प्रारम्भ से लेकर आज तक कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी सहित लगभग सभी पार्टियां खेल को प्रोत्साहन देने की लॉलीपॉप से ललचाते दिखाई देते हैं, लगता है, सभी वास्तविकता से आंख मींच लेते हैं, यदाकदा ऐसे समाचार आते रहते हैं, लेकिन अब ताजा उदाहरण झारखण्ड से 34वें राष्ट्रीय खेल चैंपियन रही विमला मुंडा का आया है। जो नेताओं और उनकी पार्टियों की कथनी और करनी में अंतर प्रमाणित कर रहा है। 
कराटे चैंपियन विमला मुंडा (साभार :ट्विटर )
सोशल मीडिया पर राँची की एक जाँबाज खिलाड़ी की वीडियो तेजी से वायरल हो रही है। वीडियो में एक तरफ जहाँ आप खिलाड़ी के सैकड़ों मेडल और सर्टिफिकेट देख खुश हो जाएँगे, वहीं दूसरी ओर उसकी गरीबी और लाचारी देखकर आपका दिल भर आएगा। परन्तु ट्विटर पर यह भी प्रतिक्रिया हो रही है कि किसी खिलाडी द्वारा कोई मैडल जीतने पर धन की जो वर्षा होती है, वह कहाँ जाता है या फिर चर्चा में बने रहने के लिए यह सब किया जा रहा है? क्योंकि जनता नेताओं को वायदों की बारिश से मतदाताओं को लुभाते हैं, जनता भी शायद उसी राह पर चलने का प्रयास कर रही है।
झारखंड की राजधानी राँची के कांके में एक ऐसी प्रतिभा रहती है, जो कराटे में सिर्फ ब्लैक बेल्ट ही नहीं बल्कि नेशनल गोल्ड मेडलिस्ट भी है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि प्रतिभा की धनी यह खिलाड़ी मजबूरी और बेबसी में जिंदगी गुजार रही है।
आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण विमला जैसी नेशनल प्लेयर आज हड़िया (राइस बियर) बेच कर अपना और अपने परिवार का ख्याल रख रही हैं। विमला का हड़िया बेचना अब विवशता है। कराटे की प्रैक्टिस पर भी असर पड़ रहा है। माँ दूसरे के खेतों में काम करती हैं। पिता फिजिकली फिट नहीं हैं।
झारखंड में खेल के क्षेत्र में प्रतिभावों की कमी नहीं है,विमला जैसी नेशनल प्लेयर आज हडि़या बेच कर अपना और परिवार का ख्याल रख रही हैं।34वें नेशनल गेम्स में विमला ने सिल्वर मेडल जीत कर राज्य का मान बढ़ाया था।आर्थिक बदहाली के कारण विमला को हडि़या बेचना पड़ रहा है।@HemantSorenJMM
— Sohan singh (@sohansingh05) October 18, 2020
झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य में नई खेल नीति तैयार की जा रही है जिससे खिलाड़ी लाभान्वित होंगे।मुख्यमंत्री ने कहा की खिलाड़ियों को सरकार हर संभव मदद करेगी।@HemantSorenJMM pic.twitter.com/G8Pn1GrFQX
— Sohan singh (@sohansingh05) October 18, 2020
भारत के गोल्ड मेडलिस्ट बैहाल
— D▪️WADIYA🔽 (@DineshWadiya) October 18, 2020
मोदी को गाली देने वाले मालामाल pic.twitter.com/sUDDKotD7i
बेटा जो GOLD🏆 MEDEL बेचके कुच करो,,
— Dipu Sinha (@DipuSin17368141) October 18, 2020
ईतने सारि मेडेल मिला है पर बि आनजान है सरकारी नुमाइंदे,
काश तुम कोई बरे लोग कि बेटि हते आज काहा पौचता,,
कोई है ईशके धर जाने बाले,, मुरदे कि धर मे तो जाते हो,,
जिंदा कि धर मे जाउ,, ,,, रांची, pic.twitter.com/ydl62nG4FH
खिलाड़ी अपनी दुर्गति के लिये स्वयं जिम्मेदार हैं।
— मृदंग💞 (@mudit2564) October 18, 2020
जब ये फोर्म में होते हैं कम्पनियों और सरकारी नौकरी के अवसर मिलते हैं तब खिलाड़ी केरियर को गंभीरता से नहीं लेते।
अवसर हाथ से निकलने के बाद कुछ वर्षों में नये खिलाड़ी आ जाते हैं।फिर पुराने खिलाड़ी की पूछ नहीं होती।
वायरल वीडियो में आप विमला मुंडा के संघर्ष को देख सकते है। वीडियो अपनी व्यथा बताते हुए खिलाड़ी ने कहा, “सरकार ने खिलाड़ियों के प्रति कोई ध्यान नहीं दिया। चाहे कोई भी खेल हो। हम लोग को तो कुछ भी पता नहीं था हम बस खेल में मग्न थे। हमनें सोचा हम लोग स्पोर्ट्स में है, खेलेंगे तो आगे कुछ होगा, सरकार हमें नौकरी देगी। अब हम आदिवासी है तो खेतीबाड़ी के साथ हम हड़िया भी बेचते है। उसी के जरिए हम कंपीटिशन में जाते है। ऐसे में बहुत दिक्कत होती है।”
वहीं विमला की माँ ने बताया की विमला को पढ़ाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी है। कुछ नहीं हुआ तो आजीविका चलाने के लिए हड़िया बेचना मजबूरी है।
विमला मुंडा वैसे तो साल 2008 से ही टूर्नामेंट खेल रही हैं। इसी साल डिस्ट्रिक्ट लेवल पर इन्होंने मेडल अपने नाम किया था। इसके बाद 2009 में ओडिशा में भी पदक विजेता रही। 34वें नेशनल गेम्स में विमला ने सिल्वर मेडल जीत कर राज्य का मान बढ़ाया तो वहीं अक्षय कुमार इंटरनेशनल कराटे चैम्पियनशिप में इन्होंने दो गोल्ड मेडल जीत कर अपना और अपने राज्य का नाम रौशन किया।
इस तरह के सैकड़ों मेडल विमला ने अपने नाम किए हैं। विमला अपने मेडल और सर्टिफिकेट देखकर भावुक हो जाती हैं। कहती हैं पहले पूरे दिन सिर्फ अपने मेडल और सर्टिफिकेट को ही निहारती रहती थी.. लेकिन जैसे सच्चाई से सामना होता गया मैंने अपने सभी मेडल और सर्टिफिकेट बक्से में रख दिए हैं।
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