किनकी लापरवाही की वजह से आज पूरा देश कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है?

कोरोना की दूसरी लहर से पूरा देश जूझ रहा है। कहीं ऑक्‍सीजन की कमी है तो कहीं मरीजों के लिए अस्‍पतालों में बेड कम पड़ने लगे हैं। हर दिन कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्‍या रिकॉर्ड तोड़ रही है और देश की स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं पर भारी दबाव पड़ रहा है, जिससे अफरा-तफरी दिखाई दे रही है। ऐसे में हालात ने सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर ऐसा क्‍या हुआ कि कोरोना ने इतना खतरनाक रूप धारण कर लिया और पिछले साल से भी इस साल की स्थिति ज्‍यादा खराब हो गई।

जब पिछले कुछ महीनों पर नजर डालते हैं तो पता चलता है कि कोरोना संक्रमण के मामले कम आने से कई राज्‍यों ने मान लिया था कि अब कोरोना जा चुका है। कोरोना के मरीज न होने के कारण राज्‍य सरकारों ने जो कोविड सेंटर पिछली बार तैयार किए थे उसे बंद कर दिया। वहां लगे वेंटिलेटर और मशीनों को पैक कर दिया गया। जब जनवरी में वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई तो इसको कोरोना पर अंतिम प्रहार माना गया। लेकिन इसके साथ ही शुरू हुई लापरवाही और सियासत।

भारत में समस्या यह है कि यहां हर कानून और बीमारी को धर्म/मजहब के चश्मे से देखने की छद्दम धर्म-निरपेक्षों की गन्दी आदत जनता को मुसीबत में डालती आयी है। कोरोना महामारी से निजात मिली भी नहीं थी, कि मोदी विरोधियों ने कृषि कानून की आड़ में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के नाम पर फसल आढ़तियों का जमावड़ा लगवा दिया, जिसे ख़त्म करने का इन लोगों ने आज तक साहस नहीं किया। क्यों? हर आने वाले चुनावों में जनता को चाहिए कि इस जमावड़े को समर्थन देने वाले समस्त मोदी विरोधियों से पूछे कि अगर कृषि कानून किसान विरोधी थे, फिर किस आधार पर दिल्ली के 'विज्ञापनजीवी' मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने सबसे पहले लागु कर क्यों यू-टर्न लेकर आंदोलन के समर्थन में उतर आए? दूसरे, किस आधार पर हर पार्टी ने अपने-अपने घोषणा-पत्रों में इन कानूनों को लाने की बात कही? तीसरे, जब आन्दोलनजीवियों को कोरोना टेस्ट करवाने के लिए बोलने पर क्यों नहीं टेस्ट करवाया?

5 राज्यों में हुई चुनावी रैलियों में कोरोना नियमों की सभी पार्टियों ने अवहेलना की। बंगाल में मोदी विरोधियों को दिख रही हार के कारण भाजपा को ही नियमों को तोड़ने के आरोपित किया जा रहा है, क्यों? मेरे विचार से अगर बंगाल में भाजपा 100 का आंकड़ा भी छू लेती है, तब भी भाजपा की जीत है, क्योकि 3 सीटों से 100+ बहुत बड़ी बात है। 

फिर दिल्ली में बढ़ रहे मरीजों की संख्या छुपाने के लिए 'विज्ञापनजीवी' केजरीवाल ने मीडिया को अपनी मुठ्ठी में कर लिया। जिस कारण किसी मीडिया ने केजरीवाल और आम आदमी पार्टी से यह नहीं किया कि ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए मिले धन का दुरूपयोग क्यों किया? क्यों नहीं ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए?  

दिल्ली में लापरवाही किसने की?

  पीएम मोदी              अरविंद केजरीवाल
आने वाले कोरोना वेब के लिए चेताया

कोरोना को नियंत्रित करने के लिए टीम भेज रहे थे

ऑक्सीजन और दवाइयों की कमी को पूरा करने पर जोर दे रहे थे

Track, Test और Treat पर जोर दे रहे थे

केजरीवाल ने कहा कि चौथा वेब खतरनाक नहीं है

किसान आंदोलन को बल दिया

कोरोना का यूके स्ट्रेन पंजाब से दिल्ली पहुंचाया

ऑक्सीजन टैंकर और दवाइयों पर राजनीति कर रहे थे

कांग्रेस शासित राज्यों ने वैक्सीन को लेकर सियासत शुरू की। केंद्र सरकार पर हमले होने लगे। जहां महाराष्ट्र की उद्धव सरकार वसूली और अन्य मामलों पर ध्यान देने लगी, तो वहीं दिल्ली की केजरीवाल  सरकार को पंजाब और उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव नजर आने लगा। इस सियासी बिसात पर किसान नेताओं को आगे किया गया और दिल्ली को बंधक बना लिया गया। कृषि कानूनों के विऱोध के नाम पर सियासत को प्राथमिकता दी गई और  कोरोना को नजरअंदाज किया जाने लगा। इसका नतीजा हुआ कि कोरोना ने विकराल रूप में फिर वापसी की।

दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है, तो मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है। यहां की गतिविधियों का असर पूरे देश पर पड़ता है। कोरोना की दूसरी लहर ने सबसे पहले इन दो शहरों को अपने आगोश में लिया। इसके बाद छत्तीसगढ़ में हालत बिगड़ने लगे। राजस्थान और अन्य राज्यों में भी कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने लगे। 1 अप्रैल, 2021 के बाद से इतनी तेजी से संक्रमण हुआ कि पूरे देश में हाहाकर मच गया। लेकिन कांग्रेस शासित महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हालात काफी बिगड़ गए। पूरे देश के कोरोना संक्रमण के कुल मामलों में आधे से अधिक कांग्रेस शासित पांच राज्यों में है। आइए अब जानते हैं कि दिल्ली और कांग्रेस शासित राज्यों ने कोरोना को इतना विकराल रूप धारण करने में कैसे मदद की और किनकी लापरवाही आज जनता पर भारी पड़ रही है।

महाराष्ट्र में लापरवाही किसने की ?

पीएम मोदी              उद्धव ठाकरे
चिट्ठी लिखकर और मिटिंग करके राज्य सरकार को चेताया

सबसे ज्यादा वैक्सीन महाराष्ट्र को दिया

सबसे ज्यादा ऑक्सीजन महाराष्ट्र को दिया

सबसे ज्यादा रेमडेसिविर महाराष्ट्र को दी

कंगना और अर्नब से बदला ले रहे थे

ये कोरोना-कोरोना क्या है कह रहे थे

100 करोड़ की वसूली करवा रहे थे

फ्री वैक्सीन का श्रेय लेने के लिए आपस में लड़ रहे हैं

छत्तीसगढ़ में लापरवाही किसने की?

    पीएम मोदी              भूपेश बघेल
देश भर में वैक्सीन अभियान चला रहे थे

वेंटिलेटर्स और दवाइयों का इंतजाम कर रहे थे

हर जिले में PSA ऑक्सीजन प्लांट लगा रहे हैं

80 करोड़ लोगों के लिए मुफ्त अन्न की व्यवस्था कर रहे थे

लोगों के बीच वैक्सीन पर भ्रम फैला रहे थे

प्रधानमंत्री की मीटिंग से गायब थे

असम के विधायकों और प्रत्याशियों के साथ पार्टी कर रहे थे

लाशों में कीड़े लग रहे थे, वो चुनाव प्रचार में व्यस्त थे

राजस्थान में लापरवाही किसने की?

पीएम मोदी              अशोक गहलोत
सबसे ज्यादा वैक्सीन प्राप्त करने वाले राज्यों में से एक है राजस्थान

265 मीट्रिक टन ऑक्सीजन प्रति दिन उपलब्ध करा रहे है

50,000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन के लिए ग्लोबल टेंडर दे रहे थे

ऑक्सीजन के औद्योगिक इस्तेमाल पर रोक और दाम निर्धारित कर रहे थे

वैक्सीन की कमी का झूठा रोना रो रहे थे

जिनके स्वास्थ्य मंत्री सलमान खान के बॉडीगार्ड शेरा से गप लड़ा रहे थे

2000 कॉन्सेंट्रेटर का टेंडर रद्द कर रहे थे

लचर प्रशासन की वजह से वैक्सीन ही चोरी हो गई

मोदी सरकार ने कोविड-19 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर अपना पक्ष रखा है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सरकार ने 200 पेज का हलफनामा दायर किया है। जिसमें कहा गया है कि ऑक्सीजन की कमी से निपटने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय 162 संयंत्र लगाने की प्रक्रिया में है। सरकार ने ऑक्सीजन को जुटाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। हलफनामे में कुछ प्रदेशों में ऑक्सीजन की मांग और उत्पादन की स्थिति का भी जिक्र किया है।

कोविड महामारी के दौरान जनता को हुई परेशानियां को हल्के में लेने के आरोप को केंद्र ने नकार दिया है। सरकार ने कहा कि मुश्किलें दूर करने और जान के नुकसान को कम करने के लिए त्वरित, ठोस और समग्र कदम उठाए जा रहे हैं। संक्रमण के अप्रत्याशित केस के बावजूद युद्ध स्तर पर इससे निपटने के लिए तमाम प्रयत्न किए जा रहे हैं।

मोदी सरकार ने महामारी के मामले में जरूरी चीजों से लैस करने के लिए पेशेवर तरीके से कदम उठाए हैं। महामारी की दूसरी लहर के नागरिकों की दिक्कतों और कष्टों को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। केंद्र ने कहा, रेमडेसिविर की मांग बढ़ने पर सेंट्रल औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने सात मैन्यूफैक्चर्स की 22 मैन्यूफैक्चरिंग साइट को अनुमति दी। साथ ही 12 अप्रैल को तत्काल अतिरिक्त मैन्यूफैक्चरिंग साइट को मंजूरी दी है। सरकार ने कहा कि हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।

अवलोकन करें:-

कोरोना दूसरी लहर वायरस क्या भारत को कमजोर करने कोई आंतरिक व बाह्य षड़यंत्र है?

NIGAMRAJENDRA.BLOGSPOT.COM
कोरोना दूसरी लहर वायरस क्या भारत को कमजोर करने कोई आंतरिक व बाह्य षड़यंत्र है?

देखिए मोदी सरकार ऑक्सीजन के लिए क्या कर रही है?

  • 7 अप्रैल, 2020 को मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए 24 घंटे में लाइसेंस देने का इंतजाम किया।
  • अप्रैल-मई 2020 में 1,02,400 ऑक्सीजन सिलेंडर राज्यों को दिए गए।
  • 20 सितंबर, 2020 को लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के दाम निर्धारित किए गए।
  • 5 जनवरी, 2021 को 162 PSA प्लांट लगाने के लिए 201 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
  • 16 अप्रैल, 2021 को 50, 000 एमटी ऑक्सीजन के लिए ग्लोबल टेंडर दिए गए।
  • 18 अप्रैल, 2021 को ऑक्सीजन के औद्योगिक इस्तेमाल पर रोक लगाई गई और ग्रीन कॉरिडोर बनाकर ऑक्सीजन एक्सप्रेस की शुरुआत की गई।
  • 22 अप्रैल, 2021 को ‘ऑपरेशन ऑक्सीजन’ की शुरुआत की गई।
  • 25 अप्रैल, 2021 को हर जिले में ऑक्सीजन प्लांट लगाने का फैसला लिया गया। 

No comments: