हिंदू विरोधी दिल्ली दंगों को लेकर अदालत ने ‘दंगाइयों’ के वकील महमूद प्राचा को फटकारा

दिल्ली की एक अदालत ने राजधानी में हिंदू विरोधी दंगो के आरोपितों के वकील महमूद प्राचा को फटकार लगाई है। यह फटकार महमूद प्राचा को इसलिए लगाई गई है, क्योंकि उसने अदालत में तर्क दिया था, “2020 के दिल्ली दंगों के दौरान केवल मुसलमानों को निशाना बनाया गया था और झूठे मामलों में उन्हें फँसाया गया था।” प्राचा ने यह भी कहा था कि दिल्ली के दंगे वास्तव में सांप्रदायिक दंगे नहीं थे।

आखिर कब तक गैर-मुस्लिमों को सेकुलरिज्म के नाम पर छला जाता रहेगा? 
जब कभी कहीं भी दंगे में मुस्लिम गिरफ्तार किए जाते हैं, इनके सरगना हमेशा मुस्लिम मजहब के नाम पर 
गरीब, मजलूम और नसमझ कहकर victim card खेलने लगते हैं। जब प्रदर्शनों में हिन्दुओं की गैर-मौजूदगी में भारत को इस्लामिक देश बनाने और fuck hindutva के नारे कोई गरीब, मजलूम और नासमझ लगा सकता है? इन साम्प्रदायिक नारे लगाए जाने के पीछे कौन सी सोंच थी? किन लोगों के कहने पर देश को साम्प्रदायिकता की आग में झोंकने का षड़यंत्र काम कर रहा था? क्यों नहीं इन साम्प्रदायिक नारों का विरोध किया गया? 
देखिए जनवरी 29, 2020 को लिखा सर्वाधिक पढ़ा गया लेख, जो उनको भी गंभीरता से पढ़ना चाहिए जो सेकुलरिज्म का राग अलापते रहते हैं, आखिर कब तक गैर-मुस्लिमों को सेकुलरिज्म के नाम पर छला जाता रहेगा? :-
सेकुलरिज्म सिर्फ तब तक, जब तक भारत में इस्लाम की हुकूमत नहीं ले आते : अरफ़ा खानुम, मुस्लिम पत्रकार
NIGAMRAJENDRA.BLOGSPOT.COM
सेकुलरिज्म सिर्फ तब तक, जब तक भारत में इस्लाम की हुकूमत नहीं ले आते : अरफ़ा खानुम, मुस्लिम पत्रकार

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट ने 11 नवंबर को आरोपित आरिफ की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए वकील महमूद प्राचा की जमकर खिंचाई की। उन्होंने कहा, “पुलिस ने अपना काम पूरी ईमानदारी से किया, सांप्रदायिक आधार पर नहीं। एक चश्मदीद गवाह को आरोपित द्वारा धमकाया जा सकता है। आपके तर्क बेबुनियाद हैं।” इसके बाद अदालत ने आरोपित आरिफ को जमानत देने से इनकार कर दिया।

यह मामला 25 फरवरी, 2020 को शिव विहार तिराहा के पास आलोक तिवारी की हत्या से संबंधित है, जिसे कई गंभीर चोटें आई थीं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, मृतक को धारदार और नुकीले हथियारों से 13 चोटें आई थीं। दंगों के दौरान हुई हत्या के दो अलग-अलग मामलों में भी आरोपित आरिफ की जाँच चल रही है।

लिबरल गिरोह के वकील महमूद प्राचा दिल्ली दंगा में ‘पीड़ितों’ का केस मुफ्त में लड़ने का दावा करता है और भारत में अघोषित आपातकाल के नैरेटिव को आगे बढ़ाता है। न सिर्फ कोर्ट में, बल्कि सोशल मीडिया के माध्यम से भी वो इस्लामी प्रोपेगंडा फैलाने में दक्ष है।

 जमात उलेमा-ए-हिन्द ने महमूद प्राचा को कई आतंकवादियों का केस लड़ने के लिए हायर किया था। वकील महमूद प्राचा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के दिल्ली ब्रांच का सदस्य भी है। साउथ एशिया माइनॉरिटी लॉयर्स एसोसिएशन का वो अध्यक्ष है। साथ ही जुलाई 2017 से वो अमेरिका के ‘ब्लैक लाइव्स मैटर्स’ की तर्ज पर भारत में ‘दलित, माइनॉरिटी एंड ट्राइबल लाइव्स मैटर्स’ नामक अभियान चला रहा है।

No comments: