दिल्ली की सल्तनत मांग रही नए किस्म का ऑड-ईवन


दिल्ली सल्तनत इसलिए कहा जा रहा है कि लगता है की अरविन्द केजरीवाल की सरकार अकबर के दीन-ए-इलाही पर काम रही है, जिसे हिन्दू की मौत नज़र नहीं आती, लेकिन इनके गरीब, मजलूम, शांतिप्रिय की मौत होने पर दिल्ली से बाहर कहीं भी पहुँच जाते हैं, वोट और समर्थन हिन्दू का चाहिए। हिन्दू होने के नाते इनको मालूम है कि इसे मुफ्त की रेवड़ियां दे दो, पिटने के बावजूद जी-हजूरी करता रहेगा। दिल्ली में लाल कुआँ और पश्चिम दिल्ली में हिन्दू विरोधी दंगे होने पर दंगाइयों को बचाने में लगे हैं। आरोपियों पर देशद्रोही मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली पुलिस को इजाजत देने में आनाकानी कर रहे हैं। मुस्लिम वोट बैंक का सवाल है भाई, कैसे जाने दूँ, कांग्रेस या किसी और के हाथ में।  
दिल्ली के विवादित मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सुर्खियों में बने रहने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। देश में कोरोना महामारी का प्रकोप जारी है, ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से तमाम तरह की सावधानियां बरती जा रही हैं। लेकिन केजरीवाल और उनकी सरकार इसमें भी मसखरी करने से बाज नहीं आ रही है। आपने देखा होगा कि दिल्ली में प्रदूषण खत्म करने को लेकर इन्हीं केजरीवाल साहब ने ऑड-ईवन का फॉर्मूला लागू किया था। लगता है अब कोरोना की रियायतों को लेकर भी वे ऑड-ईवन फार्मूले पर ही चल रहे हैं।
23 अगस्त यानि ऑड डे पर केजरीवाल ने केंद्र सरकार से दिल्ली में मेट्रो चलाने की मांग कर डाली। उन्होंने कहा कि दिल्ली में चरणबद्ध तरीके से मेट्रो चलाई जाए।
26 अगस्त यानि ईवन डे पर दिल्ली सरकार में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने मांग की कोविड को देखते हुए NEET/JEE की परीक्षा स्थगति कर दी जाए। और किसी अन्य तरीके से परीक्षा ली जाए।
देखिए जब मेट्रो चलाने की मांग करते हैं तो कोरोना का खौफ खत्म हो जाता है, लेकिन जब परीक्षा स्थगित करने की मांग करते हैं, इन्हें कोरोना वायरस का डर सताता है। यह वो दोगलापन है केजरीवाल की सरकार जो दिल्लीवालों को कदम-कदम पर देखने को मिल रहा है।

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