आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
राजेश खन्ना और मुमताज़ अभिनीत चर्चित फिल्म "दुश्मन" का एक गीत "सच्चाई छुप नहीं सकती, कभी बनावट के असूलों से, कि खुश्बू आ नहीं सकती, कभी कागज के फूलों से...." जो हो रहे किसान आंदोलन पर सटीक बैठ रहा है। जितनी जल्दी परतें इस आंदोलन की खुलनी शुरू हो चुकी हैं, उतनी जल्दी CAA विरोध की भी नहीं। और जब खुलनी शुरू हुई तो जनता ने आसानी से यकीन नहीं किया। लेकिन इस किसान आंदोलन ने तो प्रारम्भ होते ही संदेह करवाना शुरू कर दिया था।
आंदोलन शुरू हुआ उस पंजाब राज्य से जिसके मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने केंद्र के ही कानून को मानने से मना कर दिया था, फिर आंदोलन का क्या है आधार? देखिए, इस आंदोलन को अपनी ओर करने के लिए कैसे-कैसे तार जुड़ने शुरू हो गए। इस कानून के विरोधी स्वर मुखरित किये थे अकाली दल ने, जिसे कांग्रेस ने लपक लिया। खैर, आंदोलन शुरू हुआ और दिल्ली तक उसकी आग पहुँचते ही आम आदमी पार्टी लपकने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस, अकाली दल और आप तीनों पार्टियां भूल रही हैं कि चुनाव के समय तक जब किसानों को इसका लाभ मिलना शुरू हो चूका होगा, तब इन तीनों की क्या स्थिति होगी, यह भविष्य के गर्भ में छिपा है। पहली बार किसी सिख
के गले में Cross
देखने को मिला
इस पूरे प्रकरण में सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही होता दिख रहा है। जब चुनावों में पूछा जाएगा कि "जिस इंदिरा गाँधी की शाहदत के नाम पर वोट मांगते हो, फिर किसान आंदोलन में खुलेआम 'जैसे इंदिरा को ठोका, वैसे मोदी को भी ठोकेंगे', नारों का कांग्रेस ने क्यों नहीं विरोध किया?" यह वह ज्वलंत प्रश्न है जिसका जवाब माँगा जायेगा। अभी तक कांग्रेस के किसी भी नेता तो क्या इंदिरा गाँधी के अपने ही परिवार सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी और प्रियंका वाड्रा किसी ने विरोध नहीं किया। शायद विरोध इसलिए नहीं किया जा रहा कि "मोदी को भी ठोकने" की बात कही जा रही है। कांग्रेस और इसके समर्थक पार्टियां इसका जवाब देने के तैयार रहे।
कांग्रेस के बाद जो नुकसान दिख रहा है वह आम आदमी पार्टी और अकाली दल को। केजरीवाल पार्टी को इसलिए कि पार्टी ने दिल्ली में लागू कर दिया है, फिर किस आधार पर विरोध किया जा रहा है? दूसरे, शब्दों में कहा जाये तो मोदी विरोध में इनको कुछ नहीं सूझ रहा। यानि भाजपा के लिए खुला मैदान, फिर रोना शुरू होगा EVM का।
अवलोकन करें:-
पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इसके लिए अभी से ही जमीन तैयार की जा रही है। कई विश्लेषक मौजूदा ‘किसान आंदोलन’ को इसी रूप में देख रहे हैं। इनमें तीन पार्टियाँ मुख्यतः सम्मिलित हैं – AAP, कांग्रेस और अकाली दल। शुरू तो अकाली दल ने किया था NDA छोड़ कर और कैबिनेट से हट कर, लेकिन अब अमरिंदर और अरविंद केजरीवाल ने इसे हाईजैक कर लिया है।
अरविन्द केजरीवाल का दोगलापन
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके विधायक जहाँ पंजाब से आए ‘किसान आंदोलनकारियों’ के समर्थन में लगे हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली भाजपा के पूर्व अध्यक्ष मनोज तिवारी ने खुलासा किया है कि AAP सरकार ने तो मोदी सरकार द्वारा पारित कराए गए 3 कृषि कानूनों में से एक कानून को सोमवार (नवंबर 23, 2020) को ही प्रदेश में लागू कर दिया है। उन्होंने ‘दिल्ली राजपत्र’ के दस्तावेज की तस्वीरें शेयर कर सबूत भी दिखाया।
इस दस्तावेज के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद-123 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों के प्रयोग में, भारत के राष्ट्रपति ने ‘कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा)’ नामक अध्यादेश, 2020 प्रख्यापित किया है, जिसे विधि एवं न्याय मंत्रालय, भारत सरकार का राजपत्र असाधारण भाग-2, खंड-1 में प्रकाशित किया गया है। आगे लिखा है कि यह किसी भी राज्य की APMC अधिनियम या अन्य कानून के लागू होने के समय प्रवृत्त या प्रलेख के प्रभाव में आने वाले समय में लागू होगा।
इस राजपत्र का गौर करने लायक हिस्सा वो है, जिसमें लिखा है, “राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली की विधानसभा ने ‘दिल्ली कृषि उपज विपणन अधिनियम, 1998’ (1999 का दिल्ली अधिनियम, संख्या-7) को अधिनियमित किया है, जो जून 2, 1999 से लागू है।” यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है कि सरकार ने APMC के कुछ क्षेत्रों को पुनः परिभाषित किया है, जहाँ ये कानून लागू होंगे। दस्तावेज के दूसरे पन्ने पर उन परिवर्तनों के बारे में बताया गया है।
वहीं आम आदमी पार्टी का कहना है कि दिल्ली में तो सब्जियों और फलों को पहले ही डीरेगुलेट किया जा चुका था, अब अनाजों को लेकर भी ये सुविधा लागू हो गई। ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर के अनुसार, पार्टी ने कहा कि किसान बस इतना चाहते हैं कि MSP से छेड़छाड़ न हो और इस मामले में पार्टी उनके समर्थन में है। सांसद मनोज तिवारी ने पूछा कि जब अपने इस कानून को लागू कर दिया है तो इसके विरोध में आपके विधायक क्यों भाग-दौड़ कर रहे हैं?
पहले MSP तो घोषित होता था लेकिन MSP पर खरीद बहुत कम की जाती थी।
— Jeetendra Parashar (@Jeetend11053200) November 30, 2020
सालों तक MSP को लेकर छल किया गया।
किसानों के नाम पर बड़े-बड़े कर्जमाफी के पैकेज घोषित किए जाते थे। लेकिन छोटे और सीमांत किसानों तक ये पहुंचते ही नहीं थे।
- पीएम श्री नरेन्द्र मोदी जी
#DevDeepawaliWithPMModi pic.twitter.com/CzbAKmBnPR
Why was this not highlighted before . AAP is known for fooling not only Delhites but also Indians .
— P. Nair (@pn906) November 30, 2020
केजरीवाल से बड़ा झूठा, धूर्त और मक्कार राजनेता आज तक देश ने नहीं देखा होगा॥
— अर्पित मिश्र #धर्मयुद्ध🕉️🚩🇮🇳 (@arpit9847) November 30, 2020
विषैले से विषैला सर्प भी इसको डसे तो मर जाए, इतना जहरीला है यह ॥
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जिस तरह से बयान दिए हैं और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ तू-तड़ाक वाली भाषा में बात की, उससे स्पष्ट है कि कॉन्ग्रेस आग में घी डालने वाला काम करना चाहती थी। राहुल गाँधी ने ट्रैक्टर पर बैठ कर ड्रामा किया और किसानों के कथित समर्थन में रैली की, लेकिन बिहार चुनाव और उपचुनावों में हुए हार के बाद वो ठंडे पड़ गए। इधर केजरीवाल की पार्टी प्रदर्शनकारियों को भोजन-पानी मुहैया करा रही है।
Farmers are fighting for their future. It’s a spontaneous reaction to the Farm Laws. They want to be heard. They’ve the right to speak their mind. Centre should listen to them. I’m ready to join Centre’s efforts to resolve the issue. pic.twitter.com/0kMqGT7EVk
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) November 28, 2020
‘अमर उजाला’ के एक विश्लेषण में पाया गया है कि इन तीनों दलों के नेता अनौपचारिक बातचीत में मान रहे हैं कि जो भी पार्टी किसानों को जीत लेगी, आगामी पंजाब विधानसभा चुनाव में सत्ता की चाभी उसके ही पास रहेगी। इस चुनाव में 1 वर्ष बचे हैं और किसानों के जमावड़े के सहारे इन दलों को अपनी राजनीति चमकाने का अच्छा अवसर मिला है। बुराड़ी के मैदान में प्रदर्शनकारियों को सारी सुविधाएँ देने से लेकर केंद्र पर लगातार वार तक, निशाना 2022 ही है।
AAP के किसान बुराड़ी ग्राउंड में
— विशेष गोयल🇮🇳 (@Mr_VisheshGoel) November 30, 2020
कांग्रेस के किसान सिंधु बॉर्डर पर और
देश का किसान खेतों में है!
मै विज्ञापन देने में इतना व्यस्त था कि मुझे पता ही नहीं चला कि मनीष और चड्ढा ने बिल पास कर दिया। सब मिले हुए हैं जी
— Ravi N Chandra #AatmNirbhar (@ravinc1812) November 30, 2020
- आपका केजरी
अरे सर् क्या बात कर रहे हो हो सकता है ।
— मनीष श्रीवास्तव (@manishfci) November 30, 2020
माननीय मुख्यमंत्री जी व्यस्त रहे होंगे ।।
ये बात पता नही चली हो।।।
विज्ञापन भी तो जरूरी है।।उसमें व्यस्त रहे होंगे
दुनिया जानती है कि @ArvindKejriwal राजनीतिज्ञ नहीं, गिरगिट और गिद्ध श्रेणी का एक जीवधारी है।
— नरेश भारतीय 🇮🇳🇮🇳 (@NareshhBhartiya) November 30, 2020
एक तरफ भाजपा सरकार आंदोलनकारी किसानों पर आंसू गैस ,वाटर कैनन ,लाठी-पत्थर से हमला कर रही है।
— Raghav Chadha (@raghav_chadha) November 30, 2020
दूसरी तरफ केजरीवाल सरकार उनके घाव पर मरहम लगाने का काम कर रही है l
सिंघु बॉर्डर पर चिकित्सा व स्वास्थ सेवाओं के लिए केजरीवाल सरकार ने बंदोबस्त किया है l pic.twitter.com/DC72sPe0Ik
दिल्ली सरकार द्वारा सरकार की उस माँग को ठुकरा दी गई, जिसमें स्टेडियम को अस्थायी जेल के रूप में माँगा गया था। इसके बाद से AAP का हर छोटा-बड़ा नेता सोशल मीडिया पर इस ‘किसान आंदोलन’ के बारे में ही बात करता दिख रहा है। ओखला विधायक अमानतुल्लाह खान के सामने एक प्रदर्शनकारी ने ‘जय हिंद’ और ‘भारत माता की जय’ को नकारते हुए ‘अस्सलाम वालेकुम’ की खुली पैरवी की।
नवंबर 29, 2020 को AAP नेताओं ने इसी मसले पर एक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और सभी में मोदी सरकार पर ही हमला बोला गया। केजरीवाल दिल्ली छोड़ कर पंजाब का मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, इस महत्वाकांक्षा की चर्चा अक्सर होती रही है। 2014 लोकसभा चुनाव में राज्य में पार्टी को जिस तरह से 24% से अधिक वोट शेयर मिले थे, AAP अगले चुनाव के लिए तैयारी कर रही है।
दिल्ली सरकार के जल बोर्ड ने आन्दोलनकारियों को पानी के टैंकर मुहैया कराए हैं। केजरीवाल ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को प्रदर्शनकारियों की सेवा में लगाया है। अकाली दल के नेता लगातार सिंघु बॉर्डर का दौरा कर रहे हैं और प्रदर्शनकारियों की ज़रूरतों को पूरा कर रहे हैं। दिल्ली सिख गुरूद्वारा प्रबंध कमेटी पर अकाली दल ही सत्तासीन है और इसके सहारे गुरुद्वारों के माध्यम से प्रदर्शनकारियों की मदद की जा रही है।
Instead of yet again reading the lines scripted by Centre & becoming a cheerleader for them you would do better @capt_amarinder if lead the fight from the forefront to get the farmers' demands met.#FarmersProtests https://t.co/MUDlfWEnfr
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) November 28, 2020
पंजाब में सत्तासीन कॉन्ग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व किसान कानून पर लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर है। वहीं, पार्टी की दिल्ली यूनिट के नेता भी अपने स्तर पर प्रदर्शनकारियों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। युवा कॉन्ग्रेस नेताओं ने किसानों को भोजन-पानी और दवा-दारू मुहैया कराने के लिए सिंघु व टिकरी बॉर्डर का दौरा किया है। राहुल और प्रियंका गाँधी छुट्टियाँ मनाते हुए ही सोशल मीडिया पर ट्वीट्स दाग रहे हैं। ‘किसान आंदोलन’ के रूप में उन्हें भी एक हवाई मुद्दा मिल गया है, क्योंकि पंजाब में चुनाव के समय गिनाने को उनके पास कुछ खास है नहीं।
यही आशंका हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने जताई है। उन्होंने कहा कि किसानों का ये आंदोलन पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की राजनीति है। उनका कहना है कि अगले वर्ष पंजाब में चुनाव हैं और ऐसा लग रहा है कि पंजाब के मुख्यमंत्री ने किसानों को उकसाकर भेजा है। उन्होंने सवाल उठाया कि देश के इकलौते पंजाब राज्य से ही किसान क्यों आगे आया है, बाकी किसी प्रदेश के किसान इस आंदोलन में क्यों नहीं पहुँचे?
अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने हरसिमरत कौर के इस्तीफे को पार्टी द्वारा किसानों के लिए एक बड़े बलिदान के रूप में पेश किया था, लेकिन अब कैप्टन अमरिंदर सिंह की सक्रियता ने उसकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जैसे करतारपुर कॉरिडोर खोलने के मामले में अकाली दल ने क्रेडिट के लिए माथापच्ची की थी, अभी भी वो कॉन्ग्रेस से आगे दिखना चाहती है। हरियाणा में भी हुड्डा आंदोलन को हवा देने में लगे हैं। ‘किसान आंदोलन’ का एक ही लक्ष्य है – पंजाब चुनाव।
Abhi to ho raha hai ilaj delhi mein .To ab to bill vapas ke lo
— KAMAL (@KAMAL41534920) November 30, 2020
कमाल करते हो सर जी, खुद 23 नवंबर को ही केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों को दिल्ली में लागू कर चुके हो और अब किसानों का साथ देने का झूठा स्वांग रच रहे??? pic.twitter.com/FRBFY6ZaDz
— 𝑩𝒊𝒔𝒉𝒏𝒖𝒌𝒂𝒏𝒕 𝑺𝒉𝒖𝒌𝒍𝒂 (प्रयागराजवाले) (@BishnukantShukl) November 30, 2020
बहुत सही,
— देशभक्त, हिन्दुस्तानी 🇮🇳 (@JainRraman) November 30, 2020
दिल्ली वालों ने बंदर के हाथ में हल्दी कि गांठ दे दी भावनाओं में बह के, अब ना निगला जा रहा है ना उगला, किस मुंह से अपनी बेवकूफी स्वीकार करें,
Raghav chadda is best leader or vo ache se jntey jinke dum pr hum khaa rhe hai unka kaise khyaal rkhtey hai
— Samar Yadav (@SamarYa86549261) December 1, 2020
ये शिवाय बेकार के काम के अलावा कुछ नहीं कर सकते हैं
— Ankit Shukla (@shuklaankit1) November 30, 2020
भड़का कर आग लगाकर कम्बल बांटने की परम्परा बहुत पुरानी है वोट खरीदने और बेचने की भी 47 के बाद कुछ ज्यादा ही अबे हर वर्ग आजीविका को समान एक समान आय का कैसे निर्माण कर सकते हो यह स्पष्ट कर, आजादी के बाद से किसान का स्तर केवल गिरा ही है या कोठी कार हवाईजहाज़ के योग्य नही बना उत्तर
— Yash (@Yash63121058) November 30, 2020
1) गरीबों को दिल्ली से भगा दिया कोरोना के समय, जबकि उनको खिलाना था,
— Sanjay Singh (@sanjuinlv) November 30, 2020
2) दिल्ली के बाहर वालों का इलाज नही करेंगे कोरोना से
3) छठ पूजा घर से करो, नही तो कोरोना फैलेगा
4) मास्क नही पहनने पे 2000 का fine।
Goa में कांग्रेस से क्या डील कर के आये हो चड्डा जी? फिर से दिल्ली की दुर्दशा?
केजरीवाल को तकलीफ तो छठ पूजा से ही थी, मोदी विरोध का कोई भी तरीका हो केजरीवाल उसका समर्थन करेगा ही, वैसे चड्डे, ये बता बिना मास्क के लोगो का 2000 का चालान फाड़ रहा था उसमें कितने आंदोलनकारियों का चालान किया क्योंकि कोई मास्क नहीं लगा रहा
— श्री राम भक्त (@JHIKALIBABA) November 30, 2020
किसको मूर्ख बना रहे हो । किसानों के खाते में सीधे 6000 रुपये डालने वाली सरकार के ऊपर आरोप लगाते हुए शर्म से चुल्लु भर पानी मे डूब मरने के बजाय अपनी राजनीतिक रोटियां मत सको। यह सबको पता चल चुका है। कि किसानों की आड़ में कमीशन के पैसे की कमाई पर कितनी गहरी चोट पड़ी है।
— Mrityunjay Jaiswal (@MrityunjayJai20) November 30, 2020
जहां दिल्ली को महामारी की तरफ धकेल दिया वही राजनीति का घटिया खेल खेल रहे हो।छठ पूजा में महामारी फैलने का खतरा था वही इस सब से महामारी नही फैलती है क्या तुम लोग ने दिल्ली को मजाक बना कर रख दिया कुछ तो शर्म करो।
— Amit jaju (@amitjaju62) November 30, 2020
एक तरफ हिन्दू विरोधी केजरीवाल सरकार, दीपावली पे लोगो को गिरफ्तार करवाती है, छट पूजा नहीं करने देती।
— Lalit Negi (@LalitNegi20) November 30, 2020
दूसरी तरफ जान के लाखो लोगो को दिल्ली में जमा होने देती है जिससे दिल्ली के और लोगो कि जाने जाए कोरोना से, पर पंजाब में वोट मिल जाए
Aur ek taraf AAP Delhi ke logo se ₹2000 lootne mein lage hai...aur waha kissano ko bina mask dharna krne ki manjuri de di hai...waha 👏 Delhi is going to worst state of living
— Kcliffer (@Kcliffer1) November 30, 2020
अभी थोड़ी देर बाद बोलोगे दिल्ली के अस्पताल बाहरी लोगों से भर गए हैं,
— देशभक्त, हिन्दुस्तानी 🇮🇳 (@JainRraman) November 30, 2020
1 महीने fm पर गाओगे बाहर से ट्रैक्टर आए थे जी उसकी वजह से दिल्ली की हवा खराब हो गई जी,
पिछले सप्ताह छठ_पूजा के समय ये लोग कह रहे थे कि अमित शाह से लिखवाकर लाइए तब हम सावर्जनिक जगह पर पूजा करने देंगे। और अब प्रायोजित किसान_आंदोलन के समय कह रहे हैं कि कोरोना का बहाना नहीं चलेगा,किसान जहाँ चाहे आंदोलन कर सकते हैं। @BJP4Delhi @GSRathorBJP @AmitShah
— Mann Khantwal Rastrawadi (@mannkhantwal) November 30, 2020
और चड्ढा जी यह तो बताओ जब यूपी और बिहार के मजदूर दिल्ली छोड़कर जा रहे थे तब केजरीवाल सरकार ने क्यों कोई इंतजाम नहीं किया?? दोगली राजनीति करते हो चड्डा जी जनता सब जानती है !!!
— Som Pathak (@sompathakji) November 30, 2020
@timesofindia @BJP4India दिल्ली में कोरोना काल में किसानों को मास्क,सुरक्षित दूरी का पालन करने की पाबंदी क्यों नहीं? दंड क्यों नहीं ? इससे कोरोना फैलने पर जबाबदार कौन?कोर्ट को संज्ञान लेकर दोषियों को सजा का प्रावधान करना चाहिए।
— Dr. Lokesh Sharma (@LokeshS74739929) November 30, 2020
Oye 2rs/tweet wale DSP band kar apni ye editing..Kisan ko badnaam karna band karo Pakistaniyo ki aulado
— chaudhary dilipkumar (@dilipkumar2007) November 30, 2020
जैसे CAA में सच्चाई की जीत हुई ☺️👌👍
— Ravish Ranjan (@Ravish1517) November 30, 2020
मोदी ने भी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कहा कि अब विरोध का आधार फैसला नहीं, बल्कि आशंकाओं को बनाया जा रहा है। दुष्प्रचार किया जाता है कि फैसला तो ठीक है लेकिन इससे आगे चलकर ऐसा हो सकता है। जो अभी हुआ ही नहीं, जो कभी होगा ही नहीं, उसको लेकर समाज में भ्रम फैलाया जाता है। कृषि सुधारों के मामले में भी यही हो रहा है। ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है।
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