आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
कांग्रेस सांसद राहुल गाँधी ने देश में हो रहे बलात्कार के मामलों को लेकर मोदी सरकार पर हमला किया है। इसके बाद भाजपा ने सुकन्या देवी के मुद्दे को उठाकर राहुल गाँधी पर पलटवार किया है।
राहुल गाँधी ने 8 जुलाई, 2020 को केरल में कहा कि भारत दुनिया में एक बलात्कार की राजधानी के रूप में जाना जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि देश में बलात्कार और हिंसा के बढ़ते मामलों के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार है।
राहुल गाँधी की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी कर्नाटक ने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, “निर्दोष निर्भया और डॉ. प्रियंका को तो न्याय मिल गया, लेकिन सुकन्या देवी न्याय की प्रतीक्षा कर रही है। राहुल, क्या आप उसके लिए लड़ेंगे?”
उन्होंने कहा कि बेशर्मी से भारत को दुनिया की बलात्कार की राजधानी के रूप में देखने के बजाय, राहुल गाँधी को बलात्कारियों के लिए मृत्युदंड की लड़ाई लड़नी चाहिए थी।
बीजेपी नेता और कर्नाटक के पर्यटन मंत्री सीटी रवि ने भी इस मुद्दे को उठाया, जिसमें कहा गया कि “अधिकांश बलात्कारियों को एक या दूसरे तरीके से दंडित किया जाता है, लेकिन सुकन्या देवी का बलात्कारी स्वतंत्र रूप से घूम रहा है।” उन्होंने पूछा कि राहुल गाँधी सुकन्या देवी के लिए क्यों नहीं लड़ रहे हैं।
Hey juvenile @RahulGandhi,— BJP Karnataka (@BJP4Karnataka) December 7, 2019
Instead of shamelessly maligning India as rape capital of the World, you should have fought for capital punishment for Rapists.
Innocents Nirbhaya & Dr Priyanka have got justice, only SUKANYA DEVI is waiting for JUSTICE. Will you fight for Her Rahul? https://t.co/yoSdwsXEBa
No true son of India will ever call it as the Rape Capital. Only an Outsider with a twisted mind can speak such nonsense.— C T Ravi 🇮🇳 ಸಿ ಟಿ ರವಿ (@CTRavi_BJP) December 7, 2019
Majority of Rapists get punished one way or another, but the Rapist of Sukanya Devi is roaming around freely.
Why isn't @RahulGandhi fighting for Sukanya? https://t.co/YTDhqX5l2D
उन्होंने भारत को बलात्कार की राजधानी के रूप में कहने पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी के लिए कहा, “भारत का कोई भी सच्चा पुत्र यह नहीं कहेगा। सिर्फ एक बाहरी दिमाग वाला व्यक्ति ही इस तरह की बकवास कर सकता है।”
क्या था सुकन्या मामला?
दरअसल, सुकन्या देवी मामला उस आरोप से संबंधित है, जिसमें राहुल गाँधी और उनके दोस्तों पर उत्तर प्रदेश के एक स्थानीय कांग्रेस नेता की बेटी सुकन्या देवी के साथ 2006 में अमेठी में बलात्कार करने का आरोप लगाया लगाया गया था। शुरू में इस आरोप को कई ब्लॉगर्स द्वारा उठाया गया था। उसमें कहा गया था कि कथित घटना को लेकर शिकायत करने के लिए सोनिया गाँधी से मिलने के बाद लड़की और उसके माता-पिता गायब हो गए थे।
आरोपों में कहा गया कि सुकन्या, बलराम सिंह नामक कांग्रेस कार्यकर्ता की बेटी थी, और वह आरोपित राहुल गाँधी की बहुत बड़ी प्रशंसक थी। आरोप लगाया गया कि जब राहुल गाँधी अमेठी गेस्ट हाउस में अपने दोस्तों के साथ पार्टी कर रहे थे, तो वह उनसे मिलने के लिए वहाँ गई थीं, जहाँ आरोपित राहुल गाँधी और उनके 7 दोस्तों ने उनका कथित तौर पर बलात्कार किया था, जिनमें से 2 ब्रिटेन के थे और 2 अन्य इटली के थे।
जाहिर है कि वह किसी तरह इस घटना के बाद भाग निकली और कई लोगों से संपर्क किया लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया। आरोपों में कहा गया कि सुकन्या देवी अपने पिता बलराम सिंह और माँ सुमित्रा देवी के साथ सोनिया गाँधी और मानवाधिकार आयोग से मिलीं, मगर उसके बाद उसका पूरा परिवार लापता हो गया। आरोप यह भी था कि ध्रुपद नाम का वीडियोग्राफर और एक न्यूज चैनल का एक कैमरामैन, जिन्होंने सुकन्या का बयान रिकॉर्ड किया था, उसके बाद वो भी लापता हो गए।
आरोपों को मीडिया ने पूरी तरह से नजरअंदाज किया और केवल कुछ सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा इसे उठाया गया, लेकिन जब 2011 में सपा विधायक किशोर समरते ने इसे उठाया तो मीडिया को इसकी रिपोर्ट करने के लिए मजबूर होना पड़ा। समरीते ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक मामला भी दायर किया था, जिसमें कथित बलात्कार और सुकन्या के माता-पिता के गायब होने को लेकर जाँच की माँग की गई थी।
विधायक ने कहा था कि जब वह गाँव गए थे, तो उन्होंने पाया था कि उसके परिवार ने घर को छोड़ दिया था और पड़ोसी उस परिवार के दिल्ली जाने के बाद रहस्यमय तरीके से गायब होने की बात से अनजान थे।
लेकिन अदालत के आदेश पर पुलिस द्वारा की गई जाँच में आरोपों में कोई सच्चाई नहीं पाई गई। जाँच में पाया गया कि किशोर समरिते द्वारा बताया गया परिवार का पता मौजूद नहीं है। इसके अलावा, गजेंद्र पाल नाम के एक अन्य व्यक्ति ने बलराम और सुकन्या के दोस्त के रूप में अदालत में एक और याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि समरिते ने एक झूठी याचिका दायर की थी जो राजनीति से प्रेरित थी।
जाँच में यह भी पाया गया कि बलराम सिंह ने अपना घर बेच दिया था और दूसरी जगह चले गए थे, और उनकी पत्नी और बेटी के नामों का ब्लॉगों में गलत उल्लेख किया गया था। उनकी पत्नी सुशीला देवी थीं और उनकी सबसे बड़ी बेटी कीर्ति सिंह थीं। उन्होंने जानकारी दी थी कि मीडिया में दावा करने वाले कुछ लोग उनके घर आए थे और उन्हें सुकन्या देवी की तस्वीर दिखाते हुए पूछा कि क्या वह उनकी बेटी है। उन्होंने उन्हें बताया था कि यह एक अलग महिला थी न कि उनकी बेटी।
इसके बाद याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि कीर्ति देवी एक अलग महिला थी, और उसे इस केस को कमजोर करने के लिए इसमें शामिल किया गया था।
मगर हाईकोर्ट ने दोनों याचिकाकर्ताओं, किशोर सम्राट और गजेंद्र पाल को जुर्माना भरने के लिए कहा था। किशोर पर ‘झूठ’के आधार पर एक याचिका दायर करने के लिए 50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था, जिसमें से 25 लाख कीर्ति सिंह को, 20 लाख राहुल गाँधी को और 5 लाख यूपी के डीजीपी को इनाम के रूप में दिए जाने थे।
दूसरी ओर, गजेंद्र पर 5 लाख का जुर्माना लगाया गया था, क्योंकि उनके पास मामले में उनका उस परिवार से कोई संबंध नहीं था। इस तथ्य के बावजूद कि परिवार ने कोई शिकायत दर्ज नहीं की थी, अदालत ने गजेन्द्र पाल को उस परिवार को अदालत में घसीटने के लिए भी फटकारा।
इसके बाद किशोर समरीते ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन शीर्ष अदालत ने भी 2012 में आरोपों को खारिज कर दिया था, और समरिते पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था, जबकि उच्च न्यायालय के जुर्माने को 50 लाख रुपए से घटाकर 10 लाख रुपए कर दिया था।
अदालत ने उल्लेख किया था कि “कोई भी साक्ष्य नहीं है” यह दिखाने के लिए कि कथित घटना 2006 में हुई थी। इसके अलावा, समरिते ने सुनवाई के दौरान यू-टर्न लेते हुए कहा था कि उन्हें इस मामले की कोई व्यक्तिगत जानकारी नहीं है और उन्होंने सपा नेतृत्व के निर्देश पर यह याचिका दायर की थी।
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