(नोएडा से प्रकाशित एक राष्ट्रवादी समाचार-पत्र)
एक कहावत है कि छाज बोले सो बोले, छलनी बोले जिसमें 72 छेद। यह कहावत उत्तरप्रदेश की राजनीति में जातिवादी और साम्प्रदायिक तड़का लगाने वाले लाल टोपिधारियों पर बिल्कुल फिट बैठती है।
आज वह लोग योगी सरकार को कानून व्यवस्था सुधारने की सीख दे रहे हैं जिनके ख़ुद के शासनकाल में खुलेआम कानून की धज्जियां उड़ाई गईं।
अखिलेश के कार्यकाल में हिन्दू पूजा पद्द्ति पर कुठाराघात हुए, चौरासी कोसी परिक्रमा पर आघात हुए, मुज़फ्फरनगर हिन्दू विरोधी दंगे, महिलाओं का बलात्कार, गुंडागर्दी, लूटपाट आदि आदि। इतना ही नहीं, इनके पिता मुलायम सिंह के कार्यकाल में निहत्ते राम भक्तों पर गोलियां चलवा दीं। लेकिन आज जब वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन सब कुकर्मों को समाप्त कर रहे हैं, समाजवादी पार्टी को बर्दाश्त नहीं हो रहा।
योगी को अखिलेश यादव की नींद और रोटी हराम करने के लिए मुज़फ्फर नगर दंगों की फाइल खोल कार्यवाही करनी चाहिए।
अखिलेश से पूछो कि जब इस नगर अध्यक्ष द्वारा एक दलित के मुंह में पेशाब करने पर क्या कार्यवाही की थी?
उत्तरप्रदेश के इटावा के सैफई महोत्सव में समाजवादी पार्टी के संस्थापक माननीय मुलायम सिंह यादव के भाई और दिग्गज नेता रामगोपाल यादव ने अखिलेश सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था-चुनावी एजेंडे में हमने ग़रीब जनता से वायदा किया था कि ग़रीब सर उठाकर चलेंगे और अपराधी सर झुकाकर चलेंगे। लेकिन हमारी सरकार के नेताओं के संरक्षण में अपराधी सर उठाकर चल रहे हैं। उन्होंने कहा था कि अधिकारियों को काम नहीं करने दिया जा रहा है। इसलिए मुख्यमंत्री जी गुंडागर्दी बन्द कराइये, वरना हमारी सत्ता दोबारा नहीं आने वाली।"
2012 में यूपी में संभल के भीम नगर में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार की जीत के बाद निकाले गए जुलूस में गोली चलने से एक नौ साल के बच्चे की मौत हो गई थी। जुलूस को देखने के लिए जमा हुई भीड़ में यह बच्चा भी शामिल था। चश्मदीदों के मुताबिक जीत के नशे में चूर समाजवादी कार्यकर्ता जुलूस के दौरान हवा में गोलियां चला रहे थे। अचानक एक गोली एक बच्चे को लगी और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। बच्चा पास में ही एक फैक्टरी में काम करने वाले मजदूर का बेटा था।
अपराध और भयमुक्त प्रदेश का दावा करने वाली सपा सरकार की पोल एनसीआरबी ने खोल दी। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक साल 2012-13 में रेप के मामलों में 55 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है। साल 2012 में 5,676 दंगों के मामले दर्ज किए गए, साल 2013 में यह आंकड़ा बढ़कर 6089 हो गया।
दिल्ली - कानपुर हाईवे ( एनएच-91) पर मां-बेटी गैंगरेप हुआ। जिसमें एक पूरे परिवार को बंधक बनाकर लूटपाट की गई और परिवार की दो महिलाओं जो कि रिश्ते में माँ-बेटी थीं, के साथ कई लोगों ने बलात्कार किया। हैवानियत का यह नँगा नाच 4 घण्टे तक चलता रहा।
2012 में यूपी में कुल 227 दंगे हुए. 2013 में 247. 2014 में 242. 2015 में 219. 2016 में भी 100 के ऊपर हो चुके थे. (स्रोत-लल्लन टॉप.कॉम)
मुजफ्फरनगर दंगों में बड़ी जनधन हानि हुई थी। हजारों लोग बेघर हो गए थे, जब यह लोग शिविरों में ठिठुर रहे थे तब अखिलेश यादव सैफई में सलमान खान के ठुमके देख रहे थे।
रामवृक्ष यादव द्वारा 280 एकड़ सरकारी जमीन पर किये गए अतिक्रमण को हटाने गई पुलिस टीम पर हमला हो गया. एसपी और एसएचओ मारे गये. 23 पुलिसवाले अस्पताल में भर्ती हुए. जवाहर पार्क में रामवृक्ष यादव ने कब्जा जमा रखा था. पूरी सेना बना रखी थी. पुलिस के साथ लड़ाई चली. कुल 24 लोग मारे गये. चारों ओर से खुसुर-फुसुर होने लगी कि रामवृक्ष को सपा नेताओं का आशीर्वाद प्राप्त था. क्योंकि बिना उसके इतनी बड़ी घटना नहीं हो सकती. सवाल ये है कि सरकार क्या कर रही थी इतने दिन तक. किसने उसे प्रश्रय दिया था. क्या सरकार अनजान थी. तब तो ये और ज्यादा खतरनाक हो जाएगा. क्या अखिलेश को इसके बारे में पता नहीं था?
बदायूं में दो नाबालिग लड़कियों के साथ रेप किया गया और उनकी लाश को पेड़ पर लटका दिया गया था। इस नृशंस कांड में तत्कालीन सपा सांसद के कुछ करीबियों का नाम सामने आया था।
शाहजहांपुर के पत्रकार जगेंद्र सिंह को जिंदा जलाया गया. इसमें भी सपा के एक मंत्री का नाम आया. क्या वो मंत्री अभी जेल में है? नहीं. ये मामला ही पता नहीं कहां चला गया. जबकि मरते हुए जगेंद्र ने बयान दिया था कि मंत्री राममूर्ति वर्मा की शह पर पुलिस ने जलाया था. इस बयान को आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने ही रिकॉर्ड किया था. राममूर्ति स्टेट बैकवर्ड क्लासेज मिनिस्टर थे. इस मामले की गवाह थी एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता. और विडंबना ये है कि उसी औरत ने मूर्ति और उनके लोगों पर रेप का इल्जाम लगाया था. जगेंद्र ने इसी औरत के लिए लड़ाई लड़ी थी.
यह घटनाएं तो केवल बानगी भर हैं, सपा सरकार के पांच वर्षों का लेखाजोखा तो इससे कई गुना अधिक है। मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद जैसे माफिया और गुंडों को संरक्षण देने वाली सपा सरकार 2012 में जब जीत कर आई थी, तो उसके निरंकुश कार्यकर्ताओ ने कई जगहों पर हिंसा की थी। मीडिया स्रोतों की माने तो कई जगहों पर तो थाने भी फूंक दिए गए थे।
अवलोकन करें:-
आज वही समाजवादी पार्टी प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति पर प्रवचन कर रही है। इसे कहते हैं छाज बोले सो बोले, छलनी बोले जिसमें 72 छेद।




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