![]() |
| प्रतीकात्मक |
पाकिस्तानी रिपोर्ट के अनुसार, लाहौर की डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन कोर्ट ने सितंबर 27, 2021 को निश्तर कॉलोनी के एक प्राइवेट स्कूल की हेडमास्टर सलमा तनवीर को मौत की सजा सुनाई। कोर्ट ने उस पर 50,000 पाकिस्तानी रुपए का जुर्माना भी लगाया।
एक स्थानीय मस्जिद के नमाजी नेता कारी इफ्तिखार अहमद रजा की शिकायत पर निश्तर कॉलोनी पुलिस ने महिला के खिलाफ 2 सितंबर 2013 को प्राथमिकी दर्ज की थी।
This is what hppning in Pakistan Rn And they talk about Human Rights violations blody hypocrites beghart qoum.
— 🇮🇳𝕾𝖆𝖉𝖎𝖞𝖆 سعدیہ (No dm strictly) (@sadiyakk12) September 28, 2021
Death penalty for blasphemy...https://t.co/Bgr8hSmmzu
मौलाना साहब ने नया शागिर्द बनाया
— avinash agrawal (Support CAA) (@avagra67) September 28, 2021
एक,,दो,, नई आयात सिखाते हुए,,, @BcBcMc1 @nikalyahase12 pic.twitter.com/yfZEDhRb1o
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय के जज मंसूर अहमद ने सुनवाई के दौरान फैसला सुनाते हुए कहा कि तनवीर ने पैगंबर मोहम्मद को इस्लाम का अंतिम पैगंबर नहीं मान कर ईशनिंदा की। इस दौरान तनवीर के वकील मोहम्मद रमजान ने दलील दी कि उनके क्लाइंट की मानसिक हालात ठीक नहीं है और अदालत को इस तथ्य पर गौर देना चाहिए।
हालाँकि, कोर्ट में पेश हुई महिला की मेडिकल रिपोर्ट से यह साबित हुआ कि उसकी मानसिक स्थिति ठीक है। दरअसल, शिकायतकर्ता मौलवी की ओर से पेश हुए वकील ने अदालत को पंजाब इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के एक मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें कहा गया था कि आरोपित महिला संदिग्ध मुकदमा चलाने के लिए फिट है क्योंकि उसकी मानसिक स्थिति बिल्कुल ठीक है। इसके बाद अदालत ने उसे सजा-ए-मौत सुनाई और पीपीसी की 295 धारा के तहत 50000 रुपए का जुर्माना देने को कहा।
Pakistan: Woman evidently with mental health & mental capacity issues is sentenced to death following a conviction for #Blasphemy #UnfairTrial #Injustice #Disability #MentalHealth @APPGFoRB @DavidAltonHL @UK_FoRBEnvoy @FCDOHumanRights @trussliz @mbachelet @UN_Women @unwomen_pak https://t.co/OWH96b3Ise
— Justice Upheld (@Justice_Upheld) September 28, 2021
लाहौर कोर्ट में सुनाए गए इस फैसले की अब सोशल मीडिया पर चर्चा है। यूजर्स पाकिस्तान के कट्टरपंथ और पुरुषवादी सोच को इसका जिम्मेदार बता रहे हैं। वहीं कुछ मानवाधिकारों को लेकर सवाल कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून में बहुत सख्त सजा का प्रावधान है। कथिततौर पर, 1987 से लेकर अब तक 1472 लोगों पर ईशनिंदा का आरोप पाकिस्तान में लगाया गया है। इस आरोप में फँसे या फँसाए लोग अपनी पसंद का वकील तक नहीं कर पाते क्योंकि उन्हें डर होता है कि संवेदनशील मुद्दों पर केस लड़ना उनके लिए खतरा बन सकता है। अक्सर इस्लाम के विरोध में बोलने वाले लोग या फिर अल्पसंख्यक इसका शिकार होते हैं।

No comments:
Post a Comment