साभार: T-Series
छद्दम धर्म-निरपेक्षों की तरह बॉलीवुड में भी हिन्दू धर्म का अपमान करना जन्म सिद्ध अधिकार बना हुआ है। लेकिन इनमें से किसी में किसी अन्य धर्म का मजाक बनाने का साहस नहीं। हिन्दुओं को भी ऐसी फिल्में ही नहीं बल्कि इन फिल्मों में काम करने वालों का उसी तरह अपमान करना चाहिए। दर्शकों को मनोरंजन के नाम पर पागल बनाकर उनके ही धन पर शहंशाही ज़िंदगी जीते हैं, क्यों न हिन्दू धर्म का मजाक उड़ाने फिल्म वालों को कंगाल बनाया जाए। जब ‘तनु वेड्स मनु (2011)’, ‘राँझना (2013)’ और ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स (2015)’ जैसी फ़िल्में बना चुके आनंद एल रॉय कोई फिल्म लेकर आते हैं तो दर्शकों को एक उम्मीद रहती है। ये अलग बात है कि उनकी पिछली फिल्म ‘जीरो (Zero)’ फ्लॉप रही थी। अबकी उनकी फिल्म ‘अतरंगी रे’ में अक्षय कुमार, धनुष और सारा अली खान जैसे बड़े अभिनेता हैं। अक्षय कुमार ने ‘सज्जाद’ का किरदार निभाया है इसमें। जबकि सारा अली खान हिन्दू लड़की ‘रिंकू’ होती हैं।
आगे इस समीक्षा में हम आपको फिल्म की कहानी भी बताएँगे, क्योंकि बॉलीवुड के प्रोपेगंडा को बेनकाब करने के लिए ये आवश्यक है। जैसा कि आरा अली खान खुद इस फिल्म में कहती हैं, वो ‘सूर्यवंशी ठाकुर’ होती हैं, जिनका भगवान राम के वंश से सीधा ताल्लुक है। अब एक हिन्दू ठाकुर परिवार को दिखाया गया तो उसे क्रूर बताना ज़रूरी हो जाता है। उस घर की महिलाएँ हो या पुरुष, सबका क्रूर और ‘प्यार से घृणा करने वाला’ होना ज़रूरी है।
Dear @GemsOfBollywood, kindly check🙏 pic.twitter.com/uaF6FBpQvt
— Filmy Khichdi (@FilmyKhichdii) November 24, 2021
Correct. They were equally hinduphobic.
— Aarti Yodha (@AartiAuthor) November 25, 2021
@akshaykumar How much more you all will test patience of Hindus? @LegalLro @KalingaForum This film must never come out with these Hinduphobic elements. Please do take action. Please 🙏🏻🙏🏻
— IndiWarriorQueen ॐ🇮🇳 (@bharat_putri) November 24, 2021
बिहार का परिवार होता है, इसीलिए यहाँ थोड़ी बदनामी बिहार की भी हो जाए तो फिल्म में और मसाला लग जाता है। इसीलिए, ‘जबरिया शादी’ का कॉन्सेप्ट लाया गया है। रिंकू के परिवार वाले जबरन उसकी शादी एक तमिल लड़के से कर देते हैं, जिसे बाँध कर लाया जाता है। अब शुरू होता है तमिल भाषा का मजाक बनाना। तमिल बोलते विशु (जिसका असली नाम तमिल में कुछ लंबा सा है और रिंकू बोलती है कि ये भगवान वाला नाम है, इसीलिए धरती वाला नाम बताओ) को एक कॉमिक कैरेक्टर की तरह पेश किया गया है।
कुछ इसी तरह की चीज हमने ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ में देखी थी, जहाँ तमिल बोलने वालों को कॉमेडी के लिए इस्तेमाल किया गया था। दूसरी भाषा का मजाक बना कर आप ये कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वो उनका सम्मान करें? खैर, इस फिल्म में तमिल अभिनेता धनुष भी हैं जो दक्षिण में अपनी अच्छी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं लेकिन ये भी कहा जाता है कि उन्हें हिंदी ठीक से नहीं आती। इससे पहले वो ‘राँझना’ के अलावा आर बल्कि की ‘शमिताभ (2015)’ में दिखे थे। ये उनकी तीसरी हिंदी फिल्म है।
फिल्म का सबसे बड़ा सस्पेंस ये होता है कि रिंकू जिस काल्पनिक लड़के से पूरी फिल्म प्यार कर रही होती है और अपनी बॉयफ्रेंड समझ रही होती है, वो उसके अब्बा होते हैं। फ्लैशबैक में पता चलता है कि इस शादी से रिंकू की माँ (जिसके किरदार में वो खुद हैं) के परिवार वाले इस शादी से खुश नहीं थे और जादूगर सज्जाद को ज़िंदा जला कर मारने के लिए उन्होंने साजिश रची। फिर जादू दिखाते हुए बच्ची रिंकू के सामने ही सज्जाद आग से जल कर मर जाता है।
स्पष्ट है, जलाने वाले वही ‘भगवान श्रीराम के वंशज सूर्यवंशी ठाकुर’ हैं और मरने वाला एक मुस्लिम जिसने एक हिन्दू लड़की से शादी कर ली। नैरेटिव ये है कि मुस्लिम पीड़ित है और हिन्दू अपराधी। गुंडे भगवान की पूजा न करें, चंदन न लगाएँ और भगवान का नाम न लें तो भला वो बॉलीवुड के विलेन कैसे हुए? इसीलिए रिंकू के परिवार वालों को भी हवन वगैरह करते हुए दिखाया गया है। रिंकू बार-बार घर से भागती है, लेकिन उसकी नानी जबरन उसकी शादी करवा देती है।
और हाँ, फिल्म के एक दृश्य में ‘सज्जाद (असली में रिंकू का अब्बू लेकिन अब काल्पनिक बॉयफ्रेंड)’ उसे एक ‘रामायण’ भी समझाता है, जिसमें वो खुद को राम बोलता है। साथ ही जिस विशु से रिंकू की शादी हुई होती है, उसे रावण बताता है। फिर बताता है कि किस तरह वो ‘रावण’ इस ‘राम’ को ‘सोने का हिरण’ मारने भेजना चाहता है, ताकि वो ‘सीता’ का हरण कर सके। ‘अब रामायण शुरू होता है’ – इस डायलॉग के साथ ही इंटरवल की घोषणा होती है।
बॉलीवुड का शुरू से ऐसा ही रहा है। सज्जाद को ‘सेक्युलर’ दिखाने के लिए कृष्ण जन्माष्टमी पर गाना गाते हुए और मटका फोड़ते हुए भी दिखाया गया है। वो रामायण की बातें करता है। साथ ही राधा वाला एक गाने का तड़का हो जाए तो फिल्म की संगीत में चार चाँद लग जाते हैं। फिल्म के गाने जब एआर रहमान ने बनाएँ हों और लिरिक्स इरशाद कामिल ने लिखे हों, तो इस पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि ‘राधा’ को फूहड़ ढंग से पेश किया जाने वाला है।
इस बिना सिर-पैर की कहानी वाली फिल्म में बॉलीवुड वालों ने वही किया है, जो वो वर्षों से करते आ रहे हैं। ठाकुर, ब्राह्मण या वैश्य समाज का विलेन, मुस्लिम पीड़ित, हिन्दू देवी-देवताओं का नाम लेकर फूहड़ गाने, हिन्दू धर्म ग्रन्थ का नाम लेकर मजाक। इन सबके अलावा एक लव ट्रायंगल और किसी कॉलेज का कैम्पस हो जाए तो सोने पर सुहागा। पुरानी बोतल में पुरानी शराब डाल कर उसमें नीम्बू गाड़ देने का ही नाम है – ‘अतरंगी रे’।
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