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| मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि एवं ईदगाह मस्जिद (साभार: दैनिक जागरण) |
एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह ने प्रार्थना पत्र में कहा है कि शाही ईदगाह मस्जिद भगवान श्रीकृष्ण के मूल गर्भगृह पर बनी हुई है। इसकी जमीन को लेकर विवाद चल रहा है, जो न्यायालय में है। उन्होंने कहा कि विवाद के बावजूद पिछले कुछ दिनों से ईदगाह मस्जिद में पाँच वक्त नमाज पढ़ी जाने लगी है। इसके पहले इस मस्जिद में कभी नमाज नहीं पढ़ी गई। उन्होंने तर्क दिया कि इस हरकत से सामाजिक सौहार्द्र बिगड़ने का खतरा बन गया है।
महेंद्र प्रताप सिंह ने प्रार्थना पत्र में तर्क दिया कि ईदगाह मस्जिद भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर एक हिस्से को तोड़कर बनाया गया है। क्रूर मुस्लिम आक्रांता औरंगजेब ने मंदिर को तोड़कर ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था। उन्होंने कहा कि मस्जिद के दीवारों पर आज भी मंदिर के अवशेष के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। उन्होंने कहा कि इसके दीवारों पर शंख, चक्र आदि स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। मुस्लिम पक्ष जान-बूझकर इन चिह्नों को मिटाने की कोशिश कर रहा है। इसलिए ईदगाह में नमाज पढ़ने से रोकना बहुत जरूरी है।
वहीं, अखिल भारत हिंदू महासभा ने 6 दिसंबर को ईदगाह पर ठाकुर जी का अभिषेक करने का निर्णय लिया गया। महासभा ने एक स्वर में कहा कि ईदगाह पर ठाकुर जी का अभिषेक बिना किसी तोड़फोड़ के शांति से संपन्न किया जाएगा।
इधर श्रीकृष्ण विराजमान प्रकरण मेें 24 नवंबर को भी जिला जज की अदालत में मुस्लिम पक्ष ने दावे की कमियाँ गिनाईं। अदालत ने बहस पूरी होने के लिए दो दिसंबर की तारीख नियत की है। उधर, जिला जज ने अभी तक इस संबंध में दायर सभी दावों की सूची माँग ली है। सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री द्वारा पेश किए गए श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन के दावे की स्वीकारोक्ति संबंधी न्यायिक प्रक्रिया बुधवार को जारी रही।


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