इस साल फरवरी में किस तरह उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंदू विरोधी दंगों को अंजाम दिया गया था। अब समुदाय विशेष के डर की वजह से प्रभावित इलाके के हिंदू अपना घर बेचकर जाने को मजबूर हैं।
यह कोई नया समाचार नहीं। भाजपा सहित जितनी भी पार्टियों में हिन्दू हैं, सभी से ज्वलंत प्रश्न : "दिल्ली की चार दीवारी हिन्दुओं से क्यों और कब खाली हुई? रामजन्मभूमि मुद्दा उठने पर हुए दंगों में हिन्दुओं पर हुए हमलों ने हिन्दुओं को मुस्लिम बहुल क्षेत्र छोड़ने को विवश होना पड़ा, और यही पलायन आज तक जारी है। कभी किसी मीडिया तक ने इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा करने का साहस नहीं किया, क्योंकि इस पर चर्चा से उनकी TRP नहीं बढ़ती। उनकी TRP बढ़ती है, मजहब देखकर चर्चा करने पर। हमारे नेता 'गंगा-जमुना तहजीब' और 'हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई' की लॉलीपॉप दे देकर कब तक जनता को पागल बनाते रहेंगे और जनता भी पागल बनती रहेगी? आखिर कब देश को इन धूर्त नारों से मुक्ति मिलेगी? जनता को भी चाहिए कि मजहब देख सियासत करने वाली पार्टी से दूरी बनाने का प्रयत्न करें। क्योंकि धर्म की बात करने वालों को छद्दम धर्म-निरपेक्षों को साम्प्रदायिकता नज़र आती है, संविधान खतरे में नज़र आता है। आखिर कब तक हिन्दू मुस्लिम एक-दूसरे को नफरत से देखते रहेंगे?
हिन्दू बहुल क्षेत्रों में हिन्दू हितैषी बन घूमने वाले नेता मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में पहुँचते ही भीखी बिल्ली बन जाते हैं। यह आरोप नहीं कटु सत्य है। देखिए 1991 में स्वतंत्र पत्रकारिता करते मेरा प्रकाशित लेख। क्या तब से लेकर आज तक क्या दिल्ली में भाजपा की सरकार नहीं आयी?
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार मोहनपुरी, मौजपुर और नूर-ए-इलाही इलाके में रहने वाले हिंदुओं ने घरों पर ‘धर्म विशेष से डर के कारण यह मकान बिकाऊ है’ के पोस्टर लगाए हैं। ये इलाके बाबरपुर विधानसभा क्षेत्र में पड़ते हैं। यहाँ से दिल्ली की आप सरकार के मंत्री गोपाल राय विधायक हैं।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सांसद और बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने भी इस संबंध में ट्वीट किया है। उन्होंने शुक्रवार (31 जुलाई 2020) को प्रभावित इलाकों का दौरा भी किया।
तिवारी ने बताया है कि अपने संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले मोहनपुरी और मौजपुरी का दौरा करने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा है। इसमें इलाके में शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई है।
पत्र में यह भी कहा गया है कि दिल्ली सरकार एक ही समुदाय के लोगों को कानूनी मदद मुहैया करा रही है। उन्होंने केजरीवाल से इस भेदभाव की वजह पूछी है। तिवारी ने पूछा है कि हिंसा में सभी पीड़ित हुए हैं तो फिर मुआवजे के नाम पर दोहरा मापदंड क्यों अपनाया जा रहा है? सरकार चेहरा और नाम पूछकर भेदभाव क्यों कर रही है?
रिपोर्टों के अनुसार विशेष समुदाय की धमकियों से हिंदू परिवार परेशान हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार समुदाय विशेष के कुछ लोग रात में उनके घरों का दरवाजा खटखटाते हैं। धमकियाँ देते हैं।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी को हिंदू विरोधी दंगों की शुरुआत हुई थी। हालॉंकि इसकी पूरी योजना जनवरी में ही तैयार हो गई थी। 23 फरवरी को जाफराबाद में हिंसा की पहली घटना हुई और इसके अगले दिन सुनियोजित तरीके से दंगे भड़के थे।
इन दंगों पर ऑपइंडिया की विस्तृत रिपोर्ट अब अमेज़न के किंडल पर उपलब्ध है। इसमें दंगों में जान-माल की भारी क्षति और हिन्दुओं को किस तरह निशाना बनाया गया, उसका पूरा विवरण है।
अवलोकन करें:-
हालाँकि, लिबरल गैंग द्वारा पूरा प्रयास किया गया था कि इन दंगों के लिए हिन्दुओं को अपराधी दिखा कर पेश किया जाए, असली इस्लामी कट्टरवादी दंगाइयों को बचाया जाए और मुसलमानों को पीड़ित घोषित किया जाए। लेकिन, पुलिस की चार्जशीट और ऑपइंडिया की ग्राउंड रिपोर्ट्स ने सच्चाई सामने ला दी। मेनस्ट्रीम मीडिया इन दंगों को केंद्र सरकार द्वारा ‘मुस्लिमों के माँगों की अनदेखी’ का परिणाम बता कर पेश करता रहा है।
यह कोई नया समाचार नहीं। भाजपा सहित जितनी भी पार्टियों में हिन्दू हैं, सभी से ज्वलंत प्रश्न : "दिल्ली की चार दीवारी हिन्दुओं से क्यों और कब खाली हुई? रामजन्मभूमि मुद्दा उठने पर हुए दंगों में हिन्दुओं पर हुए हमलों ने हिन्दुओं को मुस्लिम बहुल क्षेत्र छोड़ने को विवश होना पड़ा, और यही पलायन आज तक जारी है। कभी किसी मीडिया तक ने इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा करने का साहस नहीं किया, क्योंकि इस पर चर्चा से उनकी TRP नहीं बढ़ती। उनकी TRP बढ़ती है, मजहब देखकर चर्चा करने पर। हमारे नेता 'गंगा-जमुना तहजीब' और 'हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई' की लॉलीपॉप दे देकर कब तक जनता को पागल बनाते रहेंगे और जनता भी पागल बनती रहेगी? आखिर कब देश को इन धूर्त नारों से मुक्ति मिलेगी? जनता को भी चाहिए कि मजहब देख सियासत करने वाली पार्टी से दूरी बनाने का प्रयत्न करें। क्योंकि धर्म की बात करने वालों को छद्दम धर्म-निरपेक्षों को साम्प्रदायिकता नज़र आती है, संविधान खतरे में नज़र आता है। आखिर कब तक हिन्दू मुस्लिम एक-दूसरे को नफरत से देखते रहेंगे?
हिन्दू बहुल क्षेत्रों में हिन्दू हितैषी बन घूमने वाले नेता मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में पहुँचते ही भीखी बिल्ली बन जाते हैं। यह आरोप नहीं कटु सत्य है। देखिए 1991 में स्वतंत्र पत्रकारिता करते मेरा प्रकाशित लेख। क्या तब से लेकर आज तक क्या दिल्ली में भाजपा की सरकार नहीं आयी?
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार मोहनपुरी, मौजपुर और नूर-ए-इलाही इलाके में रहने वाले हिंदुओं ने घरों पर ‘धर्म विशेष से डर के कारण यह मकान बिकाऊ है’ के पोस्टर लगाए हैं। ये इलाके बाबरपुर विधानसभा क्षेत्र में पड़ते हैं। यहाँ से दिल्ली की आप सरकार के मंत्री गोपाल राय विधायक हैं।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सांसद और बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने भी इस संबंध में ट्वीट किया है। उन्होंने शुक्रवार (31 जुलाई 2020) को प्रभावित इलाकों का दौरा भी किया।
तिवारी ने बताया है कि अपने संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले मोहनपुरी और मौजपुरी का दौरा करने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा है। इसमें इलाके में शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई है।
After my visit to the mohanpuri-maujpur, Babarpur vidhansabha in my north east Delhi parliament constituency along with @AjayMahawarBJP ..— Manoj Tiwari (@ManojTiwariMP) July 31, 2020
I have written to @CMODelhi @ArvindKejriwal Ji 🙏
We should work together to bring peace and harmony. pic.twitter.com/PWcOfvzXR4
कल देर रात ये मामला मेरे संज्ञान में आया, मैं आज ही दोपहर 12:30 बजे इन परिवारों को मिल कर सच पता करूँगा ... pic.twitter.com/Cv32Crplq7— Manoj Tiwari (@ManojTiwariMP) July 31, 2020
ये सभी 16+1 सत्रह लोग संघ,भाजपा और हिंदुत्व की आवाज़ बनने के कारण ही मुसलमानों के निशाने पर है,और अब हो सकता है,कि मुसलमानों का अगला निशाना मैं बन सकता हुँ,क्योंकि मैं अकेला इन सत्रह लोगो के हक़ में लिख रहा हुँ,बोल रहा हुँ,जो इन मुसलमानों को नागवार है,लेक़िन मुझे उनका डर नही।🙏— #प्रहरी दिनेश जोशी (@DineshJ84778863) August 1, 2020
पत्र में तिवारी ने दिल्ली सरकार पर हिंदुओं के साथ भेदभाव का आरोप भी लगाया है। उन्होंने कहा है कि दौरा करने के दौरान पता चला कि कुछ हिस्सों में सुरक्षा के लिए लोगों को अपने पैसे से गेट लगवाने पड़े हैं, जबकि बगल के इलाकों में दिल्ली सरकार ने करदाताओं के पैसे से गेट लगाए हैं। साथ ही कहा है कि इस इलाके में एक खास समुदाय का प्रभाव है। पीड़ितों ने बताया कि स्थानीय विधायक और मंत्री ने आज तक न तो उनकी सुध ली है और न उन्हें अब तक मुआवजा मिला है।Tiwari ji aapki hi central government hai... Phir v aap dusre party ko letter likhte hai... Kya aaplogo ke pass power nahi hai.... Jaise corona ko aaplog control kar liye waise hi Hindu bhai ka palayan control kijiye... Nahi toh Desh ke dusre state mein kaise control hoga?— Navin Singh (@NavinSi03393200) August 1, 2020
पत्र में यह भी कहा गया है कि दिल्ली सरकार एक ही समुदाय के लोगों को कानूनी मदद मुहैया करा रही है। उन्होंने केजरीवाल से इस भेदभाव की वजह पूछी है। तिवारी ने पूछा है कि हिंसा में सभी पीड़ित हुए हैं तो फिर मुआवजे के नाम पर दोहरा मापदंड क्यों अपनाया जा रहा है? सरकार चेहरा और नाम पूछकर भेदभाव क्यों कर रही है?
रिपोर्टों के अनुसार विशेष समुदाय की धमकियों से हिंदू परिवार परेशान हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार समुदाय विशेष के कुछ लोग रात में उनके घरों का दरवाजा खटखटाते हैं। धमकियाँ देते हैं।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी को हिंदू विरोधी दंगों की शुरुआत हुई थी। हालॉंकि इसकी पूरी योजना जनवरी में ही तैयार हो गई थी। 23 फरवरी को जाफराबाद में हिंसा की पहली घटना हुई और इसके अगले दिन सुनियोजित तरीके से दंगे भड़के थे।
इन दंगों पर ऑपइंडिया की विस्तृत रिपोर्ट अब अमेज़न के किंडल पर उपलब्ध है। इसमें दंगों में जान-माल की भारी क्षति और हिन्दुओं को किस तरह निशाना बनाया गया, उसका पूरा विवरण है।
अवलोकन करें:-
हालाँकि, लिबरल गैंग द्वारा पूरा प्रयास किया गया था कि इन दंगों के लिए हिन्दुओं को अपराधी दिखा कर पेश किया जाए, असली इस्लामी कट्टरवादी दंगाइयों को बचाया जाए और मुसलमानों को पीड़ित घोषित किया जाए। लेकिन, पुलिस की चार्जशीट और ऑपइंडिया की ग्राउंड रिपोर्ट्स ने सच्चाई सामने ला दी। मेनस्ट्रीम मीडिया इन दंगों को केंद्र सरकार द्वारा ‘मुस्लिमों के माँगों की अनदेखी’ का परिणाम बता कर पेश करता रहा है।
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