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दंगाई भीड़ की पनाहगार बना था यही फैसल फारुख का राजधानी स्कूल |
दिल्ली पुलिस ने राजधानी स्कूल के मालिक फैजल फारुख, उसकी पत्नी, डॉक्टर और वकील के खिलाफ फर्जी दस्तावेज जमा करने का केस दर्ज किया गया है। फर्जी दस्तावेज इस साल फरवरी में हुए हिंदू विरोधी दंगों के मामले में जमानत पाने के लिए जमा किए गए थे।
एक हफ्ते पहले, दिल्ली के दंगों के मुख्य आरोपित फैजल फारुख ने फर्जी मेडिकल प्रमाण पत्र के आधार पर जमानत पाने की कोशिश की थी। वहीं फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने वाले डॉक्टर को दिल्ली मेडिकल काउंसिल की तरफ से पहले भी इस तरह के जाली दस्तावेज बनाने के कारण निलंबित किया गया था।
डॉक्टर ने फैजल की पत्नी के नाम से एक फर्जी मेडिकल प्रमाण-पत्र बनाया था, जिसमें लिखा गया था कि cyst निकालने के लिए उनका ऑपरेशन करना जरूरी है। फैजल ने अपने आवेदन में कहा कि उनकी पत्नी की स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर उन्हें अंतरिम जमानत मिलनी चाहिए। दिल्ली दंगे में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार होने के बाद अदालत उसकी जमानत याचिका दो बार रद्द कर चुकी है।
जब फैजल ने अदालत में जमानत याचिका को मेडिकल प्रमाण-पत्र और कुछ दस्तावेजों के साथ “बेहद जरूरी मामला” के रूप में प्रस्तुत किया, तो अदालत ने दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा से दस्तावेजों की वैधता की जाँच करने के लिए कहा।
जब जाँच अधिकारियों ने सर्टिफिकेट जारी करने वाले डॉ. गजेंद्र नायर से संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्होंने मामले में कोई जानकारी देने से इनकार कर दिया। इसके बाद जाँच अधिकारियों ने ग्रेटर नोएडा के बिसरख गाँव रोड स्थित उसके नर्सिंग होम का दौरा किया। वहाँ उन्हें पता चला कि फैजल की पत्नी के नाम पर नर्सिंग होम में कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं थे।
पुलिस ने अपनी जाँच रिपोर्ट में यह भी कहा कि उसकी पत्नी दिल्ली के यमुना विहार में रहती है। यह जगह नर्सिंग होम जगह से बहुत दूर है और दिल्ली में बहुत बेहतर और सस्ती मेडिकल सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
पुलिस के मुताबिक, जब उन्होंने डॉक्टर के बारे में और जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की, तो उन्हें पता चला कि उनके लाइसेंस को पिछले साल दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने निलंबित कर दिया था।
दिल्ली मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ. गिरीश त्यागी ने पुलिस को बताया कि उन्होंने पूर्व में दो बार डॉ. गजेंद्र के खिलाफ कार्रवाई की थी। पहली बार उन्हें 6 महीने का निलंबन और दूसरी बार एक साल के लिए निलंबित किया गया था। वर्तमान में, वह एक निलंबित लाइसेंस पर काम कर रहा था। उसके निलंबन की अवधि नवंबर 2020 में समाप्त होगी।
जब क्राइम ब्रांच ने डॉ. गजेंद्र नायर ने पूछताछ की तो उसने स्वीकार किया कि जमानत दिलाने में मदद करने के लिए वो पहले भी कई लोगों का फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बना चुका है।
डॉक्टर ने यह भी स्वीकार किया कि उसने फैजल की पत्नी को कभी देखा भी नहीं है। एक ब्रोकर बुर्का पहने महिला के साथ आया और उससे महिला के पति की जमानत के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करने के लिए कहा। फिलहाल पुलिस ने फर्जी दस्तावेजों को तैयार करने में शामिल सभी के खिलाफ विभिन्न आरोपों के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंदू विरोधी दंगों के दौरान फैजल फारुख के राजधानी स्कूल का इस्तेमाल अटैक बेस की तौर पर किया गया था। स्कूल की छत पर एक बड़ा गुलेल लगाया था। इसकी मदद से हिंदुओं और उनकी संपत्तियों और पेट्रोल बम से निशाना बनाया गया था। दंगों में इस स्कूल को कोई नुकसान नहीं पहुॅंचा था। लेकिन इस ठीक बगल में स्थित स्कूल तबाह हो गया था।
ये पढ़िए - दिल्ली पुलिस की चार्जशीट— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) June 2, 2020
पिंजरा तोड़ की लड़कियां दंगो से पहले खास इलाकों में कैसे मेसेज कर रही हैं
- घरों में तेजाब, खौलता तेल रखिये
- छतों पर ईंट और पत्थर रखिये
ताहिर हुसैन ने 22 फरवरी को पिस्टल इश्यू करवाई थी
दंगो की भयानक तैयारी की गई थी pic.twitter.com/B559ZE9sUC
जाने वाला तो गया ...... pic.twitter.com/hF7ztJGZNJ— Urban Scorpio (@UrbanScorpi0) June 2, 2020
कपिल मिश्रा— राधा वशिष्ठ (@VashishthaRadha) June 2, 2020
एक बात देशकी जनता बहुत गंभीरता से देख रही है
कि यह समाचार कोई भी चैनल नहीं दिखा रहा है
अपने आप को राष्ट्रभक्त कहने वाले चैनल भी केजरीवाल की पार्टी के लोगों के कुकर्म पर चुप हैं
ताहिर के घर पे पत्थर क्या तुम्हारे अब्बा डाल गए थे— 𝐌𝐑𝐈𝐓𝐘𝐔𝐍𝐉𝐀𝐘 𝐌𝐈𝐒𝐇𝐑𝐀 (@mrityunjay2019) June 3, 2020
इसी खौलते पानी मे इन्हे डालकर इनसे सच उगलवाओ ताकि ये पता चल सके इसके पीछे का मास्टरमाइंड कौन है?ये सब किसके कहने पर हुआ इन सबमे जरूर किसी बडे़ नेता का हाथ है शक तो है बस एक बार इनकी काल डिटेल सामने लाये सरकार— Shweta (@Shweta77771) June 2, 2020
राजधानी पब्लिक स्कूल की छत से बड़ी गुलेल के जरिए पत्थर और एसिड बम आदि फेंके गए थे। फैजल दंगों से ठीक पहले निजामुद्दीन मरकज के प्रभावशाली लोगों के साथ ही जामिया कोऑर्डिनेशन कमिटी, देवबंद के कई मौलवियों-आलिमों, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कई नेताओं, पिंजरा तोड़ ग्रुप के संपर्क में था। स्कूल से सभी मुस्लिम बच्चों को पहले ही निकाल दिया गया था और फिर इसी स्कूल में शेष हिंदुओं के बच्चों को बंधक भी बनाया गया था।
‘आज देख लेंगे हिंदुओं को… शाहरुख भाई वो रहा हिंदू, मारो साले को’
जैसाकि सर्वविदित है कि डीआरपी स्कूल का मालिक एक हिंदू व्यक्ति था। राजधानी स्कूल की छत पर मौजूद भीड़ ने डीआरपी स्कूल को काफी नुकसान पहुँचाया था। उस दिन पुलिस कंट्रोल रूम को जितने भी फोन किए गए थे, उसमें ज़्यादातर डीआरपी स्कूल से धर्मेश शर्मा ने ही किए थे। पुलिस द्वारा दायर की गई चार्जशीट में डीआरपी स्कूल के गार्ड का बयान भी दर्ज है। इससे दिल्ली दंगों के दौरान हिंदुओं के खिलाफ़ रची गई साज़िश का खुलासा होता है।
गार्ड ने अपने बयान में कहा, “जैसे ही वह डीआरपी स्कूल का मुख्य द्वार बंद करने गया तभी उसने देखा राजधानी स्कूल के सामने भारी संख्या में मुस्लिम लोग खड़े थे। उनके साथ राजधानी स्कूल का मालिक फैजल फारुख भी था। फैज़ल उस वक्त अपनी दो पहिया गाड़ी पर बैठा था। उसने राजधानी स्कूल के गार्ड (जो खुद हिन्दू था और उसकी पहचान छुपाई गई है) से कहा कि मुस्लिमों को स्कूल में दाखिल होने दिया जाए।”
इसके बाद डीआरपी स्कूल के गार्ड ने जो कहा वह हैरान कर देने वाला था। उसने फैज़ल को यह कहते हुए सुना “आज देख लेंगे हिंदुओं को।” इसके बाद फैज़ल के साथ मौजूद मुस्लिमों की भीड़ कई तरह के हथियारों के साथ डीआरपी स्कूल में दाखिल हुई। इसके बाद मुस्लिम दंगाइयों ने उसकी तरफ देखा और एक ने चीखते हुए कहा “शाहरुख भाई वह रहा हिंदू, मारो साले को।” इसी तरह एक और चश्मदीद ने (उसकी पहचान भी इस रिपोर्ट में छुपाई जा रही है) अपना बयान दर्ज कराया था।
उसने भी गार्ड के बयान से अलग कुछ नहीं बताया, दोनों ने लगभग एक घटनाक्रम ही बताया। उसने बयान में कहा कि उसने 24 फरवरी की दोपहर 2 बजे के आसपास फैज़ल को उसके कई मुस्लिम साथियों के साथ राजधानी स्कूल के सामने देखा। इसके बाद फैज़ल के साथियों ने राजधानी स्कूल के भीतर दाखिल होने की बात कही। इसके अलावा चश्मदीद ने फैज़ल को यह कहते हुए सुना “आज देख लेंगे हिंदुओं को।” एक चश्मदीद ने फैज़ल के उस ड्राइवर की भी पहचान की जिसने दंगों के दौरान डीआरपी स्कूल को तबाह करने में अहम भूमिका निभाई थी।
हिंदुओं के खिलाफ़ लॉन्च पैड की तरह इस्तेमाल किए गए राजधानी स्कूल के हिंदू गार्ड ने भी घटनास्थल पर कई मुस्लिमों के साथ फैजल की मौजूदगी की पुष्टि की थी। उसने कई बार स्कूल के भीतर दाखिल होने की बात कही थी। जैसे ही गार्ड ने मुस्लिम भीड़ को आते हुए देखा और अपने परिवार वालों के साथ वहाँ से भाग निकला।
चार्जशीट के मुताबिक़ एक खबरी की जानकारी के आधार पर पुलिस ने शाहरुख को पकड़ा था। गिरफ्तारी के बाद हुई पूछताछ के दौरान उसने दंगों में फैज़ल के शामिल होने की बात कबूल की। इसके अलावा उसने दंगों में खुद भी शामिल होने की बात स्वीकार की थी। सबसे रोचक बात यह थी कि उसने फैज़ल की पहचान उस वक्त की जब पुलिस उससे दूसरे मामले में पूछताछ कर रही थी। शाहरुख ने पुलिस की पूछताछ के दौरान यह भी बताया कि फैज़ल उससे एक बात हमेशा कहता था, अगर सीएए और एनआरसी लागू हो गया तो सारे मुस्लिम देश के बाहर कर दिए जाएँगे।
शाहरुख का कहना था कि फैज़ल ने उससे कह दिया था कि वह अपनी कौम के लिए किसी भी तरह की कुर्बानी देने के लिए तैयार रहे। शाहरुख के मुताबिक़ फैज़ल ने उसे हिंदुओं को ख़त्म करने के लिए 5 हज़ार रुपए दिए थे। उसने यह भी बताया कि फैज़ल के देवबंद से संबंध बहुत अच्छे थे और वह अक्सर वहाँ जाता रहता था।
Kejriwal's govt rejects L-G-approved lawyers to represent Delhi Police in riots cases https://t.co/GbncbBXfLo— Republic (@republic) July 29, 2020
चार्जशीट में इस बात भी भी ज़िक्र है कि राजधानी स्कूल के नज़दीक से जितने हथियार मिले थे उन्हें एक दिन में जमा नहीं किया जा सकता था। इतना ही नहीं फैज़ल अपने इलाके का नेता था, क्योंकि वह अमीर था और उसके पास संसाधन मौजूद थे। ऐसे लगभग हर मौकों पर वह मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए योजना तैयार करता था। राजधानी स्कूल की इमारत बड़ी थी, इसलिए इसका इस्तेमाल हिंदुओं पर हमला करने के लिए किया गया।
पूछताछ के दौरान फैजल फारुख ने खुद यह बात स्वीकार की कि सीएए और एनआरसी मुस्लिम समुदाय के खिलाफ़ थे। इसलिए वह दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में जारी विरोध-प्रदर्शन का सक्रिय रूप से हिस्सा बना रहा। चार्जशीट के मुताबिक़ उसने तमाम मौलवियों, पिंजरा तोड़, जेसीसी और इस्लामी आतंकी समूह पीएफआई के सदस्यों की बैठक की बात भी स्वीकार की। वह हर तरह की मदद और सहयोग के लिए पूरी तरह आश्वस्त था।
फैज़ल जेसीसी के माध्यम से सफूरा ज़रगर के संपर्क में भी था। जब सफूरा को दंगों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया तब उसे बहुत सहानुभूति भी मिली। उस वक्त वह गर्भवती भी थी। इसके अलावा पिंजरा तोड़ के माध्यम से दिव्यांगना और नताशा नरवाल से फैज़ल मिला। अंत में उसकी मुलाक़ात पीएफआई दिल्ली के मुखिया मोहम्मद इलियास से भी हुई।
चार्जशीट के मुताबिक़ फैज़ल दंगों से एक दिन पहले 23 फरवरी की तारीख को देवबंद उत्तर प्रदेश गया था। वह सुबह 7 बजे दिल्ली से निकला था और रात 8 बजे वापस आ गया था। देवबंद इस्लामी कट्टरपंथियों का गढ़ माना जाता रहा है। साथ ही दारुल-उल-देवबंद का घर भी माना जाता है जहाँ से सुन्नी देवबंद इस्लामिक आन्दोलन की शुरुआत हुई थी।
दिल्ली दंगों के मामले में यह पहली ऐसी चार्जशीट जो दिल्ली पुलिस की तरफ से दायर की गई थी। इसके जरिए ज़रिये तमाम तरह की जानकारी सामने आई है। यह बात खुद में कितनी हैरान कर देने वाली है कि कैसे महीनों पहले इन दंगों की योजना तैयार की गई। इसके बाद 24 और 25 फरवरी के दिन देश की राजधानी में इन दंगों को अंजाम दिया गया।
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