अब पंजाब में भी कांग्रेस पर मंडला रहे संकट के बादल

राहुल गॉंधी, अमरिंदर सिंह
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
केंद्र में मोदी सरकार द्वारा लिए जा फैसलों से मोदी विरोधी जनता में जरूर रोष उत्पन्न करने का प्रयास कर रहे हों, लेकिन फैसलों ने कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों में एक भूचाल-सा ला दिया है। चाहे GST हो, तीन तलाक हो, अनुच्छेद 370 हो, नागरिकता संशोधक कानून हो,  पाकिस्तान में पल रहे आतंकवाद का भारत की धरती को बेगुनाहों के खून से लाल करने पर "हिन्दू आतंकवाद" और "भगवा आतंकवाद" के नाम से इस्लामिक आतंकवादियों का बचाव करना या फिर अत्याधिक तुष्टिकरण कर हिन्दुओं को अपमानित करना आदि। 
दूसरे, जिस तरह नागरिकता संशोधक कानून विरोध की आड़ में मोदी और योगी की कब्र खोदने जैसे नारों के साथ-साथ हिन्दुत्व विरोधी नारों से कांग्रेस और अन्य दलों के हिन्दुओं की सोंच में जो अंतर घर कर रहा है, उसे कोई वरिष्ठ नेता समझने में असमर्थ हो रहा है। बस नेता कोई न कोई बहाना कर पार्टी से अलग होने का मन बना रहे हैं। और अगर इस नब्ज को पढ़ भारतीय जनता पार्टी भुनाती है, तो उसका कसूर नहीं। 
आज देश में बदल रहे समीकरणों को समझ समस्त भाजपा विरोधियों को तुष्टिकरण को नकार समान अधिकार के मुद्दे को अपनाना होगा। मोदी सरकार को टक्कर देने के लिए जिन-जिन राज्यों में गैर-भाजपाई सरकारें हैं, उन्हें अपनी छद्दम हिन्दुवादी सोंच पर मंथन करना होगा। अब तुष्टिकरण का समय नहीं। धूमिल किये वास्तविक भारतीय इतिहास को मुखरित करना होगा, अन्यथा वह दिन अब ज्यादा दूर नहीं, जब गैर-भाजपाई पार्टियां केवल चुटकी भर लोगों की पार्टियां बन हिन्दू-विरोधी के नाम से जानी जाएंगी। दंगाइयों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही पर केंद्र का उसी तरह साथ दें, जिस तरह युद्ध दिनों में दिया जाता है। सिर्फ चुनावों में कोट पर जनेऊ पहनने, हनुमान चालीसा पढ़ने, मंदिरों में माथा टेकना और यज्ञ करवाने आदि ढोंग को ख़त्म करना होगा। समय घटना-क्रम बहुत तेजी से बदल रहा है। अंग्रेजी में एक कहावत है Eye or no Eye.  
मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड के बाद अब पंजाब कांग्रेस का मतभेद भी खुलकर सामने आ गया है। राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर मॅंडरा रहे संकट के बीच पंजाब में मुख्यमंत्री अमरिंदर के ख़िलाफ पार्टी नेताओं ने घेराबंदी शुरू कर दी है।
पंजाब से कांग्रेस के दो राज्यसभा सदस्यों प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह ढुल्लो ने 7 अगस्त, 2020 को कहा कि अगर राज्य में पार्टी को बचाना है तो अमरिंदर और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुनील जाखड़ को उनके पदों से हटाना होगा।
इसके साथ ही उन्होंने पश्चिम बंगाल का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर पार्टी आलाकमान ऐसा निर्णय नहीं लेता है, तो कांग्रेस का पंजाब में वही हाल होगा जो सिद्धार्थ शंकर राय (पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री) के बाद पश्चिम बंगाल में हुआ था।
इससे पहले राज्यसभा के दोनों सदस्यों ने जहरीली शराब से मौत के लेकर अपनी ही पार्टी की सरकार घेरा था। बाजवा और ढुल्लो ने राज्यपाल से मुलाकात कर इस मामले में सीबीआई और ईडी से जाँच करवाने की माँग की थी। उन्‍होंने गृह जनपद में दो अवैध डिस्टिलरी चलने का आरोप लगाते हुए राज्य में कानून-व्यवस्था फेल बताया था।
कैप्‍टन को हटाने के लिए कांग्रेस की राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष सोनिया गाँधी से माँग तक कर डाली है। उन्होंने कहा कि अमरिंदर सरकार ने सही समय पर सख्त कदम नहीं उठाए। इसकी वजह से 100 से ऊपर लोगों की मौत हो गई है।
वहीं पंजाब के कैबिनेट मंत्रियों ने जहरीली शराब मामले में राज्य सरकार की आलोचना करने पर बाजवा और ढुल्लो को तत्काल कांग्रेस से निष्कासित करने और अनुशासनहीनता को लेकर कार्रवाई करने की माँग की थी।
कुछ महीने पहले मध्य प्रदेश में इसी तरह की स्थिति में कमलनाथ सरकार गिर गई थी। ज्योदितारित्य सिंधिया की कांग्रेस में उपेक्षा से नाराज उनके समर्थक विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था।
वहीं राजस्थान में सरकार बनने के बाद से ही उपेक्षा झेल रहे उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बगावती तेवर ने गहलोत सरकार को मुश्किल में डाल रखा है। सचिन पायलट के विद्रोह करने के बाद कांग्रेस के आलाकमान ने उन्हें उप मुख्यमंत्री पद से भी हटा दिया। बावजूद कांग्रेस हाईकमान इस बगावत खत्म करने में असफल रही। कांग्रेस ने अपने विधायकों की होटल में घेराबंदी कर रखी है।
पिछले दिनों झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार में उपेक्षा से परेशान कांग्रेस के नौ विधायकों ने आलाकमान से फरियाद लगाई थी। विधायकों ने दिल्ली पहुँच कर शिकायत की। राज्यसभा सदस्य धीरज साहू के नेतृत्व में कांग्रेस के तीन विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और उमाशंकर अकेला ने सोनिया गाँधी के सलाहकार अहमद पटेल और गुलाब नबी आजाद से गुहार लगाई थी।
विधायकों ने हाइकमान को आगाह किया था कि अगर इस मामले में कुछ एक्शन नहीं लिया जाता तो झारखंड में भी सरकार अस्थिर हो सकती है। दिल्ली में वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की ओर से उन्हें शांत रहने की नसीहत दी गई थी।

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