांधी परिवार ने 60 सालों तक देश को जमकर लूटा है। कांग्रेस की सरकारों के तहत हुए घोटालों की सूची इतनी लंबी है कि कभी खत्म ही नहीं होती।अगस्ता वेस्टलैंड स्कैम, बोफोर्स घोटाला, नेशनल हेराल्ड घोटाला, जमीन घोटाला… न जाने कितने ऐसे स्कैम हैं, जो कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से जुड़े हैं। डालते हैं नेहरू-गांधी परिवार के घोटालों पर एक नजर-
अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला
वर्ष 2013 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके राजनीतिक सचिव अहमद पटेल पर इटली की चॉपर कंपनी ‘अगस्ता वेस्टलैंड’ से कमीशन लेने के आरोप लगे। दरअसल अगस्ता वेस्टलैंड से भारत को 36 अरब रुपये के सौदे के तहत 12 हेलिकॉप्टर ख़रीदने थे, जिसमें 360 करोड़ रुपए की रिश्वतखोरी की बात सामने आई। इतालवी कोर्ट ने माना कि इस मामले में भारतीय अफसरों और राजनेताओं को 15 मिलियन डॉलर रिश्वत दी गई। इतालवी कोर्ट ने एक नोट में इशारा किया था कि सोनिया गांधी सौदे में पीछे से अहम भूमिका निभा रही थीं। कोर्ट ने 225 पेज के फैसले में चार बार सोनिया का जिक्र किया।
2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला (2008)
भारत में सबसे बड़ा घोटाला 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला था, जिसमें दूरसंचार मंत्री ए. राजा पर निजी दूरसंचार कंपनियों को 2008 में बहुत सस्ते दरों पर 2 जी लाइसेंस जारी करने का आरोप लगाया गया था। नियमों का पालन नहीं किया गया था, लाइसेंस जारी करते समय केवल पक्षपात किया गया था। इसमें 1.96 लाख करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था। दरअसल सरकार ने 2001 में स्पेक्ट्रम लाइसेंस के लिए प्रवेश शुल्क रखा था। इसमें दूरसंचार के बारे अनुभवहीन कंपनियों को लाइसेंस जारी किया गया था। भारत में 2001 में मोबाइल उपभोक्ता 4 मिलियन थे जो 2008 में बढ़ोतरी करके 350 मिलियन तक पहुंच गये।
सत्यम घोटाला (2009)
सत्यम कंप्यूटर सर्विसेजस के घोटाले से भारतीय निवेशक और शेयरधारक बुरी तरह प्रभावित हुए। यह घोटाला कॉरपोरेट जगत के सबसे बड़े घोटालों में से एक है, इसमें 14,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया था। पूर्व चेयरमैन रामलिंगा राजू इस घोटाले में शामिल थे, जिन्होंने सब कुछ संभाला हुआ था। बाद में उन्होंने 1.47 अरब अमेरिकी डॉलर के खाते को किसी प्रकार के संदेह के कारण खारिज कर दिया। उस साल के अंत में, सत्यम का 46% हिस्सा टेक महिंद्रा ने खरीदा था, जिसने कंपनी को अवशोषित और पुनर्जीवित किया।
कॉमनवेल्थ गेम घोटाला (2010)
राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी और संचालन के लिए लिये लिया गया धन भारी मात्रा में घोटाले में चला गया। इसमें लगभग 70,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है। इस घोटाले में कई भारतीय राजनेता नौकरशाह और कंपनियों के बड़े लोग शामिल थे। इस घोटाले के प्रमुख पुणे के निर्वाचन क्षेत्र से 15 वीं लोकसभा के लिए कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधि सुरेश कलमाड़ी थे। उस समय, कलमाड़ी दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन समिति के अध्यक्ष थे। इसमें शामिल अन्य बड़े लोगों में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री- शीला दीक्षित और रॉबर्ट वाड्रा हैं। इसका गैर-अस्तित्व वाली पार्टियों के लिए भुगतान किया गया, उपकरण की खरीद करते समय कीमतों में तेजी आई और निष्पादन में देरी हुई थी।
कोयला घोटाला (2012)
कोयला घोटाले के कारण भारत सरकार को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। सीएजी ने एक रिपोर्ट पेश की और कहा कि 194 कोयला ब्लॉकों की नीलामी में अनियमितताऐं शामिल हैं। सरकार ने 2004 और 2011 के बीच कोयला खदानों की नीलमी नहीं करने का फैसला किया था। कोयला ब्लॉक अलग-अलग पार्टियों और निजी कंपनियों को बेच दिये गये थे। इस निर्णय से राजस्व में भारी नुकसान हुआ था।
टाट्रा ट्रक घोटाला (2012)
वेक्ट्रा के अध्यक्ष रवि ऋषिफॉर्मर और सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग प्रतिबंध अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला पंजीकृत किया था। इसमें सेना के लिए 1,676 टाटा ट्रकों की खरीद के लिए 14 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई थी।
आदर्श घोटाला (2012)
इस घोटाले में मुंबई की कोलाबा सोसायटी में 31 मंजिल इमारत में स्थित फ्लैटों को बाजार की कीमतों से कम कीमत पर बेचा गया था। इस सोसायटी को सैनिकों की विधवाओं और भारत के रक्षा मंत्रालय के कर्मियों के लिए बनाया गया था। समय की अवधि में, फ्लैटों के आवंटन के लिए नियम और विनियमन संशोधित किए गए थे। इसमें महाराष्ट्र के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों- सुशील कुमार शिंदे, विलासराव देशमुख और अशोक चव्हाण के खिलाफ आरोप लगाये गये थे। यह जमीन रक्षा विभाग की थी और सोसायटी के लिये दी गई थी।
सोनिया-राहुल-वाड्रा के पास 5 बिलियन डालर से अधिक की संपत्ति कहां से आई?



आजादी के बाद देश को अपनी व्यक्तिगत संपत्ति समझने वाले गांधी परिवार ने किसानों की जमीन खरीदने-बेचने से लेकर रक्षा सौदे में दलाली से अकूत संपदा अर्जित की है। गांधी खानदान के मौजूदा दोनों नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड केस में कोर्ट से जमानत पर हैं। इन दोनों ने अपनी सरकारों के जरिए देश के विभिन्न शहरों में नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र के नाम पर कई एकड़ जमीन आवंटित करा ली। इसकी प्रॉपर्टी की कीमत करीब 5 हजार करोड़ है। दोनों मां-बेटे ने एक कंपनी बनाकर नेशनल हेराल्ड की सारी जमीन को अपने नाम करवा ली। जब कोर्ट में मामला खुला तो दोनों को जमानत लेना पड़ा। अमेरिका की business insider और जर्मनी के द वेल्ट के मुताबिक सोनिया दुनिया की चौथी सबसे धनी महिला हैं।उनकी संपत्ति 10 हजार से 45 हजार करोड़ के बीच हो सकती है। राहुल गांधी कुछ नहीं करते लेकिन उनकी घोषित संपत्ति 9.40 करोड़ है।
Celebrity Net Worth के अनुसार कांग्रेस की चेयरपर्सन सोनिया गांधी के पास लगभग 2 बिलियन डालर की संपदा है। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पास भी 100 मीलियन डालर की संपदा है।
प्रमुख घोटालों की सूची और उसकी रकम-
अब चलते हैं पीछे
बोफोर्स घोटाला
बोफोर्स कंपनी ने 1437 करोड़ रुपये के होवित्जर तोप का सौदा हासिल करने के लिए भारत के बड़े राजनेताओं और सेना के अधिकारियों को 1.42 करोड़ डॉलर की रिश्वत दी थी। आरोप है कि इसमें दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ सोनिया गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं को को स्वीडन की तोप बनाने वाली कंपनी बोफ़ोर्स ने कमीशन के बतौर 64 करोड़ रुपये दिये थे। इस सौदे में गांधी परिवार के करीबी और इतालवी कारोबारी ओतावियो क्वात्रोकी के अर्जेंटीना चले जाने पर सोनिया गांधी पर भी आरोप लगे।
वाड्रा-डीएलएफ घोटाला
वर्ष 2012 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी और उनके दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ घोटाले का आरोप लगा। उनपर शिकोहपुर गांव में कम दाम पर जमीन खरीदकर भारी मुनाफे में रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ को बेचने का आरोप लगा। रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ से 65 करोड़ का ब्याज-मुक्त लोन लेने का आरोप लगा। बिना ब्याज पैसे की अदायगी के पीछे कंपनी को राजनीतिक लाभ पहुंचाना मूल उद्देश्य था। यह तथ्य भी सामने आया है कि केंद्र में कांग्रेस सरकार के रहते रॉबर्ट वाड्रा ने देश के कई और हिस्सों में भी बेहद कम कीमतों पर जमीनें खरीदीं। इस मामले में हाल ही में हरियाणा सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
बीकानेर में जमीन घोटाले का मामला
राजस्थान के बीकानेर में हुए जमीन घोटालों में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनियों के जमीन सौदे भी शामिल हैं। अंग्रेजी न्यूज पोर्टल इकोनॉमिक्स टाइम्स के अनुसार गलत जमीन सौदों के सिलसिले में 18 एफआईआर दर्ज हैं, जिनमें से 4 वाड्रा की कंपनियों से जुड़े हैं। ये सारी एफआईआर 1400 बीघा जमीन जाली नामों से खरीदे जाने से जुड़ी हैं, जिनमें से 275 बीघा जमीन वाड्रा की कंपनियों के लिए जाली नामों से खरीदे जाने के आरोप हैं।
मारुति घोटाला
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी को यात्री कार बनाने का लाइसेंस मिला था। वर्ष 1973 में सोनिया गांधी को मारुति टेक्निकल सर्विसेज प्राइवेट लि. का एमडी बनाया गया, हालांकि सोनिया के पास इसके लिए जरूरी तकनीकी योग्यता नहीं थी। बताया जा रहा है कि कंपनी को सरकार की ओर से टैक्स, फंड और कई छूटें मिलीं थी।
अवलोकन करें:-
मूंदड़ा स्कैंडल
कलकत्ता के उद्योगपति हरिदास मूंदड़ा को स्वतंत्र भारत के पहले ऐसे घोटाले के तौर पर याद किया जाता है। इसके छींटें प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर भी पड़े। दरअसल 1957 में मूंदड़ा ने एलआईसी के माध्यम से अपनी छह कंपनियों में 12 करोड़ 40 लाख रुपये का निवेश कराया था। यह निवेश सरकारी दबाव में एलआईसी की इंवेस्टमेंट कमेटी की अनदेखी करके किया गया। तब तक एलआईसी को पता चला उसे कई करोड़ का नुक़सान हो चुका था। इस केस को फिरोज गांधी ने उजागर किया, जिसे नेहरू ख़ामोशी से निपटाना चाहते थे। उन्होंने तत्कालीन वित्तमंत्री टीटी कृष्णामाचारी को बचाने की कोशिश भी की, लेकिन उन्हें अंतत: पद छोड़ना पड़ा।
कांग्रेस द्वारा किए घोटाले सुन-सुनकर जनता के कान पक गए हैं। चुनाव आने से पूर्व लगभग हर पार्टी कांग्रेस अथवा यूपीए घोटालों का झुनझुना लेकर बजाने लगती हैं, लेकिन चुनाव उपरांत परिणाम वही ढाक के तीन पात।
दिल्ली सत्ता हथियाने आम आदमी पार्टी के "अरविन्द केजरीवाल तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के विरुद्ध 370 आरोप लेकर नाच रहे थे, कहते थे शीला जेल जाएगी, क्या हुआ?" आज तक एक घोटाले की जाँच तो क्या नाम तक नहीं लिया और अब तो शीला दीक्षित स्वर्गवासी हो चुकी हैं।
2019 के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते थे कि "भ्रष्टाचारी जमानत पर बाहर हैं, जेल के दरवाजे तक पहुंचा दिया, बस दरवाजे की दूसरी तरफ भेजना है।" क्या हुआ बाबाजी का ढुल्लू। यदि इतने घोटाले किसी आम नागरिक अथवा अधिकारी ने किए होते, पता नहीं कब का जेल में पटक दिया होता। बस दामन बचाने के लिए लालू यादव जैसे को जेल भेज दिया, हो गया भ्रष्टाचार दूर, हो गयी भ्रष्टाचार पर कार्यवाही। मायावती, मुलायमसिंह, अखिलेश याद आएंगे उत्तर प्रदेश चुनावों में।
यह सत्ता पक्ष पर आरोप नहीं, कटु सच्चाई है। भ्रष्टाचार का यह हाल है कि "कल जो काम 100 रूपए देकर होता था, आज 1000 रूपए में होता है। बिना रिश्वत दिए नगर निगम का भवन विभाग नक्शा पास नहीं करता। चलिए नक्शा पास हो गया, फिर ??।" यानि आम आदमी कहाँ-कहाँ रिश्वत से बचे। सब्जीवाला बिना रिश्वत दिए सड़क पर बैठ नहीं सकता। सीमेंट से भरे एक विक्रम टैम्पो 600 रूपए देता है।
सरकार यदि भ्रष्टाचार पर गंभीर है तो सबसे पहले नेताओं की मोटी होती तिजोरियों, चुनावों में शराब और नोट बंटवारे पर लगाम लगानी होगी। अन्यथा जनता फ़िल्मी गीत "सपने सुहाने लड़कपन के...." याद रखे।
खैर अब, राजीव गाँधी फाउंडेशन समेत 3 ट्रस्टों की फंडिंग को लेकर उपजे विवाद पर केंद्रीय गृह मंत्रालय सख्त है और अंतर-मंत्रालय जाँच बिठा दी गई है, जिससे गाँधी परिवार की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। ख़ुद गृह मंत्रालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर के इस बात की सूचना दी गई है। ये कमिटी फाउंडेशन द्वारा ली गई फंडिंग और नियमों के उल्लंघन को लेकर जाँच करेगी। प्रवर्तन निदेशालय (ED) के डायरेक्टर इस कमिटी की अध्यक्षता करेंगे।
गृह मंत्रालय ने अपनी ट्वीट में कहा– “केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अंतर-मंत्रालय कमिटी का गठन किया है, जो राजीव गाँधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की जाँच करेगी।” गृह मंत्रालय द्वारा गठित कमिटी PMLA एक्ट, इनकम टैक्स एक्ट और FCRA एक्ट के नियम-क़ानूनों के उल्लंघन के सम्बन्ध में जाँच करेगी, जिसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।
राजीव गाँधी फाउंडेशन को चीन से फंडिंग मिलने का खुलासा होने के बाद हंगामा शुरू हो गया था। इस फाउंडेशन के शीर्ष अधिकारियों में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राहुल गाँधी के नाम शामिल हैं।
भारती फाउंडेशन द्वारा गृह मंत्रालय को प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों से यह भी पता चलता है कि इसे कतर फाउंडेशन एंडोमेंट से वित्त वर्ष 2018-19 में लगभग 14 करोड़ रुपए मिले थे। बता दें कि कतर फाउंडेशन एक प्राइवेट चैरिटी संस्थान है, जो पूर्व अमीर शेख हमद बिन खलीफा अल थानी और उनकी पत्नी शेखा मोझा बिंत नासिर द्वारा स्थापित किया गया था। कॉन्ग्रेस का यहूदी अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस के साथ भी काफी नजदीकी संबंध रहा है।
MHA sets up inter-ministerial committee to coordinate investigations into violation of various legal provisions of PMLA, Income Tax Act, FCRA etc by Rajiv Gandhi Foundation, Rajiv Gandhi Charitable Trust & Indira Gandhi Memorial Trust.— Spokesperson, Ministry of Home Affairs (@PIBHomeAffairs) July 8, 2020
Spl. Dir of ED will head the committee.
फाउंडेशन को पंजाब नेशनल बैंक में हज़ारों करोड़ रुपए के घोटाले के अभियुक्त मेहुल चोकसी से भी दान मिला था। उसने 2014-15 में सोनिया गाँधी के नेतृत्व वाले इस फाउंडेशन में अघोषित दान किया था। दान नवराज एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड (Naviraj Estates Private Limited) के नाम से किया गया था और मेहुल चोकसी इस कंपनी के निदेशकों में से एक है। इसके बाद से ही भाजपा इन आरोपों को लेकर हमलावर है।It is a welcome to investigate frauds of Rajiv Gandhi Foundation & others,hope it is taken to it logical conclusion in time-bound manner,unlike what was done with notice served by Home Ministry to @RahulGandhi in April 2019 on his British Citizenship ! Dr @Swamy39 please monitor! pic.twitter.com/dYpzXk08yB— Jagdish Shetty (@jagdishshetty) July 8, 2020
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के समय मूंदड़ा घोटाला हो, इंदिरा गांधी के समय मारूति घोटाला या फिर राजीव गांधी के समय में बोफोर्स घोटाला या सोनिया गांधी के समय डॉ मनमोहन सिंह के नाम पर घोटाला ही घोटाला। आजादी के बाद से ही देश में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में कांग्रेस आगे रही है। अपने स्वार्थ को साधने के लिए सत्ता का कैसे दुरुपयोग हो सकता है, ये कांग्रेस सरकारों की करतूतों से सामने आता रहा है। सत्ता का दुरुपयोग का ही एक मामला हाल में सामने आया है कि राजीव गांधी फाउंडेशन को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से पैसा दिया गया था। इसके साथ ही कई सरकारी कंपनियों पर भी पैसा देने के लिए दवाब बनाया गया था। इतना ही नहीं राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन से फंडिंग मिलती थी। इस सबका खुलासा होने के बाद गृह मंत्रालय ने एक अंतरमंत्रालय कमेटी बनाई है। अंतरमंत्रालय समिति राजीव गांधी फाउंडेशन के साथ राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट, इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की भी जांच करेगी। कमेटी इन फाउंडेशन की फंडिंग, इनके द्वारा किए गए उल्लंघनों की जांच करेगी। इस जांच में पीएमएलए एक्ट, इनकम टैक्स एक्ट, एफआरसीए एक्ट के नियमों के उल्लंघन की जांच शामिल है। इस कमेटी की अगुवाई प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के स्पेशल डायरेक्टर करेंगे।
देश के आजाद होने के बाद कांग्रेस और गांधी परिवार ने 60 सालों तक देश को जमकर लूटा है। कांग्रेस की सरकारों के तहत हुए घोटालों की सूची इतनी लंबी है कि कभी खत्म ही नहीं होती।अगस्ता वेस्टलैंड स्कैम, बोफोर्स घोटाला, नेशनल हेराल्ड घोटाला, जमीन घोटाला… न जाने कितने ऐसे स्कैम हैं, जो कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से जुड़े हैं। डालते हैं नेहरू-गांधी परिवार के घोटालों पर एक नजर-
अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला
वर्ष 2013 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके राजनीतिक सचिव अहमद पटेल पर इटली की चॉपर कंपनी ‘अगस्ता वेस्टलैंड’ से कमीशन लेने के आरोप लगे। दरअसल अगस्ता वेस्टलैंड से भारत को 36 अरब रुपये के सौदे के तहत 12 हेलिकॉप्टर ख़रीदने थे, जिसमें 360 करोड़ रुपए की रिश्वतखोरी की बात सामने आई। इतालवी कोर्ट ने माना कि इस मामले में भारतीय अफसरों और राजनेताओं को 15 मिलियन डॉलर रिश्वत दी गई। इतालवी कोर्ट ने एक नोट में इशारा किया था कि सोनिया गांधी सौदे में पीछे से अहम भूमिका निभा रही थीं। कोर्ट ने 225 पेज के फैसले में चार बार सोनिया का जिक्र किया।
2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला (2008)
भारत में सबसे बड़ा घोटाला 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला था, जिसमें दूरसंचार मंत्री ए. राजा पर निजी दूरसंचार कंपनियों को 2008 में बहुत सस्ते दरों पर 2 जी लाइसेंस जारी करने का आरोप लगाया गया था। नियमों का पालन नहीं किया गया था, लाइसेंस जारी करते समय केवल पक्षपात किया गया था। इसमें 1.96 लाख करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था। दरअसल सरकार ने 2001 में स्पेक्ट्रम लाइसेंस के लिए प्रवेश शुल्क रखा था। इसमें दूरसंचार के बारे अनुभवहीन कंपनियों को लाइसेंस जारी किया गया था। भारत में 2001 में मोबाइल उपभोक्ता 4 मिलियन थे जो 2008 में बढ़ोतरी करके 350 मिलियन तक पहुंच गये।
सत्यम घोटाला (2009)
सत्यम कंप्यूटर सर्विसेजस के घोटाले से भारतीय निवेशक और शेयरधारक बुरी तरह प्रभावित हुए। यह घोटाला कॉरपोरेट जगत के सबसे बड़े घोटालों में से एक है, इसमें 14,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया था। पूर्व चेयरमैन रामलिंगा राजू इस घोटाले में शामिल थे, जिन्होंने सब कुछ संभाला हुआ था। बाद में उन्होंने 1.47 अरब अमेरिकी डॉलर के खाते को किसी प्रकार के संदेह के कारण खारिज कर दिया। उस साल के अंत में, सत्यम का 46% हिस्सा टेक महिंद्रा ने खरीदा था, जिसने कंपनी को अवशोषित और पुनर्जीवित किया।
कॉमनवेल्थ गेम घोटाला (2010)
राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी और संचालन के लिए लिये लिया गया धन भारी मात्रा में घोटाले में चला गया। इसमें लगभग 70,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है। इस घोटाले में कई भारतीय राजनेता नौकरशाह और कंपनियों के बड़े लोग शामिल थे। इस घोटाले के प्रमुख पुणे के निर्वाचन क्षेत्र से 15 वीं लोकसभा के लिए कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधि सुरेश कलमाड़ी थे। उस समय, कलमाड़ी दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन समिति के अध्यक्ष थे। इसमें शामिल अन्य बड़े लोगों में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री- शीला दीक्षित और रॉबर्ट वाड्रा हैं। इसका गैर-अस्तित्व वाली पार्टियों के लिए भुगतान किया गया, उपकरण की खरीद करते समय कीमतों में तेजी आई और निष्पादन में देरी हुई थी।
कोयला घोटाला (2012)
कोयला घोटाले के कारण भारत सरकार को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। सीएजी ने एक रिपोर्ट पेश की और कहा कि 194 कोयला ब्लॉकों की नीलामी में अनियमितताऐं शामिल हैं। सरकार ने 2004 और 2011 के बीच कोयला खदानों की नीलमी नहीं करने का फैसला किया था। कोयला ब्लॉक अलग-अलग पार्टियों और निजी कंपनियों को बेच दिये गये थे। इस निर्णय से राजस्व में भारी नुकसान हुआ था।
टाट्रा ट्रक घोटाला (2012)
वेक्ट्रा के अध्यक्ष रवि ऋषिफॉर्मर और सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग प्रतिबंध अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला पंजीकृत किया था। इसमें सेना के लिए 1,676 टाटा ट्रकों की खरीद के लिए 14 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई थी।
आदर्श घोटाला (2012)
इस घोटाले में मुंबई की कोलाबा सोसायटी में 31 मंजिल इमारत में स्थित फ्लैटों को बाजार की कीमतों से कम कीमत पर बेचा गया था। इस सोसायटी को सैनिकों की विधवाओं और भारत के रक्षा मंत्रालय के कर्मियों के लिए बनाया गया था। समय की अवधि में, फ्लैटों के आवंटन के लिए नियम और विनियमन संशोधित किए गए थे। इसमें महाराष्ट्र के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों- सुशील कुमार शिंदे, विलासराव देशमुख और अशोक चव्हाण के खिलाफ आरोप लगाये गये थे। यह जमीन रक्षा विभाग की थी और सोसायटी के लिये दी गई थी।
सोनिया-राहुल-वाड्रा के पास 5 बिलियन डालर से अधिक की संपत्ति कहां से आई?



आजादी के बाद देश को अपनी व्यक्तिगत संपत्ति समझने वाले गांधी परिवार ने किसानों की जमीन खरीदने-बेचने से लेकर रक्षा सौदे में दलाली से अकूत संपदा अर्जित की है। गांधी खानदान के मौजूदा दोनों नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड केस में कोर्ट से जमानत पर हैं। इन दोनों ने अपनी सरकारों के जरिए देश के विभिन्न शहरों में नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र के नाम पर कई एकड़ जमीन आवंटित करा ली। इसकी प्रॉपर्टी की कीमत करीब 5 हजार करोड़ है। दोनों मां-बेटे ने एक कंपनी बनाकर नेशनल हेराल्ड की सारी जमीन को अपने नाम करवा ली। जब कोर्ट में मामला खुला तो दोनों को जमानत लेना पड़ा। अमेरिका की business insider और जर्मनी के द वेल्ट के मुताबिक सोनिया दुनिया की चौथी सबसे धनी महिला हैं।उनकी संपत्ति 10 हजार से 45 हजार करोड़ के बीच हो सकती है। राहुल गांधी कुछ नहीं करते लेकिन उनकी घोषित संपत्ति 9.40 करोड़ है।
Celebrity Net Worth के अनुसार कांग्रेस की चेयरपर्सन सोनिया गांधी के पास लगभग 2 बिलियन डालर की संपदा है। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पास भी 100 मीलियन डालर की संपदा है।
प्रमुख घोटालों की सूची और उसकी रकम-
कोयला घोटाला | 1.86 लाख करोड़ रुपये |
2जी घोटाला | 1.76 लाख करोड़ रुपये |
महाराष्ट्र सिंचाई घोटाला | 70,000करोड़ रुपये |
कामनवेल्थ घोटाला | 35,000 करोड़ रुपये |
स्कार्पियन पनडुब्बी घोटाला | 1,100 करोड़ रुपये |
अगस्ता वेस्ट लैंड घोटाला | 3,600 करोड़ रुपये |
टाट्रा ट्रक घोटाला | 14 करोड़ रुपये |
बोफोर्स घोटाला
बोफोर्स कंपनी ने 1437 करोड़ रुपये के होवित्जर तोप का सौदा हासिल करने के लिए भारत के बड़े राजनेताओं और सेना के अधिकारियों को 1.42 करोड़ डॉलर की रिश्वत दी थी। आरोप है कि इसमें दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ सोनिया गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं को को स्वीडन की तोप बनाने वाली कंपनी बोफ़ोर्स ने कमीशन के बतौर 64 करोड़ रुपये दिये थे। इस सौदे में गांधी परिवार के करीबी और इतालवी कारोबारी ओतावियो क्वात्रोकी के अर्जेंटीना चले जाने पर सोनिया गांधी पर भी आरोप लगे।
वाड्रा-डीएलएफ घोटाला
वर्ष 2012 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी और उनके दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ घोटाले का आरोप लगा। उनपर शिकोहपुर गांव में कम दाम पर जमीन खरीदकर भारी मुनाफे में रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ को बेचने का आरोप लगा। रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ से 65 करोड़ का ब्याज-मुक्त लोन लेने का आरोप लगा। बिना ब्याज पैसे की अदायगी के पीछे कंपनी को राजनीतिक लाभ पहुंचाना मूल उद्देश्य था। यह तथ्य भी सामने आया है कि केंद्र में कांग्रेस सरकार के रहते रॉबर्ट वाड्रा ने देश के कई और हिस्सों में भी बेहद कम कीमतों पर जमीनें खरीदीं। इस मामले में हाल ही में हरियाणा सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
बीकानेर में जमीन घोटाले का मामला
राजस्थान के बीकानेर में हुए जमीन घोटालों में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनियों के जमीन सौदे भी शामिल हैं। अंग्रेजी न्यूज पोर्टल इकोनॉमिक्स टाइम्स के अनुसार गलत जमीन सौदों के सिलसिले में 18 एफआईआर दर्ज हैं, जिनमें से 4 वाड्रा की कंपनियों से जुड़े हैं। ये सारी एफआईआर 1400 बीघा जमीन जाली नामों से खरीदे जाने से जुड़ी हैं, जिनमें से 275 बीघा जमीन वाड्रा की कंपनियों के लिए जाली नामों से खरीदे जाने के आरोप हैं।
मारुति घोटाला
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी को यात्री कार बनाने का लाइसेंस मिला था। वर्ष 1973 में सोनिया गांधी को मारुति टेक्निकल सर्विसेज प्राइवेट लि. का एमडी बनाया गया, हालांकि सोनिया के पास इसके लिए जरूरी तकनीकी योग्यता नहीं थी। बताया जा रहा है कि कंपनी को सरकार की ओर से टैक्स, फंड और कई छूटें मिलीं थी।
अवलोकन करें:-
मूंदड़ा स्कैंडल
कलकत्ता के उद्योगपति हरिदास मूंदड़ा को स्वतंत्र भारत के पहले ऐसे घोटाले के तौर पर याद किया जाता है। इसके छींटें प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर भी पड़े। दरअसल 1957 में मूंदड़ा ने एलआईसी के माध्यम से अपनी छह कंपनियों में 12 करोड़ 40 लाख रुपये का निवेश कराया था। यह निवेश सरकारी दबाव में एलआईसी की इंवेस्टमेंट कमेटी की अनदेखी करके किया गया। तब तक एलआईसी को पता चला उसे कई करोड़ का नुक़सान हो चुका था। इस केस को फिरोज गांधी ने उजागर किया, जिसे नेहरू ख़ामोशी से निपटाना चाहते थे। उन्होंने तत्कालीन वित्तमंत्री टीटी कृष्णामाचारी को बचाने की कोशिश भी की, लेकिन उन्हें अंतत: पद छोड़ना पड़ा।
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