"देव दीपावली" को ढोंग बताने वाले अखिलेश यादव क्या वास्तव में हिन्दू है?

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 

अखिलेश यादव ने ट्वीट कर देव दीपावली का मजाक उड़ाते हुए इसे ढोंग का उत्सव बताया। इसके बाद ट्विटर पर लोगों ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को आड़े हाथों ले लिया।

परन्तु अखिलेश ने अपने इस ट्वीट से कई प्रश्न खड़े कर दिए हैं, उनका जवाब कौन देगा, यह देखना होगा, पिता मुलायम सिंह या कोई और? विषय गंभीर जरूर है, पर क्या मुलायम सिंह इस बात का जवाब दे पाएंगे, इस पर भी सन्देह है। क्योंकि मुलायम सिंह ने निहत्ते रामभक्तों को गोलियों से भुनवा दिया था। लगता है कहीं कुछ गड़बड़ है। याद हो, अखिलेश ने अपने कार्यकाल में 84 कोसी पर और रामनवमी पर कितनी दिक्कतें की थी। दूसरे, मुज़फ्फर नगर दंगे के दौरान जब पुलिस ने दंगाइयों को पकड़ हवालात में डलवा दिया था, जिन्हे मुस्लिम पुलिस अधिकारी ने उन्हें छोड़ने पर पुलिस ने उस पुलिस अधिकारी की पिटाई की थी, लेकिन अधिकारी अधिकारी ही होता है, अधिकारी की पिटाई बर्दाश्त की, जब उस मुस्लिम पुलिस अधिकारी ने मुलायम सिंह को घटना के बारे में बताने पर "पीठ थपथपा" कर बधाई दी थी। इस विषय पर तब विस्तार से लिख चूका हूँ। काश! स्थिति विपरीत होती, उस पुलिस अधिकारी की नौकरी तो जाती ही, पता नहीं कितनी दफाएं लग गयी होती। 

फिर "रातें काली" करने की बात बोलकर जहाँ वह इशारा कर रहे हैं, ये क्या वास्तव में किसान आंदोलन है, निष्पक्ष होकर बताओ? आंदोलन कहाँ से शुरू होता है, पंजाब से और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंद्र सिंह ने केंद्र के इस कानून को लागु करने से मना कर दिया है, उसके बावजूद आंदोलन। चलो इसे भी छोड़ो, जिस आंदोलन में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की तरह वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी ठोकने की बात हो रही हो, क्या उसे किसान आंदोलन कहोगे? दूसरे, किसान आंदोलन में भिंडरावाला की फोटो क्यों? अखिलेश जी भारत के इतने बड़े प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हो, कुछ सोंच-समझ कर बोलो। या फिर यही समझा जाए कि तुष्टिकरण करते-करते क्या बुद्धि बिल्कुल शून्य हो गयी है?

एक यूजर ने अखिलेश यादव के ट्वीट का जवाब देते हुए याद दिलाया कि कैसे सपा सरकार के समय अखिलश के पिता मुलायम सिंह ने साधुओं पर गोलियां चलवा दी थीं।

वहीं एक अन्य यूजर ने अखिलेश यादव को जवाब देते हुए सपा सरकार के तुष्टीकरण राजनीति की याद दिलाई।

एक अन्य यूजर ने सैफई महोत्सव पर फालतू खर्चे को भी याद दिलाते हुए तंज किया।

हिंदुओं के उत्सवों से इतनी नफरत क्यों अखिलेश जी ?

देव दीपावली ढोंग का उत्सव है पर जब सैफई में बॉलीवुड की अभिनेत्रियों को सरकारी पैसों से करोड़ों रुपये देकर नचाया जाता था तो वो लोक आस्था का उत्सव होता था क्या ? 

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