सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत किशोर को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का ‘प्रधान सलाहकार’ नियुक्त किए जाने के विरोध में दायर याचिका को लेकर मई 6, 2021 को पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया। याचिका में प्रशांत किशोर की नियुक्ति और उन्हें सरकारी खजाने से वेतन तथा सुविधाएँ दिए जाने पर आपत्ति जताई गई है।
कुछ समय पहले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को अपने प्रमुख सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया था। पंजाब सरकार की ओर से जारी आदेश में बताया गया था कि प्रशांत किशोर अपनी सैलरी के तौर पर सिर्फ एक रुपया लेंगे। इसके अलावा उन्हें प्राइवेट सेक्रेटरी, पर्सनल असिस्टेंट, डाटा एंट्री ऑपरेटर, एक क्लर्क और दो चपरासी दिए जाएँगे। किशोर को राज्य ट्रांसपोर्ट कमिश्नर की ओर से वाहन मुहैया कराया जाएगा और उनके आतिथ्य के लिए प्रति माह 5000 रुपए खर्च किए जाएँगे।
कुछ दिन पहले इसी याचिका को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने ये कहते हुए खारिज कर दिया था कि सीएम को पूरा अधिकार है कि वे जिसे चाहें उसे अपना सलाहकार चुने। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनाई जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच ने की। पंजाब सरकार समेत सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब माँगा गया है। याचिकाकर्ता के वकील ने अपनी दलील में कहा कि पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने उनके केस में तथ्यों को ठीक से नहीं सुना और उनकी याचिका खारिज कर दी गई।
इस केस में लभ सिंह और सतिंदर सिंह ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में प्रशांत किशोर की प्रधान सलाहकार पद पर नियुक्ति को निरस्त करने की अपील की गई थी।
अपनी याचिका में याचिकाकर्ताओं ने अनुच्छेद 16(1) का हवाला देते हुए कहा था कि राज्य सरकार के कार्यालय में कोई भी अपॉइंटमेंट, इससे (अनुच्छेद में निहित प्रावधानों) अलग नहीं हो सकता। इस आर्टिकल में हर नागरिक को रोजगार में अवसर की समानता और नियुक्ति का अधिकार है। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि राज्य सरकार के लिए ये जरूरी है कि वो ऐसी नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन निकाले, क्योंकि याचिकार्ता समेत भारी तादाद में पढ़े-लिखे समझदार लोग राज्य में बैठे हैं।
याचिका में ये भी कहा गया था कि किशोर की नियुक्ति मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार पद पर होगी। इस तरह उन्हें कैबिनेट मंत्री का पद मिल जाएगा। उन्हें वेतन और अन्य सुविधाएँ राज्य के खजाने से दिया जाएगा।
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