जीत से ‘बेकाबू’ हुए TMC के गुंडे : ‘संघियों के सिर से खून निकलना चाहिए… बाहरी, हिंदी बोलने वाले कमीनों’

वैसे दिल बहलाने को ख्याल अच्छा है कि भाजपा 3 से 78 सीटें लेकर प्रमुख विपक्ष बन गयी, जबकि भाजपा की आज वाली स्थिति पिछले चुनाव में होती और आज बंगाल की सत्ता संभाले होती। बशर्ते ममता बनर्जी के सत्ता के पहले चरण से ही हिन्दू घरों और मंदिरों पर होते हमलों को गंभीरता से लिया होता। लेकिन उस समय कांग्रेस और वामपंथ को सत्ता से दूर करने के लिए ममता को गुप्त समर्थन जारी रखा, इस सच्चाई से भाजपा मुंह नहीं मोड़ सकती। आज इन्हीं पार्टियों ने भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए तृणमूल को गुप्त समर्थन दिया। यही स्थिति दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी चुनावों में भी देखने को मिल सकता है, बंगाल तो एक ट्रायल था, पूरा शो होना अभी बाकि है। भाजपा विरोधी अपनी तुष्टिकरण नीति पर चल रहे हैं, जबकि भाजपा खुलकर अपनी राष्ट्रीयता वाली भूमिका खुलकर खेलने में असमर्थ है। अब जिस तरह बंगाल में हिन्दुओं को धमकियां मिलनी शुरू हो चुकी हैं, उनका मुंह तोड़ जवाब देना होगा।   
पश्चिम बंगाल में 2 मई 2021 को शुरुआती रुझानों में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के जीतने की खबरें आते ही तृणमूल कार्यकर्ताओं और कट्टर मुस्लिमों ने बीजेपी समर्थकों के खिलाफ नफरत का जहर उगलना और खून की होली खेलने जैसी धमकियाँ देना शुरू कर दिया।

नफरत फैलाने वाले गैंग के शुरुआती ट्वीट्स में ही बीजेपी समर्थकों के खिलाफ जमकर जहर उगला गया और इन लोगों ने बीजेपी समर्थकों के खिलाफ लोगों को उकसाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। जुल्फिकार अली ने जोर देकर कहा, “पश्चिम बंगाल ने खुद को संघी वायरस के खिलाफ टीका लगाया।”

कोरोना वायरस द्वारा मानवता के लिए पैदा किए गए खतरे के बीच इस असंवेदनशील ट्वीट ने वायरस और बीजेपी समर्थकों के बीच समानताएँ खींचने की कोशिश की।

एक और ट्विटर यूजर ने बीजेपी समर्थकों के खिलाफ अपशब्द का इस्तेमाल किया और गाली को अंग्रेजी में तोड़-मरोड़ कर पेश किया और कहा कि 6 बजने में कितना समय है, क्योंकि उन्हें पता है कि तब तक चुनाव नतीजे आ जाएँगे।

राजनीति में प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ अपमानजनक ट्वीट करना अब नई बात नहीं है, लेकिन इस्लामी कट्टरपंथी और टीएमसी समर्थक इस मामले और भी नीचे गिर गए। वे ‘संघियों’ को हिंसा, हत्या, और गंभीर शारीरिक नुकसान पहुँचाने की धमकी देने लगे।

इस्लामी कट्टरपंथी फहमी रियाज ने कहा, ”टीएमसी की जीत के बाद संघियों का इलाज होते देखना पसंद करूँगा। उनके सिर से खून निकलना चाहिए।”

एक और ट्विटर यूजर ने हाथ में चाकू लिए एक आदमी की तस्वीर शेयर की और लिखा, ”ममता की जीत के बाद बीजेपी कार्यकर्ता।” इस तस्वीर के जरिए वह ये कहने की कोशिश कर रहा था कि तृणमूल कॉन्ग्रेस की सत्ता में वापसी के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं को चाकुओं से निर्दयता से गोदा जाएगा।

Despacito नाम के एक इंस्टाग्राम अकाउंट ने भी ”हिंदी बोलने वालों को धमकाते हुए कहा, “तुम लोग बहुत बहादुर बन गए हो। ममता की जीत के बाद रुको और इंतजार करो तुम ‘बाहरी, हिंदी बोलने वाले कमीनों।”

वहीं एक यूजर ने लिखा कि देखो हम 30 करोड़ होकर भी कैसे अपनी सरकार बनाते हैं और तुम 100 करोड़ होकर भी कुछ नहीं कर पाते हो?

रुझानों में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी की भारी-भरकम जीत के बाद कथित तौर पर पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कोलकाता में हेस्टिंग्स में बीजेपी ऑफिस का घेराव किया। टीएमसी की जीत के बाद अब बीजेपी समर्थकों और जिन्होंने इस पार्टी के लिए वोट किया उनके मन में टीएमसी और उनके कार्यकर्ताओं का गुस्सा झेलने का डर है।

पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की जीत अभी आधिकारिक तौर पर घोषित भी नहीं हुई कि अभी से वहाँ हिंसा की तस्वीरें सामने आने लगीं। सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आई है, जिसमें भाजपा का कार्यालय जलता नजर आ रहा है।

टीएमसी कार्यकर्ताओं का जश्न आसनसोल में भी दिखा। जब चुनाव आयोग और अधिकारियों ने पुलिस को चुनाव नतीजों के बाद पार्टियों द्वारा जुलूस निकालने या जश्न न मनाने का निर्देश दिया था। बंगाल पुलिस को राज्य में बढ़ते कोविड मामलों के बीच टीएमसी कार्यकर्ताओं को जश्न न मनाने का निर्देश देते देखा गया। लेकिन बंगाल पुलिस के निर्देशों से बेपरवाह टीएमसी कार्यकर्ताओं को पुलिस के बगल में पटाखे फोड़ते देखा गया।

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