एक बार फिर शेखर गुप्ता ने अपने वीडियो शो ‘Cut The Clutter’ के जरिए फेक न्यूज फैलाने की कोशिश की

पत्रकार शेखर गुप्ता ने अपने वीडियो शो ‘Cut The Clutter’ के जरिए एक बार फिर फेक न्यूज फैलाने की कोशिश की, लेकिन पोल खुल जाने पर वीडियो को प्राइवेट कर दिया। कांग्रेसी झुकाव वाले इस पक्षकार ने निष्पक्षता की आड़ में लोगों के बीच गलत जानकारी परोसने की कोशिश की। पूरी दुनिया को पता है कि ब्लूम्सबरी इंडिया पब्लिकेशन ने इस्लामी कट्टरपंथियों और लेफ्ट लिबरलों के दबाव में आकर दिल्ली दंगों पर आधारित करीब-करीब छप चुकी किताब ‘दिल्ली रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी’ को छापने से इनकार कर दिया। लेकिन खुद को कथित सेकुलर-लिबरल बताने वाले ‘द प्रिंट’ के इस संस्थापक ने इसके लिए तीन लेखकों को संजीव सान्याल, डॉ. आनंद रंगनाथन और संजय दीक्षित को जिम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया। जबकि सच्चाई यह है कि मोनिका अरोड़ा, सोनाली चितलकर और प्रेरणा मल्होत्रा की किताब ‘Delhi Riots 2020: The Untold Story’ ना छापने पर ब्लूम्सबरी पब्लिकेशन के खिलाफ इन्हीं लोगों ने आवाज उठाई थी।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट शेखर गुप्ता ने अपने वीडियो में कहा कि ब्लूम्सबरी से संजीव सान्याल, डॉ. आनंद रंगनाथन और संजय दीक्षित ने अपनी कई किताबें प्रकाशित करवाई हैं और इन्होंने उसके साथ अपने संबंध तोड़ने की धमकी दी है। प्रोपेगेंडा पक्षकार शेखर गुप्ता ने अपने वीडियो में इन लेखकों के जिस ट्वीट का इस्तेमाल किया है वो किताब छापने से इनकार करने के फैसले के बाद का है। इस वीडियो के बाद इन लेखकों ने शेखर गुप्ता पर गलत जानकारी देने, तथ्यों को तोड़-मरोड़कर सामने रखने और ट्वीट को गलत तरीके से पेश करने के लिए कोर्ट में ले जाने की चेतावनी दी। इसके बाद अपनी चोरी पकड़ने जाने पर शेखर गुप्ता ने यूट्यूब पर अपलोड वीडियो को तुरंत ‘प्राइवेट’ मोड में कर दिया। पब्लिक से प्राइवेट होने पर लोग अब इस वीडियो को यूट्यूब पर नहीं देख सकते।
आप देखिए वीडियो का वो हिस्सा जिसमें पक्षकार शेखर गुप्ता ने ब्लूम्सबरी इंडिया पब्लिकेशन को दोषी ठहराने की जगह ब्लूम्सबरी के फैसले के खिलाफ किताब के समर्थन में आए लोगों को ही दोषी ठहराने की कोशिश की-
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हाल ही में शेखर गुप्ता ने माना वे निष्पक्ष नहीं हैं
खुद को निष्पक्ष बताने वाले प्रोपगेंडा पत्रकार शेखर गुप्ता ने हाल ही में आखिर मान लिया कि वे निष्पक्ष नही हैं। शेखर गुप्ता ने अपने मीडिया समूह ‘द प्रिंट’ के तीन साल पूरे होने पर आयोजित एक यूट्यूब कार्यक्रम में माना कि अगर कोई भी पत्रकार दावा करता है कि वह निष्पक्ष है तो वह झूठ बोल रहा है। आखिर पत्रकार बनने से पहले वह इंसान था इसलिए कैसे निष्पक्ष हो सकता है। उन्होंने साफ कहा कि हम इंसान हैं और हम निष्पक्ष नहीं हो सकते हैं। हम न तो कोई मशीन हैं और न ही कोई रोबोट हैं। हम हर पांच साल में मतदान करने जाते हैं और किसी न किसी राजनीतिक दल को अपना वोट देते हैं। हर व्यक्ति की अपनी कोई न कोई राजनीतिक विचारधारा होती है। ऐसे में निष्पक्षता का दावा सही नहीं हो सकता है।


Asianet News ने खोली शेखर गुप्ता की पोल
शेखर गुप्ता फेक न्यूज फैलाने के लिए कुख्यात हैं। इसी महीने अगस्त, 2020 में उन्होंने गलत खबर फैला कर कर्नाटक सरकार और बेंगलुरु पुलिस को बदनाम करने की कोशिश की, लेकिन Asianet News ने शेखर गुप्ता की पोल खोल दी।

दरअसल, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट के नाते शेखर गुप्ता ने एक पत्र जारी किया जिसमें लिखा गया है कि 11 अगस्त को नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में खबर करने गए कारवां के पत्रकारों के साथ बदसलूकी की गई और उसी दिन बेंगलुरु में खबर कवर कर रहे इंडिया टुडे, द न्यूज मिनट और सुवर्ण न्यूज 24X7 के पत्रकारों पर सिटी पुलिस द्वारा हमला किया गया। ये सभी पत्रकार उस समय ड्यूटी पर थे। ये दोनों घटनाएं निंदनीय है। 
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट शेखर गुप्ता के इस पत्र को Asianet News (सुवर्ण न्यूज) ने गलत बताते हुए कहा कि इसमें कोई सच्चाई नहीं है। उनके पत्रकारों पर हमला बेंगलुरु सिटी पुलिस द्वारा नहीं बल्कि उन्मादी भीड़ द्वारा किया गया और उनके पत्रकारों को पिटा गया। उसके तीन रिपोर्ट्स घायल हैं और इस संबंध में बेंगलुरु में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।  
पूर्व मेजर जनरल के नाम पर झूठ फैलाते पकड़े गए शेखर गुप्ता
प्रोपगेंडा पक्षकार शेखर गुप्ता ने 23 जुलाई,2020 को द प्रिंट में Dropping lightweight tanks in Ladakh not enough. India’s forces need to be made more lethal शीर्षक से एक आर्टिकल प्रकाशित किया। द प्रिंट में दावा किया गया कि पूर्व मेजर जनरल बीएस धनोआ का कहना है कि लद्दाख में सिर्फ हल्के टैंक तैनात करना पर्याप्त नहीं है, यहां सेना को और अधिक घातक बनाने की जरूरत है। चीन के साथ तनाव के बीच वेबसाईट व्यूज बढ़ाने के लिए शेखर गुप्ता ने इस फेक न्यूज का सहारा लेकर सनसनी फैलाने की कोशिश की। फेक न्यूज फैलाने में माहिर शेखर गुप्ता ने ORF की वेबसाइट पर एक दिन पहले प्रकाशित बीएस धनोआ के आलेख Why Ladakh needs tanks को टाइटल बदलकर अपने यहां प्रकाशित किया। और ट्वीट कर सरकार को बदनाम करने की कोशिश की, लेकिन बीएस घनोआ ने उन्हें तगड़ी फटकार लगाई।

द प्रिंट का पाखंड- हर हाल में मोदी विरोध है इनका एजेंडा
शेखर गुप्ता अपनी वेबसाइट द प्रिंट से अक्सर इस तरह का नैरेटिव पेश करने की कोशिश करते है कि लोगों के मन में मोदी सरकार के प्रति गलत धारणा पैदा हो। ‘द प्रिंट’ में हाल ही में 2 मई को कोरोना को लेकर प्रकाशित खबर में कहा गया कि स्थिति सामान्य है, फिर भी सब कुछ बंद है, लॉकडाउन है।

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