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साभार ट्विटर |
हागिया सोफिया (Hagia Sophia) के बाद तुर्की सरकार ने अब इस्तांबुल के चोरा म्यूजियम (Chora museum) को मस्जिद में तब्दील करने का आदेश दिया है। राष्ट्रपति का यह फरमान 21 अगस्त को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित किया गया।
हालिया फरमान के मुताबिक इस साइट को अब धार्मिक मामलों के निदेशालय को स्थांतरित कर दिया गया है और अब इसे एस्टैबिलशमेंट ऐंड ड्यूटीस ऑफ द प्रेसीडेंसी रिलीजियस अफेयर्स कानून के आर्टिकल 35 के अनुसार मुस्लिमों की नमाज के लिए खोला जाएगा।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, म्यूजियम को मस्जिद बनाने का निर्णय साल 2019 में ही ले लिया गया था। लेकिन तुर्की की स्टेट काउंसिल ने इसे कार्यान्वित नहीं किया था। पर, आज वहाँ की सरकार ने यह फरमान निकाल दिया कि चौथी सदी में बनी इस इमारत को मस्जिद बनाया जा रहा है।
चोरा म्यूजियम की पहचान इंटरनेट पर एक चर्च के तौर पर मिलती है। इसे चौथी सदी में बाइजेंटाइन शासकों ने बनवाया था। इस्तांबुल पर ओटोमेन्स ने 1453 पर कब्जा किया और इसे 1511 में मस्जिद बनाया। 434 वर्ष तक इसे मस्जिद माना गया। फिर 1945 में तुर्की सरकार ने इसे म्यूजियम बना दिया।
Turkish gov’t reverts 6th century Byzantine monastery Chora in Istanbul in to a mosque with a decree this morning.— Ragıp Soylu (@ragipsoylu) August 21, 2020
Chora was built by the Justinian 1, the emperor behind the Hagia Sophia’s construction. It is known for its invaluable and stunning mosaics pic.twitter.com/NMyEPR5rLC
Turkish Council of State has ruled last year that the state has a responsibility to return the Chora Museum into its original mosque form because it was endowed as such.— Ragıp Soylu (@ragipsoylu) August 21, 2020
The decision later become a foundation for Hagia Sophia ruling
11 नवंबर, 2019 के अपने निर्णय में, राज्य की परिषद ने निष्कर्ष निकाला कि राष्ट्रीय शिक्षा मंत्रालय को संग्रहालय और संग्रहालय के गोदाम के रूप में उपयोग किए जाने के लिए भवन का आवंटन “कानून के विपरीत है।” वास्तविकता में तो 22 जून, 1965 के चोरा संग्रहालय प्रशासन के एस्टैबिलशमेंट ऐंड ड्यूटीस ऑफ द प्रेसीडेंसी रिलीजियस अफेयर्स कानून के आर्टिकल 35 के अनुसार, इसे नमाज अता करने के लिए खोलने का निर्णय लिया गया था।
इससे पहले पिछले महीने हागिया सोफिया चर्च को तुर्की में मस्जिद में तब्दील करने का फैसला हुआ था। इसके बाद कैथलिक समाज के प्रमुख पोप ने इस फैसले पर अफसोस जताया था और यूनेस्को ने भी इसकी आलोचना की थी।
स्वयं तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन 10 जुलाई को इस्तांबुल में 1500 साल पुराने ऑर्थोडॉक्स क्रिश्चियन कैथेड्रल हागिया सोफिया को मस्जिद में बदलने की घोषणा की थी। उससे पहले तुर्की के एक अदालत ने यह निर्देश दिया था।
इसका इतिहास भी बाइजेंटाइन काल से जुड़ा है। जब इसे सम्राट जस्टिनियन I के आदेश से 537 में एक भव्य चर्च के रूप निर्मित किया गया था। इसे दुनिया का सबसे बड़ा चर्च माना जाता था। 1453 में ओटोमन शासन के दौरान इसे मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया। उससे पहले बाइजेंटाइनों ने इसे सदियों तक संभाला था।
सुल्तान मेहमेद II के कब्जा करने से पहले इस्तांबुल को कॉन्स्टेंटिनोपोल के नाम से जाना जाता था। उसने ही तब गिरजाघर के भीतर जुमे की नमाज शुरू की थी। इसके बाद चार मीनारों को मूल संरचना के साथ में जोड़ा गया था। इतना ही नहीं ईसाई मोज़ेक को इस्लामी चित्रकला के साथ ढक दिया गया था।
इसे 1453 में मॉडर्न तुर्की के संस्थापक केमल अतातुर्क द्वारा एक संग्रहालय का दर्जा दिया गया था। लेकिन, अब यहाँ के सभी चीजों को बदलने की तैयारी की जा रही है। हालाँकि, हागिया सोफिया लंबे समय से मुस्लिम-ईसाई प्रतिद्वंद्विता का प्रतीक रही है।
लगभग 900 वर्षों तक, हागिया सोफिया को पूर्वी ईसाइयों के लिए का तीर्थस्थल माना जाता था। तीर्थ स्थल पर रखे गए कलाकृतियों में ईसा मसीह का मूल क्रॉस भी शामिल था। सदियों से, ईसाई तीर्थयात्री इन सभी वस्तुओं से आत्मिक शांति प्राप्त करते आ रहे हैं।
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