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मुजम्मिल पाशा ने SDPI के अन्य नेताओं के साथ मिल कर भड़काई हिंसा |
देर रात हुई इस हिंसा में प्रमुख विपक्षी कांग्रेस इसके जवाब को लेकर दुविधा में नजर आ रही है और अभी तक भी यह निर्णय नहीं ले पार ही है कि आखिर उसे दंगों पर क्या राय रखनी है।
राज्य के अधिकांश कांग्रेस नेताओं ने इन दंगों पर चुप्पी साध ली है। इतना ही नहीं, दिल्ली मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और वामपंथी भी चुप्पी साधे हुए क्यों? क्योकि दलित पर हमला किसी भाजपा या हिन्दू ने नहीं, बल्कि इनके शांतिदूत, गरीब और मजलूमों ने किया है। जिसके पीछे एक कारण इन दंगों में इस्लामिक कट्टरपंथी विचारधारा के संगठन PFI द्वारा समर्थित SDPI की संलिप्तता को माना जा सकता है। यह भी चर्चा है कि हिन्दू त्यौहार को ख़राब करने ईशनिंदा के बहाने अराजकता फ़ैलाना है।
वहीं, AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने आखिरकार इन दंगों में बेहद चालाकी से अपनी जुबान खोलते हुए कहा है कि बेंगलुरु में हुई हिंसा और ‘आपत्तिजनक सोशल मीडिया’ पोस्ट बेहद निंदनीय हैं। इसके साथ ही ओवैसी ने कहा है कि सभी लोगों को शांति से पेश आना चाहिए।
ये वही एसडीपीआई है, जिस पर दिल्ली दंगों में CAA विरोध प्रदर्शनों के दौरान यह आरोप लगा था कि इसके नेता हिंसा भड़काने में इस्लामिक कट्टरपंथी पीएफआई का सहयोग कर रहे थे। पीएफआई और एसडीपीआई नाम भले ही अलग हों, लेकिन इनके पीछे आइडलॉजी एक ही है।
हालाँकि, पीएफआई के कागजी दस्तावेज आतंकी संगठन सिमी से सम्बन्ध से इनकार करते हैं लेकिन ख़ुफ़िया एजेंसियाँ अक्सर खुलासा करती आई हैं कि पीएफ़आई की जड़ों में सिमी का जहर मौजूद है। एसडीपीआई पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया द्वारा शुरू की गई एक कट्टरपंथी राजनीतिक पार्टी है।
बेंगलुरु दंगों में एसडीपीआई की संलिप्तता पर भी अभी तक कांग्रेस ने चुप्पी साध रखी है, जिसके पीछे प्रमुख वजह यह हो सकती है कि यहाँ पर कॉन्ग्रेस अल्पसंख्यक वोटबैंक के मामले में एसडीपीआई के साथ सीधे टकराव में है। कुछ रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि कॉन्ग्रेस ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
The violence in #Bengaluru & the objectionable/offensive social media posts are highly condemnable. I appeal to everyone involved to not indulge in violence. I hope peace is strengthened— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) August 12, 2020
Muzamil Pasha, an SDPI leader has been arrested by Police in connection with DJ Halli police station limits violence (in Bengaluru): Mujahid Pasha, convenor SDPI (Social Democratic Party of India). #Karnataka— ANI (@ANI) August 12, 2020
— ☘️विशाल☘️ (@VISHUU101) August 12, 2020
This SDPI protested against "vande matram" also in 2014, they even asked a school to don't do "namastey gesture" on Independence day function— Manish Soni🇮🇳 (@manibhaii16) August 12, 2020
पैसे वासूलो हरमजादो से ...रुपये का टॅक्स देते नाही ...नुकसान करोडो का करते हैं ...जिहादी आतंकवादी लोगो के बाप का थोडी ना हैं हिंदुस्तान. .— Billu Bhai (@smellybilla) August 12, 2020
ऐसे में सम्भव है कि कांग्रेस इसी एसडीपीआई के साथ शायद ही कोई जोखिम लेने के मूड में हो! अपने बढ़ते नेटवर्क के माध्यम से, SDPI यहाँ पर लोकप्रियता हासिल करने में कामयाब रही है, जिससे मुस्लिम वोटों पर कांग्रेस की पकड़ का खतरा पैदा हो गया।
कांग्रेस के मुस्लिम नेता भी, जो कि एसडीपीआई को अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए खतरे के रूप में देखते हैं, वे एसडीपीआई की इस सांप्रदायिक राजनीति पर बोलने के लिए तैयार नहीं हैं, और बस दबी जुबान से इन दंगों के बारे में बोल रहे हैं।
1965 इंडो-पाक युद्ध के दौरान कई गैर-फ़िल्मी देशभक्ति चर्चित हुए थे, उनमे मोहम्मद रफ़ी का गाया एक गीत "कहनी है एक बात हमें आज, इस देश के पहरेदारों से, संभल कर रहना अपने घर में छिपे हुए गद्दारों से...", यह गीत आज भी उतना ही सार्थक है जितना 1965 में था। फिर देश का दूसरा दुर्भाग्य यह रहा कि ताशकंत से तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का शव वापस आया, इसे देश का दुर्भाग्य न कहा जाए कि न उनका पोस्टमॉर्टेम करवाया गया और न ही जाँच करवाई गयी, क्यों? काश वह जीवित आ गए होते, आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जितनी मेहनत करनी पड़ रही है, उतनी नहीं करनी पड़ती है। क्योंकि शास्त्री जी ने पता नहीं कितने देशद्रोहियों को जेल में सड़ने देते। जिस नेता को देखो डॉ भीमराव आंबेडकर की बात करता है, लेकिन वोट के भूखे नेता और पार्टियां उस पर अमल करने को तैयार नहीं। इन्हें तो बस छद्दम धर्म-निरपेक्षता के नाम पर जनता को गुमराह कर उनकी लाशों पर राजनीति नहीं सियासत करनी है। जिस कारण बेगुनाह मुसलमान भी बदनाम हो रहा है।
इन लालची और वोट के भूखे नेताओं और उनकी पार्टियों से पूछा जाए कि डॉ आंबेडकर ने मुसलमानों से सचेत रहने के लिए क्यों और क्या बोला था? लेकिन इन लालची नेताओं ने तुष्टिकरण करते मुसलमान को मुख्यधारा से ही नहीं जुड़ने दिया। धर्म-निरपेक्षता की दुहाई देने वालों से पूछो कि धर्म-निरपेक्षता क्या है, किस चिड़िया का नाम है? इन्हें धर्म-निरपेक्षता का क,ख,ग तक नहीं मालूम, अगर मालूम होता, न कोई शाहीन बाग़ होता, न साम्प्रदायिक दंगे होते और इसका मुख्य कारण भारत के गौरवमयी इतिहास को धूमिल करना।
Muslims have left no stone unturned to prove Dr Ambedkar right ! This is what Dr B R Ambedkar wrote. pic.twitter.com/LnJEaJtoNq— NS Bumb (@NsBumb) August 12, 2020
भारत के लिबरल गैंग जिस भी चीज का हद से ज्यादा गुणगान करे, उसके बारे में समझ जाना चाहिए कि वो उतना ही ज्यादा खतरनाक है। उदाहरण के लिए दिल्ली के शाहीन बाग को ही ले लीजिए। इसी क्रम में बेंगलुरु के बिलाल बाग को भी प्रचारित किया गया। ये वही क्षेत्र है, जिस क्षेत्र में मंगलवार (अगस्त 11,2020) की रात दंगे भड़क गए और कांग्रेस के दलित विधायक के घर को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। वहाँ नसीरुद्दीन शाह भी पहुँचे थे।
किस तरह से बेंगलुरु के इस इलाके में इस्लामिक कट्टरवाद को ऊर्जा मिलती रही, इसे समझने के लिए हमें 5 महीने पहले जाना होगा। उसी समय बिलाल बाग में महिलाओं के सीएए विरोधी प्रदर्शन का काफी महिममंडन किया जा रहा था। उसे दक्षिण भारत का शाहीन बाग साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई थी। तभी बॉलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह भी वहाँ पहुँचे थे और उन्होंने प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया था।
जहाँ नसीरुद्दीन शाह ने उगला था जहर: बेंगलुरु में मुस्लिम भीड़ ने वहीं किया दंगा
गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी और अभिनेता नसीरुद्दीन शाह फरवरी 14, 2020 के दिन वहाँ पहुँचे थे। उस दिन जुमा भी था। रात के 9 बजे उपद्रवियों को संबोधित करने पहुँचे नसीरुद्दीन शाह ने कहा था कि महिलाओं को प्रदर्शन करते हुए देख कर उन्हें बोलने का साहस मिला है। नसीरुद्दीन शाह ने उन महिलाओं को बहादुर बताते हुए कहा था कि उन्हें सड़क पर उतरने के लिए किसी की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है।
जिग्नेश मेवाणी तो एक कदम और आगे बढ़ गए थे। उन्होंने वहाँ प्रदर्शन कर रही महिलाओं के ‘चेहरे की चमक’ की बात करते हुए दावा कर दिया था कि अगर पीएम मोदी ने उन्हें एक बार भी देख लिया तो वो इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने उन महिलाओं को क्रांतिकारी करार देते हुए कहा कि वो उनके ज्वलंत चेहरे देखने आए हैं। उन्होंने इस दौरान वहाँ पटना और दिल्ली में महिलाओं द्वारा किए जा रहे प्रदर्शनों का जिक्र किया।
क्या आपको पता है कि ये बिलाल बाग कहाँ स्थित है? ये Tannery Road के पास है, जो केजी हल्ली थाना क्षेत्र से 5 किलोमीटर से भी कम की दूरी पर है। वही थाना क्षेत्र, जहाँ पुलिस की गाड़ियों तक को जला डाला गया। फिलहाल वहाँ कर्फ्यू लगा हुआ है। अब ये साबित हो रहा है कि भारत के विभिन्न स्थानों में, जो सीएए विरोधी प्रदर्शनों का हब बना, वहाँ दंगे भड़क रहे हैं। दिल्ली के बाद बेंगलुरु इसका उदाहरण है।
सरकारों ने इन महिलाओं को सड़क जाम करने से लेकर भारत-विरोधी नारे लगाने तक छोड़ दिया और उन्हें उपद्रव करने दिया, जिसका अंजाम आज जनता और पुलिस दोनों को ही भुगतना पड़ रहा है। अगर समय रहते इन उपद्रवियों पर कार्रवाई की गई होती तो शायद नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के दंगे और नहीं होते और केजी हल्ली में एक छोटे से फ़ेसबुक पोस्ट पर इतना बड़ा हंगामा नहीं होता। इसे समय रहते रोका जा सकता था।
As #BilalBagh, #Bengaluru’s #ShaheenBagh completes 8 days of non-stop events and discussions against #CAA_NRC_NPR, the likes of celebrities like Naseeruddin Shah, @jigneshmevani80, @MDPallavi and others keep the crowd encouraged. @IndianExpress— Express Bengaluru (@IEBengaluru) February 15, 2020
🎥:@ralpharakal pic.twitter.com/lI5tTYwkqi
We don't need pak or.china, since we.have a gang of intellectuals, seculars, section of media etc who work relentlessly against nation and it's policies, same set.of people dare not drip eyelid in foreign soils— kunal mahajan (@mahajankunal1) February 15, 2020
— Vandy Agnihotri (@v87066123) February 15, 2020
Naseeruddin "Dara Hua" Shah adressing anti CAA protestors in Bengaluru.— #Ashima 🇮🇳 (@AshiWords) February 15, 2020
Language and Attitude same as Hafiz Saeed. Two terms of BJP and these intolerant parasites showing their true colors. pic.twitter.com/C6PDnsV7BU
Gulfam Hasan is back 😳— Niirav Vaishnav (@Niiravvaishnav) February 16, 2020
डरे सहमे हुए हैं तो ऐसे हैं,जिस दिन डर नहीं रहेगा तो कैसे होंगे!!— urmila 🇮🇳Indian (@urmila2008) February 15, 2020
These people potray that section of India which is intolerant towards the country and it's country men. This is that Shah who is Shah becoz of India . Jis mai khate hai ussi mai ched karna fitrat hai inki— Avani Pathak (@Nupur20297436) February 15, 2020
And see d scores of liberandus, pseudos, literattis, sermonising on :— The Oriental 4 (@TheOriental4) February 16, 2020
Freedom of expression ...
Freedom of peaceful protest...
Freedom of expression...
Govt must get ruthless. Crush these anti Nationals. Anti Hindustanis.
Why care r them when they don't care 4 India ?
Period.
But the poignant question is:— Ancient Ways (@SuRaGop) February 16, 2020
What the people did in MP, Rajasthan, Chathisgad and Delhi ?
Do they support these people ?
जहाँ तक बिलाल बाग की बात है, वहाँ 200 महिलाओं ने डेरा डाला हुआ था। शाहीन बाग की तरह ही वहाँ महिलाओं को उनके छोटे-छोटे बच्चों के साथ बिठाया गया था। बिलाल मस्जिद के सामने पिलाना रोड को ब्लॉक कर के रखा गया। मीडिया में कई ऐसे लेख ये थे, जिनमें यहाँ की महिलाओं के बयान लेकर उन्हें बहादुर साबित करने का प्रयास किया गया था। सरकार इन चीजों को नजरअंदाज करती रही।
बेंगलुरु दंगा के पीछे SDPI : मुजम्मिल पाशा ने हिंसा भड़काने के लिए बाँटे थे रुपए
पूर्वी बेंगलुरु के पुल्केशी नगर के दलित कांग्रेस विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के घर पर 1000 से भी अधिक की मुस्लिम भीड़ ने हमला कर आगजनी, पत्थरबाजी और दंगे किए, जिसके बाद इलाक़े में कर्फ्यू लगा दिया गया है। केजी हल्ली थाना क्षेत्र में हुई इस घटना के मामले में ‘सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI)’ के नेता मुजम्मिल पाशा को गिरफ्तार किया गया है। बताया जा रहा है कि वो इन दंगों का मास्टरमाइंड है।
मुजम्मिल पाशा ने ही इन दंगों को भड़काया था। स्थानीय ‘सुवर्ण न्यूज़’ के अनुसार, SDPI का नेता मुजम्मिल पाशा नवीन नामक व्यक्ति के खिलाफ पैगम्बर मुहम्मद के बारे में अपमानजनक फेसबुक पोस्ट करने के आरोप में मामला दर्ज करवाने केजी हल्ली थाना पहुँचा था। फिर उसने भड़काऊ भाषण देते हुए पुलिस थाने के बाहर खड़ी मुस्लिम भीड़ को सम्बोधित किया। इसके बाद वो कांग्रेस विधायक श्रीनिवास के आवास पर हिंसक भीड़ के साथ प्रदर्शन करने पहुँचा।
इस दौरान मुजम्मिल पाशा के साथ SDPI के दो और नेता साथ थे जो लगातार लोगों को भड़का रहे थे। उसके सहयोगी नेताओं जफ़र और खलील ने मुस्लिम भीड़ को पत्थरबाजी करने और थाने के बाहर गाड़ियों को आग के हवाले करने के लिए भड़काया था। जहाँ पुलिस मुजम्मिल पाशा को गिरफ्तार करने में कामयाब रही है, वहीं बाकी 2 नेता फरार हो गए। सीसीटीवी फुटेज से भी इस मामले में बड़ा खुलासा हुआ है।

सीसीटीवी फुटेज से पता चला है कि दंगाइयों को रुपए बाँटे गए थे (फोटो साभार: सुवर्ण न्यूज़)
From where all the rods and stones accumulated within 1 hour?
— मोदीमय भक्त (@Indian08670358) August 12, 2020
#जनसंख्या_नियंत्रण_कानुन_जल्द_लागू_हो #इस्लामीआतंकवाद से सावधान!— G .T.RAO 🇮🇳 (@GTRao) August 12, 2020
अब शुरू होगा #मुसलमानों #शांतिदूतों #लीब्रण्डूपत्रकारों #टुकड़ेटुकड़ेगैंग #वामपंथीयों का शांति मार्च ..#Peaceful #PlannedRiotsIn India by #MuslimMob Burns #BengaluruPoliceStation#BANPFI#BanPFI #BANSDPI
An urban hip city Bangalore witnessed a mind-numbing violence last night because nephew of a dalit MLA posted objectionable stuff against Prophet on fb. This is disturbing at so many levels.— Mohil Malhotra🇮🇳मोहिल मल्होत्रा (@TheMohil8) August 12, 2020
They do everything with proper plans, be it Delhi then or Bangalore yesterday.— Madhusmita Panda (@Mady_SuperWoman) August 12, 2020
@HMOIndia @PMOIndia— Pramod Rajput (@r_saatyaki) August 12, 2020
आख़िर ये जाहिलों की गुंडागर्दी कब तक सहेगा भारत
और विश्वास जितना बाक़ी रह गया है क्या??@janardanmis @ajeetbharti @PushpendraKuls4 @KapilMishra_IND
पुलिस को पता चला है कि पाशा दंगाइयों के बीच रुपए बाँट रहा था, जिसके बाद हिंसा भड़क गई। सीसीटीवी फुटेज से ये भी पता चला है कि पुलिस पर किए गए हमले की साजिश पहले ही अच्छी तरह से रच ली गई थी। सोशल मीडिया पोस्ट्स के जरिए पहले ही दंगाइयों को पूरी साजिश के बारे में बता दिया गया था और वो व्यवस्थित तरीके से वहाँ आए थे। पाशा ने BBMP का चुनाव भी लड़ा था लेकिन वो हार गया था।
वहीं एक अन्य आरोपित खलील स्थानीय कॉर्पोरेटर का पति है। दंगाइयों में से तीन की मौत हुई है, जिनमें से दो के नाम वाजिद और यासीन हैं। इन सबका कोरोना टेस्ट कर के पोस्टमॉर्टम किया जाएगा और फिर लाश परिवारों को सौंप दिए जाएँगे। अब तक 165 लोगों को इस मामले में हिरासत में लिया जा चुका है। राज्य के गृह मंत्री ने मुख्यमंत्री येदियुरप्पा को घटना से अवगत कराया गया है, जिसके बाद उन्होंने कड़ी कार्रवाई की बात कही।
कर्नाटक के मंत्री सीटी रवि ने भी कहा है कि ये एक योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया दंगा था। उनकी मानें तो फेसबुक पोस्ट के 1 घंटे के भीतर ही हज़ारों लोग जमा हो गए और उन्होंने 200-300 गाड़ियाँ फूँक डाली व विधायक के घर को क्षतिग्रस्त कर दिया। उन्होंने कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी। मंत्री ने कहा कि साजिशन इस हिंसा को अंजाम दिया गया है और इसके पीछे SDPI का हाथ है।
I think it was a planned riot. Within an hour of a post on social media thousands of people gathered & damaged 200-300 vehicles & MLA's residence. We'll take serious action. It was an organised incident. SDPI is behind it: Karnataka Minister CT Ravi on violence in Bengaluru city. pic.twitter.com/RwwKYpFYkI— ANI (@ANI) August 12, 2020
Video of how peacefuls are attacking K.G Halli Police Station.— ☘️विशाल☘️ (@VISHUU101) August 12, 2020
First they attack MLA house
Second Fire Engine
Third they light police vans
Attack police station
Attack police quarters
Burn DCP car
Now they're throwing bottles filled with petrol
pic.twitter.com/VM0RntXYwC
Yes, riots preplanned— Vij@y (@Sanatan_Hindu_) August 12, 2020
1) Choosing the auspicious day of Janmashtami
2) Arranging such a mob at the time of Pandemic in a short time
3)Arranging weapons for riots in a short span of time
4)Destroying public properties, attacking police
5) Final photo ops for an act of secularism.
They are all in anger because of the Ram Mandir and they are all waiting for opportunities to vent it out. We are regretting not celebrating the court's decision we thought we will show our tolerance and maturity towards other's feelings but look what we got in return,VIOLENCE— Anju Sharma (@Patriot9530423) August 12, 2020
मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने कहा कि कर्नाटक सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सभी संभव कदम उठाए हैं और अधिकारियों को दंगाइयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्देश दे दिया गया है। बेंगलुरु में हुई हिंसा को लेकर येदियुरप्पा ने कहा कि पत्रकारों, जनता और पुलिस के खिलाफ मंगलवार (अगस्त 11, 2020) की रात हुई हिंसा स्वीकार्य नहीं है और सरकार इस प्रकार की भड़काऊ हरकतों और अफवाहों को बर्दाश्त नहीं करेगी।
अवलोकन करें:-
कई प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि 10 मिनट तक पुलिस ये सब होते हुए देखती रही और उसने कुछ नहीं किया। वो असहाय नज़र आ रही थी। यहाँ तक कि आधी रात के बाद भी पुलिसकर्मी दंगाइयों से काफी कम संख्या में थे और संघर्ष कर रहे थे। कमिश्नर कमल पंत भी घटनास्थल पर पहुँचे लेकिन फिर पुलिस की एक गाड़ी को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। पुलिस ने विधायक अखंड श्रीनिवास के रिश्तेदार नवीन को गिरफ्तार कर लिया है।
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