बांग्लादेशी मुसलमान दिल्ली पर कब्जा करें ; ‘इस देश को काफिरों से मुक्त कराना होगा…’ : रफीकुल इस्लाम मदनी, बांग्लादेशी इस्लामी उपदेशक

                                      रफीकुल इस्लाम मदनी (साभार: Dhaka Tribune)
भारत में नागरिकता संशोधक कानून के विरोध में पाकिस्तानियों, बांग्लादेशियों और रोहिंग्यों को बचाने जगह-जगह बने शाहीन बागों का समर्थन कर रहे समस्त गैर-मुस्लिमों को अब अपनी नींद से जागना होगा। समस्त देशप्रेमी नागरिकों को उन सभी नेताओं और उन सभी पार्टियों को पाताल का रास्ता दिखाना होगा, जो विरोध धरने और प्रदर्शनों में Fuck Hindutva का नारा लगाने वालों का समर्थन कर रहे थे, घुसपैठियों के आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड बनवाकर अपनी कुर्सी की खातिर देश को पुनः गुलामी की कगार पर ले जा रहे थे। इन आपत्तिजनक नारों की असलियत बांग्लादेश में रफीकुल इस्लाम की गिरफ़्तारी से सामने आ गयी है। 

बांग्लादेश के कट्टरपंथी इस्लामी उपदेशक रफीकुल इस्लाम मदनी को रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) ने हाल ही में गिरफ्तार किया है। इस्लाम के नाम पर दूसरों को उकसाने वाले मदनी के मोबाइल से एडल्ट कंटेंट मिले हैं। RAB ने इसकी जानकारी देते हुए उसे ‘फ्रॉड’ उपदेशक बताया है।

उसकी गिरफ्तारी 12 मार्च को जन्नत टीवी 24 पर अपलोड किए गए एक वीडियो को लेकर हुई है। इसमें वह अपने अनुयायियों को अल्लाह के नियमों का पालन करने के नाम पर संविधान तथा कानून की अवहेलना करने के लिए उकसाता दिखा था।

रैपिड एक्शन बटालियन के निदेशक (कानून एवं मीडिया) कमांडर खानडाकेर अल मोइन ने बताया कि मदनी को उत्तरी बांग्लादेश के नेत्रकोना जिले में उसके पैतृक घर से पकड़ा गया। वह अपने आठ भाई-बहनों में सबसे छोटा है। गरीब परिवार से आने वाला मदनी अब दो मदरसों का निदेशक है।

एक महीने से भी कम समय में यह दूसरी बार है जब मदनी को गिरफ्तार किया गया है। उसे मोदी की यात्रा का विरोध करने के लिए ढाका में 30 अन्य लोगों को 25 मार्च को गिरफ्तार किया था। उस समय मदनी को कुछ घंटों बाद ही रिहा कर दिया गया था।

वीडियो में उसने कहा था, “अल्लाह के मुल्क में प्रशासनिक आदेश नहीं हो सकते। यही कारण है कि मैं किसी भी आदेश का पालन नहीं करता हूँ। मेरी डिक्शनरी या संविधान किसी भी प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या सांसद को मान्यता नहीं देती अगर वे इस्लाम के खिलाफ जाते हैं तो… आप क्या करेंगे?”

वह आगे कहता है, “आप इसके लिए मुझे मार सकते हैं, कैद कर सकते हैं या मुझे फाँसी भी दे सकते हैं। आप (प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का जिक्र करते हुए) वही करें जो आपका कानून या संविधान कहता है और मैं वही करूँगा जो मेरे अल्लाह कहते हैं। मैं राष्ट्रपति का सम्मान तभी करूँगा जब वह अल्लाह और इस्लाम का सम्मान करेंगे।”

कथित इस्लामी उपदेशक ने शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी को धमकी देते हुए कहा, “यह जान लें कि अगर आप (हम पर) पत्थर फेंकते हैं, तो आप पर ईंटें फेंकी जाएँगी। यदि आप इससे नहीं सीखते हैं, तो आप खुद को एक खतरनाक स्थिति में पाएँगे। हम आपके खिलाफ नहीं हैं। हमारी फोल्ड में लौट आओ।”

7 अप्रैल को जन्नत टीवी 24 पर अपलोड एक अन्य वीडियो में रफीकुल इस्लाम मदनी को मुसलमानों को इस्लाम के लिए मरने के लिए उकसाते हुए देखा गया था। उसने कहा था, “हमें इस देश और इस्लाम को, माफिया सरकार और काफिरों के हाथों से मुक्त कराना होगा… सभी इस्लामी संस्थानों के लिए एक मजहबी प्रमुख होना चाहिए। उनके निर्देशों के तहत, हम सरकारी तंत्र को पंगु बना देंगे और इस देश को माफियाओं के हाथों से मुक्त करेंगे। यदि आवश्यक हो, तो हम सेना को शक्ति प्रदान करेंगे।”

इसके अलावा, उसने अपने अनुयायियों को यह आरोप लगाकर भड़काया कि अवामी लीग का छात्रसंघ उन्हें और ऐसे अन्य प्रचारकों को मार देगा। रफीकुल इस्लाम मदनी ने कहा कि सभी विद्रोही मौलवी बांग्लादेश की खुफिया एजेंसियों की निगरानी में हैं। उसने कहा, “आज, मैं जिहाद नहीं कर सकता। वे मुझे प्रताड़ित कर सकते हैं, सड़क पर हमला कर सकते हैं या मुझे मार सकते हैं। मैं व्यर्थ में मरना नहीं चाहता।”

उसने सवालिया लहजे में अपनी बात बताते हुए पूछा, “मैं अल्लाह के आह्वान पर सही कारण के लिए शहीद होना चाहता हूँ। मैं बेवजह मरना नहीं चाहता। इसलिए मैं सुरक्षित रहने की कोशिश करता हूँ। हालाँकि हम मरना चाहते हैं, लेकिन ऐसा करने के लिए कोई प्लेटफॉर्म नहीं है। हम मरना चाहते हैं। हम अपन जीवन शहीद करना चाहते हैं। इस देश में (इस्लाम के लिए) लाखों लोग मरने को तैयार हैं। तुम किससे डरते हो?”

बांग्लादेशी मुसलमान दिल्ली पर कब्जा करें

पीएम मोदी की हालिया बांग्लादेश यात्रा का विरोध करते हुए रफीकुल इस्लाम मदनी ने एक वीडियो संदेश जारी किया था। उसने चेतावनी देते हुए कहा था, “हम बांग्लादेश की धरती पर मोदी को कदम नहीं रखने देंगे। हमारे सभी उलेमा कल इसे साबित कर देंगे।” शेख मुजीबुर रहमान का हवाला देते हुए, उसने धमकी दी कि 18 करोड़ बांग्लादेशी मुसलमान शक्तिशाली हैं या मोदी… यह उनकी यात्रा के दौरान साबित हो जाएगा।
उसने मुसलमानों को उकसाते हुए कहा, “अगर भारत में अल्लामा मदनी की संतान हमें दिल्ली पर कब्जा करने के लिए बुलाती है, तो, हम जाएँगे और करेंगे। दुनिया की कोई भी ताकत हमें रोक नहीं सकती। कोई भी शक्ति या बाड़ हमें रोक नहीं सकती। मुसलमानों के लिए हमारा प्यार इतना मजबूत है कि हम दिल्ली तक एक लंबा मार्च करेंगे। मुसलमानों को अल्लाह और साथी मुसलमानों से प्यार है। अपने इमान को मजबूत रखें। युद्ध के मैदान में जाओ। यदि आप मर जाते हैं, तो शहीद हो जाएँगे।”
उसने कहा था, “आप विश्वास नहीं कर सकते कि बांग्लादेश सरकार अब अपनी शर्तों पर काम नहीं कर रही है। यह हिंदुत्व और मोदी के इशारे पर चल रहा है। मोदी जो भी चाहते हैं, इस देश में होता है। अवामी लीग, चतरा लीग और शेख हसीना के मामले में ऐसा ही है। आज, सभी मंदिरों को उन्नत किया जा रहा है और यहाँ की मस्जिदें मर रही हैं। इसका मतलब है कि जो भी मोदी के खिलाफ बोलेगा उसे यातनाएँ दी जाएँगी और जेल में बंद किया जाएगा। लॉकडाउन के नाम पर वे मस्जिदों और मदरसों को बंद करवाएँगे। हम कुछ भी नहीं मानेंगे… हम चाहते हैं कि यह देश एक सच्चा इस्लामी गणराज्य हो।”

कौन है रफीकुल इस्लाम मदनी

मदनी की उम्र 26 साल है। पर वह ‘शिशु वक्ता (shishu bokta)’ के नाम से जाना जाता है। वजह उसकी हाइट है। भले ही वह 3 फीट 4 इंच का ही हो, लेकिन जहर जमकर उगलता है। सरकार, प्रधानमंत्री, मंत्रियों और नामचीन लोगों के खिलाफ देशभर में घूम-घूमकर जहर उगल उसने पहचान बनाई है। बांग्लादेश में इस्लामी शासन की वह पैरोकारी करता है। वह कट्टरपंथी संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम (Hefazat-e-Islam) से जुड़ा है। मोदी की यात्रा के विरोध में बांग्लादेश में हुई हिंसा के लिए यही संगठन जिम्मेदार था।
जानकारी के मुताबिक रफीकुल के पिता और भाई खेती करते हैं और आजीविका के लिए रफीकुल की कमाई पर निर्भर हैं। रफीकुल अब नेत्रोकोना और गाजीपुर में दो मदरसों का संचालन कर रहा है। 1995 में जन्मे रफीकुल ने अपनी पढ़ाई की शुरुआत एक स्थानीय प्राथमिक विद्यालय से की और बाद में जामिया हुसैनिया मालनी मदरसा में दाखिला लिया। तीन साल तक वहाँ अध्ययन करने के बाद, वह गाजीपुर के एक मदरसे में शिफ्ट हो गया। बाद में, 2019 में, उन्होंने ढाका के जामिया मदनी मदरसा में अपनी दावरा-ए-हदीस की डिग्री पूरी की।
उसके हमनाम और पूर्व मदरसा साथी रफीकुल इस्लाम ने ढाका ट्रिब्यून को बताया, “मैं हिफाज़त-ए-इस्लाम के पूर्व महासचिव नूर हुसैन कासेमी के करीब था। मैं भी नेत्रोकोना से आता हूँ और मैं ही रफीकुल को बारिधारा के मदरसे में लाया था, जिसकी स्थापना नूर हुसैन कासेमी ने की थी।”
‘उपदेशक’ को मिलने वाले पैसे को लेकर रफीकुल ने कहा, “यह तय नहीं है। जहाँ तक मुझे पता है, यह 2,000 से 50,000 टका तक है। यह उन लोगों पर निर्भर करता है जो उसे (बोलने के लिए) आमंत्रित करते हैं।”
मदनी टाइटल के बारे में रफ़ीकुल ने बताया, “उसे मदनी मदरसे से अपनी दावरा-ए-हदीस की डिग्री मिली। यही वजह है कि कुछ लोग उसे मदनी कहते हैं। उन्हें हाल ही में उसे इस टाइटल का उपयोग बंद करने के लिए एक कानूनी नोटिस दिया गया था, क्योंकि वह सऊदी अरब में इस्लामिक विश्वविद्यालय मदीना से स्नातक नहीं था। जहाँ तक मुझे जानकारी है, रफीकुल ने खुद मदनी की उपाधि का इस्तेमाल नहीं किया। वह अपनी हाइट के लिए ‘शिशु वक्ता’ के रूप में जाना जाता है, भले ही वह 26 साल का है।”
सऊदी अरब से फंडिंग होती है हिफाजत-ए-इस्लाम को 
पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के इशारे पर काम करने वाले हिफाजत-ए-इस्लाम को अपनी गतिविधि जारी रखने के लिए सऊदी अरब से काफी फंडिंग मिलती है। 2010 में इस कट्टरपंथी इस्लामी संगठन को बनाया गया था। इसे बनाने में बांग्लादेश के मदरसों के उलेमा और छात्रों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस संगठन पर आरोप लगते रहे हैं कि इनका संबंध जमात-ए-इस्लामी और तालिबान जैसे आतंकी संगठनों से हैं। हालाँकि, हिफाजत इन आरोपों को खारिज करता रहा है।

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